Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006190 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव | Translated Section : | ४ थी ९ पंचविध यावत् दशविध सर्वजीव |
Sutra Number : | 390 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहवा छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–एगिंदिया बेंदिया तेंदिया चउरिंदिया पंचेंदिया अनिंदिया। संचिट्ठणंतरं जहा हेट्ठा। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा पंचेंदिया, चउरिंदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, बेंदिया विसेसाहिया, अनिंदिया अनंतगुणा, एगिंदिया अनंतगुणा। अहवा छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालियसरीरी वेउव्वियसरीरी आहारगसरीरी तेयगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी। ओरालियसरीरी णं भंते! ओरालियसरीरीत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं खुड्डागं भवग्गहणं दुसमऊणं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं जाव अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं। वेउव्वियसरीरी जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं। आहारगसरीरी जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं। तेयगसरीरी कम्मगसरीरी य पत्तेयं दुविहे, तं जहा–अनादीए वा अपज्जवसिए, अनादीए वा सपज्जवसिते। असरीरी साइए अपज्जवसिते। ओरालियसरीरस्स अंतरं जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं। वेउव्वियसरीरस्स अंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। आहारगसरीरस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं जाव अवड्ढं पोग्गलपरियट्टं देसूणं। तेयगकम्मगाणं दोण्हवि अणाइयअपज्जवसियाणं नत्थि अंतरं, अणाइयसपज्जवसियाणं नत्थि अंतरं। असरीरिस्स साइयअपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा आहारगसरीरी, वेउव्वियसरीरी असंखेज्जगुणा, ओरालियसरीरी असंखेज्जगुणा, असरीरी अनंतगुणा, तेयाकम्मसरीरी दोवि तुल्ला अनंतगुणा। सेत्तं छव्विहा सव्वजीवा। | ||
Sutra Meaning : | अथवा सर्व जीव छह प्रकार के हैं – औदारिकशरीरी, वैक्रियशरीरी, आहारकशरीरी, तेजसशरीरी, कार्मण – शरीरी और अशरीरी। औदारिकशरीरी जघन्य से दो समय कम क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कर्ष से असंख्येयकाल तक रहता है। यह असंख्येयकाल अंगुल के असंख्यातवें भाग के आकाशप्रदेशों के अपहारकाल के तुल्य है। वैक्रियशरीरी जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्त्त अधिक तेंतीस सागरोपम तक रह सकता है। आहारकशरीरी जघन्य तथा उत्कर्ष से भी अन्तर्मुहूर्त्त तक ही रहता है। तेजसशरीरी दो प्रकार के हैं – अनादि – अपर्य – वसित और अनादि – सपर्यवसित। इसी तरह कार्मणशरीरी भी दो प्रकार के हैं। अशरीरी सादि – अपर्यवसित हैं। औदारिकशरीरी का अन्तर जघन्य एक समय और उत्कर्ष से अन्तर्मुहूर्त्त अधिक तेंतीस सागरोपम है। वैक्रियशरीरी का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल है, जो वनस्पतिकालतुल्य है। आहारकशरीर का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल है, जो देशोन अपार्धपुद्गलपरावर्त रूप है। तेजस – कार्मण – शरीरी का अन्तर नहीं है। अल्पबहुत्व में सबसे थोड़े आहारकशरीरी, वैक्रियशरीरी उनसे असंख्यातगुण, उनसे औदारिकशरीरी असंख्यातगुण हैं, उनसे अशरीरी अनन्तगुण हैं और उनसे तेजस – कार्मणशरीरी अनन्तगुण हैं और ये स्वस्थान में दोनों तुल्य हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahava chhavviha savvajiva pannatta, tam jaha–egimdiya bemdiya temdiya chaurimdiya pamchemdiya animdiya. Samchitthanamtaram jaha hettha. Appabahuyam–savvatthova pamchemdiya, chaurimdiya visesahiya, teimdiya visesahiya, bemdiya visesahiya, animdiya anamtaguna, egimdiya anamtaguna. Ahava chhavviha savvajiva pannatta, tam jaha–oraliyasariri veuvviyasariri aharagasariri teyagasariri kammagasariri asariri. Oraliyasariri nam bhamte! Oraliyasariritti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam khuddagam bhavaggahanam dusamaunam, ukkosenam asamkhejjam kalam java amgulassa asamkhejjatibhagam. Veuvviyasariri jahannenam ekkam samayam, ukkosenam tettisam sagarovamaim amtomuhuttamabbhahiyaim. Aharagasariri jahannenam amtomuhuttam, ukkosenavi amtomuhuttam. Teyagasariri kammagasariri ya patteyam duvihe, tam jaha–anadie va apajjavasie, anadie va sapajjavasite. Asariri saie apajjavasite. Oraliyasarirassa amtaram jahannenam ekkam samayam, ukkosenam tettisam sagarovamaim amtomuhuttamabbhahiyaim. Veuvviyasarirassa amtaram jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Aharagasarirassa jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam anamtam kalam java avaddham poggalapariyattam desunam. Teyagakammaganam donhavi anaiyaapajjavasiyanam natthi amtaram, anaiyasapajjavasiyanam natthi amtaram. Asaririssa saiyaapajjavasiyassa natthi amtaram. Appabahuyam–savvatthova aharagasariri, veuvviyasariri asamkhejjaguna, oraliyasariri asamkhejjaguna, asariri anamtaguna, teyakammasariri dovi tulla anamtaguna. Settam chhavviha savvajiva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Athava sarva jiva chhaha prakara ke haim – audarikashariri, vaikriyashariri, aharakashariri, tejasashariri, karmana – shariri aura ashariri. Audarikashariri jaghanya se do samaya kama kshullakabhavagrahana aura utkarsha se asamkhyeyakala taka rahata hai. Yaha asamkhyeyakala amgula ke asamkhyatavem bhaga ke akashapradeshom ke apaharakala ke tulya hai. Vaikriyashariri jaghanya se antarmuhurtta aura utkarsha se antarmuhurtta adhika temtisa sagaropama taka raha sakata hai. Aharakashariri jaghanya tatha utkarsha se bhi antarmuhurtta taka hi rahata hai. Tejasashariri do prakara ke haim – anadi – aparya – vasita aura anadi – saparyavasita. Isi taraha karmanashariri bhi do prakara ke haim. Ashariri sadi – aparyavasita haim. Audarikashariri ka antara jaghanya eka samaya aura utkarsha se antarmuhurtta adhika temtisa sagaropama hai. Vaikriyashariri ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta anantakala hai, jo vanaspatikalatulya hai. Aharakasharira ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta anantakala hai, jo deshona apardhapudgalaparavarta rupa hai. Tejasa – karmana – shariri ka antara nahim hai. Alpabahutva mem sabase thore aharakashariri, vaikriyashariri unase asamkhyataguna, unase audarikashariri asamkhyataguna haim, unase ashariri anantaguna haim aura unase tejasa – karmanashariri anantaguna haim aura ye svasthana mem donom tulya haim. |