Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004043 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-१२ |
Translated Chapter : |
शतक-१२ |
Section : | उद्देशक-५ अतिपात | Translated Section : | उद्देशक-५ अतिपात |
Sutra Number : | 543 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अह भंते! पाणाइवायवेरमणे, जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे–एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पन्नत्ते? गोयमा! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे पन्नत्ते। अह भंते! उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मया, पारिणामिया–एस णं कतिवण्णा जाव कतिफासा पन्नत्ता? गोयमा! अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पन्नत्ता। अह भंते! ओग्गहे, ईहा, अवाए, धारणा–एस णं कतिवण्णा जाव कतिफासा पन्नत्ता? गोयमा! अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पन्नत्ता। अह भंते! उट्ठाणे, कम्मे, बले, वीरिए, पुरिसक्कार-परक्कमे–एस णं कतिवण्णे जाव कति फासे पन्नत्ते? गोयमा! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे पन्नत्ते। सत्तमे णं भंते! ओवासंतरे कतिवण्णे जाव कतिफासे पन्नत्ते? गोयमा! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे पन्नत्ते। सत्तमे णं भंते! तनुवाए कतिवण्णे जाव कतिफासे पन्नत्ते? गोयमा! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे अट्ठफासे पन्नत्ते। एवं जहा सत्तमे तनुवाए तहा सत्तमे घनवाए, घनोदधी, पुढवी। छट्ठे ओवासंतरे अवण्णे। तनुवाए जाव छट्ठी पुढवी–एयाइं अट्ठफासाइं। एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं। जंबुद्दीवे दीवे जाव सयंभुरमणे समुद्दे, सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा पुढवी, नेरइयवासा जाव वेमानियवासा–एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि। नेरइयाणं भंते! कतिवण्णा जाव कतिफासा पन्नत्ता? गोयमा! वेउव्विय-तेयाइं पडुच्च पंचवण्णा, दुगंधा, पंचरसा, अट्ठफासा पन्नत्ता। कम्मगं पडुच्च पंचवण्णा, दुगंधा, पंच-रसा, चउफासा पन्नत्ता। जीवं पडुच्च अवण्णा जाव अफासा पन्नत्ता। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइयाणं–पुच्छा। गोयमा! ओरालिय-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पन्नत्ता। कम्मगं पडुच्च जहा नेरइयाणं। जीवं पडुच्च तहेव। एवं जाव चउरिंदिया, नवरं–वाउक्काइया ओरालिय-वेउव्विय-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पन्नत्ता, सेसं जहा नेरइयाणं। पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउक्काइया। मनुस्साणं–पुच्छा। ओरालिय-वेउव्विय-आहारग-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पन्नत्ता। कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेरइयाणं वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया। धम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए–एए सव्वे अवण्णा, नवरं–पोग्गलत्थिकाए पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, अट्ठफासे पन्नत्ते। नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए–एयाणि चउफासाणि। कण्हलेसा णं भंते! कतिवण्णा जाव कतिफासा पन्नत्ता? दव्वलेसं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पन्नत्ता। भावलेसं पडुच्च अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पन्नत्ता। एवं जाव सुक्कलेस्सा। सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, ओहिदंसणे, केवल-दंसणे, आभिनिबोहियनाणे जाव विब्भंगनाणे, आहारसण्णा जाव परिग्गहसण्णा–एयाणि अवण्णाणि, अगंधाणि, अरसाणि, अफासाणि। ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे–एयाणि अट्ठफासाणि। कम्मगसरीरे चउफासे। मणजोगे, वइजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे। सागारोवओगे अनागारोवओगे य अवण्णे। सव्वदव्वा णं भंते! कतिवण्णा जाव कतिफासा पन्नत्ता? गोयमा! अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पन्नत्ता। अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव चउफासा पन्नत्ता। अत्थेगतिया सव्वदव्वा एगवण्णा, एगगंधा, एगरसा, दुफासा पन्नत्ता। अत्थेगतिया सव्वदव्वा अवण्णा जाव अफासा पन्नत्ता। एवं सव्वपएसा वि, सव्वपज्जवा वि। तीयद्धा अवण्णा जाव अफासा। एवं अनागयद्धा वि, सव्वद्धा वि। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! प्राणातिपात – विरमण यावत् परिग्रह – विरमण तथा क्रोधविवेक यावत् मिथ्यादर्शनशल्यविवेक, इन सबमें कितने वर्ण, कितने गन्ध, कितने रस और कितने स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! (ये सभी) वर्णरहित, गन्धरहित, रसरहित और स्पर्शरहित कहे हैं। भगवन् ! औत्पत्तिकी, वैनयिकी, कार्मिकी और पारिणामिकी बुद्धि कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाली है ? गौतम ! पूर्ववत् जानना। भगवन् ! अवग्रह, ईहा, अवाय और धारणा में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! (ये चारों) वर्ण यावत् स्पर्श से रहित कहे हैं। भगवन् ! उत्थान, कर्म, बल, वीर्य और पुरुषकार – पराक्रम, इन सबमें कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श हैं ? गौतम ! ये सभी पूर्ववत् वर्णादि यावत् स्पर्श से रहित कहे हैं। भगवन् ! सप्तम अवकाशान्तर कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाला है ? गौतम ! वह वर्ण यावत् स्पर्श से रहित है। भगवन् ! सप्तम तनुवात कितने वर्णादि वाला है ? गौतम ! इसका कथन प्राणातिपात के समान करना। विशेष यह है कि यह आठ स्पर्श वाला है। सप्तम तनुवात के समान सप्तम घनवात, घनोदधि एवं सप्तम पृथ्वी के विषय में कहना। छठा अवकाशान्तर वर्णादि रहित है। छठा तनुवात, घनवात, घनोदधि और छठी पृथ्वी, ये सब आठ स्पर्श वाले हैं। सातवीं पृथ्वी की वक्तव्यता समान प्रथम पृथ्वी तक जानना। जम्बूद्वीप से लेकर स्वयम्भूरमण समुद्र तक, सौधर्मकल्प से ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी तक, नैरयिकावास से लेकर वैमानिकवास तक सब आठ स्पर्श वाले हैं। भगवन् ! नैरयिकों में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! वैक्रिय और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा से उनमें पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं। कार्मण पुद्गलों की अपेक्षा से पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और चार स्पर्श कहे हैं। जीव की अपेक्षा से वे वर्णरहित यावत् स्पर्शरहित कहे हैं। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक कहना चाहिए। भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले हैं ? गौतम ! औदारिक और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा पाँच वर्ण, दो गन्ध, पाँच रस और आठ स्पर्श वाले कहे हैं। कार्मण की अपेक्षा और जीव की अपेक्षा, पूर्ववत् जानना चाहिए। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक जानना चाहिए। परन्तु इतनी विशेषता है कि वायुकायिक, औदारिक, वैक्रिय और तैजस, पुद्गलों की अपेक्षा पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले कहे हैं। शेष नैरयिकों के समान जानना चाहिए। पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों का कथन भी वायुकायिकों के समान जानना चाहिए। भगवन् ! मनुष्य कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श वाले हैं ? गौतम ! औदारिक, वैक्रिय, आहारक और तैजस पुद्गलों की अपेक्षा (मनुष्य) पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले कहे हैं। कार्मणपुद्गल और जीव की अपेक्षा से नैरयिकों के समान (कथन करना चाहिए)। वाण – व्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिकों के विषय में भी नैरयिकों के समान कथन करना चाहिए। धर्मास्तिकाय यावत् पुद्गलास्तिकाय वर्णादि से रहित हैं। विशेष यह है कि पुद्गलास्तिकाय में पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं। ज्ञानावरणीय (से लेकर) अन्तराय कर्म तक आठों कर्म, पाँच वर्ण, दो गन्ध, पाँच रस और चार स्पर्श वाले कहे हैं। भगवन् ! कृष्णलेश्या में कितने वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श कहे हैं ? गौतम ! द्रव्यलेश्या की अपेक्षा से उसमे पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श कहे हैं और भावलेश्या की अपेक्षा से वह वर्णादि रहित हैं। इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक जानना चाहिए। सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि, तथा चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन और केवलदर्शन, आभिनिबोधिकज्ञान से लेकर विभंगज्ञान (तक एवं) आहारसंज्ञा यावत् परिग्रहसंज्ञा, ये सब वर्णरहित, गन्धरहित, रसरहित और स्पर्शरहित हैं। औदारिकशरीर यावत् तैजसशरीर, ये अष्टस्पर्श वाले हैं। कार्मणशरीर, मनोयोग और वचनयोग, ये चार स्पर्श वाले हैं। काययोग अष्टस्पर्श वाला है। साकार और अनाकारोपयोग, वर्णादि से रहित है। भगवन् ! सभी द्रव्य कितने वर्णादि वाले हैं ? गौतम ! सर्वद्रव्यों में से कितने ही पाँच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाले हैं। कितने ही पाँच वर्ण यावत् चार स्पर्श वाले हैं। सर्वद्रव्यों में से कुछ (द्रव्य) एक वर्ण, एक गन्ध, एक रस और दो स्पर्श वाले हैं। सर्वद्रव्यों में से कईं वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श से रहित हैं। इसी प्रकार सभी प्रदेश और समस्त पर्यायों के विषय में भी उपर्युक्त विकल्पों का कथन करना। अतीतकाल (अद्धा) वर्ण रहित यावत् स्पर्श – रहित कहा गया है। इसी प्रकार अनागतकाल और समस्त काल है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] aha bhamte! Panaivayaveramane, java pariggahaveramane, kohavivege java michchhadamsanasallavivege–esa nam kativanne java katiphase pannatte? Goyama! Avanne, agamdhe, arase, aphase pannatte. Aha bhamte! Uppattiya, venaiya, kammaya, parinamiya–esa nam kativanna java katiphasa pannatta? Goyama! Avanna, agamdha, arasa, aphasa pannatta. Aha bhamte! Oggahe, iha, avae, dharana–esa nam kativanna java katiphasa pannatta? Goyama! Avanna, agamdha, arasa, aphasa pannatta. Aha bhamte! Utthane, kamme, bale, virie, purisakkara-parakkame–esa nam kativanne java kati phase pannatte? Goyama! Avanne, agamdhe, arase, aphase pannatte. Sattame nam bhamte! Ovasamtare kativanne java katiphase pannatte? Goyama! Avanne, agamdhe, arase, aphase pannatte. Sattame nam bhamte! Tanuvae kativanne java katiphase pannatte? Goyama! Pamchavanne, dugamdhe, pamcharase atthaphase pannatte. Evam jaha sattame tanuvae taha sattame ghanavae, ghanodadhi, pudhavi. Chhatthe ovasamtare avanne. Tanuvae java chhatthi pudhavi–eyaim atthaphasaim. Evam jaha sattamae pudhavie vattavvaya bhaniya taha java padhamae pudhavie bhaniyavvam. Jambuddive dive java sayambhuramane samudde, sohamme kappe java isipabbhara pudhavi, neraiyavasa java vemaniyavasa–eyani savvani atthaphasani. Neraiyanam bhamte! Kativanna java katiphasa pannatta? Goyama! Veuvviya-teyaim paduchcha pamchavanna, dugamdha, pamcharasa, atthaphasa pannatta. Kammagam paduchcha pamchavanna, dugamdha, pamcha-rasa, chauphasa pannatta. Jivam paduchcha avanna java aphasa pannatta. Evam java