Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007030
Scripture Name( English ): Suryapragnapti Translated Scripture Name : सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

प्राभृत-१

Translated Chapter :

प्राभृत-१

Section : प्राभृत-प्राभृत-८ Translated Section : प्राभृत-प्राभृत-८
Sutra Number : 30 Category : Upang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] ता सव्वावि णं मंडलवता केवतियं बाहल्लेणं, केवतियं आयाम-विक्खंभेणं, केवतियं परिक्खेवेणं अहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ तिन्नि पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थ एगे एवमाहंसु–ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं, एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं तिन्नि य नवनउए जोयणसए परिक्खेवेणं पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं, एगं जोयणसहस्सं एगं च चउतीसं जोयणसयं आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं चत्तारि बिउत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं, एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसहस्साइं चत्तारि य पंचुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ३ वयं पुण एवं वयामो–ता सव्वावि णं मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, अणियता आयाम-विक्खंभ-परिक्खेवेणं आहिताति वएज्जा। तत्थ णं को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं पन्नरस य जोयणसहस्साइं एगूननउतिं जोयणाइं किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसए पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं पन्नरस य सहस्साइं एगं च सत्तुत्तरं जोयणसयं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं, तया णं दिवसराइप्पमाणं तहेव। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च एक्कावण्णे जोयणसए नव य एगट्ठिभागा जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं पन्नरस य सहस्साइं एगं पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं, तया णं दिवसराई तहेव। एवं खलु एतेणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे पंच-पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभ-वुड्ढिं अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे अट्ठारस-अट्ठारस जोयणाइं परिरयवुड्ढिं अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढे-माणे सव्वबाहिरं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं, एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्ठे जोयणसए आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं तिन्नि य पन्नरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं, तया णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, एगं जोयण-सयसहस्सं छच्च चउप्पण्णे जोयणसए छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं दोन्नि य सत्तानउए जोयणसए परिक्खेवेणं, तया णं राइंदियं तहेव। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावन्नं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं दोन्नि य अउनासीते जोयणसए परिक्खेवेणं, दिवसराई तहेव। एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे-संकममाणे पंच-पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुड्ढिं निवुड्ढेमाणे-निवुड्ढेमाणे अट्ठारस जोयणाइं परिरयवुड्ढिं निवुड्ढेमाणे-निवुड्ढेमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए आयाम-विक्खंभेणं, तिन्नि जोयणसय-सहस्साइं पन्नरस य सहस्साइं अउनाउतिं च जोयणाइं किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे। ता सव्वावि णं मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, सव्वावि णं मंडलंतरिया दो जोयणाइं विक्खंभेणं, एस णं अद्धा तेसीयसयपडुप्पण्णो पंचदसुत्तरे जोयणसए आहिताति वएज्जा। ता अब्भिंतराओ मंडलवताओ बाहिरा मंडलवता, बाहिराओ वा मंडलवताओ अब्भिंतरा मंडलवता, एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएज्जा? ता पंचदसुत्तरे जोयणसए आहितेति वएज्जा। अब्भिंतराए मंडलवताए बाहिरा मंडलवता, बाहिराए वा मंडलवताए अब्भिंतरा मंडलवता, एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएज्जा? ता पंचदसुत्तरे जोयणसए अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहितेति वएज्जा। ता अब्भंतराओ मंडलवताओ बाहिरा मंडलवता, बाहिराओ वा मंडलवताओ अब्भंतरा मंडलवता, एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएज्जा? ता पंचणवुत्तरे जोयणसए तेरस य एगट्ठिभागे जोयणस्स आहितेति वएज्जा। ता अब्भिंतराए मंडलवताए बाहिरा मंडलवता, बाहिराए वा मंडलवताए अब्भिंतरा मंडलवता, एस णं अद्धा केवतियं आहितेति वएज्जा? ता पंचदसुत्तरे जोयणसए आहितेति वएज्जा।
