Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1006182 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
सर्व जीव प्रतिपत्ति |
Section : | चतुर्विध सर्वजीव | Translated Section : | चतुर्विध सर्वजीव |
Sutra Number : | 382 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तत्थ णं जेते एवमाहंसु चउव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता ते एवमाहंसु, तं जहा–मनजोगी वइजोगी कायजोगी अजोगी। मनजोगी णं भंते! मणजोगित्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं। एवं वइजोगीवि। कायजोगी णं भंते! कायजोगित्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सतिकालो। अजोगी साइए अपज्जवसिए। मनजोगिस्स अंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। एवं वइजोगिस्स वि। कायजोगिस्स जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं। अयोगिस्स नत्थि अंतरं। अप्पाबहुयं–सव्वत्थोवा मनजोगी, वइजोगी असंखेज्जगुणा, अजोगी अनंतगुणा, कायजोगी अनंतगुणा। | ||
Sutra Meaning : | जो ऐसा कहते हैं कि सर्व जीव चार प्रकार के हैं वे चार प्रकार ये हैं – मनोयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी। मनोयोगी, मनोयोगी रूप में जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त तक रहता है। वचनयोगी का भी अन्तर यही है। काययोगी जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट से वनस्पतिकाल तक रहता है। अयोगी सादि – अपर्य – वसित है। मनोयोगी का अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। वचनयोगी का भी यही है। काययोगी का जघन्य अन्तर एक समय का है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त्त है। अयोगी का अन्तर नहीं है। अल्प – बहुत्व में सबसे थोड़े मनोयोगी, उनसे वचनयोगी असंख्यातगुण, उनसे अयोगी अनन्तगुण और उनसे काययोगी अनन्तगुण हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tattha nam jete evamahamsu chauvviha savvajiva pannatta te evamahamsu, tam jaha–manajogi vaijogi kayajogi ajogi. Manajogi nam bhamte! Manajogitti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam amtomuhuttam. Evam vaijogivi. Kayajogi nam bhamte! Kayajogitti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassatikalo. Ajogi saie apajjavasie. Manajogissa amtaram jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam vanassaikalo. Evam vaijogissa vi. Kayajogissa jahannenam ekkam samayam, ukkosenam amtomuhuttam. Ayogissa natthi amtaram. Appabahuyam–savvatthova manajogi, vaijogi asamkhejjaguna, ajogi anamtaguna, kayajogi anamtaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo aisa kahate haim ki sarva jiva chara prakara ke haim ve chara prakara ye haim – manoyogi, vachanayogi, kayayogi aura ayogi. Manoyogi, manoyogi rupa mem jaghanya eka samaya aura utkrishta antarmuhurtta taka rahata hai. Vachanayogi ka bhi antara yahi hai. Kayayogi jaghanya se antarmuhurtta aura utkrishta se vanaspatikala taka rahata hai. Ayogi sadi – aparya – vasita hai. Manoyogi ka antara jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta vanaspatikala hai. Vachanayogi ka bhi yahi hai. Kayayogi ka jaghanya antara eka samaya ka hai aura utkrishta antara antarmuhurtta hai. Ayogi ka antara nahim hai. Alpa – bahutva mem sabase thore manoyogi, unase vachanayogi asamkhyataguna, unase ayogi anantaguna aura unase kayayogi anantaguna haim. |