Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004522 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३०. अनुप्रेक्षासूत्र | Translated Section : | ३०. अनुप्रेक्षासूत्र |
Sutra Number : | 522 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | कार्तिकेयानुप्रेक्षा 94 | ||
Mool Sutra : | मनोवचनकायगुप्तेन्द्रियस्य समितिषु अप्रमत्तस्य। आस्रवदारनिरोधे, नवकर्मरजआस्रवो न भवेत्।।१८।। | ||
Sutra Meaning : | तीन गुप्तियों के द्वारा इन्द्रियों को वश में करनेवाला तथा पंच समितियों के पालन में अप्रमत्त मुनि के आस्रवद्वारों का निरोध हो जाने पर नवीन कर्म-रज का आस्रव नहीं होता है। यह संवर अनुप्रेक्षा है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Manovachanakayaguptendriyasya samitishu apramattasya. Asravadaranirodhe, navakarmarajaasravo na bhavet..18.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tina guptiyom ke dvara indriyom ko vasha mem karanevala tatha pamcha samitiyom ke palana mem apramatta muni ke asravadvarom ka nirodha ho jane para navina karma-raja ka asrava nahim hota hai. Yaha samvara anupreksha hai. |