Sutra Meaning : हे भगवन्‌ ! सर्व मंडलपद कितने बाहल्य से, कितने आयाम विष्कंभ से तथा कितने परिक्षेप से युक्त हैं ? इस विषय में तीन प्रतिपत्तियाँ हैं। पहला परमतवादी कहता है कि सभी मंडल बाहल्य से एक योजन, आयाम – विष्कम्भ से ११३३ योजन और परिक्षेप से ३३९९ योजन है। दूसरा बताता है कि सर्वमंडल बाहल्य से एक योजन, आयामविष्कम्भ से ११३४ योजन और परिक्षेप से ३४०२ योजन है। तीसरा मतवादी इसका आयामविष्कम्भ ११३५ योजन और परिक्षेप ३४०५ योजन कहता है। भगवंत प्ररूपणा करते हैं कि यह सर्व मंडलपद एक योजन के अडतालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से अनियत आयामविष्कम्भ और परिक्षेपवाले कहे गए हैं। क्योंकि – यह जंबूद्वीप सर्वद्वीप समुद्रों से घीरा हुआ है। जब ये सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल को उपसंक्रमीत करके गति करता है तब वे सभी मंडलपद एक योजन के अडतालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से, ९९६४० योजन विष्कम्भ से और ३१५०८९ योजन से किंचित्‌ अधिक परिक्षेपवाले होते हैं, उस समय परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। निष्क्रमण करता हुआ सूर्य नए संवत्सर को प्राप्त करके प्रथम अहोरात्र में जब अभ्यन्तर अनन्तर मंडल से उप – संक्रमण करके गति करता है तब वह मंडलपद के एक योजन के अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से, ९९६४५ योजन तथा एक योजन के पैंतीश एकसट्ठांश भाग आयाम विष्कम्भ से और ३१५१०७ योजन से किंचित्‌ हीन परीक्षेपवाला होता है। दिन और रात्रि प्रमाण पूर्ववत्‌ जानना। वहीं सूर्य दूसरे अहोरात्र में तीसरे मंडल में निष्क्रमण करके गति करता है तब एक योजन के अडतालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से, ९९६५१ योजन एवं एक योजन के नव एकसट्ठांश भाग आयामविष्कम्भ से तथा ३१५ – १२५ योजन परिक्षेप से कहे हुए हैं। दिन और रात्रि पूर्ववत्‌। इस प्रकार से इसी उपाय से निष्क्रमीत सूर्य अनन्तर – अनन्तर मंडल में गति करता है। उस समय पाँच योजन और एक योजन के पैंतीश एकसट्ठांश भाग विष्कम्भी वृद्धि करते करते अट्ठारह – अट्ठारह योजन वृद्धि करते सर्वबाह्य मंडल में पहुँचते हैं। जब वह सूर्य बाह्य मंडल में उपसंक्रमण करके गति करता है तब वह मंडलपद एक योजन के अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से, १०० – ६६० योजन आयामविष्कम्भ से तथा ३१८३१५ योजन परिक्षेप से युक्त होता है। उस समय उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। यह हुए छ मास। इसी प्रकार से वह सूर्य दूसरे छ मास में सर्व बाह्यमंडल से सर्वाभ्यन्तर मंडल में प्रवेश करता है। प्रथम अहोरात्र में जब वह सूर्य उपसंक्रमण करके अनन्तर मंडल पद में प्रविष्ट होता है तब मंडल पद में एक योजन के अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से हानि होती है, १००६५४ योजन एवं एक योजन का छब्बीस एकसट्ठांश भाग आयामविष्कम्भ से तथा ३१८२५७ योजन परिक्षेप से युक्त होता है। रात्रि – दिन का प्रमाण पूर्ववत्‌ जानना। प्रविश्यमाण वह सूर्य अनन्तर – अनन्तर एक एक मंडल में एक एक अहोरात्र में संक्रमण करता हुआ पूर्व गणित से सर्वाभ्यन्तर मंडल में पहुँचता है तब वह मंडल पद एक योजन के अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से, ९९६४० योजन आयामविष्कम्भ से तथा ३१५०७९ परिक्षेप से होता है। शेष पूर्ववत्‌ यावत्‌ यह हुआ आदित्य संवत्सर। यह सर्व मंडलवृत्त एक योजन के अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग बाहल्य से होते हैं। सभी मंडल के अन्तर दो योजन विष्कम्भवाले हैं। यह पूरा मार्ग १८३ से गुणित करने से ५१० योजन का होता है। यह अभ्यन्तर मंडल – वृत्त से बाह्यमंडलवृत्त और बाह्य से अभ्यन्तर मंडलवृत्त मार्ग कितना है ? यह मार्ग ११५ योजन और एक योजन का अडचत्तालीश एकसट्ठांश भाग जितना है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] ta savvavi nam mamdalavata kevatiyam bahallenam, kevatiyam ayama-vikkhambhenam, kevatiyam parikkhevenam ahitati vaejja? Tattha khalu imao tinni padivattio pannattao. Tattha ege evamahamsu–ta savvavi nam mamdalavata joyanam bahallenam, egam joyanasahassam egam cha tettisam joyanasayam ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasahassaim tinni ya navanaue joyanasae parikkhevenam pannatta–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta savvavi nam mamdalavata joyanam bahallenam, egam joyanasahassam egam cha chautisam joyanasayam ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasahassaim chattari biuttare joyanasae parikkhevenam pannatta–ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta savvavi nam mamdalavata joyanam bahallenam, egam joyanasahassam egam cha panatisam joyanasayam ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasahassaim chattari ya pamchuttare joyanasae parikkhevenam