Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007337 | ||
Scripture Name( English ): | Chandrapragnapati | Translated Scripture Name : | चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ |
Sutra Number : | 37 | Category : | Upang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता केयतियं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ चत्तारि पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थ एगे एवमाहंसु–ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु –ता पंच-पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता चत्तारि-चत्तारि जोयणस-हस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु–ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति–एगे एवमाहंसु ४ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता छ-छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एवमाहंसु–ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, तंसि च णं दिवसंसि एगं जोयणसयसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, तया णं छ-छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति १ तत्थ जेते एवमाहंसु– ता पंच-पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, ते एवमाहंसु–ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, तहेव दिवसराइप्पमाणं, तंसि च णं दिवसंसि नवतिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं तं चेव राइंदियप्पमाणं तंसि च णं दिवसंसि सट्ठिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति २ तत्थ जेते एवमाहंसु– ता चत्तारि-चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ, ते एवमाहंसु–ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं राइंदियं तहेव, तंसि च णं दिवसंसि अडतालीसं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, तया णं चत्तारि-चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ३ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, ते एवमाहंसु ता सूरिए णं उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमनमुहुत्तंसि य सिग्घगती भवति तया णं छ-छ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमतावक्खेत्तं समासादेमाणे-समासादेमाणे सूरिए मज्झिमगती भवति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमं तावक्खेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगती भवति तया णं चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति। ... ... तत्थ को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि एक्कानउतिं जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं राइंदियं तहेव, तस्सिं च णं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पन्नत्ते, तया णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति–एगे एवमाहंसु ४ वयं पुण एवं वयामो–ता सातिरेगाइं पंच-पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति। तत्थ को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य एक्कावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तया णं इहगतस्स मनुस्सस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ, तया णं दिवसे राई तहेव। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य एक्कावण्णे जोयणणसए सीतालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तया णं इहगतस्स मणुसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं अउनासीते य जोयणसए सत्तावन्नाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता अउनावीसाए चुण्णिया-भागेहिं सूरिएचक्खुप्फासं हव्वमागच्छति तया णं दिवसराई तहेव। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य बावण्णे जोयणसए पंच य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तया णं इहगतस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं छन्नउतीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता दोहिं चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति तया णं दिवसराई तहेव। एवं खलु एतेणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे अट्ठारस-अट्ठारस सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगतिं अभिवु-ड्ढेमाणे-अभिवुड्ढेमाणे चुलसीतिं सीताइं जोयणाइं पुरिसच्छायं निवुड्ढेमाणे-निवुड्ढेमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य पंचुत्तरे जोयणसते पन्नरस य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तया