Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000258 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १९. सम्यग्ज्ञानसूत्र | Translated Section : | १९. सम्यग्ज्ञानसूत्र |
Sutra Number : | 258 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | आचारांग 1/3/4/2 | ||
Mool Sutra : | जे एगं जाणइ, से सव्वं जाणइ। जे सव्वं जाणइ, से एगं जाणइ।।१४।। | ||
Sutra Meaning : | जो एक (आत्मा) को जानता है वह सब (जगत्) को जानता है। जो सबको जानता है, वह एक को जानता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Je egam janai, se savvam janai. Je savvam janai, se egam janai..14.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo eka (atma) ko janata hai vaha saba (jagat) ko janata hai. Jo sabako janata hai, vaha eka ko janata hai. |