Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004040
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१२

Translated Chapter :

शतक-१२

Section : उद्देशक-४ पुदगल Translated Section : उद्देशक-४ पुदगल
Sutra Number : 540 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइओरालियपोग्गलपरियट्टे-ओरालियपोग्गलपरियट्टे? गोयमा! जण्णं जीवेणं ओरालियसरीरे वट्टमाणेणं ओरालियसरीरपायोग्गाइं दव्वाइं ओरालिय -सरीरत्ताए गहियाइं बद्धाइं पुट्ठाइं कडाइं पट्ठवियाइं निविट्ठाइं अभिनिविट्ठाइं अभिसमण्णागयाइं परियादियाइं परिणामियाइं निज्जिण्णाइं निसिरियाइं निसिट्ठाइं भवंति से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइओरालियपोग्गलपरियट्टे-ओरालियपोग्गलपरियट्टे एवं वेउव्वियपोग्गलपरियट्टेवि, नवरंवेउव्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउव्वियसरीरप्पायोग्गाइं दव्वाइं वेउव्वियसरीरत्ताए गहियाइं, सेसं तं चेव सव्वं, एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरंआणापाणुपायोग्गाइं सव्वदव्वाइं आणापाणुत्ताए गहियाइं, सेसं तं चेव ओरालियपोग्गलपरियट्टे णं भंते! केवइकालस्स निव्वत्तिज्जइ? गोयमा! अनंताहिं ओसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहिं एवतिकालस्स निव्वत्तिज्जइ एवं वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे वि एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टेवि एयस्स णं भंते! ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टनिव्व-त्तणाकालस्स जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अनंतगुणे, ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अनंतगुणे, आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणा-काले अनंतगुणे, मणपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अनंतगुणे, वइपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अनंत-गुणे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अनंतगुणे
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! यह औदारिक पुद्‌गलपरिवर्त्त, औदारिक पुद्‌गलपरिवर्त्त किसलिए कहा जाता है ? गौतम ! औदारिकशरीर में रहते हुए जीव ने औदारिकशरीर योग्य द्रव्यों को औदारिकशरीर के रूप में ग्रहण किए हैं, बद्ध किए हैं, स्पृष्ट किए हैं; उन्हें (पूर्वपरिणामापेक्षया परिणामान्तर) किया है; उन्हें प्रस्थापित किया है; स्थापित किए हैं, जीव के साथ सर्वथा संलग्न किए हैं; जीव ने रसानुभूति का आश्रय लेकर सबको समाप्त किया है (जीव ने रसग्रहण द्वारा सभी अवयवों से उन्हें) पर्याप्त कर लिए हैं परिणामान्तर प्राप्त कराए हैं, निर्जीर्ण किए हैं, पृथक्‌ किए हैं, अपने प्रदेशों से परित्यक्त किए हैं हे गौतम ! इसी कारण से औदारिक पुद्‌गलपरिवर्त्त औदारिक पुद्‌गल परिवर्त्त कहलाता है इसी प्रकार वैक्रिय पुद्‌गलपरिवर्त्त के विषय में भी कहना इतना विशेष है कि जीव ने वैक्रियशरीर में रहते हुए वैक्रियशरीर योग्य द्रव्यों को वैक्रियशरीर के रूप में ग्रहण किए हैं, इत्यादि शेष सब कथन पूर्ववत्‌ इसी प्रकार यावत्‌ आन प्राण पुद्‌गलपरिवर्त्त तक कहना चाहिए विशेष यह है कि आन प्राण योग्य समस्त द्रव्यों को आन प्राण रूप से जीव ने ग्रहण किए हैं, इत्यादि (सब कथन करना चाहिए) शेष पूर्ववत्‌ भगवन्‌ ! औदारिक पुद्‌गलपरिवर्त्त कितने काल में निर्वर्तित निष्पन्न होता है ? गौतम ! अनन्त उत्सर्पिणी और अवसर्पिणीकाल में निष्पन्न होता है इसी प्रकार वैक्रिय पुद्‌गलपरिवर्त्त तथा यावत्‌ आन प्राण पुद्‌गलपरिवर्त्त (का निष्पत्तिकाल जानना चाहिए) भगवन्‌ ! औदारिक पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तना काल, यावत्‌ आन प्राण पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल, इन (सातों) में से कौन सा काल, किस काल से अल्प यावत्‌ विशेषाधिक है ? गौतम ! सबसे थोड़ा कार्मण पुद्‌गल परिवर्त्त का निर्वर्त्तना काल है उससे तैजस पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है उससे औदारिक पुद्‌गल परिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है और उससे आन प्राण पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है उससे मनः पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है उससे वचन पुद्‌गलपरिवर्त्त निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है और उससे वैक्रिय पुद्‌गलपरिवर्त्त का निर्वर्त्तनाकाल अनन्तगुणा है