णं इहगतस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहिं एक्कतीसेहिं जोयणसतेहिं तीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खु-प्फासं हव्वमागच्छति तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउरुत्तरे जोयणसते सत्तावन्नं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ तया णं इहगतस्स मनूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं नवहि य सोलेहिं जोयणसतेहिं एगूणतालीसाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता सट्ठिए चुण्णियाभागे सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तया णं राइंदियं तहेव। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउत्तरे जोयणसए ऊतालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तया णं इहगतस्स मणूसस्स एगाहिगेहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूणपण्णाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिहा छेत्ता तेवीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, राइंदियं तहेव। एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे अट्ठारस-अट्ठारस सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगतिं निवुड्ढेमाणे-निवुड्ढेमाणे सातिरेगाइं पंचासीतिं-पंचासीतिं जोयणाइं पुरिसच्छायं अभिवुड्ढेमाणे-अभिवुड्ढेमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य एक्कावण्णे जोयणसए अउनतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तया णं इहगतस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठेहिं जोयणसतेहिं एक्कवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्व मागच्छति तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे। | ||
Sutra Meaning : | हे भगवन् ! कितने क्षेत्र में सूर्य एकएक मुहूर्त्त में गमन करता है ? इस विषय में चार प्रतिपत्तियाँ हैं। (१) सूर्य एक – एक मुहूर्त्त में छ – छ हजार योजन गमन करता है। (२) पाँच – पाँच हजार योजन बताता है। (३) चार – चार हजार योजन कहता है। (४) सूर्य एक – एक मुहूर्त्त में छह या पाँच या चार हजार योजन गमन करता है जो यह कहते हैं कि एक – एक मुहूर्त्त में सूर्य छ – छ हजार योजन गति करते हैं उनके मतानुसार जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल से गमन करता है तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है, उन दिनों में १०८००० योजन प्रमाण तापक्षेत्र होता है, जब वह सूर्य सर्वबाह्य मंडल में गमन करता है तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है और ७२००० योजन का तापक्षेत्र होता है। जो सूर्य का गमन पाँच – पाँच हजार योजन का एक मुहूर्त्त में बतलाते हैं वह यह कहते हैं कि सूर्य सर्वाभ्य – न्तर मंडल से उपसंक्रमण करके गति करता है तब रात्रिदिन का प्रमाण पूर्ववत् है, लेकिन तापक्षेत्र ९०००० योजन होता है। जब सर्वबाह्य मंडल में गति करता है तब तापक्षेत्र ६०,००० योजन हो जाता है। जो मतवादी चार – चार हजार योजन का गमनक्षेत्र कहते हैं, वह सर्वाभ्यन्तर मंडल में सूर्य का तापक्षेत्र ७२,००० योजन का कहते हैं और सर्वबाह्य मंडल में ४८,००० योजन का तापक्षेत्र बताते हैं, लेकिन रात्रिदिन का प्रमाण पूर्ववत् ही है। जो एक मुहूर्त्त में सूर्य का गमन छह – पाँच या चार हजार योजन बताते हैं, वह यह कहते हैं कि सूर्य उदय और अस्त काल में शीघ्रगतिवाला होता है, तब वह छह – छह हजार योजन एकमुहूर्त्त में गति करता है; फिर वह मध्यम तापक्षेत्र को प्राप्त करते करते मध्यमगतिवाला होता जाता है, तब वह पाँच – पाँच हजार योजन एक मुहूर्त्त में गति करता है, जब पूर्णतया मध्यम तापक्षेत्र को प्राप्त हो जाता है तब वह मंदगतिवाला होकर एक मुहूर्त्त में चार – चार हजार योजन गति करता है। ऐसा कहने का हेतु यह है कि यह जंबूद्वीप चारों ओर से सभी द्वीपसमुद्रों से घीरा हुआ है, जब सर्वाभ्यन्तर मंडल से उपसंक्रमण करके सूर्य गमन करता है, उन दिनों में तापक्षेत्र ९१००० योजन का होता है और सर्वबाह्य मंडल में गमन करता है तब तापक्षेत्र ६१००० योजन का होता है, रात्रि दिन का प्रमाण पूर्ववत् ही होता है। भगवंत फरमाते हैं कि सूर्य एक मुहूर्त्त में सातिरेक पाँच – पाँच हजार योजन की गति करता है। जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल से संक्रमण करके गति करता है तब पाँच – पाँच हजार योजन एवं २५१ योजन तथा एक योजन का उनतीस षष्ठ्यंश भाग प्रमाण से एकएक मुहूर्त्त में गति करते हैं। उस समय में यहाँ रहे हुए मनुष्यों को ४७२६३ एवं एक योजन