Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )

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Sr No : 1024116
Scripture Name( English ): Anuyogdwar Translated Scripture Name : अनुयोगद्वारासूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Translated Chapter :

अनुयोगद्वारासूत्र

Section : Translated Section :
Sutra Number : 116 Category : Chulika-02
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं? असंखेज्जाइं? अनंताइं? नो संखेज्जाइं, असंखेज्जाइं, नो अनंताइं। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा, असंखेज्जइभागे वा होज्जा, संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, देसूणे लोए वा होज्जा। नानादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाणं पुच्छा। एगदव्वं पडुच्च नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो सव्वलोए होज्जा। नानादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। एवं अवत्तव्वग-दव्वाणि वि भाणियव्वाणि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागं फुसंति–किं संखेज्जइभागं फुसंति? असंखेज्जइभागं फुसंति? संखेज्जे भागे फुसंति? असंखेज्जे भागे फुसंति? सव्वलोगं फुसंति? एगदव्वं पडुच्च संखेज्जइभागं वा फुसंति, असंखेज्जइभागं वा फुसंति, संखेज्जे भागे वा फुसंति, असंखेज्जे भागे वा फुसंति, देसूणं लोगं वा फुसंति। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं फुसंति। अनानुपुव्विदव्वाइं अवत्तव्वगदव्वाइं च जहा खेत्तं नवरं फुसणा भाणियव्वा। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कालओ केवच्चिरं होंति? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वद्धा। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाणं अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं। नाणादव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं सेसदव्वाणं कइ भागे होज्जा? तिन्नि वि जहा दव्वानुपुव्वीए। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कयरम्मि भावे होज्जा? नियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा। एवं दोन्नि वि एएसिं णं नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाणं अनानुपुव्विदव्वाणं अवत्तव्वगदव्वाण य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवाइं नेगम-ववहाराणं अवत्त-व्वगदव्वाइं दव्वट्ठयाए, अनानुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए विसेसाहियाइं, आनुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाइं। पएसट्ठयाए–सव्वत्थोवाइं नेगम-वव-हाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं अपएसट्ठयाए, अवत्तव्वगदव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाइं, आनुपुव्वि दव्वाइं पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणाइं। दव्वट्ठपएसट्ठयाए–सव्वत्थोवाइं नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वग-दव्वाइं दव्वट्ठयाए, अनानुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए अपएसट्ठयाए विसेसाहियाइं, अवत्तव्वगदव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाइं, आनुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाइं, ताइं चेव पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणाइं। से तं अनुगमे। से तं नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया खेत्तानुपुव्वी।
Sutra Meaning : सत्पदप्ररूपणता क्या है ? नैगम – व्यवहारनयसंमत क्षेत्रानुपूर्वीद्रव्य है या नहीं ? नियमतः हैं। इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों के लिए भी समझना। नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वह नियमतः असंख्यात हैं। इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिए भी समझना। नैगम – व्यवहारनयसंमत क्षेत्रानुपूर्वी द्रव्य लोक के कितनेवें भाग में रहते हैं ? क्या संख्यातवें भाग में, असंख्यातवें भागमें यावत्‌ सर्वलोक में रहते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा लोक के संख्यातवें भाग में, असंख्यातवें भाग में, संख्यातभागों में, असंख्यातभागों में अथवा देशोन लोक में रहते हैं, किन्तु विविध द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सर्वलोकव्यापी हैं। नैगम – व्यवहार – नयसंमत अनानुपूर्वी द्रव्य के विषय में भी यह प्रश्न है। एक द्रव्य की अपेक्षा संख्यातवें भाग में, संख्यात भागों में, असंख्यात भागों में अथवा सर्वलोक में अवगाढ नहीं है किन्तु असंख्यातवें भाग में है तथा अनेक द्रव्यों की अपेक्षा सर्वलोक में व्याप्त हैं। अवक्तव्यक द्रव्यों के लिए भी इसी प्रकार जानना। नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या (लोक के) संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? या असंख्यातवें भाग का, संख्यातवें भागों का अथवा असंख्यातवें भागों का अथवा सर्वलोक का स्पर्श करते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा संख्यातवें भाग का, यावत्‌ देशोन सर्व लोक का स्पर्श करते हैं किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं। अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों की स्पर्शना का कथन पूर्वोक्त क्षेत्र द्वार के अनुरूप समझना, विशेषता इतनी है कि क्षेत्र के बदले यहाँ स्पर्शना कहना। नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य काल की अपेक्षा कितने समय तक रहते हैं ? एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल तक रहते हैं। विविध द्रव्यों की अपेक्षा नियमतः सार्वकालिक हैं। इसी प्रकार दोनों द्रव्यों