pannatta–ege evamahamsu 3 Vayam puna evam vayamo–ta savvavi nam mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, aniyata ayama-vikkhambha-parikkhevenam ahitati vaejja. Tattha nam ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, navanautim joyanasahassaim chhachcha chattale joyanasae ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim pannarasa ya joyanasahassaim egunanautim joyanaim kimchi visesahie parikkhevenam, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, navanautim joyanasahassaim chhachcha panayale joyanasae panatisam cha egatthibhage joyanassa ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim pannarasa ya sahassaim egam cha sattuttaram joyanasayam kimchivisesunam parikkhevenam, taya nam divasaraippamanam taheva. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, navanautim joyanasahassaim chhachcha ekkavanne joyanasae nava ya egatthibhaga joyanassa ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim pannarasa ya sahassaim egam panavisam joyanasayam parikkhevenam, taya nam divasarai taheva. Evam khalu etenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane pamcha-pamcha joyanaim panatisam cha egatthibhage joyanassa egamege mamdale vikkhambha-vuddhim abhivaddhemane-abhivaddhemane attharasa-attharasa joyanaim parirayavuddhim abhivaddhemane-abhivaddhe-mane savvabahiram uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabahiramamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhaga joyanassa bahallenam, egam joyanasayasahassam chhachcha satthe joyanasae ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim attharasa sahassaim tinni ya pannarasuttare joyanasae parikkhevenam, taya nam ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Se pavisamane surie dochcham chhammasam ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, egam joyana-sayasahassam chhachcha chauppanne joyanasae chhavvisam cha egatthibhage joyanassa ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim attharasa sahassaim donni ya sattanaue joyanasae parikkhevenam, taya nam raimdiyam taheva. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, egam joyanasayasahassam chhachcha adayale joyanasae bavannam cha egatthibhage joyanassa ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasayasahassaim attharasa sahassaim donni ya aunasite joyanasae parikkhevenam, divasarai taheva. Evam khalu etenuvaenam pavisamane surie tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamane-samkamamane pamcha-pamcha joyanaim panatisam cha egatthibhage joyanassa egamege mamdale vikkhambhavuddhim nivuddhemane-nivuddhemane attharasa joyanaim parirayavuddhim nivuddhemane-nivuddhemane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam sa mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, navanautim joyanasahassaim chhachcha chattale joyanasae ayama-vikkhambhenam, tinni joyanasaya-sahassaim pannarasa ya sahassaim aunautim cha joyanaim kimchivisesahiyaim parikkhevenam, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Esa nam dochche chhammase esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane. Esa nam adichche samvachchhare, esa nam adichchassa samvachchharassa pajjavasane. Ta savvavi nam mamdalavata adatalisam egatthibhage joyanassa bahallenam, savvavi nam mamdalamtariya do joyanaim vikkhambhenam, esa nam addha tesiyasayapaduppanno pamchadasuttare joyanasae ahitati vaejja. Ta abbhimtarao mamdalavatao bahira mamdalavata, bahirao va mamdalavatao abbhimtara mamdalavata, esa nam addha kevatiyam ahiteti vaejja? Ta pamchadasuttare joyanasae ahiteti vaejja. Abbhimtarae mamdalavatae bahira mamdalavata, bahirae va mamdalavatae abbhimtara mamdalavata, esa nam addha kevatiyam ahiteti vaejja? Ta pamchadasuttare joyanasae adatalisam cha egatthibhage joyanassa ahiteti vaejja. Ta abbhamtarao mamdalavatao bahira mamdalavata, bahirao va mamdalavatao abbhamtara mamdalavata, esa nam addha kevatiyam ahiteti vaejja? Ta pamchanavuttare joyanasae terasa ya egatthibhage joyanassa ahiteti vaejja. Ta abbhimtarae mamdalavatae bahira mamdalavata, bahirae va mamdalavatae abbhimtara mamdalavata, esa nam addha kevatiyam ahiteti vaejja? Ta pamchadasuttare joyanasae ahiteti vaejja.
