Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007345 | ||
Scripture Name( English ): | Chandrapragnapati | Translated Scripture Name : | चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ |
Sutra Number : | 45 | Category : | Upang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता कतिकट्ठे ते सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता अनुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अनुमुहुत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वएज्जा २ एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं, ता जाओ चेव ओयसंठितीए पणवीसं पडिवत्तीओ ताओ चेव नेयव्वाओ जाव अनुओसप्पिणिउस्सप्पिणिमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहिताति वदेज्जा–एगे एवमाहंसु २५। वयं पुण एवं वयामो–ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेसं च पडुच्च छाउद्देसे, उच्चत्तं च छायं च पडुच्च लेसुद्देसे, लेसं च छयं च पडुच्च उच्चत्तुद्देसे, तत्थ खलु इमाओ दुवे पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसिच्छायं निव्वत्तेति अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं निव्वत्तेति–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं निव्वत्तेति, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति २ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसिच्छायं निव्वत्तेति, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं निव्वत्तेति ते एवमाहंसु, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, तंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, तं जहा– उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं निवुड्ढेमाणे, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, तं जहा–उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवुड्ढेमाणे नो चेव णं णिवुड्ढेमाणे १ तत्थ णं जेते एवमाहंसु–ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसियं छायं निव्वत्तेति, ते एवमाहंसु, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, तंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, तं जहा– उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं णिवुड्ढेमाणे, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, तं जहा–उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, नो चेव णं लेसं अभिवड्ढेमाणे वा णिवुड्ढेमाणे वा २। ता कतिकट्ठं ते सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ छन्नउतिं पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता अत्थि णं से देसे जंसि च णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं निव्वत्तेति–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ २ एवं एएणं अभिलावेणं नेतव्वं जाव छन्नउतिं पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति। तत्थ जेते एवमाहंसु–ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, ते एवमाहंसु–ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमाओ सूरियप्पडिहीओ बहिया अभिनिस्सढाहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयण-प्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ जावतियं सूरिए उड्ढं उच्चत्तेणं एवतियाए एगाए अद्धाए एगेणं छायानुमाणप्पमाणेणं ओमाए, एत्थ णं से सूरिए एगपोरिसियं छायं निव्वत्तेति १ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति, ते एवमाहंसु–ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमाओ सूरियप्पडिहीओ बहिया अभिनिस्सिताहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ जावतियं सूरिए उड्ढं उच्चत्तेणं एवतियाहिं दोहिं अद्धाहिं दोहिं छायानुमानप्पमाणेहिं ओमाए, एत्थ णं से सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेति २ एवं एक्केक्काए पडिवत्तीए नेयव्वं जाव छन्नउतिमा पडिवत्ती–एगे एवमाहंसु ९६। वयं पुण एवं वदामो–ता