Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1024289 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 289 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेरइयाणं भंते! केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। जहा पन्नवणाए ठिईपए सव्वसत्ताणं। से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे। से तं अद्धापलिओवमे जाव जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखिज्जइभागो अंतोमुहुत्तो एत्थ एएसिं संगहणि गाहाओ भवंति तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | नैरयिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गोतम ! सामान्य रूप में जघन्य १०००० वर्ष की और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम की है। रत्नप्रभा पृथ्वी के नारकों की स्थिति जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट एक सागरोपम की होती है। रत्नप्रभा पृथ्वी के अपर्याप्तक नारकों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की होती है। रत्नप्रभा पृथ्वी के पर्याप्तक नारकों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त न्यून १०००० वर्ष और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून एक सागरोपम की होती है। शर्कराप्रभा पृथ्वी के नारकों की स्थिति जघन्य एक सागरोपम और उत्कृष्ट तीन सागरोपम हैं। बालुकाप्रभा के नैरयिकों की जघन्य स्थिति तीन सागरोपम की और उत्कृष्ट सात सागरोपम, पंकप्रभा के नारकों की जघन्य सात सागरोपम और उत्कृष्ट दस सागरोपम, धूमप्रभा के नारकों की जघन्य दस सागरोपम और उत्कृष्ट सत्रह सागरोपम, तमःप्रभा के नारकों की जघन्य सत्रह सागरोपम और उत्कृष्ट बाईस सागरोपम और तमस्तमःप्रभा के नैरयिकों की जघन्य स्थिति बाईस सागरोपम और उत्कृष्ट स्थिति तेंतीस सागरोपम हैं। असुरकुमार देवों की कितने काल की स्थिति है ? गौतम ! जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट कुछ अधिक एक सागरोपम प्रमाण है। असुरकुमार देवियों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट साढ़े चार पल्योपम की है। नागकुमार देवों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम है। नागकुमारदेवियों की स्थिति जघन्य १०००० वर्ष और उत्कृष्ट देशोन एक पल्योपम की है एवं जितनी नागकुमार देव, देवियों की स्थिति है, उतनी ही शेष देवों और देवियों की स्थिति जानना। पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट २२००० वर्ष है। सामान्य सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीवों की तथा सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्त और पर्याप्तों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है। बादर पृथ्वीकायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट २२००० वर्ष अपर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की होती है तथा पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की होती है तथा पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून २२००० वर्ष है। अप्कायिक जीवों की औघिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट ७००० वर्ष की है। सामान्य रूप में सूक्ष्म अप्कायिक तथा अपर्याप्त और पर्याप्त अप्कायिक जीवों की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण है। बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति सामान्य अप्कायिक जीवों के तुल्य अपर्याप्त बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त है। पर्याप्तक बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ७००० वर्ष की है। तेजस्कायिक जीवों की कितनी स्थिति है ? जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन रात – दिन है। औघिक सूक्ष्म तेजस्कायिक और पर्याप्त, अपर्याप्त सूक्ष्म तेजस्कायिक की जघन्य स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त्त की है। बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन रात्रि – दिन की होती है। अपर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त है। पर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून तीन रात्रि – दिन है। वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ३००० वर्ष की है। किन्तु सामान्य रूप में सूक्ष्म वायुकायिक जीवों की तथा उसके अपर्याप्त और पर्याप्त भेदों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण होती है। बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ३००० वर्ष है। अपर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण अन्तर्मुहूर्त्त है। और – पर्याप्तक बादर वायुकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ३००० वर्ष है। वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट १०००० वर्ष की है। सामान्य सूक्ष्म वनस्पतिकायिक तथा उनके अपर्याप्तक और पर्याप्तक भेदों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट १०००० वर्ष है यावत् गौतम ! अपर्याप्तकों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की होती है। किन्तु पर्याप्तक बादर वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त न्यून १०००० वर्ष की जानना। द्वीन्द्रिय जीवों की स्थिति कितने काल की है ? जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट बारह वर्ष की है। अपर्याप्तक द्वीन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण है। पर्याप्तक द्वीन्द्रिय जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त न्यून बारह वर्ष की है। त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ४९ दिन – रात्रि की है। अपर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक त्रीन्द्रिय जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ४९ दिन – रात्रि है। चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट छह