Sutra Meaning Transliteration : He bhagavan ! Sarva mamdalapada kitane bahalya se, kitane ayama vishkambha se tatha kitane parikshepa se yukta haim\? Isa vishaya mem tina pratipattiyam haim. Pahala paramatavadi kahata hai ki sabhi mamdala bahalya se eka yojana, ayama – vishkambha se 1133 yojana aura parikshepa se 3399 yojana hai. Dusara batata hai ki sarvamamdala bahalya se eka yojana, ayamavishkambha se 1134 yojana aura parikshepa se 3402 yojana hai. Tisara matavadi isaka ayamavishkambha 1135 yojana aura parikshepa 3405 yojana kahata hai. Bhagavamta prarupana karate haim ki yaha sarva mamdalapada eka yojana ke adatalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se aniyata ayamavishkambha aura parikshepavale kahe gae haim. Kyomki – yaha jambudvipa sarvadvipa samudrom se ghira hua hai. Jaba ye surya sarvabhyantara mamdala ko upasamkramita karake gati karata hai taba ve sabhi mamdalapada eka yojana ke adatalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se, 99640 yojana vishkambha se aura 315089 yojana se kimchit adhika parikshepavale hote haim, usa samaya paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Nishkramana karata hua surya nae samvatsara ko prapta karake prathama ahoratra mem jaba abhyantara anantara mamdala se upa – samkramana karake gati karata hai taba vaha mamdalapada ke eka yojana ke adachattalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se, 99645 yojana tatha eka yojana ke paimtisha ekasatthamsha bhaga ayama vishkambha se aura 315107 yojana se kimchit hina parikshepavala hota hai. Dina aura ratri pramana purvavat janana. Vahim surya dusare ahoratra mem tisare mamdala mem nishkramana karake gati karata hai taba eka yojana ke adatalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se, 99651 yojana evam eka yojana ke nava ekasatthamsha bhaga ayamavishkambha se tatha 315 – 125 yojana parikshepa se kahe hue haim. Dina aura ratri purvavat. Isa prakara se isi upaya se nishkramita surya anantara – anantara mamdala mem gati karata hai. Usa samaya pamcha yojana aura eka yojana ke paimtisha ekasatthamsha bhaga vishkambhi vriddhi karate karate attharaha – attharaha yojana vriddhi karate sarvabahya mamdala mem pahumchate haim. Jaba vaha surya bahya mamdala mem upasamkramana karake gati karata hai taba vaha mamdalapada eka yojana ke adachattalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se, 100 – 660 yojana ayamavishkambha se tatha 318315 yojana parikshepa se yukta hota hai. Usa samaya utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. Yaha hue chha masa. Isi prakara se vaha surya dusare chha masa mem sarva bahyamamdala se sarvabhyantara mamdala mem pravesha karata hai. Prathama ahoratra mem jaba vaha surya upasamkramana karake anantara mamdala pada mem pravishta hota hai taba mamdala pada mem eka yojana ke adachattalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se hani hoti hai, 100654 yojana evam eka yojana ka chhabbisa ekasatthamsha bhaga ayamavishkambha se tatha 318257 yojana parikshepa se yukta hota hai. Ratri – dina ka pramana purvavat janana. Pravishyamana vaha surya anantara – anantara eka eka mamdala mem eka eka ahoratra mem samkramana karata hua purva ganita se sarvabhyantara mamdala mem pahumchata hai taba vaha mamdala pada eka yojana ke adachattalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se, 99640 yojana ayamavishkambha se tatha 315079 parikshepa se hota hai. Shesha purvavat yavat yaha hua aditya samvatsara. Yaha sarva mamdalavritta eka yojana ke adachattalisha ekasatthamsha bhaga bahalya se hote haim. Sabhi mamdala ke antara do yojana vishkambhavale haim. Yaha pura marga 183 se gunita karane se 510 yojana ka hota hai. Yaha abhyantara mamdala – vritta se bahyamamdalavritta aura bahya se abhyantara mamdalavritta marga kitana hai\? Yaha marga 115 yojana aura eka yojana ka adachattalisha ekasatthamsha bhaga jitana hai.