Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1024292 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 292 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] मणुस्साणं भंते! केवइअं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं जाव अजहन्नमणुक्कोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे से तं अद्धा पलिओवमे। | ||
Sutra Meaning : | मनुष्यों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। संमूर्च्छिम मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट तीन पल्योपम है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त्त ही जानना। पर्याप्तक गर्भव्यु – त्क्रान्तिक मनुष्यों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून तीन पल्योपम प्रमाण है। वाणव्यंतर देवों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य स्थिति १०००० वर्ष और उत्कृष्ट स्थिति एक पल्योपम है। वाणव्यंतरों की देवियों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष की और उत्कृष्ट अर्धपल्योपम है। ज्योतिष्क देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य कुछ अधिक पल्योपम के आठवें भाग प्रमाण और उत्कृष्ट स्थिति एक लाख वर्ष अधिक पल्योपम है। ज्योतिष्क देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग प्रमाण और उत्कृष्ट ५०००० वर्ष अधिक अर्धपल्योपम की होती है। चंद्रविमानों के देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम है। चंद्रविमानों की देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट ५०००० वर्ष अधिक अर्धपल्योपम है। सूर्यविमानों के देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थांश और उत्कृष्ट स्थिति १००० वर्ष अधिक एक पल्योपम है। सूर्यविमानों की देवियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट पाँचसौ वर्ष अधिक अर्धपल्योपम है। ग्रहविमानों के देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट एक पल्योपम की है। ग्रहविमानों की देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट अर्धपल्योपम है। नक्षत्रविमानों के देवों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट अर्धपल्योपम है। नक्षत्रविमानों की देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट साधिक पल्योपम का चतुर्थ भाग है। ताराविमानों के देवों की स्थिति कुछ अधिक पल्योपम का अष्टमांश भाग जघन्य और उत्कृष्ट पल्योपम का चतुर्थ भाग है। ताराविमानों की देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग और उत्कृष्ट साधिक पल्योपम का आठवाँ भाग है। वैमानिक देवों की स्थिति कितने काल की कही है ? गोतम ! वैमानिक देवों की स्थिति जघन्य एक पल्य की और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम की है। वैमानिक देवियों की जघन्य स्थिति एक पल्य की और उत्कृष्ट स्थिति पचपन पल्योपम है। सौधर्मकल्प के देवों की स्थिति जघन्य एक पल्योपम की और उत्कृष्ट दो सागरोपम है। सौधर्मकल्प में (परिगृहीता) देवियों की जघन्य स्थिति एक पल्योपम की और उत्कृष्ट सात पल्योपम की है। अपरिगृहीता देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम की और उत्कृष्ट पचास पल्योपम की है। ईशानकल्प के देवों की जघन्य स्थिति साधिक पल्योपम की और उत्कृष्ट स्थिति साधिक दो सागरोपम की है। ईशानकल्प की (परिगृहीता) देवियों की स्थिति जघन्य साधिक पल्योपम और उत्कृष्ट नौ पल्योपम है। अपरिगृहीता देवियों की स्थिति ? जघन्य कुछ अधिक पल्योपम और उत्कृष्ट पचपन पल्योपम है। सनत्कुमारकल्प के देवों की स्थिति कितनी होती है ? गौतम ! जघन्य दो सागरोपम की और उत्कृष्टतः सात सागरोपम की है। माहेन्द्रकल्प में देवों की स्थिति जघन्य साधिक दो सागरोपम और उत्कृष्ट कुछ अधिक सात सागरोपम है। ब्रह्मलोक – कल्प के देवों की स्थिति जघन्य सात सागरोपम और उत्कृष्ट दस सागरोपम है। लांतककल्प में देवों की जघन्य स्थिति दस सागरोपम, उत्कृष्ट चौदह सागरोपम की है। महाशुक्रकल्प के देवों की जघन्य स्थिति चौदह और उत्कृष्ट सत्रह सागरोपम, सहस्रारकल्प के देवों की जघन्य स्थिति सत्रह और उत्कृष्ट अठारह सागरोपम, आनतकल्प में जघन्य स्थिति अठारह और उत्कृष्ट उन्नीस सागरोपम, प्राणतकल्प में जघन्य स्थिति उन्नीस और