Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000438 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २७. आवश्यकसूत्र | Translated Section : | २७. आवश्यकसूत्र |
Sutra Number : | 438 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नियमसार 103 | ||
Mool Sutra : | जं किंचि मे दुच्चरितं, सव्वं तिविहेण वोसिरे। सामाइयं तु तिविहं, करेमि सव्वं णिरायारं।।२२।। | ||
Sutra Meaning : | (वह ऐसा भी विचार करता है कि-) जो कुछ भी मेरा दुश्चरित्र है, उस सबको मैं मन वचन कायपूर्वक तजता हूँ और निर्विकल्प होकर त्रिविध सामायिक करता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jam kimchi me duchcharitam, savvam tivihena vosire. Samaiyam tu tiviham, karemi savvam nirayaram..22.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (vaha aisa bhi vichara karata hai ki-) jo kuchha bhi mera dushcharitra hai, usa sabako maim mana vachana kayapurvaka tajata hum aura nirvikalpa hokara trividha samayika karata hum. |