के एकवीश एकसट्ठांश भाग प्रमाण से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। रात्रिदिन पूर्ववत् जानना। निष्क्रमण करता हुआ सूर्य नए संवत्सर में प्रथम अहोरात्र में अभ्यन्तर मंडल से उपसंक्रमण करके अनन्तर दूसरे मंडल में गति करता है, तब ५२५१ योजन एवं एक योजन के सत्तचत्तालीश षष्ठ्यंश भाग एकएक मुहूर्त्त में गमन करता है, तब ५५२१ योजन एवं एक योजन के सत्तचत्तालीश षष्ठ्यंश भाग एकएक मुहूर्त्त में गमन करता है, उस समय यहाँ रहे हुए मनुष्यों को ४७१७९ योजन एवं एक योजन के सत्तावनषष्ठ्यंश भाग तथा साठ भाग को एकसठ से छेदकर उन्नीस चूर्णिका भाग से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। रात्रिदिन का प्रमाण पूर्ववत् जानना। निष्क्रमण करता हुआ वही सूर्य दूसरे अहोरात्र में तीसरे मंडल में उपसंक्रमण करके भ्रमण करता है तब ५२५२ योजन एवं एक योजन के पाँच षष्ठ्यंश भाग एक एक मुहूर्त्त में जाता है, उस समय यहाँ रहे हुए मनुष्यों को ४७०९६ योजन एवं एक योजन के तेईस षष्ठ्यंश भाग तथा साठ के एक भाग को एकसठ से छेदकर दो चूर्णिका भाग से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। इसी प्रकार से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य तद्अनन्तर – अनन्तर मंडलों में गति करता है, तब एक योजन के अट्ठारह – अट्ठारह साठ भाग से एकएक मंडल में मुहूर्त्त गति को बढ़ाते बढ़ाते ८४ योजनो में किंचित् न्यून पुरुषछाया की हानि करते – करते सर्वबाह्य मंडल में गति करता है। जब वह सर्वबाह्य मंडल में गमन करता है, तब ५३०५ योजन एवं एक योजन के पन्द्रह षष्ठ्यंश भाग एक एक मुहूर्त्त में गमन करता है, उस समय यहाँ रहे हुए मनुष्यों को ३१८३१ योजन एवं एक योजन के तीस षष्ठ्यंश भाग प्रमाण से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। उस समय उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। इस प्रकार पहले छ मास होते हैं, छ मास का पर्यवसान होता है। दूसरे छ मास में सूर्य सर्वबाह्य मंडल से सर्व अभ्यन्तर मंडल की तरफ प्रवेश करने का आरंभ करता है। प्रथम अहोरात्र में जब अनन्तर मंडल में प्रवेश करता है, तब ५३०४ योजन एवं एक योजन के सत्तावन षष्ठ्यंश भाग से एकएक मुहूर्त्त में गमन करता है। उस समय यहाँ रहे हुए मनुष्य को ३१९१६ योजन तथा एक योजन के उनचालीश षष्ठ्यंश भाग को तथा साठ को एकसठ भाग से छेदकर साठ चूर्णिका भागों से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। रात्रिदिन पूर्ववत् जानना। इसी क्रम से प्रवेश करता हुआ सूर्य अनन्तर – अनन्तर मंडल में उपसंक्रमण करके प्रवेश करता है, तब एक योजन के अट्ठारह – अट्ठारह षष्ठ्यंश भाग एक मंडल में मुहूर्त्त गति से न्यून करते हुए और किंचित् विशेष ८५ – ८५ योजन की पुरुषछाया को बढ़ाते हुए सर्वाभ्यन्तर मंडल को प्राप्त करते हैं। तब ५२५१ योजन एवं एक योजन के उनतीसषष्ठ्यंश भाग से एकएक मुहूर्त्त में गति करता है; उस समय यहाँ रहे हुए मनुष्यों को ४७२६२ एवं एक योजन के ईक्कीस षष्ठ्यंश भाग से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। यह हुए दूसरे छह मास। यह हुआ छह मास का पर्यवसान और यह हुआ आदित्य संवत्सर। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta keyatiyam te khettam surie egamegenam muhuttenam gachchhati ahitati vaejja? Tattha khalu imao chattari padivattio pannattao. Tattha ege evamahamsu–ta chha chha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu –ta pamcha-pamcha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati–ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta chattari-chattari joyanasa-hassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati–ege evamahamsu 3 Ege puna evamahamsu–ta chhavi pamchavi chattarivi joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati–ege evamahamsu 4 Tattha jete evamahamsu–ta chha-chha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati te evamahamsu–ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam uttamakatthapatte ukkose attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati, tamsi cha nam divasamsi egam joyanasayasahassam attha ya joyanasahassaim tavakkhette pannatte, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai, tamsi cha nam divasamsi bavattarim joyanasahassaim tavakkhette pannatte, taya nam chha-chha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati 1 Tattha