सातिरेगअउनट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति, ता अवड्ढपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता तिभागे गते वा सेसे वा, ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता चउब्भागे गते वा सेसे वा, ता दिवड्ढपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता पंचमभागे गते वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोढुं-छोढुं पुच्छा दिव-सस्स भागं छोढुं-छोढुं वागरणं जाव ता अद्धअउणट्ठिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता एगूणवीससतभागे गते वा सेसे वा, ता अउणट्ठिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता बावीससहस्सभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरेगअउणट्ठि-पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा? ता नत्थि किंचि गते वा सेसे वा। तत्थ खलु इमा पणवीसतिविधा छाया पन्नत्ता, तं जहा–खंभच्छाया रज्जुच्छाया पागारच्छाया पासादच्छाया उवग्गच्छाया उच्चत्तच्छाया अणुलोमच्छाया पडिलोमच्छाया आरुभिता उवहिता समा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरओउदग्गा पिट्ठओउदग्गा पुरिमकंठभाओवगता पच्छिमकंठ-भाओवगता छायानुवादिणी कंठानुवादिणी छाया छायच्छाया छायाविकंपे वेहासकडच्छाया गोल-च्छाया। तत्थ खलु इमा अट्ठविहा गोलच्छाया पन्नत्ता, तं जहा–गोलच्छाया अवड्ढगोलच्छाया गोल-गोलच्छाया अवड्ढगोलगोलच्छाया गोलावलिच्छाया अवड्ढगोलावलिच्छाया गोलपुंजच्छाया अवड्ढ-गोलपुंजच्छाया। | ||
Sutra Meaning : | कितने प्रमाणवाली पौरुषी छाया को सूर्य निवर्तित करता है ? इस विषय में पच्चीस प्रतिपत्तियाँ हैं – जो छठ्ठे प्राभृत के समान समझ लेना। जैसे की कोई कहता है कि अनुसमय में सूर्य पौरुषी छाया को उत्पन्न करता है, इत्यादि। भगवंत फरमाते हैं कि सूर्य से उत्पन्न लेश्या के सम्बन्ध में यथार्थतया जानकर मैं छायोद्देश कहता हूँ। इस विषय में दो प्रतिपत्तियाँ हैं। एक कहता है कि – ऐसा भी दिन होता है जिसमें सूर्य चार पुरुष प्रमाण छाया को उत्पन्न करता है और ऐसा भी दिन होता है जिसमें दो पुरुष प्रमाण छाया को उत्पन्न करता है। दूसरा कहता है कि दो प्रकार दिन होते हैं – एक जिसमें सूर्य दो पुरुष प्रमाण छाया उत्पन्न करता है, दूसरा – जिसमें पौरुषी छाया उत्पन्न ही नहीं होती। जो यह कहते हैं कि सूर्य चार पुरुषछाया भी उत्पन्न करता है और दो पुरुषछाया भी – उस मतानुसार – सूर्य जब सर्वाभ्यन्तर मंडल को संक्रमण करके गमन करता है तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाण दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त प्रमाण रात्रि होती है, उस दिन सूर्य चार पौरुषीछाया उत्पन्न करता है। उदय और अस्तकाल में लेश्या की वृद्धि करके वहीं सूर्य जब सर्वबाह्य मंडल में गमन करता है, उत्कृष्टा अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है तब दो पौरुषीछाया को सूर्य उत्पन्न करता है। जो यह कहते हैं कि सूर्य चार पौरुषी छाया उत्पन्न करता है और किंचित् भी नहीं उत्पन्न करता – उस मतानुसार – सर्वाभ्यन्तर मंडल को संक्रमण करके सूर्य गमन करता है तब रात्रि – दिन पूर्ववत् ही होते हैं, लेकिन उदय और अस्तकाल में लेश्या की अभिवृद्धि करके दो पौरुषीछाया को उत्पन्न करते हैं, जब वह सर्वबाह्य मंडल में गमन करता है तब लेश्या की अभिवृद्धि किए बिना, उदय और अस्तकाल में किंचित् भी पौरुषी छाया को उत्पन्न नहीं करता। हे भगवन् ! फिर सूर्य कितने प्रमाण की पौरुषी छाया को निवर्तित करता है ? इस विषय में ९६ प्रति – पत्तियाँ हैं। एक कहता है कि ऐसा देश है जहाँ सूर्य एक पौरुषी छाया को निवर्तित करता है। दूसरा कहता है कि सूर्य दो पौरुषी छाया को निवर्तित करता है। …यावत्… ९६ पौरुषी छाया को निवर्तित करता है। इनमें जो एक पौरुषी छाया के निवर्तन का कथन करते हैं, उस मतानुसार – सूर्य के सबसे नीचे के स्थान से सूर्य के प्रतिघात से बाहर नीकली हुई लेश्या से ताड़ित हुई लेश्या, इस रत्नप्रभापृथ्वी के समभूतल भूभाग से जितने प्रमाणवाले