Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000495 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २९. ध्यानसूत्र | Translated Section : | २९. ध्यानसूत्र |
Sutra Number : | 495 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | ध्यानशतक 92 | ||
Mool Sutra : | देहविवित्तं पेच्छइ, अप्पाणं तह य सव्वसंजोगे। देहोवहिवोसग्गं निस्संगो सव्वहा कुणइ।।१२।। | ||
Sutra Meaning : | ध्यान-योगी अपने आत्मा को शरीर तथा समस्त बाह्य संयोगों से विविक्त (भिन्न) देखता है अर्थात् देह तथा उपधि का सर्वथा त्याग करके निःसंग हो जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Dehavivittam pechchhai, appanam taha ya savvasamjoge. Dehovahivosaggam nissamgo savvaha kunai..12.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Dhyana-yogi apane atma ko sharira tatha samasta bahya samyogom se vivikta (bhinna) dekhata hai arthat deha tatha upadhi ka sarvatha tyaga karake nihsamga ho jata hai. |