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se kenatthenam bhamte! Evam vuchchaioraliyapoggalapariyatte-oraliyapoggalapariyatte? Goyama! Jannam jivenam oraliyasarire vattamanenam oraliyasarirapayoggaim davvaim oraliya -sarirattae gahiyaim baddhaim putthaim kadaim patthaviyaim nivitthaim abhinivitthaim abhisamannagayaim pariyadiyaim parinamiyaim nijjinnaim nisiriyaim nisitthaim bhavamti. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchaioraliyapoggalapariyatte-oraliyapoggalapariyatte. Evam veuvviyapoggalapariyattevi, navaramveuvviyasarire vattamanenam veuvviyasarirappayoggaim davvaim veuvviyasarirattae gahiyaim, sesam tam cheva savvam, evam java anapanupoggalapariyatte, navaramanapanupayoggaim savvadavvaim anapanuttae gahiyaim, sesam tam cheva Oraliyapoggalapariyatte nam bhamte! Kevaikalassa nivvattijjai? Goyama! Anamtahim osappinihim ussappinihim evatikalassa nivvattijjai. Evam veuvviyapoggalapariyatte vi. Evam java anapanupoggalapariyattevi. Eyassa nam bhamte! Oraliyapoggalapariyattanivvattanakalassa, veuvviyapoggalapariyattanivva-ttanakalassa java anapanupoggalapariyattanivvattanakalassa ya kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthove kammagapoggalapariyattanivvattanakale, teyapoggalapariyattanivvattanakale anamtagune, oraliyapoggalapariyattanivvattanakale anamtagune, anapanupoggalapariyattanivvattana-kale anamtagune, manapoggalapariyattanivvattanakale anamtagune, vaipoggalapariyattanivvattanakale anamta-gune, veuvviyapoggalapariyattanivvattanakale anamtagune.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Yaha audarika pudgalaparivartta, audarika pudgalaparivartta kisalie kaha jata hai\? Gautama ! Audarikasharira mem rahate hue jiva ne audarikasharira yogya dravyom ko audarikasharira ke rupa mem grahana kie haim, baddha kie haim, sprishta kie haim; unhem (purvaparinamapekshaya parinamantara) kiya hai; unhem prasthapita kiya hai; sthapita kie haim, jiva ke satha sarvatha samlagna kie haim; jiva ne rasanubhuti ka ashraya lekara sabako samapta kiya hai. (jiva ne rasagrahana dvara sabhi avayavom se unhem) paryapta kara lie haim. Parinamantara prapta karae haim, nirjirna kie haim, prithak kie haim, apane pradeshom se parityakta kie haim. He gautama ! Isi karana se audarika pudgalaparivartta audarika pudgala parivartta kahalata hai. Isi prakara vaikriya pudgalaparivartta ke vishaya mem bhi kahana. Itana vishesha hai ki jiva ne vaikriyasharira mem rahate hue vaikriyasharira yogya dravyom ko vaikriyasharira ke rupa mem grahana kie haim, ityadi shesha saba kathana purvavat. Isi prakara yavat ana prana pudgalaparivartta taka kahana chahie. Vishesha yaha hai ki ana prana yogya samasta dravyom ko ana prana rupa se jiva ne grahana kie haim, ityadi (saba kathana karana chahie). Shesha purvavat. Bhagavan ! Audarika pudgalaparivartta kitane kala mem nirvartita nishpanna hota hai\? Gautama ! Ananta utsarpini aura avasarpinikala mem nishpanna hota hai. Isi prakara vaikriya pudgalaparivartta tatha yavat ana prana pudgalaparivartta (ka nishpattikala janana chahie). Bhagavan ! Audarika pudgalaparivartta nirvarttana kala, yavat ana prana pudgalaparivartta nirvarttanakala, ina (satom) mem se kauna sa kala, kisa kala se alpa yavat visheshadhika hai\? Gautama ! Sabase thora karmana pudgala parivartta ka nirvarttana kala hai. Usase taijasa pudgalaparivartta nirvarttanakala anantaguna hai. Usase audarika pudgala parivartta nirvarttanakala anantaguna hai aura usase ana prana pudgalaparivartta nirvarttanakala anantaguna hai. Usase manah pudgalaparivartta nirvarttanakala anantaguna hai. Usase vachana pudgalaparivartta nirvarttanakala anantaguna hai aura usase vaikriya pudgalaparivartta ka nirvarttanakala anantaguna hai.