Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000218 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १७. रत्नत्रयसूत्र | Translated Section : | १७. रत्नत्रयसूत्र |
Sutra Number : | 218 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | महाप्रत्याख्यान 11 | ||
Mool Sutra : | आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरित्ते य। आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे।।११।। | ||
Sutra Meaning : | आत्मा ही मेरा ज्ञान है। आत्मा ही दर्शन और चारित्र है। आत्मा ही प्रत्याख्यान है और आत्मा ही संयम और योग है। अर्थात् ये सब आत्मरूप ही हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Aya hu maham nane, aya me damsane charitte ya. Aya pachchakkhane, aya me samjame joge..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Atma hi mera jnyana hai. Atma hi darshana aura charitra hai. Atma hi pratyakhyana hai aura atma hi samyama aura yoga hai. Arthat ye saba atmarupa hi haim. |