Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000360 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र | Translated Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 360 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | भावपाहुड 2 | ||
Mool Sutra : | भावो हि पढमलिंगं, ण दव्वलिंगं च जाण परमत्थं। भावो कारणभूदो, गुणदोसाणं जिणा बिंति।।२५।। | ||
Sutra Meaning : | (वास्तव में) भाव ही प्रथम या मुख्य लिंग है। द्रव्य लिंग परमार्थ नहीं है, क्योंकि भाव को ही जिनदेव गुण-दोषों का कारण कहते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Bhavo hi padhamalimgam, na davvalimgam cha jana paramattham. Bhavo karanabhudo, gunadosanam jina bimti..25.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (vastava mem) bhava hi prathama ya mukhya limga hai. Dravya limga paramartha nahim hai, kyomki bhava ko hi jinadeva guna-doshom ka karana kahate haim. |