Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1004021
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-११

Translated Chapter :

शतक-११

Section : उद्देशक-११ काल Translated Section : उद्देशक-११ काल
Sutra Number : 521 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवानुप्पिया! हत्थिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढणं करेह, करेत्ता हत्थिणापुरं नगरं सब्भिंतरबाहिरियं आसिय-संमज्जिओवलित्तं जाव गंधवट्टिभूयं करेह कारवेह , करेत्ता कारवेत्ता जूवसहस्सं वा चक्कसहस्सं वा पूयामहामहिमसंजुत्तं उस्सवेह, उस्सवेत्ता ममे-तमाणत्तियं पच्चप्पिणह तए णं ते कोडुंबियपुरिसा बलेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा जाव तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति तए णं से बले राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं चेव जाव मज्जणघराओ पडिनिक्ख-मइ, पडिनिक्खमित्ता उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठं अदेज्जं अमेज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरनाडइज्जकलियं अनेग-तालाचराणुचरियं अणुद्धुयमुइंग अमिलायमल्लदामं पमुइयपक्कीलियं सपुरजणजाणवयं दसदिवसे ठिइवडियं करेति तए णं से बले राया दसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए साहस्सिए सयसाहस्सिए जाए दाए भाए दलमाणे दवावेमाणे , सइए सयसाहस्सिए लंभे पडिच्छमाणे पडिच्छावेमाणे एवं यावि विहरइ तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेइ, तइए दिवसे चंदसूरदंसावणियं करेइ, छट्ठे दिवसे जागरियं करेइ, एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसमे दिवसे विउलं असनं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं रायाणो खत्तिए आमंतेति, आमंतेत्ता तओ पच्छा ण्हाया तं चेव जाव सक्कारेंति सम्माणेंति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजनस्स राईण खत्तियाण पुरओ अज्जय-पज्जय पिउपज्जयागयं बहुपुरिसपरंपरप्परूढं कुलाणुरूवं कुलसरिसं कुलसंताणतंतुबद्धणकरं अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करेंति जम्हा णं अम्हं इमे दारए बलस्स रन्नो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं महब्बले-महब्बले तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेंति महब्बले त्ति तए णं से महब्बले दारए पंचधाईपरिग्गहिए, [तं जहाखीरधाईए], एवं जहा दढपइण्णस्स जाव निव्वाय-निव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्ढति तए णं तस्स महब्बलस्स दारगस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं ठिइवडियं वा चंदसूरदंसावणियं वा जागरियं वा नाम-करणं वा परंगामणं वा पचंकामणं वा पंजेमामणं वा पिंडवद्धणं वा पजंपावणं वा कण्णवेहणं वा संवच्छरपडिलेहणं वा चोलोयणगं वा उवणयणं वा, अन्नाणि बहूणि गब्भाधाण-जम्मणमादियाइं कोउयाइं करेंति तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासगं जाणित्ता सोभणंसि तिहि-करण-नक्खत्त-मुहुत्तंसि कला-यरियस्स उवणेंति, एवं जहा दढप्पइण्णे जाव अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था तए णं तं महब्बलं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाव अलंभोगसमत्थं विजाणित्ता अम्मापियरो अट्ठ पासायवडेंसए कारेंतिअब्भुग्गय-मूसिय-पहसिए इव वण्णओ जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे तेसि णं पासायवडेंसगाणं बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महेगं भवणं कारेंतिअनेग-खंभसयसंनिविट्ठं वण्णओ जहा रायप्पसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे
