Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003786
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-६

Translated Chapter :

शतक-६

Section : उद्देशक-४ सप्रदेशक Translated Section : उद्देशक-४ सप्रदेशक
Sutra Number : 286 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जीवे णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसे? अपदेसे? गोयमा! नियमा सपदेसे। नेरइए णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसे? अपदेसे? गोयमा! सिय सपदेसे, सिय अपदेसे। एवं जाव सिद्धे। जीवा णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा? अपदेसा? गोयमा! नियमा सपदेसा। नेरइया णं भंते! कालादेसेणं किं सपदेसा? अपदेसा? गोयमा! १. सव्वे वि ताव होज्जा सपदेसा २. अहवा सपदेसा य अपदेसे य ३. अहवा सपदेसा य अपदेसा य। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविकाइया णं भंते! किं सपदेसा? अपदेसा? गोयमा! सपदेसा वि, अपदेसा वि। एवं जाव वणप्फइकाइया। सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा। आहारगाणं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। अनाहारगाणं जीवेगिंदियवज्जा छब्भंगा एवं भाणियव्वा–१. सपदेसा वा, २. अपदेसा वा, ३. अहवा सपदेसे य अपदेसे य, ४. अहवा सपदेसे य अपदेसा य, ५. अहवा सपदेसा य अपदेसे य, ६. अहवा सपदेसा य अपदेसा य। सिद्धेहिं तियभंगो। भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया जहा ओहिया। नोभवसिद्धिय-नोअभवसिद्धिय-जीव-सिद्धेहिं तिय-भंगो। सण्णीहिं जीवादिओ तियभंगो। असण्णीहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरइयदेवमणुएहिं छब्भंगो। नोसण्णि-नोअसण्णि-जीव-मनुय-सिद्धेहिं तियभंगो। सलेसा जहा ओहिया। कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा जहा आहारओ, नवरं–जस्स अत्थि एयाओ। तेउलेस्साए जीवादिओ तियभंगो, नवरं–पुढविक्काइएसु, आउवणप्फतीसु छब्भंगा। पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साए जीवादिओ तियभंगो। अलेसेहिं जीव-सिद्धेहिं तियभंगो। मणुएसु छब्भंगा। सम्मद्दिट्ठीहिं जीवादिओ तियभंगो। विगलिंदिएसु छब्भंगा। मिच्छदिट्ठीहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। सम्मामिच्छदिट्ठीहिं छब्भंगा। संजएहिं जीवादिओ तियभंगो। अस्संजएहिं एगिंदियवज्जो तियभंगो। संजयासंजएहिं तियभंगो जीवादिओ। नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजयासंजय-जीव-सिद्धेहिं तियभंगो। सकसाईहिं जीवादिओ तियभंगो। एगिंदिएसु अभंगकं। कोहकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। देवेहिं छब्भंगा। मानकसाई-मायाकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरइय-देवेहिं छब्भंगा। लोभकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। नेरइएसु छब्भंगा अकसाई-जीव-मणुएहिं, सिद्धेहिं तियभंगो। ओहियनाणे, आभिनिबोहियनाणे, सुयनाणे जीवादिओ तियभंगो। विगलिंदिएहिं छब्भंगा। ओहिनाणे मनपज्जवनाणे केवलनाणे जीवादिओ तियभंगो। ओहिए अन्नाणे, मइअन्नाणे, सुयअन्नाणे, एगिंदियवज्जो तियभंगो। विभंगनाणे जीवादिओ तियभंगो। सजोगी जहा ओहिओ, मनजोगी, वइजोगी, कायजोगी जीवादिओ तियभंगो, नवरं–कायजोगी एगिंदिया, तेसु अभंगयं। अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्त-अनागारोवउत्तेहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। सवेदगा