jete evamahamsu– ta pamcha-pamcha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati, te evamahamsu–ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati, taheva divasaraippamanam, tamsi cha nam divasamsi navatim joyanasahassaim tavakkhette pannatte, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam tam cheva raimdiyappamanam tamsi cha nam divasamsi satthim joyanasahassaim tavakkhette pannatte, taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati 2 Tattha jete evamahamsu– ta chattari-chattari joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhai, te evamahamsu–ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam divasarai taheva, tamsi cha nam divasamsi bavattarim joyanasahassaim tavakkhette pannatte, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam raimdiyam taheva, tamsi cha nam divasamsi adatalisam joyanasahassaim tavakkhette pannatte, taya nam chattari-chattari joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati 3 Tattha jete evamahamsu–ta chhavi pamchavi chattarivi joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati, te evamahamsu ta surie nam uggamanamuhuttamsi ya atthamanamuhuttamsi ya sigghagati bhavati taya nam chha-chha joyanasahassaim egamegenam muhuttenam gachchhati, majjhimatavakkhettam samasademane-samasademane surie majjhimagati bhavati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim egamegenam muhuttenam gachchhati, majjhimam tavakkhettam sampatte surie mamdagati bhavati taya nam chattari chattari joyanasahassaim egamegenam muhuttenam gachchhati.. .. Tattha ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam divasarai taheva, tamsi cha nam divasamsi ekkanautim joyanasahassaim tavakkhette pannatte, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam raimdiyam taheva, tassim cha nam divasamsi egatthijoyanasahassaim tavakkhette pannatte, taya nam chhavi pamchavi chattarivi joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati–ege evamahamsu 4 Vayam puna evam vayamo–ta satiregaim pamcha-pamcha joyanasahassaim surie egamegenam muhuttenam gachchhati. Tattha ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya ekkavanne joyanasae egunatisam cha satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati taya nam ihagatassa manussassa sitalisae joyanasahassehim dohi ya tevatthehim joyanasaehim egavisae ya satthibhagehim joyanassa surie chakkhupphasam havvamagachchhai, taya nam divase rai taheva. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya ekkavanne joyananasae sitalisam cha satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati, taya nam ihagatassa manusassa sitalisae joyanasahassehim aunasite ya joyanasae sattavannae satthibhagehim joyanassa satthibhagam cha egatthiha chhetta aunavisae chunniya-bhagehim suriechakkhupphasam havvamagachchhati taya nam divasarai taheva. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhimtaratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie abbhimtaratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya bavanne joyanasae pamcha ya satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati taya nam ihagatassa manusassa sitalisae joyanasahassehim chhannautie ya joyanehim tettisae ya satthibhagehim joyanassa satthibhagam cha egatthiha chhetta dohim chunniyabhagehim surie chakkhupphasam havvamagachchhati taya nam divasarai taheva. Evam khalu etenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane attharasa-attharasa satthibhage joyanassa egamege mamdale muhuttagatim abhivu-ddhemane-abhivuddhemane chulasitim sitaim joyanaim purisachchhayam nivuddhemane-nivuddhemane savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya pamchuttare joyanasate pannarasa ya satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati taya nam ihagatassa manusassa ekkatisae joyanasahassehim atthahim ekkatisehim joyanasatehim tisae ya satthibhagehim joyanassa surie chakkhu-pphasam havvamagachchhati taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Se pavisamane surie dochcham chhammasam ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya chauruttare joyanasate sattavannam cha satthibhae joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai taya nam ihagatassa manusassa ekkatisae joyanasahassehim navahi ya solehim joyanasatehim egunatalisae satthibhagehim joyanassa satthibhagam cha egatthiha chhetta satthie chunniyabhage surie chakkhupphasam havvamagachchhati, taya nam raimdiyam taheva. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya chauttare joyanasae utalisam cha satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati taya nam ihagatassa manusassa egahigehim battisae joyanasahassehim egunapannae ya satthibhagehim joyanassa satthibhagam cha egatthiha chhetta tevisae chunniyabhagehim surie chakkhupphasam havvamagachchhati, raimdiyam taheva. Evam khalu etenuvaenam pavisamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane attharasa-attharasa satthibhage joyanassa egamege mamdale muhuttagatim nivuddhemane-nivuddhemane satiregaim pamchasitim-pamchasitim joyanaim purisachchhayam abhivuddhemane-abhivuddhemane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya ekkavanne joyanasae aunatisam cha satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhati taya nam ihagatassa manusassa sitalisae joyanasahassehim dohi ya tevatthehim joyanasatehim ekkavisae ya satthibhagehim joyanassa surie chakkhupphasam havva magachchhati taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Esa nam dochche chhammase, esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane, esa nam adichche samvachchhare, esa nam adichchassa samvachchharassa pajjavasane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavan ! Kitane kshetra mem surya ekaeka muhurtta mem gamana karata hai\? Isa vishaya mem chara pratipattiyam haim. (1) surya eka – eka muhurtta mem chha – chha hajara yojana gamana karata hai. (2) pamcha – pamcha hajara yojana batata hai. (3) chara – chara hajara yojana kahata hai. (4) surya eka – eka muhurtta mem chhaha ya pamcha ya chara hajara yojana gamana karata hai Jo yaha kahate haim ki eka – eka muhurtta mem surya chha – chha hajara yojana gati karate haim unake matanusara jaba surya sarvabhyantara mamdala se gamana karata hai taba utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai, una dinom mem 108000 yojana pramana tapakshetra hota hai, jaba vaha surya sarvabahya mamdala mem gamana karata hai taba utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai aura 72000 yojana ka tapakshetra hota hai. Jo surya ka gamana pamcha – pamcha hajara yojana ka eka muhurtta mem batalate haim vaha yaha kahate haim ki surya sarvabhya – ntara mamdala se upasamkramana karake gati karata hai taba ratridina ka pramana purvavat hai, lekina tapakshetra 90000 yojana hota hai. Jaba sarvabahya mamdala mem gati karata hai taba tapakshetra 60,000 yojana ho jata hai. Jo matavadi chara – chara hajara yojana ka gamanakshetra kahate haim, vaha sarvabhyantara mamdala mem surya ka tapakshetra 72,000 yojana ka kahate haim aura sarvabahya mamdala mem 48,000 yojana ka tapakshetra batate haim, lekina ratridina ka pramana purvavat hi hai. Jo eka muhurtta mem surya ka gamana chhaha – pamcha ya chara hajara yojana batate haim, vaha yaha kahate haim ki surya udaya aura asta kala mem shighragativala hota hai, taba vaha chhaha – chhaha hajara yojana ekamuhurtta mem gati karata hai; phira vaha madhyama tapakshetra ko prapta karate karate madhyamagativala hota jata hai, taba vaha pamcha – pamcha hajara yojana eka muhurtta mem gati karata hai, jaba purnataya madhyama tapakshetra ko prapta ho jata hai taba vaha mamdagativala hokara eka muhurtta mem chara – chara hajara yojana gati karata hai. Aisa kahane ka hetu yaha hai ki yaha jambudvipa