प्रदेश में सूर्य ऊर्ध्व व्यवस्थित होता है, इतने प्रमाण से सम मार्ग से एक संख्या प्रमाणवाले छायानुमान से एक पौरुषी छाया को निवर्तित करता है। इसी प्रकार से इसी अभिलाप से ९६ प्रतिपत्तियाँ समझ लेना। भगवान् फिर फरमाते हैं कि – वह सूर्य उनसठ पौरुषी छाया को उत्पन्न करता है। अर्ध पौरुषी छाया दिवस का कितना भाग व्यतीत होने के बाद उत्पन्न होती है ? दिन का तीसरा भाग व्यतीत होने के बाद उत्पन्न होती है। पुरुष प्रमाण छाया दिन के चतुर्थ भाग व्यतीत होनी के बाद उत्पन्न होती है, द्वयर्द्धपुरुष प्रमाण छाया दिन का पंचमांश भाग व्यतीत होते उत्पन्न होती हैं इस प्रकार यावत् पच्चीस प्रकार की छाया का वर्णन है। वह इस प्रकार है – खंभछाया, रज्जुछाया, प्राकारछाया, प्रासादछाया, उद्गमछाया, उच्चत्वछाया, अनुलोमछाया, प्रतिलोमछाया, आरंभिता, उवहिता, समा, प्रतिहता, खीलच्छाया, पक्षच्छाया, पूर्वउदग्रा, पृष्ठउदग्रा, पूर्वकंठभागोपगता, पश्चिमकंठ – भागोपगता, छायानुवादिनी, कंठानुवादिनी, छाया छायच्छाया, छायाविकंपा, वेहासकडच्छाया और गोलच्छाया। गोलच्छाया के आठ भेद हैं – गोलच्छाया, अपार्धगोलच्छाया, गोलगोलछाया, अपार्धगोलछाया, गोलावलिछाया, अपार्धगोलावलिछाया, गोलपुंज – छाया और अपार्धगोलपुंज छाया। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta katikatthe te surie porisichchhayam nivvatteti ahiteti vadejja? Tattha khalu imao panavisam padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta anusamayameva surie porisichchhayam nivvatteti ahiteti vadejja–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta anumuhuttameva surie porisichchhayam nivvatteti ahiteti vaejja 2 Evam eenam abhilavenam neyavvam, ta jao cheva oyasamthitie panavisam padivattio tao cheva neyavvao java anuosappiniussappinimeva surie porisichchhayam nivvatteti ahitati vadejja–ege evamahamsu 25. Vayam puna evam vayamo–ta suriyassa nam uchchattam cha lesam cha paduchcha chhauddese, uchchattam cha chhayam cha paduchcha lesuddese, lesam cha chhayam cha paduchcha uchchattuddese, tattha khalu imao duve padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie chauporisichchhayam nivvatteti atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie duporisichchhayam nivvatteti–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie duporisichchhayam nivvatteti, atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie no kimchi porisichchhayam nivvatteti 2 Tattha jete evamahamsu–ta atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie chauporisichchhayam nivvatteti, atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie duporisichchhayam nivvatteti te evamahamsu, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati, tamsi nam divasamsi surie chauporisiyam chhayam nivvatteti, tam jaha– uggamanamuhuttamsi ya atthamanamuhuttamsi ya lesam abhivaddhemane no cheva nam nivuddhemane, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, tamsi nam divasamsi surie duporisiyam chhayam nivvatteti, tam jaha–uggamanamuhuttamsi ya atthamanamuhuttamsi ya lesam abhivuddhemane no cheva nam nivuddhemane 1 Tattha nam jete evamahamsu–ta atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie duporisiyam chhayam nivvatteti, atthi nam se divase jamsi nam divasamsi surie no kimchi porisiyam chhayam nivvatteti, te evamahamsu, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati, tamsi nam divasamsi surie duporisiyam chhayam nivvatteti, tam jaha– uggamanamuhuttamsi ya atthamanamuhuttamsi ya lesam abhivaddhemane no cheva nam nivuddhemane, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, tamsi nam divasamsi surie