जहा सकसाई। इत्थिवेदग-पुरिसवेदग-नपुंसगवेदगेसु जीवादिओ तियभंगो, नवरं–नपुंसगवेदे एगिंदिएसु अभंगयं। अवेदगा जहा अकसाई। ससरीरी जहा ओहिओ। ओरालिय-वेउव्वियसरीराणं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। आहारगसरीरे जीव-मणुएसु छब्भंगा, तेयग-कम्मगाइं जहा ओहिया। असरीरेहिं जीव-सिद्धेहिं तियभंगो। आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, आणापाणपज्जत्तीए जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो, भासा-मनपज्जत्तीए जहा सण्णी। आहार-अपज्जत्तीए जहा अनाहारगा, सरीर-अपज्जत्तीए, इंदिय-अपज्जत्तीए, आणापान-अपज्जत्तीए जीवेगिंदियवज्जो तिय-भंगो, नेरइय-देव-मणुएहिं छब्भंगा, भासा-मनअपज्जत्तीए जीवादिओ तियभंगो, नेरइय-देव-मणुएहिं छब्भंगा।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्या जीव कालादेश से सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! कालादेश से जीव नियमतः सप्रदेश हैं। भगवन्‌ ! क्या नैरयिक जीव कालादेश से सप्रदेश है या अप्रदेश हैं ? गौतम ! एक नैरयिक जीव कालादेश से कदाचित्‌ सप्रदेश है और कदाचित्‌ अप्रदेश है। इस प्रकार यावत्‌ एक सिद्ध – जीव – पर्यन्त कहना चाहिए। भगवन्‌ ! कालादेश की अपेक्षा बहुत जीव सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! अनेक जीव कालादेश की अपेक्षा नियमतः सप्रदेश हैं। भगवन्‌ ! नैरयिक जीव कालादेश की अपेक्षा क्या सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! १. सभी (नैरयिक) सप्रदेश हैं, २. बहुत – से सप्रदेश और एक अप्रदेश है, और ३. बहुत – से और बहुत – से अप्रदेश हैं। इसी प्रकार यावत्‌ स्तनितकुमारों तक कहना चाहिए। भगवन्‌ ! पृथ्वीकायिक जीव सप्रदेश हैं या अप्रदेश हैं ? गौतम ! पृथ्वीकायिक जीव सप्रदेश भी है, अप्रदेश भी हैं। इसी प्रकार यावत्‌ वनस्पतिकायिक तक कहना चाहिए। नैरयिक जीवों के समान सिद्धपर्यन्त शेष सभी जीवों के लिए कहना चाहिए। जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर शेष सभी आहारक जीवों के लिए तीन भंग कहने चाहिए, यथा – (१) सभी प्रदेश, (२) बहुत सप्रदेश और एक अप्रदेश और (३) बहुत सप्रदेश और बहुत अप्रदेश। अनाहारक जीवों के लिए एकेन्द्रिय को छोड़कर छह भंग इस प्रकार कहने चाहिए, यथा – (१) सभी सप्रदेश, (२) सभी अप्रदेश, (३) एक सप्रदेश और एक अप्रदेश, (४) एक सप्रदेश और बहुत अप्रदेश, (५) बहुत सप्रदेश और एक अप्रदेश और (६) बहुत सप्रदेश और बहुत अप्रदेश। सिद्धों के लिए तीन भंग कहने चाहिए। भवसिद्धिक और अभवसिद्धिक जीवों के लिए औघिक जीवों की तरह कहना चाहिए। नौभवसिद्धिक – नोअभवसिद्धिक जीव और सिद्धों में (पूर्ववत्‌) तीन भंग कहने चाहिए। संज्ञी जीवोंमें जीव आदि तीन भंग कहने चाहिए। असंज्ञी जीवोंमें एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहना। नैरयिक, देव और मनुष्योंमें छ भंग कहने चाहिए। नोसंज्ञी – नोअसंज्ञी जीव, मनुष्य और सिद्धों में तीन भंग कहना। सलेश्य जीवों का कथन, औघिक जीवों की तरह करना चाहिए। कृष्णलेश्या, नीललेश्या, कापोतलेश्या वाले जीवों का कथन आहारक जीव की तरह करना चाहिए। किन्तु इतना विशेष है कि जिसके जो लेश्या हो, उसके वह लेश्या कहनी चाहिए। तेजोलेश्या में जीव आदि तीन भंग कहने चाहिए; किन्तु