Sutra Meaning : इसके पश्चात्‌ बल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और उन्हें इस प्रकार कहा देवानुप्रियो ! हस्तिना पुर नगर में शीघ्र ही चारक शोधन अर्थात्‌ बन्दियों का विमोचन करो, और मान तथा उन्मान में वृद्धि करो फिर हस्तिनापुर नगर के बाहर और भीतर छिड़काव करो, सफाई करो और लीप पोत कर शुद्धि (यावत्‌) करो कराओ तत्पश्चात्‌ यूप सहस्त्र और चक्रसहस्त्र की पूजा, महामहिमा और सत्कारपूर्वक उत्सव करो मेरे इस आदेशानुसार कार्य करके मुझे पुनः निवेदन करो तदनन्तर बल राजा के उपर्युक्त आदेशानुसार यावत्‌ कार्य करके उन कौटुम्बिक पुरुषों ने आज्ञानुसार कार्य हो जाने का निवेदन किया तत्पश्चात्‌ बल राजा व्यायामशाला में गए व्यायाम किया, इत्यादि वर्णन पूर्ववत्‌, यावत्‌ बल राजा स्नानगृह से नीकले प्रजा से शुल्क तथा कर लेना बन्द कर दिया, भूमि के कर्षण जोतने का निषेध कर दिया, क्रय, विक्रय का निषेध कर देने से किसी को कुछ मूल्य देना, या नाप तौल करना रहा कुटुम्बिकों के घरों में सुभटों का प्रवेश बन्द करा दिया राजदण्ड से प्राप्य दण्ड द्रव्य तथा अपराधीयों को दिए गए कुदण्ड से प्राप्य द्रव्य लेने का निषेध कर दिया किसी को ऋणी रहने दिया जाए इसके अतिरिक्त प्रधान गणिकाओं तथा नाटकसम्बन्धी पात्रों से युक्त था अनेक प्रकार के तालानुचरों द्वारा निरन्तर करताल आदि तथा वादकों द्वारा मृदंग उन्मुक्त रूप से बजाए जा रहे थे बिना कुम्हलाई हुई पुष्पमालाओं उसमें आमोद प्रमोद और खेलकूद करने वाले अनेक लोग भी थे इस प्रकार दस दिनों तक राजा द्वारा पुत्रजन्म महोत्सव प्रक्रिया होती रही इन दस दिनों की पुत्रजन्म संबंधी महोत्सव प्रक्रिया जब प्रवृत्त हो रही थी, तब बल राजा सैकड़ों, हजारों और लाखों रूपयों के खर्च वाले याग कार्य करता रहा तथा दान और भाग देता और दिलवाता हुआ एवं सैकड़ों, हजारों और लाखों रुपयों के लाभ देता और स्वीकारता रहा तदनन्तर उस बालक के माता पिता ने पहले दिन कुल मर्यादा अनुसार प्रक्रिया की तीसरे दिन (बालक को) चन्द्र सूर्य दर्शन की क्रिया की छठे दिन जागरिका की ग्यारह दिन व्यतीत होने पर अशुचि जातककर्म से निवृत्ति की बारहवाँ दिन आने पर विपुल अशन, पान, खादिम, स्वादिम तैयार कराया फिर शिव राजा के समान यावत्‌ समस्त क्षत्रियों यावत्‌ ज्ञातिजनों को आमंत्रित किया और भोजन कराया इसके पश्चात्‌ स्नान एवं बलिकर्म किए हुए राजा ने उन सब मित्र, ज्ञातिजन आदि का सत्कार सम्मान किया और फिर उन्हीं मित्र, ज्ञातिजन यावत्‌ राजा और क्षत्रियों के समक्ष अपने पितामह, प्रतिपतामह एवं पिता के प्रपितामह आदि से चले आत हुए, अनेक पुरुषों की परम्परा से रूढ़, कुल के अनुरूप, कुल के सदृश कुलरूप सन्तान तन्तु की वृद्धि करने वाला, गुणयुक्त एवं गुणनिष्पन्न ऐसा नामकरण करते हुए कहा चूं कि हमारा यह बालक राजा का पुत्र और प्रभावती देवी का आत्मज है, इसलिए हमारे इस बालक का महाबल नाम हो अत एव उसका नाम महाबल रखा तदनन्तर उस बालक महाबल कुमार का . क्षीरधात्री, . मज्जनधात्री, . मण्डनधात्री, . क्रीड़नधात्री और . अंकधात्री, इन पाँच धात्रिओं द्वारा राजप्रश्नीयसूत्र में वर्णित दृढ़प्रतिज्ञ कुमार के समान लालन पालन होने लगा यावत्‌ वह महाबल कुमार वायु और व्याघात से रहित स्थान में रही हुई चम्पकलता के समान अत्यन्त सुख पूर्वक बढ़ने लगा साथ ही, महाबल कुमार के माता पिता ने अपनी कुलमर्यादा की परम्परा के अनुसार क्रमशः चन्द्र सूर्य दर्शन, जागरण, नामकरण, घुटनों के बल चलना, पैरों से चलना, अन्नप्राशन, ग्रासवर्द्धन, संभाषण, कर्णवेधन, संवत्सरप्रतिलेखन, नक्खत्तः शिखा रखवाना और उपनयन संस्कार करना, इत्यादि तथा अन्य बहुत से गर्भाधान, जन्म महोत्सव आदि कौतुक किए फिर उस महाबल कुमार के माता पिता ने उसे आठ वर्ष से कुछ अधिक वय का जानकर शुभ तिथि, करण, नक्षत्र और मुहूर्त्त के कलाचार्य के यहाँ पढ़ने भेजा, इत्यादि वर्णन दृढ़प्रतिज्ञकुमार के अनुसार करना, यावत्‌ महाबल कुमार भोगों में समर्थ हुआ महाबलकुमार को बालभाव से उन्मुक्त यावत्‌ पूरी तरह भोग समर्थ जानकर माता पिता ने उसके लिए आठ सर्वोत्कृष्ट प्रासाद बनवाए वे प्रासाद अत्यन्त ऊंचे यावत्‌ सुन्दर थे उन आठ श्रेष्ठ प्रासादों के ठीक मध्य में एक महाभवन तैयार करवाया, जो अनेक सैकड़ों स्तंभों पर टिका हुआ था, यावत्‌ वह अतीव सुन्दर था