no kimchi porisiyam chhayam nivvattei, tam jaha–uggamanamuhuttamsi ya atthamanamuhuttamsi ya, no cheva nam lesam abhivaddhemane va nivuddhemane va 2. Ta katikattham te surie porisichchhayam nivvatteti ahitati vaejja? Tattha khalu imao chhannautim padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta atthi nam se dese jamsi cha nam desamsi surie egaporisiyam chhayam nivvatteti–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta atthi nam se dese jamsi nam desamsi surie duporisiyam chhayam nivvattei 2 Evam eenam abhilavenam netavvam java chhannautim porisichchhayam nivvatteti. Tattha jete evamahamsu–ta atthi nam se dese jamsi nam desamsi surie egaporisiyam chhayam nivvatteti, te evamahamsu–ta suriyassa nam savvahetthimao suriyappadihio bahiya abhinissadhahim lesahim tadijjamanihim imise rayana-ppabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao javatiyam surie uddham uchchattenam evatiyae egae addhae egenam chhayanumanappamanenam omae, ettha nam se surie egaporisiyam chhayam nivvatteti 1 Tattha jete evamahamsu–ta atthi nam se dese jamsi nam desamsi surie duporisiyam chhayam nivvatteti, te evamahamsu–ta suriyassa nam savvahetthimao suriyappadihio bahiya abhinissitahim lesahim tadijjamanihim imise rayanappabhae pudhavie bahusamaramanijjao bhumibhagao javatiyam surie uddham uchchattenam evatiyahim dohim addhahim dohim chhayanumanappamanehim omae, ettha nam se surie duporisiyam chhayam nivvatteti 2 Evam ekkekkae padivattie neyavvam java chhannautima padivatti–ege evamahamsu 96. Vayam puna evam vadamo–ta satiregaaunatthiporisinam surie porisichchhayam nivvatteti, ta avaddhaporisi nam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta tibhage gate va sese va, ta porisi nam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta chaubbhage gate va sese va, ta divaddhaporisi nam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta pamchamabhage gate va sese va, evam addhaporisim chhodhum-chhodhum puchchha diva-sassa bhagam chhodhum-chhodhum vagaranam java ta addhaaunatthiporisinam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta egunavisasatabhage gate va sese va, ta aunatthiporisinam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta bavisasahassabhage gate va sese va, ta satiregaaunatthi-porisi nam chhaya divasassa kim gate va sese va? Ta natthi kimchi gate va sese va. Tattha khalu ima panavisatividha chhaya pannatta, tam jaha–khambhachchhaya rajjuchchhaya pagarachchhaya pasadachchhaya uvaggachchhaya uchchattachchhaya anulomachchhaya padilomachchhaya arubhita uvahita sama padihata khilachchhaya pakkhachchhaya puraoudagga pitthaoudagga purimakamthabhaovagata pachchhimakamtha-bhaovagata chhayanuvadini kamthanuvadini chhaya chhayachchhaya chhayavikampe vehasakadachchhaya gola-chchhaya. Tattha khalu ima atthaviha golachchhaya pannatta, tam jaha–golachchhaya avaddhagolachchhaya gola-golachchhaya avaddhagolagolachchhaya golavalichchhaya avaddhagolavalichchhaya golapumjachchhaya avaddha-golapumjachchhaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kitane pramanavali paurushi chhaya ko surya nivartita karata hai\? Isa vishaya mem pachchisa pratipattiyam haim – jo chhaththe prabhrita ke samana samajha lena. Jaise ki koi kahata hai ki anusamaya mem surya paurushi chhaya ko utpanna karata hai, ityadi. Bhagavamta pharamate haim ki surya se utpanna leshya ke sambandha mem yatharthataya janakara maim chhayoddesha