की भी स्थिति जानना। नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्यों का काल की अपेक्षा अन्तर कितने समय का है ? तीनों का अन्तर एक द्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यात काल का है किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा अन्तर नहीं है। नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य शेष द्रव्यों के कितनेवें भाग प्रमाण होते हैं ? द्रव्यानुपूर्वी जैसा ही कथन यहाँ भी समझना। नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में वर्तते हैं ? तीनों ही द्रव्य नियमतः सादि पारिणामिक भाव में वर्तते हैं। इन नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्यों, अनानुपूर्वी द्रव्यों और अवक्तव्यक द्रव्यों में कौन द्रव्य कि द्रव्यों से द्रव्यार्थता, प्रदेशार्थता और द्रव्यार्थ – प्रदेशार्थता की अपेक्षा अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ? गौतम ! नैगम – व्यवहारनय – संमत अवक्तव्यक द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा सब से अल्प हैं। द्रव्यार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य अवक्तव्यक द्रव्यों से विशेषाधिक हैं और आनुपूर्वी द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्यों से असंख्यातगुण हैं। प्रदेशार्थता की अपेक्षा नैगम – व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य अप्रदेशी होने के कारण सर्वस्तोक हैं। प्रदेशार्थता की अपेक्षा अवक्तव्यक द्रव्य अनानुपूर्वी द्रव्यों से विशेषाधिक हैं और आनुपूर्वी द्रव्य प्रदेशार्थता की अपेक्षा अवक्तव्यक द्रव्यों से असंख्यातगुण हैं। द्रव्यार्थ प्रदेशार्थता की अपेक्षा में नैगम – व्यवहारनयसंमत अवक्तव्यक द्रव्य द्रव्यार्थ से सबसे अल्प है, द्रव्यार्थता और अप्रदेशार्थता की अपेक्षा अनानुपूर्वी द्रव्य अवक्तव्यक द्रव्यों से विशेषाधिक हैं। अवक्तव्यक द्रव्य प्रदेशार्थता की अपेक्षा विशेषाधिक हैं। आनुपूर्वी द्रव्य द्रव्यार्थता की अपेक्षा असंख्यातगुण है और उसी प्रकार प्रदेशार्थता की अपेक्षा भी असंख्यातगुण हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] negama-vavaharanam anupuvvidavvaim kim atthi? Natthi? Niyama atthi. Evam donni vi. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim kim samkhejjaim? Asamkhejjaim? Anamtaim? No samkhejjaim, asamkhejjaim, no anamtaim. Evam donni vi. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim logassa kati bhage hojja–kim samkhejjaibhage hojja? Asamkhejjaibhage hojja? Samkhejjesu bhagesu hojja? Asamkhejjesu bhagesu hojja? Savvaloe hojja? Egadavvam paduchcha logassa samkhejjaibhage va hojja, asamkhejjaibhage va hojja, samkhejjesu bhagesu va hojja, asamkhejjesu bhagesu va hojja, desune loe va hojja. Nanadavvaim paduchcha niyama savvaloe hojja. Negama-vavaharanam ananupuvvidavvanam puchchha. Egadavvam paduchcha no samkhejjaibhage hojja, asamkhejjaibhage hojja, no samkhejjesu bhagesu hojja, no asamkhejjesu bhagesu hojja, no savvaloe hojja. Nanadavvaim paduchcha niyama savvaloe hojja. Evam avattavvaga-davvani vi bhaniyavvani. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim logassa kati bhagam phusamti–kim samkhejjaibhagam phusamti? Asamkhejjaibhagam phusamti? Samkhejje bhage phusamti? Asamkhejje bhage phusamti? Savvalogam phusamti? Egadavvam paduchcha samkhejjaibhagam va phusamti, asamkhejjaibhagam va phusamti, samkhejje bhage va phusamti, asamkhejje bhage va phusamti, desunam logam va phusamti. Nanadavvaim paduchcha niyama savvalogam phusamti. Ananupuvvidavvaim avattavvagadavvaim cha jaha khettam navaram phusana bhaniyavva. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim kalao kevachchiram homti? Egadavvam paduchcha jahannenam egam samayam, ukkosenam asamkhejjam kalam. Nanadavvaim paduchcha niyama savvaddha. Evam donni vi. Negama-vavaharanam anupuvvidavvanam amtaram kalao kevachchiram hoi? Egadavvam paduchcha jahannenam egam samayam, ukkosenam asamkhejjam kalam. Nanadavvaim paduchcha natthi amtaram. Evam donni vi. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim sesadavvanam kai bhage hojja? Tinni vi jaha davvanupuvvie. Negama-vavaharanam anupuvvidavvaim kayarammi bhave hojja? Niyama saiparinamie bhave hojja. Evam donni vi Eesim nam negama-vavaharanam anupuvvidavvanam ananupuvvidavvanam avattavvagadavvana ya davvatthayae paesatthayae davvatthapaesatthayae kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Savvatthovaim negama-vavaharanam avatta-vvagadavvaim davvatthayae, ananupuvvidavvaim davvatthayae visesahiyaim, anupuvvidavvaim davvatthayae asamkhejjagunaim. Paesatthayae–savvatthovaim negama-vava-haranam ananupuvvidavvaim apaesatthayae, avattavvagadavvaim paesatthayae visesahiyaim, anupuvvi davvaim paesatthayae asamkhejjagunaim. Davvatthapaesatthayae–savvatthovaim negama-vavaharanam avattavvaga-davvaim davvatthayae, ananupuvvidavvaim davvatthayae apaesatthayae visesahiyaim, avattavvagadavvaim paesatthayae visesahiyaim, anupuvvidavvaim davvatthayae asamkhejjagunaim, taim cheva paesatthayae asamkhejjagunaim. Se tam anugame. Se tam negama-vavaharanam anovanihiya khettanupuvvi.