charom ora se sabhi dvipasamudrom se ghira hua hai, jaba sarvabhyantara mamdala se upasamkramana karake surya gamana karata hai, una dinom mem tapakshetra 91000 yojana ka hota hai aura sarvabahya mamdala mem gamana karata hai taba tapakshetra 61000 yojana ka hota hai, ratri dina ka pramana purvavat hi hota hai. Bhagavamta pharamate haim ki surya eka muhurtta mem satireka pamcha – pamcha hajara yojana ki gati karata hai. Jaba surya sarvabhyantara mamdala se samkramana karake gati karata hai taba pamcha – pamcha hajara yojana evam 251 yojana tatha eka yojana ka unatisa shashthyamsha bhaga pramana se ekaeka muhurtta mem gati karate haim. Usa samaya mem yaham rahe hue manushyom ko 47263 evam eka yojana ke ekavisha ekasatthamsha bhaga pramana se surya drishtigochara hota hai. Ratridina purvavat janana. Nishkramana karata hua surya nae samvatsara mem prathama ahoratra mem abhyantara mamdala se upasamkramana karake anantara dusare mamdala mem gati karata hai, taba 5251 yojana evam eka yojana ke sattachattalisha shashthyamsha bhaga ekaeka muhurtta mem gamana karata hai, taba 5521 yojana evam eka yojana ke sattachattalisha shashthyamsha bhaga ekaeka muhurtta mem gamana karata hai, usa samaya yaham rahe hue manushyom ko 47179 yojana evam eka yojana ke sattavanashashthyamsha bhaga tatha satha bhaga ko ekasatha se chhedakara unnisa churnika bhaga se surya drishtigochara hota hai. Ratridina ka pramana purvavat janana. Nishkramana karata hua vahi surya dusare ahoratra mem tisare mamdala mem upasamkramana karake bhramana karata hai taba 5252 yojana evam eka yojana ke pamcha shashthyamsha bhaga eka eka muhurtta mem jata hai, usa samaya yaham rahe hue manushyom ko 47096 yojana evam eka yojana ke teisa shashthyamsha bhaga tatha satha ke eka bhaga ko ekasatha se chhedakara do churnika bhaga se surya drishtigochara hota hai. Isi prakara se nishkramana karata hua surya tadanantara – anantara mamdalom mem gati karata hai, taba eka yojana ke attharaha – attharaha satha bhaga se ekaeka mamdala mem muhurtta gati ko barhate barhate 84 yojano mem kimchit nyuna purushachhaya ki hani karate – karate sarvabahya mamdala mem gati karata hai. Jaba vaha sarvabahya mamdala mem gamana karata hai, taba 5305 yojana evam eka yojana ke pandraha shashthyamsha bhaga eka eka muhurtta mem gamana karata hai, usa samaya yaham rahe hue manushyom ko 31831 yojana evam eka yojana ke tisa shashthyamsha bhaga pramana se surya drishtigochara hota hai. Usa samaya utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. Isa prakara pahale chha masa hote haim, chha masa ka paryavasana hota hai. Dusare chha masa mem surya sarvabahya mamdala se sarva abhyantara mamdala ki tarapha pravesha karane ka arambha karata hai. Prathama ahoratra mem jaba anantara mamdala mem pravesha karata hai, taba 5304 yojana evam eka yojana ke sattavana shashthyamsha bhaga se ekaeka muhurtta mem gamana karata hai. Usa samaya yaham rahe hue manushya ko 31916 yojana tatha eka yojana ke unachalisha shashthyamsha bhaga ko tatha satha ko ekasatha bhaga se chhedakara satha churnika bhagom se surya drishtigochara hota hai. Ratridina purvavat janana. Isi krama se pravesha karata hua surya anantara – anantara mamdala mem upasamkramana karake pravesha karata hai, taba eka yojana ke attharaha – attharaha shashthyamsha bhaga eka mamdala mem muhurtta gati se nyuna karate hue aura kimchit vishesha 85 – 85 yojana ki purushachhaya ko barhate hue sarvabhyantara mamdala ko prapta karate haim. Taba 5251 yojana evam eka yojana ke unatisashashthyamsha bhaga se ekaeka muhurtta mem gati karata hai; usa samaya yaham rahe hue manushyom ko 47262 evam eka yojana ke ikkisa shashthyamsha bhaga se surya drishtigochara hota hai. Taba utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Yaha hue dusare chhaha masa. Yaha hua chhaha masa ka paryavasana aura yaha hua aditya samvatsara. |