kahata hum. Isa vishaya mem do pratipattiyam haim. Eka kahata hai ki – aisa bhi dina hota hai jisamem surya chara purusha pramana chhaya ko utpanna karata hai aura aisa bhi dina hota hai jisamem do purusha pramana chhaya ko utpanna karata hai. Dusara kahata hai ki do prakara dina hote haim – eka jisamem surya do purusha pramana chhaya utpanna karata hai, dusara – jisamem paurushi chhaya utpanna hi nahim hoti. Jo yaha kahate haim ki surya chara purushachhaya bhi utpanna karata hai aura do purushachhaya bhi – usa matanusara – surya jaba sarvabhyantara mamdala ko samkramana karake gamana karata hai taba utkrishta attharaha muhurtta pramana dina aura jaghanya baraha muhurtta pramana ratri hoti hai, usa dina surya chara paurushichhaya utpanna karata hai. Udaya aura astakala mem leshya ki vriddhi karake vahim surya jaba sarvabahya mamdala mem gamana karata hai, utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai taba do paurushichhaya ko surya utpanna karata hai. Jo yaha kahate haim ki surya chara paurushi chhaya utpanna karata hai aura kimchit bhi nahim utpanna karata – usa matanusara – sarvabhyantara mamdala ko samkramana karake surya gamana karata hai taba ratri – dina purvavat hi hote haim, lekina udaya aura astakala mem leshya ki abhivriddhi karake do paurushichhaya ko utpanna karate haim, jaba vaha sarvabahya mamdala mem gamana karata hai taba leshya ki abhivriddhi kie bina, udaya aura astakala mem kimchit bhi paurushi chhaya ko utpanna nahim karata. He bhagavan ! Phira surya kitane pramana ki paurushi chhaya ko nivartita karata hai\? Isa vishaya mem 96 prati – pattiyam haim. Eka kahata hai ki aisa desha hai jaham surya eka paurushi chhaya ko nivartita karata hai. Dusara kahata hai ki surya do paurushi chhaya ko nivartita karata hai. …yavat… 96 paurushi chhaya ko nivartita karata hai. Inamem jo eka paurushi chhaya ke nivartana ka kathana karate haim, usa matanusara – surya ke sabase niche ke sthana se surya ke pratighata se bahara nikali hui leshya se tarita hui leshya, isa ratnaprabhaprithvi ke samabhutala bhubhaga se jitane pramanavale pradesha mem surya urdhva vyavasthita hota hai, itane pramana se sama marga se eka samkhya pramanavale chhayanumana se eka paurushi chhaya ko nivartita karata hai. Isi prakara se isi abhilapa se 96 pratipattiyam samajha lena. Bhagavan phira pharamate haim ki – vaha surya unasatha paurushi chhaya ko utpanna karata hai. Ardha paurushi chhaya divasa ka kitana bhaga vyatita hone ke bada utpanna hoti hai\? Dina ka tisara bhaga vyatita hone ke bada utpanna hoti hai. Purusha pramana chhaya dina ke chaturtha bhaga vyatita honi ke bada utpanna hoti hai, dvayarddhapurusha pramana chhaya dina ka pamchamamsha bhaga vyatita hote utpanna hoti haim isa prakara yavat pachchisa prakara ki chhaya ka varnana hai. Vaha isa prakara hai – khambhachhaya, rajjuchhaya, prakarachhaya, prasadachhaya, udgamachhaya, uchchatvachhaya, anulomachhaya, pratilomachhaya, arambhita, uvahita, sama, pratihata, khilachchhaya, pakshachchhaya, purvaudagra, prishthaudagra, purvakamthabhagopagata, pashchimakamtha – bhagopagata, chhayanuvadini, kamthanuvadini, chhaya chhayachchhaya, chhayavikampa, vehasakadachchhaya aura golachchhaya. Golachchhaya ke atha bheda haim – golachchhaya, apardhagolachchhaya, golagolachhaya, apardhagolachhaya, golavalichhaya, apardhagolavalichhaya, golapumja – chhaya aura apardhagolapumja chhaya. |