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se bale raya kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasikhippameva bho devanuppiya! Hatthinapure nayare charagasohanam kareha, karetta manummanavaddhanam kareha, karetta hatthinapuram nagaram sabbhimtarabahiriyam asiya-sammajjiovalittam java gamdhavattibhuyam kareha ya karaveha ya, karetta ya karavetta ya juvasahassam va chakkasahassam va puyamahamahimasamjuttam ussaveha, ussavetta mame-tamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te kodumbiyapurisa balenam ranna evam vutta samana hatthatuttha java tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam se bale raya jeneva attanasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta tam cheva java majjanagharao padinikkha-mai, padinikkhamitta ussukkam ukkaram ukkittham adejjam amejjam abhadappavesam adamdakodamdimam adharimam ganiyavaranadaijjakaliyam anega-talacharanuchariyam anuddhuyamuimga amilayamalladamam pamuiyapakkiliyam sapurajanajanavayam dasadivase thiivadiyam kareti. Tae nam se bale raya dasahiyae thiivadiyae vattamanie saie ya sahassie ya sayasahassie ya jae ya dae ya bhae ya dalamane ya davavemane ya, saie ya sayasahassie ya lambhe padichchhamane ya padichchhavemane ya evam yavi viharai. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro padhame divase thiivadiyam karei, taie divase chamdasuradamsavaniyam karei, chhatthe divase jagariyam karei, ekkarasame divase viikkamte nivvatte asuijayakammakarane sampatte barasame divase viulam asanam panam khaimam saimam uvakkhadavemti, uvakkhadavetta mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanam rayano ya khattie ya amamteti, amamtetta tao pachchha nhaya tam cheva java sakkaremti sammanemti, sakkaretta sammanetta tasseva mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanassa raina ya khattiyana ya purao ajjaya-pajjaya piupajjayagayam bahupurisaparamparapparudham kulanuruvam kulasarisam kulasamtanatamtubaddhanakaram ayameyaruvam gonnam gunanipphannam namadhejjam karemti jamha nam amham ime darae balassa ranno putte pabhavatie devie attae, tam hou nam amham imassa daragassa namadhejjam mahabbale-mahabbale. Tae nam tassa daragassa ammapiyaro namadhejjam karemti mahabbale tti. Tae nam se mahabbale darae pamchadhaipariggahie, [tam jahakhiradhaie], evam jaha dadhapainnassa java nivvaya-nivvaghayamsi suhamsuhenam parivaddhati. Tae nam tassa mahabbalassa daragassa ammapiyaro anupuvvenam thiivadiyam va chamdasuradamsavaniyam va jagariyam va nama-karanam va paramgamanam va pachamkamanam va pamjemamanam va pimdavaddhanam va pajampavanam va kannavehanam va samvachchharapadilehanam va choloyanagam va uvanayanam va, annani ya bahuni gabbhadhana-jammanamadiyaim kouyaim karemti. Tae nam tam mahabbalam kumaram ammapiyaro satiregatthavasagam janitta sobhanamsi tihi-karana-nakkhatta-muhuttamsi kala-yariyassa uvanemti, evam jaha dadhappainne java alambhogasamatthe jae yavi hottha. Tae nam tam mahabbalam kumaram ummukkabalabhavam java alambhogasamattham vijanitta ammapiyaro attha pasayavademsae karemtiabbhuggaya-musiya-pahasie iva vannao jaha rayappasenaijje java padiruve. Tesi nam pasayavademsaganam bahumajjhadesabhage, ettha nam mahegam bhavanam karemtianega-khambhasayasamnivittham vannao jaha rayappasenaijje pechchhagharamamdavamsi java padiruve.
