Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000357 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र | Translated Section : | २४. श्रमणधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 357 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 23/32 | ||
Mool Sutra : | पच्चयत्थं च लोगस्स, नाणाविहविगप्पणं। जत्तत्थं गहणत्थं च, लोगे लिंगपओयणं।।२२।। | ||
Sutra Meaning : | (फिर भी) लोक-प्रतीति के लिए नाना तरह के विकल्पों की वेश आदि की-परिकल्पना की गयी है। संयम-यात्रा के निर्वाह के लिए और `मैं साधु हूँ' इसका बोध रहने के लिए ही लोक में लिंग का प्रयोजन है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Pachchayattham cha logassa, nanavihavigappanam. Jattattham gahanattham cha, loge limgapaoyanam..22.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (phira bhi) loka-pratiti ke lie nana taraha ke vikalpom ki vesha adi ki-parikalpana ki gayi hai. Samyama-yatra ke nirvaha ke lie aura `maim sadhu hum isaka bodha rahane ke lie hi loka mem limga ka prayojana hai. |