Sutra Meaning Transliteration : Satpadaprarupanata kya hai\? Naigama – vyavaharanayasammata kshetranupurvidravya hai ya nahim\? Niyamatah haim. Isi prakara ananupurvi aura avaktavyaka dravyom ke lie bhi samajhana. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravya kya samkhyata haim, asamkhyata haim, athava ananta haim\? Vaha niyamatah asamkhyata haim. Isi prakara donom dravyom ke lie bhi samajhana. Naigama – vyavaharanayasammata kshetranupurvi dravya loka ke kitanevem bhaga mem rahate haim\? Kya samkhyatavem bhaga mem, asamkhyatavem bhagamem yavat sarvaloka mem rahate haim\? Eka dravya ki apeksha loka ke samkhyatavem bhaga mem, asamkhyatavem bhaga mem, samkhyatabhagom mem, asamkhyatabhagom mem athava deshona loka mem rahate haim, kintu vividha dravyom ki apeksha niyamatah sarvalokavyapi haim. Naigama – vyavahara – nayasammata ananupurvi dravya ke vishaya mem bhi yaha prashna hai. Eka dravya ki apeksha samkhyatavem bhaga mem, samkhyata bhagom mem, asamkhyata bhagom mem athava sarvaloka mem avagadha nahim hai kintu asamkhyatavem bhaga mem hai tatha aneka dravyom ki apeksha sarvaloka mem vyapta haim. Avaktavyaka dravyom ke lie bhi isi prakara janana. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravya kya (loka ke) samkhyatavem bhaga ka sparsha karate haim\? Ya asamkhyatavem bhaga ka, samkhyatavem bhagom ka athava asamkhyatavem bhagom ka athava sarvaloka ka sparsha karate haim\? Eka dravya ki apeksha samkhyatavem bhaga ka, yavat deshona sarva loka ka sparsha karate haim kintu aneka dravyom ki apeksha to niyamatah sarvaloka ka sparsha karate haim. Ananupurvi aura avaktavyaka dravyom ki sparshana ka kathana purvokta kshetra dvara ke anurupa samajhana, visheshata itani hai ki kshetra ke badale yaham sparshana kahana. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravya kala ki apeksha kitane samaya taka rahate haim\? Eka dravya ki apeksha jaghanya eka samaya aura utkrishta asamkhyata kala taka rahate haim. Vividha dravyom ki apeksha niyamatah sarvakalika haim. Isi prakara donom dravyom ki bhi sthiti janana. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravyom ka kala ki apeksha antara kitane samaya ka hai\? Tinom ka antara eka dravya ki apeksha jaghanya eka samaya aura utkrishta asamkhyata kala ka hai kintu aneka dravyom ki apeksha antara nahim hai. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravya shesha dravyom ke kitanevem bhaga pramana hote haim\? Dravyanupurvi jaisa hi kathana yaham bhi samajhana. Naigama – vyavaharanayasammata anupurvidravya kisa bhava mem vartate haim\? Tinom hi dravya niyamatah sadi parinamika bhava mem vartate haim. Ina naigama – vyavaharanayasammata anupurvi dravyom, ananupurvi dravyom aura avaktavyaka dravyom mem kauna dravya ki dravyom se dravyarthata, pradesharthata aura dravyartha – pradesharthata ki apeksha alpa, bahuta, tulya ya visheshadhika hai\? Gautama ! Naigama – vyavaharanaya – sammata avaktavyaka dravya dravyarthata ki apeksha saba se alpa haim. Dravyarthata ki apeksha ananupurvi dravya avaktavyaka dravyom se visheshadhika haim aura anupurvi dravya dravyarthata ki apeksha ananupurvi dravyom se asamkhyataguna haim. Pradesharthata ki apeksha naigama – vyavaharanayasammata ananupurvidravya apradeshi hone ke karana sarvastoka haim. Pradesharthata ki apeksha avaktavyaka dravya ananupurvi dravyom se visheshadhika haim aura anupurvi dravya pradesharthata ki apeksha avaktavyaka dravyom se asamkhyataguna haim. Dravyartha pradesharthata ki apeksha mem naigama – vyavaharanayasammata avaktavyaka dravya dravyartha se sabase alpa hai, dravyarthata aura apradesharthata ki apeksha ananupurvi dravya avaktavyaka dravyom se visheshadhika haim. Avaktavyaka dravya pradesharthata ki apeksha visheshadhika haim. Anupurvi dravya dravyarthata ki apeksha asamkhyataguna hai aura usi prakara pradesharthata ki apeksha bhi asamkhyataguna haim.