Sutra Navigation: Pindniryukti ( पिंड – निर्युक्ति )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1020600 | ||
Scripture Name( English ): | Pindniryukti | Translated Scripture Name : | पिंड – निर्युक्ति |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
एषणा |
Translated Chapter : |
एषणा |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 600 | Category : | Mool-02B |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो । आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगंमि मयणा उ ॥ | ||
Sutra Meaning : | साधु को देने के लिए अशन आदि सचित्त, मिश्र या अचित्त हो और वो सचित्त, अचित्त या मिश्र से ढ़ँका हुआ हो यानि ऐसे सचित्त, अचित्त और मिश्र से ढ़ँके हुए की तीन चतुर्भंगी होती है। हरएक के पहले तीन भाँगा में लेना न कल्पे। अंतिम भाँगा में भजना यानि किसी में कल्पे किसी में न कल्पे। पहली चतुर्भंगी सचित्त से सचित्त ढ़ँका हुआ। मिश्र से सचित्त ढ़ँका हुआ, सचित्त से मिश्र ढ़ँका हुआ। मिश्र से मिश्र ढ़ँका हुआ। दूसरी चतुर्भंगी सचित्त से सचित्त ढ़ँका हुआ। अचित्त से सचित्त ढ़ँका हुआ सचित्त से अचित्त ढ़ँका हुआ और अचित्त से अचित्त ढ़ँका हुआ। तीसरी चतुर्भंगी – मिश्र से मिश्र ढ़ँका हुआ। मिश्र से अचित्त ढ़ँका हुआ, अचित्त से मिश्र ढ़ँका हुआ, अचित्त से अचित्त ढ़ँका हुआ। निक्षिप्त की प्रकार सचित्त पृथ्वीकायादि के द्वारा सचित्त पृथ्वीकायादि के ढ़ँके हुए ३६ भाँगा। मिश्र पृथ्वीकायादि से सचित्त मिश्र पृथ्वीकायादि ढ़ँके हुए ३६ भाँगा। मिश्र पृथ्वीकायादि से मिश्र पृथ्वीकायादि ढ़ँके हुए ३६ भाँगा। कुल १४४ भाँगा। तीन चतुर्भंगी के होकर ४३२ भाँगा ढ़ँके हुए। पुनः इन हरएक में अनन्तर और परम्पर ऐसे दो प्रकार हैं। सचित्त पृथ्वीकाय से सचित्त मंड़क आदि ढ़ँके हुए वो अनन्तर ढ़ँके हुए। सचित्त पृथ्वीकाय से कलाड़ी आदि हो और उसमें सचित्त चीज हो वो परम्पर ढ़ँके हुए कहलाते हैं। उसी प्रकार सचित्त पानी से लड्डू आदि ढ़ँके हुए हो तो सचित्त अप्काय अनन्तर ढ़ँके हुए और लड्डू किसी बरतन आदि में रखे हो और वो बरतन आदि पानी से ढ़ँका हो तो वो परम्पर ढ़ँका हुआ कहलाता है। इस प्रकार सभी भाँगा में समझना। ढ़ँके हुए में १. भारी, वजनदार और २. हलका ऐसे दो प्रकार होते हैं। अचित्त पृथ्वीकायादि भारी से ढ़ँका हुआ। अचित्त पृथ्वीकायादि भारी हलके से ढ़ँका हुआ। अचित्त पृथ्वीकायादि हलकी भारी से ढ़ँका हुआ अचित्त पृथ्वीकायादि हलका हलके से ढ़ँका हुआ। इन हर एकमें पहले और तीसरे भाँगा का न कल्पे, दूसरे और चौथे भाँगा का कल्पे। सचित्त और मिश्र में चारों भाँगा का न कल्पे। भारी चीज उठाने से या रखने से लगना आदि और जीव विराधना की सँभावना हो रही है, इसलिए ऐसा ढ़ँका हुआ हो उसे उठाकर देवे तो वो साधु को लेना न कल्पे। सूत्र – ६००–६०४ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] sachchitte achchitte misaga pihiyammi hoi chaubhamgo. Aitige padiseho charime bhamgammi mayana u. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sadhu ko dene ke lie ashana adi sachitta, mishra ya achitta ho aura vo sachitta, achitta ya mishra se rhamka hua ho yani aise sachitta, achitta aura mishra se rhamke hue ki tina chaturbhamgi hoti hai. Haraeka ke pahale tina bhamga mem lena na kalpe. Amtima bhamga mem bhajana yani kisi mem kalpe kisi mem na kalpe. Pahali chaturbhamgi sachitta se sachitta rhamka hua. Mishra se sachitta rhamka hua, sachitta se mishra rhamka hua. Mishra se mishra rhamka hua. Dusari chaturbhamgi sachitta se sachitta rhamka hua. Achitta se sachitta rhamka hua sachitta se achitta rhamka hua aura achitta se achitta rhamka hua. Tisari chaturbhamgi – mishra se mishra rhamka hua. Mishra se achitta rhamka hua, achitta se mishra rhamka hua, achitta se achitta rhamka hua. Nikshipta ki prakara sachitta prithvikayadi ke dvara sachitta prithvikayadi ke rhamke hue 36 bhamga. Mishra prithvikayadi se sachitta mishra prithvikayadi rhamke hue 36 bhamga. Mishra prithvikayadi se mishra prithvikayadi rhamke hue 36 bhamga. Kula 144 bhamga. Tina chaturbhamgi ke hokara 432 bhamga rhamke hue. Punah ina haraeka mem anantara aura parampara aise do prakara haim. Sachitta prithvikaya se sachitta mamraka adi rhamke hue vo anantara rhamke hue. Sachitta prithvikaya se kalari adi ho aura usamem sachitta chija ho vo parampara rhamke hue kahalate haim. Usi prakara sachitta pani se laddu adi rhamke hue ho to sachitta apkaya anantara rhamke hue aura laddu kisi baratana adi mem rakhe ho aura vo baratana adi pani se rhamka ho to vo parampara rhamka hua kahalata hai. Isa prakara sabhi bhamga mem samajhana. Rhamke hue mem 1. Bhari, vajanadara aura 2. Halaka aise do prakara hote haim. Achitta prithvikayadi bhari se rhamka hua. Achitta prithvikayadi bhari halake se rhamka hua. Achitta prithvikayadi halaki bhari se rhamka hua achitta prithvikayadi halaka halake se rhamka hua. Ina hara ekamem pahale aura tisare bhamga ka na kalpe, dusare aura chauthe bhamga ka kalpe. Sachitta aura mishra mem charom bhamga ka na kalpe. Bhari chija uthane se ya rakhane se lagana adi aura jiva viradhana ki sambhavana ho rahi hai, isalie aisa rhamka hua ho use uthakara deve to vo sadhu ko lena na kalpe. Sutra – 600–604 |