Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2000564 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 564 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | गोम्मटसार जीवकाण्ड 65 | ||
Mool Sutra : | सेलेसिं संपत्तो, णिरुद्धणिस्सेस-आसओ जीवो। कम्मरयविप्पमुवको, गयजोगो केवली होइ।।१९।। | ||
Sutra Meaning : | जो शील के स्वामी हैं, जिनके सभी नवीन कर्मों का आस्रव अवरुद्ध हो गया है, तथा जो पूर्वसंचित कर्मों से (बन्ध से) सर्वथा मुक्त हो चुके हैं, वे अयोगीकेवली कहलाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Selesim sampatto, niruddhanissesa-asao jivo. Kammarayavippamuvako, gayajogo kevali hoi..19.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo shila ke svami haim, jinake sabhi navina karmom ka asrava avaruddha ho gaya hai, tatha jo purvasamchita karmom se (bandha se) sarvatha mukta ho chuke haim, ve ayogikevali kahalate haim. |