मास की है। अपर्याप्तक चतुरिन्द्रिय जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की होती है। पर्याप्तक चतुरिन्द्रिय जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून छह मास है। भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम है। जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण है तथा संमूर्च्छिमजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक की जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि वर्ष है। अपर्याप्तक संमूर्च्छिमजलचर – पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष प्रमाण जानना। सामान्य से गर्भव्युत्क्रान्तिक – जलचरपंचेन्द्रिय तिर्यंच – योनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट पूर्वकोटि वर्ष है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिक जलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अन्त – र्मुहूर्त्त कम पूर्वकोटि वर्ष की है। चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? सामान्य रूप में जघन्य स्थिति अन्त – र्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम हैं। संमूर्च्छिमचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट स्थिति ८४००० वर्ष की है। अपर्याप्तक संमूर्च्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण जानना। पर्याप्तक संमूर्च्छिमचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त हीन ८४००० वर्ष जानना। गर्भव्युत्क्रान्तिक – चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रि – यतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की होती है। पर्याप्तक गर्भजचतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंच – योनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट हीन तीन पल्योपम की जानना। उरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है। संमूर्च्छिमउरपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रिय – तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट स्थिति ५३००० वर्ष है। अपर्याप्तक संमूर्च्छिमउरपरिसर्प – स्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य तथा उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक संमूर्च्छिमउरपरिसर्पस्थलचर – पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ५३००० वर्ष है। तथा गर्भज – उरपरिसर्पस्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट कोटि पूर्व वर्ष की है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकउरपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक गर्भजउरपरिसर्प स्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून पूर्वकोटि वर्ष की है। भुजपरिसर्पस्थलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है। संमूर्च्छिम भुजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ४२००० वर्ष है। अपर्याप्तक संमूर्च्छिमभुज परिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त्त की जानना। पर्याप्तक संमूर्च्छिमभुजपरिसर्प स्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ४२००० वर्ष की है। गर्भव्युत्क्रान्तिकभुजपरिसर्पस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की औघिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट करोड़ पूर्व वर्ष की है। अपर्याप्तक गर्भव्युत्क्रान्तिकभूजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक गर्भजभुजपरिसर्पस्थलचर० की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त न्यून करोड़ पूर्व वर्ष प्रमाण है। खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? गौतम ! सामान्य से खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण होती है। संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रिय – तिर्यंचयोनिक की औघिक स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट ७२००० वर्ष की है। अपर्याप्तक संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की स्थिति जघन्य और उत्कृष्ट से भी अन्तर्मुहूर्त्त है। पर्याप्तक संमूर्च्छिम खेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त न्यून ७२००० वर्ष की जानना। सामान्य रूप में गर्भव्युत्क्रान्तिकखेचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की है और उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण है। अपर्याप्तक गर्भज खेचर० जघन्य और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त्त की है। पर्याप्तक गर्भजखेचर० जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त की और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त न्यून पल्योपम के असंख्यातवें भाग प्रमाण होती है। पूर्वोक्त कथन की संग्रहणी गाथायें इस प्रकार हैं | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] neraiyanam bhamte! Kevaiyam kalam thii pannatta? Goyama! Jahannenam dasavasasahassaim, ukkosenam tettisam sagarovamaim. Jaha pannavanae thiipae savvasattanam. Se tam suhume addhapaliovame. Se tam addhapaliovame java jahannenam amtomuhuttam ukkosenam paliovamassa asamkhijjaibhago amtomuhutto ettha eesim samgahani gahao bhavamti tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nairayika jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gotama ! Samanya rupa mem jaghanya 10000 varsha ki aura utkrishta temtisa sagaropama ki hai. Ratnaprabha prithvi ke narakom ki sthiti jaghanya dasa hajara varsha aura utkrishta eka sagaropama ki hoti hai. Ratnaprabha prithvi ke aparyaptaka narakom ki sthiti jaghanya aura utkrishta bhi antarmuhurtta ki hoti hai. Ratnaprabha prithvi ke paryaptaka narakom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta nyuna 10000 varsha aura utkrishta antarmuhurtta nyuna eka sagaropama ki hoti hai. Sharkaraprabha prithvi ke narakom ki sthiti jaghanya eka sagaropama aura utkrishta tina sagaropama haim. Balukaprabha ke nairayikom ki jaghanya sthiti tina sagaropama ki aura utkrishta sata sagaropama, pamkaprabha ke narakom ki jaghanya sata sagaropama aura utkrishta dasa sagaropama, dhumaprabha ke narakom ki jaghanya dasa sagaropama aura utkrishta satraha sagaropama, tamahprabha ke narakom ki jaghanya satraha sagaropama aura utkrishta baisa sagaropama aura tamastamahprabha ke nairayikom ki jaghanya sthiti baisa sagaropama aura utkrishta sthiti temtisa sagaropama haim. Asurakumara devom ki kitane kala ki sthiti hai\? Gautama ! Jaghanya 10000 varsha aura utkrishta kuchha adhika eka sagaropama pramana hai. Asurakumara deviyom ki sthiti jaghanya 10000 varsha aura utkrishta sarhe chara palyopama ki hai. Nagakumara devom ki sthiti jaghanya 10000 varsha aura utkrishta deshona do palyopama hai. Nagakumaradeviyom ki sthiti jaghanya 10000 varsha aura utkrishta deshona eka palyopama ki hai evam jitani nagakumara deva, deviyom ki sthiti hai, utani hi shesha devom aura deviyom ki sthiti janana. Prithvikayika jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 22000 varsha hai. Samanya sukshma prithvikayika jivom ki tatha sukshma prithvikayika aparyapta aura paryaptom ki sthiti jaghanya aura utkrishta antarmuhurtta hai. Badara prithvikayika jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta 22000 varsha aparyapta badara prithvikayika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hoti hai tatha paryapta badara prithvikayika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hoti hai tatha paryapta badara prithvikayika jivom ki jaghanya aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 22000 varsha hai. Apkayika jivom ki aughika jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta 7000 varsha ki hai. Samanya rupa mem sukshma apkayika tatha aparyapta aura paryapta apkayika jivom ki jaghanya evam utkrishta sthiti antarmuhurtta pramana hai. Badara apkayika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti samanya apkayika jivom ke tulya aparyapta badara apkayika jivom ki jaghanya aura utkrishta antarmuhurtta hai. Paryaptaka badara apkayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 7000 varsha ki hai. Tejaskayika jivom ki kitani sthiti hai\? Jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta tina rata – dina hai. Aughika sukshma tejaskayika aura paryapta, aparyapta sukshma tejaskayika ki jaghanya sthiti bhi antarmuhurtta ki hai aura utkrishta sthiti bhi antarmuhurtta ki hai. Badara tejaskayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta tina ratri – dina ki hoti hai. Aparyapta badara tejaskayika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta hai. Paryapta badara tejaskayika jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna tina ratri – dina hai. Vayukayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 3000 varsha ki hai. Kintu samanya rupa mem sukshma vayukayika jivom ki tatha usake aparyapta aura paryapta bhedom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta pramana hoti hai. Badara vayukayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 3000 varsha hai. Aparyaptaka badara vayukayika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti ka pramana antarmuhurtta hai. Aura – paryaptaka badara vayukayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 3000 varsha hai. Vanaspatikayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 10000 varsha ki hai. Samanya sukshma vanaspatikayika tatha unake aparyaptaka aura paryaptaka bhedom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hai. Badara vanaspatikayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 10000 varsha hai yavat gautama ! Aparyaptakom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hoti hai. Kintu paryaptaka badara vanaspatikayika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta nyuna 10000 varsha ki janana. Dvindriya jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta baraha varsha ki hai. Aparyaptaka dvindriya jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta pramana hai. Paryaptaka dvindriya jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta sthiti antarmuhurtta nyuna baraha varsha ki hai. Trindriya jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta 49 dina – ratri ki hai. Aparyaptaka trindriya jivom ki sthiti jaghanya bhi aura utkrishta bhi antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka trindriya jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 49 dina – ratri hai. Chaturindriya jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta chhaha masa ki hai. Aparyaptaka chaturindriya jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hoti hai. Paryaptaka chaturindriya jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta nyuna chhaha masa hai. Bhagavan ! Pamchendriya tiryamchayonika jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta tina palyopama hai. Jalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta purvakoti varsha pramana hai tatha sammurchchhimajalacharapamchendriyatiryamchayonika ki jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta purvakoti varsha hai. Aparyaptaka sammurchchhimajalachara – pamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta pramana aura utkrishta antarmuhurtta nyuna purvakoti varsha pramana janana. Samanya se garbhavyutkrantika – jalacharapamchendriya tiryamcha – yonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta purvakoti varsha hai. Aparyaptaka garbhavyutkrantika jalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti aura utkrishta sthiti bhi antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka garbhavyutkrantika jalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki hai aura utkrishta sthiti anta – rmuhurtta kama purvakoti varsha ki hai. Chatushpadasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Samanya rupa mem jaghanya sthiti anta – rmuhurtta ki aura utkrishta tina palyopama haim. Sammurchchhimachatushpadasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta sthiti 84000 varsha ki hai. Aparyaptaka sammurchchhima chatushpadasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta pramana janana. Paryaptaka sammurchchhimachatushpadasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta antarmuhurtta hina 84000 varsha janana. Garbhavyutkrantika – chatushpadasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta tina palyopama ki hai. Aparyaptaka garbhavyutkrantikachatushpadasthalacharapamchendri – yatiryamchayonika jivom ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hoti hai. Paryaptaka garbhajachatushpadasthalacharapamchendriyatiryamcha – yonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta hina tina palyopama ki janana. Uraparisarpasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta karora purva varsha ki hai. Sammurchchhimauraparisarpasthalacharapamchendriya – tiryamchayonika jivom ki sthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta sthiti 53000 varsha hai. Aparyaptaka sammurchchhimauraparisarpa – sthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya tatha utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka sammurchchhimauraparisarpasthalachara – pamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki hai aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 53000 varsha hai. Tatha garbhaja – uraparisarpasthalachara pamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta koti purva varsha ki hai. Aparyaptaka garbhavyutkrantikauraparisarpasthalachara0 ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka garbhajauraparisarpa sthalachara0 ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta antarmuhurtta nyuna purvakoti varsha ki hai. Bhujaparisarpasthalachara pamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta karora purva varsha ki hai. Sammurchchhima bhujaparisarpasthalachara0 ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta 42000 varsha hai. Aparyaptaka sammurchchhimabhuja parisarpasthalachara0 ki jaghanya aura utkrishta sthiti bhi antarmuhurtta ki janana. Paryaptaka sammurchchhimabhujaparisarpa sthalachara0 ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta antarmuhurtta nyuna 42000 varsha ki hai. Garbhavyutkrantikabhujaparisarpasthalacharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki aughika jaghanya sthiti antarmuhurtta ki hai aura utkrishta karora purva varsha ki hai. Aparyaptaka garbhavyutkrantikabhujaparisarpasthalachara0 ki jaghanya aura utkrishta sthiti antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka garbhajabhujaparisarpasthalachara0 ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki hai aura utkrishta sthiti antarmuhurtta nyuna karora purva varsha pramana hai. Khecharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki sthiti kitane kala ki hai\? Gautama ! Samanya se khecharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta palyopama ke asamkhyatavem bhaga pramana hoti hai. Sammurchchhima khecharapamchendriya – tiryamchayonika ki aughika sthiti jaghanya antarmuhurtta ki aura utkrishta 72000 varsha ki hai. Aparyaptaka sammurchchhima khecharapamchendriya tiryamchayonika jivom ki sthiti jaghanya aura utkrishta se bhi antarmuhurtta hai. Paryaptaka sammurchchhima khecharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta aura utkrishta sthiti antarmuhurtta nyuna 72000 varsha ki janana. Samanya rupa mem garbhavyutkrantikakhecharapamchendriyatiryamchayonika jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki hai aura utkrishta palyopama ke asamkhyatavem bhaga pramana hai. Aparyaptaka garbhaja khechara0 jaghanya aura utkrishta bhi antarmuhurtta ki hai. Paryaptaka garbhajakhechara0 jivom ki jaghanya sthiti antarmuhurtta ki aura utkrishta antarmuhurtta nyuna palyopama ke asamkhyatavem bhaga pramana hoti hai. Purvokta kathana ki samgrahani gathayem isa prakara haim |