उत्कृष्ट बीस सागरोपम, आरणकल्प के देवों की जघन्य स्थिति बीस और उत्कृष्ट इक्कीस सागरोपम की तथा अच्युतकल्प के देवों की जघन्य स्थिति इक्कीस सागरोपम की और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की है। अधस्तन – अधस्तन ग्रैवेयक विमान में देवों की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जघन्य स्थिति बाईस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेईस सागरोपम की है। अधस्तन मध्यम ग्रैवेयक विमान के देवों की स्थिति जघन्य तेईस और उत्कृष्ट चौबीस सागरोपम अधस्तन – उपरिम ग्रैवेयक के देवों की जघन्य स्थिति चौबीस की और उत्कृष्ट पच्चीस सागरोपम, मध्यम – अधस्तन ग्रैवेयक के देवों की जघन्य स्थिति पच्चीस की और उत्कृष्ट छब्बीस सागरोपम की, मध्यम – मध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति छब्बीस की, उत्कृष्ट सत्ताईस सागरोपम की, मध्यम – उपरिम ग्रैवेयक विमानों में देवों की जघन्य स्थिति सत्ताईस की और उत्कृष्ट अट्ठाईस सागरोपम की, उपरिम – अधस्तन ग्रैवेयक विमानों के देवों की जघन्य स्थिति अट्ठाईस की और उत्कृष्ट उनतीस सागरोपम, उपरिम – मध्यम ग्रैवेयक देवों की जघन्य स्थिति उनतीस की और उत्कृष्ट तीस सागरोपम तथा उपरिम – उपरिम ग्रैवेयक विमानों के देवों की जघन्य स्थिति तीस सागरोपम की और उत्कृष्ट स्थिति इकतीस सागरोपम की है। विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित विमानों के देवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य इकतीस सागरोपम की और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम है। सर्वार्थसिद्ध महाविमान के देवों की स्थिति अजघन्य – अनुत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] manussanam bhamte! Kevaiam kalam thiti pannatta? Goyama jahannenam amtomuhuttam ukkosenam tinni paliovamaim java ajahannamanukkosam tettisam sagarovamaim se tam suhume addhapaliovame se tam addha paliovame. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Manushyom ki sthiti kitane kala ki hai\? Jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta tina palyopama ki hai. Sammurchchhima manushyom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hai. Garbhavyutkrantika manushyom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta tina palyopama hai. Aparyaptaka garbhavyutkrantika manushyom ki jaghanya aura utkrishta sthiti bhi antarmuhurtta hi janana. Paryaptaka garbhavyu – tkrantika manushyom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna tina palyopama pramana hai. Vanavyamtara devom ki sthiti kitane kala ki hai\? Jaghanya sthiti 10000 varsha aura utkrishta sthiti eka palyopama hai. Vanavyamtarom ki deviyom ki sthiti jaghanya 10000 varsha ki aura utkrishta ardhapalyopama hai. Jyotishka devom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya kuchha adhika palyopama ke athavem bhaga pramana aura utkrishta sthiti eka lakha varsha adhika palyopama hai. Jyotishka deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ka athavam bhaga pramana aura utkrishta 50000 varsha adhika ardhapalyopama ki hoti hai. Chamdravimanom ke devom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta eka lakha varsha adhika eka palyopama hai. Chamdravimanom ki deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta 50000 varsha adhika ardhapalyopama hai. Suryavimanom ke devom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturthamsha aura utkrishta sthiti 1000 varsha adhika eka palyopama hai. Suryavimanom ki deviyom ki jaghanya sthiti palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta pamchasau varsha adhika ardhapalyopama hai. Grahavimanom ke devom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta eka palyopama ki hai. Grahavimanom ki deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta ardhapalyopama hai. Nakshatravimanom ke devom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta