Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1024293 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 293 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं खेत्तपलिओवमे? खेत्तपलिओवमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुहुमे य वावहारिए य। तत्थ णं जेसे सुहुमे से ठप्पे। तत्थ णं जेसे वावहारिए–से जहानामए पल्ले सिया–जोयणं आयाम-विक्खंभेणं, जोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले– एगाहिय-बेयाहिय-तेयाहिय, उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं । सम्मट्ठे सन्निचिते, भरिए वालग्गकोडीणं ॥ से णं वालग्गे नो अग्गी डहेज्जा, नो वाऊ हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो पलिविद्धंसेज्जा, नो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा। जे णं तस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना, तओ णं समए-समए एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे नीरए निल्लेवे निट्ठिए भवइ। से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्षेत्रपल्योपम क्या है ? गौतम ! दो प्रकार – सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम और व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम। उनमें से सूक्ष्म क्षेत्रपल्योपम स्थापनीय है। व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम का स्वरूप इस प्रकार – जैसे कोई एक योजन आयाम – विष्कम्भ और एक योजन ऊंचा तथा कुछ अधिक तिगुनी परिधि वाला धान्य मापने के पल्य के समान पल्य हो। उस पल्य को दो, तीन यावत् सात दिन के उगे बालाग्रों को कोटियों से इस प्रकार से भरा जाए कि उन बालाग्रों को अग्नि जला न सके, वायु उड़ा न सके आदि यावत् उनमें दुर्गन्ध भी पैदा न हो। तत्पश्चात् उस पल्य के जो आकाशप्रदेश बालाग्रों से व्याप्त हैं, उन प्रदेशों में से समय – समय एक – एक आकाशप्रदेश का अपहरण किया जाए – तो जितने काल में वह पल्य खाली यावत् विशुद्ध हो जाए, वह एक व्यावहारिक क्षेत्रपल्योपम है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam khettapaliovame? Khettapaliovame duvihe pannatte, tam jaha–suhume ya vavaharie ya. Tattha nam jese suhume se thappe. Tattha nam jese vavaharie–se jahanamae palle siya–joyanam ayama-vikkhambhenam, joyanam uddham uchchattenam, tam tigunam savisesam parikkhevenam; se nam palle– Egahiya-beyahiya-teyahiya, ukkosenam sattarattaparudhanam. Sammatthe sannichite, bharie valaggakodinam. Se nam valagge no aggi dahejja, no vau harejja, no kuchchhejja, no palividdhamsejja, no puittae havvamagachchhejja. Je nam tassa agasapaesa tehim valaggehim apphunna, tao nam samae-samae egamegam agasapaesam avahaya javaienam kalenam se palle khine nirae nilleve nitthie bhavai. Se tam vavaharie khettapaliovame. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kshetrapalyopama kya hai\? Gautama ! Do prakara – sukshma kshetrapalyopama aura vyavaharika kshetrapalyopama. Unamem se sukshma kshetrapalyopama sthapaniya hai. Vyavaharika kshetrapalyopama ka svarupa isa prakara – jaise koi eka yojana ayama – vishkambha aura eka yojana umcha tatha kuchha adhika tiguni paridhi vala dhanya mapane ke palya ke samana palya ho. Usa palya ko do, tina yavat sata dina ke uge balagrom ko kotiyom se isa prakara se bhara jae ki una balagrom ko agni jala na sake, vayu ura na sake adi yavat unamem durgandha bhi paida na ho. Tatpashchat usa palya ke jo akashapradesha balagrom se vyapta haim, una pradeshom mem se samaya – samaya eka – eka akashapradesha ka apaharana kiya jae – to jitane kala mem vaha palya khali yavat vishuddha ho jae, vaha eka vyavaharika kshetrapalyopama hai. |