Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 2000551 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) | Translated Section : | ३२. आत्मविकाससूत्र (गुणस्थान) |
Sutra Number : | 551 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | गोम्मटसार जीवकाण्ड 22 | ||
Mool Sutra : | दहिगुडमिव वा मिस्सं, पिहुभावं णेव कारिदुं सक्कं। एवं मिस्सयभावो, सम्मामिच्छो त्ति णायव्वो।।६।। | ||
Sutra Meaning : | दही और गुड़ के मेल के स्वाद की तरह सम्यक्त्व और मिथ्यात्व का मिश्रित भाव या परिणाम--जिसे अलग नहीं किया जा सकता, सम्यक्-मिथ्यात्व या मिश्र गुणस्थान कहलाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Dahigudamiva va missam, pihubhavam neva karidum sakkam. Evam missayabhavo, sammamichchho tti nayavvo..6.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Dahi aura gura ke mela ke svada ki taraha samyaktva aura mithyatva ka mishrita bhava ya parinama--jise alaga nahim kiya ja sakata, samyak-mithyatva ya mishra gunasthana kahalata hai. |