thaniyakumara. Pudhavikaiyanam–puchchha. Goyama! Oraliya-teyagaim paduchcha pamchavanna java atthaphasa pannatta. Kammagam paduchcha jaha neraiyanam. Jivam paduchcha taheva. Evam java chaurimdiya, navaram–vaukkaiya oraliya-veuvviya-teyagaim paduchcha pamchavanna java atthaphasa pannatta, sesam jaha neraiyanam. Pamchimdiyatirikkhajoniya jaha vaukkaiya. Manussanam–puchchha. Oraliya-veuvviya-aharaga-teyagaim paduchcha pamchavanna java atthaphasa pannatta. Kammagam jivam cha paduchcha jaha neraiyanam vanamamtara-joisiya-vemaniya jaha neraiya. Dhammatthikae java poggalatthikae–ee savve avanna, navaram–poggalatthikae pamchavanne, dugamdhe, pamcharase, atthaphase pannatte. Nanavaranijje java amtaraie–eyani chauphasani. Kanhalesa nam bhamte! Kativanna java katiphasa pannatta? Davvalesam paduchcha pamchavanna java atthaphasa pannatta. Bhavalesam paduchcha avanna, agamdha, arasa, aphasa pannatta. Evam java sukkalessa. Sammaditthi, michchhaditthi, sammamichchhaditthi, chakkhudamsane, achakkhudamsane, ohidamsane, kevala-damsane, abhinibohiyanane java vibbhamganane, aharasanna java pariggahasanna–eyani avannani, agamdhani, arasani, aphasani. Oraliyasarire java teyagasarire–eyani atthaphasani. Kammagasarire chauphase. Manajoge, vaijoge ya chauphase, kayajoge atthaphase. Sagarovaoge anagarovaoge ya avanne. Savvadavva nam bhamte! Kativanna java katiphasa pannatta? Goyama! Atthegatiya savvadavva pamchavanna java atthaphasa pannatta. Atthegatiya savvadavva pamchavanna java chauphasa pannatta. Atthegatiya savvadavva egavanna, egagamdha, egarasa, duphasa pannatta. Atthegatiya savvadavva avanna java aphasa pannatta. Evam savvapaesa vi, savvapajjava vi. Tiyaddha avanna java aphasa. Evam anagayaddha vi, savvaddha vi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Pranatipata – viramana yavat parigraha – viramana tatha krodhaviveka yavat mithyadarshanashalyaviveka, ina sabamem kitane varna, kitane gandha, kitane rasa aura kitane sparsha kahe haim\? Gautama ! (ye sabhi) varnarahita, gandharahita, rasarahita aura sparsharahita kahe haim. Bhagavan ! Autpattiki, vainayiki, karmiki aura parinamiki buddhi kitane varna, gandha, rasa aura sparsha vali hai\? Gautama ! Purvavat janana. Bhagavan ! Avagraha, iha, avaya aura dharana mem kitane varna, gandha, rasa aura sparsha kahe haim\? Gautama ! (ye charom) varna yavat sparsha se rahita kahe haim. Bhagavan ! Utthana, karma, bala, virya aura purushakara – parakrama, ina sabamem kitane varna, gandha, rasa aura sparsha haim\? Gautama ! Ye sabhi purvavat varnadi yavat sparsha se rahita kahe haim. Bhagavan ! Saptama avakashantara kitane varna, gandha, rasa aura sparsha vala hai\? Gautama ! Vaha varna yavat sparsha se rahita hai. Bhagavan ! Saptama tanuvata kitane varnadi vala hai\? Gautama ! Isaka kathana pranatipata ke samana karana. Vishesha yaha hai ki yaha atha sparsha vala hai. Saptama tanuvata ke samana saptama ghanavata, ghanodadhi evam saptama prithvi ke vishaya mem kahana. Chhatha avakashantara varnadi rahita hai. Chhatha tanuvata, ghanavata, ghanodadhi aura chhathi prithvi, ye saba atha sparsha vale haim. Satavim prithvi ki vaktavyata samana prathama prithvi taka janana. Jambudvipa se lekara svayambhuramana samudra taka, saudharmakalpa se ishatpragbhara prithvi