Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000197 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र | Translated Section : | १६. मोक्षमार्गसूत्र |
Sutra Number : | 197 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार 275 | ||
Mool Sutra : | सद्दहदि य पत्तेदि य, रोचेदि य तह पुणो य फासेदि। धम्मं भोगणिमित्तं, ण दु सो कम्मक्खयणिमित्तं।।६।। | ||
Sutra Meaning : | अभव्य जीव यद्यपि धर्म में श्रद्धा रखता है, उसकी प्रतीति करता है, उसमें रुचि रखता है, उसका पालन भी करता है, किन्तु यह सब वह धर्म को भोग का निमित्त समझकर करता है, कर्मक्षय का कारण समझकर नहीं करता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Saddahadi ya pattedi ya, rochedi ya taha puno ya phasedi. Dhammam bhoganimittam, na du so kammakkhayanimittam..6.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Abhavya jiva yadyapi dharma mem shraddha rakhata hai, usaki pratiti karata hai, usamem ruchi rakhata hai, usaka palana bhi karata hai, kintu yaha saba vaha dharma ko bhoga ka nimitta samajhakara karata hai, karmakshaya ka karana samajhakara nahim karata. |