Sutra Meaning Transliteration : Isake pashchat bala raja ne kautumbika purushom ko bulaya aura unhem isa prakara kaha devanupriyo ! Hastina pura nagara mem shighra hi charaka shodhana arthat bandiyom ka vimochana karo, aura mana tatha unmana mem vriddhi karo. Phira hastinapura nagara ke bahara aura bhitara chhirakava karo, saphai karo aura lipa pota kara shuddhi (yavat) karo karao. Tatpashchat yupa sahastra aura chakrasahastra ki puja, mahamahima aura satkarapurvaka utsava karo. Mere isa adeshanusara karya karake mujhe punah nivedana karo. tadanantara bala raja ke uparyukta adeshanusara yavat karya karake una kautumbika purushom ne ajnyanusara karya ho jane ka nivedana kiya. Tatpashchat bala raja vyayamashala mem gae. Vyayama kiya, ityadi varnana purvavat, yavat bala raja snanagriha se nikale. Praja se shulka tatha kara lena banda kara diya, bhumi ke karshana jotane ka nishedha kara diya, kraya, vikraya ka nishedha kara dene se kisi ko kuchha mulya dena, ya napa taula karana na raha. Kutumbikom ke gharom mem subhatom ka pravesha banda kara diya. Rajadanda se prapya danda dravya tatha aparadhiyom ko die gae kudanda se prapya dravya lene ka nishedha kara diya kisi ko rini na rahane diya jae. Isake atirikta pradhana ganikaom tatha natakasambandhi patrom se yukta tha. Aneka prakara ke talanucharom dvara nirantara karatala adi tatha vadakom dvara mridamga unmukta rupa se bajae ja rahe the. Bina kumhalai hui pushpamalaom usamem amoda pramoda aura khelakuda karane vale aneka loga bhi the. Isa prakara dasa dinom taka raja dvara putrajanma mahotsava prakriya hoti rahi. Ina dasa dinom ki putrajanma sambamdhi mahotsava prakriya jaba pravritta ho rahi thi, taba bala raja saikarom, hajarom aura lakhom rupayom ke kharcha vale yaga karya karata raha tatha dana aura bhaga deta aura dilavata hua evam saikarom, hajarom aura lakhom rupayom ke labha deta aura svikarata raha. Tadanantara usa balaka ke mata pita ne pahale dina kula maryada anusara prakriya ki. Tisare dina (balaka ko) chandra surya darshana ki kriya ki. Chhathe dina jagarika ki. Gyaraha dina vyatita hone para ashuchi jatakakarma se nivritti ki. Barahavam dina ane para vipula ashana, pana, khadima, svadima taiyara karaya. Phira shiva raja ke samana yavat samasta kshatriyom yavat jnyatijanom ko amamtrita kiya aura bhojana karaya. Isake pashchat snana evam balikarma kie hue raja ne una saba mitra, jnyatijana adi ka satkara sammana kiya aura phira unhim mitra, jnyatijana yavat raja aura kshatriyom ke samaksha apane pitamaha, pratipatamaha evam pita ke prapitamaha adi se chale ata hue, aneka purushom ki parampara se rurha, kula ke anurupa, kula ke sadrisha kularupa santana tantu ki vriddhi karane vala, gunayukta evam gunanishpanna aisa namakarana karate hue kaha chum ki hamara yaha balaka raja ka putra aura prabhavati devi ka atmaja hai, isalie hamare isa balaka ka mahabala nama ho. Ata eva usaka nama mahabala rakha. Tadanantara usa balaka mahabala kumara ka 1. Kshiradhatri, 2. Majjanadhatri, 3. Mandanadhatri, 4. Kriranadhatri aura 5. Amkadhatri, ina pamcha dhatriom dvara rajaprashniyasutra mem varnita drirhapratijnya kumara ke samana lalana palana hone laga yavat vaha mahabala kumara vayu aura vyaghata se rahita sthana mem rahi hui champakalata ke samana atyanta sukha purvaka barhane laga. Satha hi, mahabala kumara ke mata pita ne apani kulamaryada ki parampara ke anusara kramashah chandra surya darshana, jagarana, namakarana, ghutanom ke bala chalana, pairom se chalana, annaprashana, grasavarddhana, sambhashana, karnavedhana, samvatsarapratilekhana, nakkhattah shikha rakhavana aura upanayana samskara karana, ityadi tatha anya bahuta se garbhadhana, janma mahotsava adi kautuka kie. Phira usa mahabala kumara ke mata pita ne use atha varsha se kuchha adhika vaya ka janakara shubha tithi, karana, nakshatra aura muhurtta ke kalacharya ke yaham parhane bheja, ityadi varnana drirhapratijnyakumara ke anusara karana, yavat mahabala kumara bhogom mem samartha hua. Mahabalakumara ko balabhava se unmukta yavat puri taraha bhoga samartha janakara mata pita ne usake lie atha sarvotkrishta prasada banavae. Ve prasada atyanta umche yavat sundara the. Una atha shreshtha prasadom ke thika madhya mem eka mahabhavana taiyara karavaya, jo aneka saikarom stambhom para tika hua tha, yavat vaha ativa sundara tha.