Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007046 | ||
Scripture Name( English ): | Suryapragnapti | Translated Scripture Name : | सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१० |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१० |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-४ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-४ |
Sutra Number : | 46 | Category : | Upang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता कहं ते जोगस्स आदी आहिंतेति वदेज्जा? ता अभीईसवणा खलु दुवे नक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता सातिरेग-ऊतालीसइमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छा अवरं सातिरेगं दिवसं–एवं खलु अभिईसवणा दुवे नक्खत्ता एगं रातिं एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टंति, अनुपरियट्टित्ता सायं चंदं धनिट्ठाणं समप्पेंति। ता धनिट्ठा खलु नक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता ततो पच्छा रातिं अवरं च दिवसं–एवं खलु धनिट्ठा नक्खत्ते एगं रातिं एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता सायं चंदं सतभिसयाणं समप्पेति। ता सतभिसया खलु नक्खत्ते नत्तंभागे अवड्ढक्खेत्ते पन्नरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, नो लभति अवरं दिवसं–एवं खलु सतभिसया नक्खत्ते एगं रातिं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता पातो चंदं पुव्वाणं पोट्ठवयाणं समप्पेति। ता पुव्वापोट्ठवया खलु नक्खत्ते पुव्वं भागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, तओ पच्छा अवरं रातिं–एवं खलु पुव्वापोट्ठवया नक्खत्ते एगं दिवसं एगं च रातिं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता पातो चंदं उत्तराणं पोट्ठवयाणं समप्पेति। ता उत्तरापोट्ठवया खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवड्ढक्खेत्ते पणयालीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, अवरं च रातिं ततो पच्छा अवरं दिवसं–एवं खलु उत्तरापोट्ठवया नक्खत्ते दो दिवसे एगं च रातिं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता सायं चंदं रेवतीणं समप्पेति। ता रेवती खलु नक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा अवरं दिवसं–एवं खलु रेवती नक्खत्ते एगं रातिं एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टिता सायं चंदं अस्सिणीणं समप्पेति। ता अस्सिणी खलु नक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवरं दिवसं–एवं खलु अस्सिणी नक्खत्ते एगं रातिं एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता सायं चंदं भरणीणं समप्पेति। ता भरणी खलु नक्खत्ते नत्तंभागे अवड्ढक्खेत्ते पन्नरसमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, नो लभति अवरं दिवसं–एवं खलु भरणी नक्खत्ते एगं रातिं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता पातो चंदं कत्तियाणं समप्पेति। ता कत्तिया खलु नक्खत्ते पुव्वंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए पातो चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा रातिं–एवं खलु कत्तिया नक्खत्ते एगं दिवसं एगं च रातिं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता पातो चंदं रोहिणीणं समप्पेति। रोहिणी जहा उत्तराभद्दवया। मिगसिरं जहा धनिट्ठा। अद्दा जहा सतभिसया। पुनव्वसू जहा उत्तराभद्दवया। पुस्सो जहा धनिट्ठा। अस्सेसा जहा सतभिसया। मघा जहा पुव्वाफग्गुणी। पुव्वाफग्गुणी जहा पुव्वाभद्दवया। उत्तराफग्गुणी जहा उत्तरभद्दवया। हत्थो चित्ता य जहा धनिट्ठा। साती जहा सतभिसया। विसाहा जहा उत्तराभद्दवया। अनुराहा जहा धनिट्ठा। जेट्ठा जहा सतभिसया। मूलो पुव्वासाढा य जहा पुव्वभद्दवया। उत्तरासाढा जहा उत्तरभद्दवया। | ||
Sutra Meaning : | नक्षत्रों के चंद्र के साथ योग का आदि कैसे प्रतिपादित किया है ? अभिजीत् और श्रवण ये दो नक्षत्र पश्चात् भागा समक्षेत्रा है, वे चन्द्रमा के साथ सातिरेक ऊनचालीश मुहूर्त्त योग करके रहते हैं अर्थात् एक रात्रि और सातिरेक एक दिन तक चन्द्र के साथ व्याप्त रह कर अनुपरिवर्तन करते हैं और शाम को चंद्र धनिष्ठा के साथ योग करता है। धनिष्ठा नक्षत्र पश्चात् भाग में चंद्र के साथ योग करता है वह तीस मुहूर्त्त पर्यन्त अर्थात् एक रात्रि और बाद में एक दिन तक चन्द्रमा के साथ योग करके अनुपरिवर्तित होता है तथा शाम को शतभिषा के साथ चन्द्र को समर्पित करता है। शतभिषा नक्षत्र रात्रिगत तथा अर्द्धक्षेत्र होता है वह पन्द्रह मुहूर्त्त तक अर्थात् एक रात्रि चन्द्र के साथ योग करके रहता है और सुबह में पूर्व प्रौष्ठपदा को