Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004509 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३०. अनुप्रेक्षासूत्र | Translated Section : | ३०. अनुप्रेक्षासूत्र |
Sutra Number : | 509 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सूत्रकृतांग 1/2/3/16 | ||
Mool Sutra : | वित्तं पशवश्च ज्ञातयः, तद् बालः शरणमिति मन्यते। एते मम तेष्वप्यहं, नो त्राणं शरणं न विद्यते।।५।। | ||
Sutra Meaning : | अज्ञानी जीव धन, पशु तथा ज्ञातिवर्ग को अपना रक्षक या शरण मानता है कि ये मेरे हैं और मैं इनका हूँ। किन्तु वास्तव में ये सब न तो रक्षक हैं और न शरण। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vittam pashavashcha jnyatayah, tad balah sharanamiti manyate. Ete mama teshvapyaham, no tranam sharanam na vidyate..5.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ajnyani jiva dhana, pashu tatha jnyativarga ko apana rakshaka ya sharana manata hai ki ye mere haim aura maim inaka hum. Kintu vastava mem ye saba na to rakshaka haim aura na sharana. |