taka, nairayikavasa se lekara vaimanikavasa taka saba atha sparsha vale haim. Bhagavan ! Nairayikom mem kitane varna, gandha, rasa aura sparsha kahe haim\? Gautama ! Vaikriya aura taijasa pudgalom ki apeksha se unamem pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha kahe haim. Karmana pudgalom ki apeksha se pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura chara sparsha kahe haim. Jiva ki apeksha se ve varnarahita yavat sparsharahita kahe haim. Isi prakara yavat stanitakumarom taka kahana chahie. Bhagavan ! Prithvikayika jiva kitane varna, gandha, rasa aura sparsha vale haim\? Gautama ! Audarika aura taijasa pudgalom ki apeksha pamcha varna, do gandha, pamcha rasa aura atha sparsha vale kahe haim. Karmana ki apeksha aura jiva ki apeksha, purvavat janana chahie. Isi prakara chaturindriya taka janana chahie. Parantu itani visheshata hai ki vayukayika, audarika, vaikriya aura taijasa, pudgalom ki apeksha pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha vale kahe haim. Shesha nairayikom ke samana janana chahie. Pamchendriya tiryanchayonika jivom ka kathana bhi vayukayikom ke samana janana chahie. Bhagavan ! Manushya kitane varna, gandha, rasa aura sparsha vale haim\? Gautama ! Audarika, vaikriya, aharaka aura taijasa pudgalom ki apeksha (manushya) pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha vale kahe haim. Karmanapudgala aura jiva ki apeksha se nairayikom ke samana (kathana karana chahie). Vana – vyantara, jyotishi aura vaimanikom ke vishaya mem bhi nairayikom ke samana kathana karana chahie. Dharmastikaya yavat pudgalastikaya varnadi se rahita haim. Vishesha yaha hai ki pudgalastikaya mem pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha kahe haim. Jnyanavaraniya (se lekara) antaraya karma taka athom karma, pamcha varna, do gandha, pamcha rasa aura chara sparsha vale kahe haim. Bhagavan ! Krishnaleshya mem kitane varna, gandha, rasa aura sparsha kahe haim\? Gautama ! Dravyaleshya ki apeksha se usame pamcha varna, pamcha rasa, do gandha aura atha sparsha kahe haim aura bhavaleshya ki apeksha se vaha varnadi rahita haim. Isi prakara shuklaleshya taka janana chahie. Samyagdrishti, mithyadrishti aura samyagmithyadrishti, tatha chakshudarshana, achakshudarshana, avadhidarshana aura kevaladarshana, abhinibodhikajnyana se lekara vibhamgajnyana (taka evam) aharasamjnya yavat parigrahasamjnya, ye saba varnarahita, gandharahita, rasarahita aura sparsharahita haim. Audarikasharira yavat taijasasharira, ye ashtasparsha vale haim. Karmanasharira, manoyoga aura vachanayoga, ye chara sparsha vale haim. Kayayoga ashtasparsha vala hai. Sakara aura anakaropayoga, varnadi se rahita hai. Bhagavan ! Sabhi dravya kitane varnadi vale haim\? Gautama ! Sarvadravyom mem se kitane hi pamcha varna yavat atha sparsha vale haim. Kitane hi pamcha varna yavat chara sparsha vale haim. Sarvadravyom mem se kuchha (dravya) eka varna, eka gandha, eka rasa aura do sparsha vale haim. Sarvadravyom mem se kaim varna, gandha, rasa aura sparsha se rahita haim. Isi prakara sabhi pradesha aura samasta paryayom ke vishaya mem bhi uparyukta vikalpom ka kathana karana. Atitakala (addha) varna rahita yavat sparsha – rahita kaha gaya hai. Isi prakara anagatakala aura samasta kala hai. |