ardhapalyopama hai. Nakshatravimanom ki deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ka chaturtha bhaga aura utkrishta sadhika palyopama ka chaturtha bhaga hai. Taravimanom ke devom ki sthiti kuchha adhika palyopama ka ashtamamsha bhaga jaghanya aura utkrishta palyopama ka chaturtha bhaga hai. Taravimanom ki deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ka athavam bhaga aura utkrishta sadhika palyopama ka athavam bhaga hai. Vaimanika devom ki sthiti kitane kala ki kahi hai\? Gotama ! Vaimanika devom ki sthiti jaghanya eka palya ki aura utkrishta temtisa sagaropama ki hai. Vaimanika deviyom ki jaghanya sthiti eka palya ki aura utkrishta sthiti pachapana palyopama hai. Saudharmakalpa ke devom ki sthiti jaghanya eka palyopama ki aura utkrishta do sagaropama hai. Saudharmakalpa mem (parigrihita) deviyom ki jaghanya sthiti eka palyopama ki aura utkrishta sata palyopama ki hai. Aparigrihita deviyom ki sthiti jaghanya palyopama ki aura utkrishta pachasa palyopama ki hai. Ishanakalpa ke devom ki jaghanya sthiti sadhika palyopama ki aura utkrishta sthiti sadhika do sagaropama ki hai. Ishanakalpa ki (parigrihita) deviyom ki sthiti jaghanya sadhika palyopama aura utkrishta nau palyopama hai. Aparigrihita deviyom ki sthiti\? Jaghanya kuchha adhika palyopama aura utkrishta pachapana palyopama hai. Sanatkumarakalpa ke devom ki sthiti kitani hoti hai\? Gautama ! Jaghanya do sagaropama ki aura utkrishtatah sata sagaropama ki hai. Mahendrakalpa mem devom ki sthiti jaghanya sadhika do sagaropama aura utkrishta kuchha adhika sata sagaropama hai. Brahmaloka – kalpa ke devom ki sthiti jaghanya sata sagaropama aura utkrishta dasa sagaropama hai. Lamtakakalpa mem devom ki jaghanya sthiti dasa sagaropama, utkrishta chaudaha sagaropama ki hai. Mahashukrakalpa ke devom ki jaghanya sthiti chaudaha aura utkrishta satraha sagaropama, sahasrarakalpa ke devom ki jaghanya sthiti satraha aura utkrishta atharaha sagaropama, anatakalpa mem jaghanya sthiti atharaha aura utkrishta unnisa sagaropama, pranatakalpa mem jaghanya sthiti unnisa aura utkrishta bisa sagaropama, aranakalpa ke devom ki jaghanya sthiti bisa aura utkrishta ikkisa sagaropama ki tatha achyutakalpa ke devom ki jaghanya sthiti ikkisa sagaropama ki aura utkrishta baisa sagaropama ki hai. Adhastana – adhastana graiveyaka vimana mem devom ki sthiti kitani hai\? Gautama ! Jaghanya sthiti baisa sagaropama ki aura utkrishta teisa sagaropama ki hai. Adhastana madhyama graiveyaka vimana ke devom ki sthiti jaghanya teisa aura utkrishta chaubisa sagaropama adhastana – uparima graiveyaka ke devom ki jaghanya sthiti chaubisa ki aura utkrishta pachchisa sagaropama, madhyama – adhastana graiveyaka ke devom ki jaghanya sthiti pachchisa ki aura utkrishta chhabbisa sagaropama ki, madhyama – madhyama graiveyaka devom ki jaghanya sthiti chhabbisa ki, utkrishta sattaisa sagaropama ki, madhyama – uparima graiveyaka vimanom mem devom ki jaghanya sthiti sattaisa ki aura utkrishta atthaisa sagaropama ki, uparima – adhastana graiveyaka vimanom ke devom ki jaghanya sthiti atthaisa ki aura utkrishta unatisa sagaropama, uparima – madhyama graiveyaka devom ki jaghanya sthiti unatisa ki aura utkrishta tisa sagaropama tatha uparima – uparima graiveyaka vimanom ke devom ki jaghanya sthiti tisa sagaropama ki aura utkrishta sthiti ikatisa sagaropama ki hai. Vijaya, vaijayanta, jayanta aura aparajita vimanom ke devom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya ikatisa sagaropama ki aura utkrishta temtisa sagaropama hai. Sarvarthasiddha mahavimana ke devom ki sthiti ajaghanya – anutkrishta temtisa sagaropama hai. |