चंद्र से समर्पित करके अनुपरिवर्तन करता है। पूर्वप्रौष्ठपदा नक्षत्र पूर्वभाग – समक्षेत्र और तीस मुहूर्त्त का होता है, वह एक दिन और एक रात्रि चन्द्र के साथ योग करके प्रातः उत्तराप्रौष्ठप्रदा को चन्द्र से समर्पित करके अनुपरिवर्तन करता है। उत्तराप्रौष्ठपदा नक्षत्र उभय – भागा – देढ़ क्षेत्र और पंचचत्तालीश मुहूर्त्त का होता है, प्रातःकाल में वह चन्द्रमा के साथ योग करता है, एक दिन – एक रात और दूसरा दिन चन्द्रमा के साथ व्याप्त रहकर शाम को रेवती नक्षत्र के साथ चन्द्र को समर्पित करके अनुपरि – वर्तित होता है। रेवतीनक्षत्र पश्चात्भागा – समक्षेत्र और तीस मुहूर्त्तप्रमाण होता है, शाम को चन्द्र के साथ योग करके एक रात और एक दिन तक साथ रहकर, शाम को अश्विनी नक्षत्र के साथ चन्द्र को समर्पण करके अनुपरिवर्तित होता है। अश्विनी नक्षत्र भी पश्चात्भागा – समक्षेत्र और तीस मुहूर्त्तवाला है, शाम को चन्द्रमा के साथ योग करके एक रात्रि और दूसरे दिन तक व्याप्त रहकर, चन्द्र को भरणी नक्षत्र से समर्पित करके अनुपरिवर्तन करता है। भरणी नक्षत्र रात्रिभागा – अर्द्धक्षेत्र और पन्द्रह मुहूर्त्त का है, वह शाम को चन्द्रमा से योग करके एक रात्रि तक साथ रहता है, कृतिका नक्षत्र पूर्वभागा – समक्षेत्र और तीस मुहूर्त्त का है, वह प्रातःकाल में चन्द्र के साथ योग करके एक दिन और एक रात्रि तक साथ रहता है, प्रातःकाल में रोहिणी नक्षत्र को चंद्र से समर्पित करता है। रोहिणी को उत्तराभाद्रपद के समान, मृगशिर को घनिष्ठा के समान, आर्द्रा को शतभिषा के समान, पुनर्वसु को उत्तराभाद्रपद के समान, पुष्य को घनिष्ठा के समान, अश्लेषा को शतभिषा के समान, मघा को पूर्वा फाल्गुनी के समान, उत्तरा फाल्गुनी को उत्तराभाद्रपद के समान, अनुराधा को ज्येष्ठा के समान, मूल और पूर्वाषाढ़ा को पूर्वा – भाद्रपद समान, उत्तराषाढ़ा को उत्तराभाद्रपद के समान इत्यादि समझ लेना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kaham te jogassa adi ahimteti vadejja? Ta abhiisavana khalu duve nakkhatta pachchhambhaga samakkhetta satirega-utalisaimuhutta tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joemti, tato pachchha avaram satiregam divasam–evam khalu abhiisavana duve nakkhatta egam ratim egam cha satiregam divasam chamdena saddhim joyam joemti, joetta joyam anupariyattamti, anupariyattitta sayam chamdam dhanitthanam samappemti. Ta dhanittha khalu nakkhatte pachchhambhage samakkhette tisaimuhutte tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joeti, joetta tato pachchha ratim avaram cha divasam–evam khalu dhanittha nakkhatte egam ratim egam cha divasam chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta sayam chamdam satabhisayanam samappeti. Ta satabhisaya khalu nakkhatte nattambhage avaddhakkhette pannarasamuhutte tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joeti, no labhati avaram divasam–evam khalu satabhisaya nakkhatte egam ratim chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta pato chamdam puvvanam potthavayanam samappeti. Ta puvvapotthavaya khalu nakkhatte puvvam bhage samakkhette tisaimuhutte tappadhamayae pato chamdena saddhim joyam joeti, tao pachchha avaram ratim–evam khalu puvvapotthavaya nakkhatte egam divasam egam cha ratim chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta pato chamdam uttaranam potthavayanam samappeti. Ta uttarapotthavaya khalu nakkhatte ubhayambhage divaddhakkhette panayalisaimuhutte tappadhamayae pato chamdena saddhim joyam joeti, avaram cha ratim tato pachchha avaram divasam–evam khalu uttarapotthavaya nakkhatte do divase egam cha ratim chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta sayam chamdam revatinam samappeti. Ta revati khalu nakkhatte pachchhambhage samakkhette tisaimuhutte tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joeti, tato pachchha avaram divasam–evam khalu revati nakkhatte egam ratim egam cha divasam chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattita sayam chamdam assininam samappeti. Ta assini khalu nakkhatte pachchhambhage samakkhette tisaimuhutte tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joeti tato pachchha avaram divasam–evam khalu assini nakkhatte egam ratim egam cha divasam chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta sayam chamdam bharaninam samappeti. Ta bharani khalu nakkhatte nattambhage avaddhakkhette pannarasamuhutte tappadhamayae sayam chamdena saddhim joyam joeti, no labhati avaram divasam–evam khalu bharani nakkhatte egam ratim chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta pato chamdam kattiyanam samappeti. Ta kattiya khalu nakkhatte puvvambhage samakkhette tisaimuhutte tappadhamayae pato chamdena saddhim joyam joeti, tato pachchha ratim–evam khalu kattiya nakkhatte egam divasam egam cha ratim chamdena saddhim joyam joeti, joetta joyam anupariyattati, anupariyattitta pato chamdam rohininam samappeti. Rohini jaha uttarabhaddavaya. Migasiram jaha dhanittha. Adda jaha satabhisaya. Punavvasu jaha uttarabhaddavaya. Pusso jaha dhanittha. Assesa jaha satabhisaya. Magha jaha puvvaphagguni. Puvvaphagguni jaha puvvabhaddavaya. Uttaraphagguni jaha uttarabhaddavaya. Hattho chitta ya jaha dhanittha. Sati jaha satabhisaya. Visaha jaha uttarabhaddavaya. Anuraha jaha dhanittha. Jettha jaha satabhisaya. Mulo puvvasadha ya jaha puvvabhaddavaya. Uttarasadha jaha uttarabhaddavaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nakshatrom ke chamdra ke satha yoga ka adi kaise pratipadita kiya hai\? Abhijit aura shravana ye do nakshatra pashchat bhaga samakshetra hai, ve chandrama ke satha satireka unachalisha muhurtta yoga karake rahate haim arthat eka ratri aura satireka eka dina taka chandra ke satha vyapta raha kara anuparivartana karate haim aura shama ko chamdra dhanishtha ke satha yoga karata hai. Dhanishtha nakshatra pashchat bhaga mem chamdra ke satha yoga karata hai vaha tisa muhurtta paryanta arthat eka ratri aura bada mem eka dina taka chandrama ke satha yoga karake anuparivartita hota hai tatha shama ko shatabhisha ke satha chandra ko samarpita karata hai. Shatabhisha nakshatra ratrigata tatha arddhakshetra hota hai vaha pandraha muhurtta taka arthat eka ratri chandra ke satha yoga karake rahata hai aura subaha mem purva praushthapada ko chamdra se samarpita karake anuparivartana karata hai. Purvapraushthapada nakshatra purvabhaga – samakshetra aura tisa muhurtta ka hota hai, vaha eka dina aura eka ratri chandra ke satha yoga karake pratah uttarapraushthaprada ko chandra se samarpita karake anuparivartana karata hai. Uttarapraushthapada nakshatra ubhaya – bhaga – derha kshetra aura pamchachattalisha muhurtta ka hota hai, pratahkala mem vaha chandrama ke satha yoga karata hai, eka dina – eka rata aura dusara dina chandrama ke satha vyapta rahakara shama ko revati nakshatra ke satha chandra ko samarpita karake anupari – vartita hota hai. Revatinakshatra pashchatbhaga – samakshetra aura tisa muhurttapramana hota hai, shama ko chandra ke satha yoga karake eka rata aura eka dina taka satha rahakara, shama ko ashvini nakshatra ke satha chandra ko samarpana karake anuparivartita hota hai. Ashvini nakshatra bhi pashchatbhaga – samakshetra aura tisa muhurttavala hai, shama ko chandrama ke satha yoga karake eka ratri aura dusare dina taka vyapta rahakara, chandra ko bharani nakshatra se samarpita karake anuparivartana karata hai. Bharani nakshatra ratribhaga – arddhakshetra aura pandraha muhurtta ka hai, vaha shama ko chandrama se yoga karake eka ratri taka satha rahata hai, kritika nakshatra purvabhaga – samakshetra aura tisa muhurtta ka hai, vaha pratahkala mem chandra ke satha yoga karake eka dina aura eka ratri taka satha rahata hai, pratahkala mem rohini nakshatra ko chamdra se samarpita karata hai. Rohini ko uttarabhadrapada ke samana, mrigashira ko ghanishtha ke samana, ardra ko shatabhisha ke samana, punarvasu ko uttarabhadrapada ke samana, pushya ko ghanishtha ke samana, ashlesha ko shatabhisha ke samana, magha ko purva phalguni ke samana, uttara phalguni ko uttarabhadrapada ke samana, anuradha ko jyeshtha ke samana, mula aura purvasharha ko purva – bhadrapada samana, uttarasharha ko uttarabhadrapada ke samana ityadi samajha lena. |