इतनी विशेषता है कि पृथ्वीकायिक, अप्कायिक और वनस्पतिकायिक जीवों में छह भंग कहने चाहिए। पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या में जीवादिक तीन भंग कहने चाहिए। अलेश्य जीव और सिद्धों में तीन भंग कहने चाहिए तथा अलेश्य मनुष्यों में छह भंग कहने चाहिए सम्यग्दृष्टि जीवों में जीवादिक तीन भंग कहने चाहिए। विकलेन्द्रियों में छह भंग कहने चाहिए। मिथ्यादृष्टि जीवों में एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। सम्यग्‌मिथ्यादृष्टि जीवों में छह भंग कहने चाहिए। संयतों में जीवादि तीन भंग कहने चाहिए। असंयतों में एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। संयतासंयत जीवों में जीवादि तीन भंग कहने चाहिए। नोसंयत – नोअसंयत – नोसंयतासंयत जीव और सिद्धों में तीन भंग कहने चाहिए। सकषायी जीवों में जीवादि तीन भंग कहने चाहिए। एकेन्द्रिय (सकषायी) में अभंगक कहना चाहिए। क्रोधकषायी जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। मानकषायी और मायाकषायी जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। नैरयिकों और देवों में छह भंग कहने चाहिए। लोभकषायी जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। नैरयिक जीवों में छह भंग कहने चाहिए। अकषायी जीवों, जीव, मनुष्य और सिद्धों में तीन भंग कहने चाहिए। औघिकज्ञान, आभिनिबोधिकज्ञान और श्रुतज्ञान में जीवादि तीन भंग कहना। विकलेन्द्रियों में छह भंग कहना। अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान और केवलज्ञान में जीवादि तीन भंग कहना। औघिक अज्ञान, मति – अज्ञान और श्रुत – अज्ञान में एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहना। विभंगज्ञान में जीवादि तीन भंग कहने चाहिए। जिस प्रकार औघिक जीवों का कथन किया, उसी प्रकार सयोगी जीवों का कथन करना चाहिए। मनोयोगी वचनयोगी और काययोगी में जीवादि तीन भंग कहने चाहिए। विशेषता यह है कि जो काययोगी एकेन्द्रिय होते हैं, उनमें अभंगक होता है। अयोगी जीवों का कथन अलेश्यजीवों के समान कहना चाहिए। साकार – उपयोगवाले और अनाकार – उपयोगवाले जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहना। सवेदक जीवों का कथन सकषायी जीवों के समान करना चाहिए। स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी और नपुंसकवेदी जीवों में तीन भंग कहने चाहिए। विशेष यह है कि नपुंसकवेद में जो एकेन्द्रिय होते हैं, उनमें अभंगक है। जैसे अकषायी जीवों के विषय में कथन किया, वैसे ही अवेदक जीवों के विषय में कहना चाहिए। जैसे औघिक जीवों का कथन किया, वैसे ही सशरीरी जीवों के विषय में कहना चाहिए। औदारिक और वैक्रियशरीर वाले जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। आहारक शरीर वाले जीवों में जीव और मनुष्य में छह भंग कहने चाहिए। तैजस और कार्मण शरीर वाले जीवों का कथन औघिक जीवों के समान करना चाहिए। अशरीरी, जीव और सिद्धों के लिए तीन भंग कहने चाहिए। आहारपर्याप्ति, शरीरपर्याप्ति, इन्द्रियपर्याप्ति और श्वासोच्छ्‌वास – पर्याप्ति वाले जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहने चाहिए। भाषापर्याप्ति और मनःपर्याप्ति वाले जीवों का कथन संज्ञीजीवों के समान कहना। आहारअपर्याप्ति वाले जीवों का कथन अनाहारक जीवों के समान कहना। शरीर – अपर्याप्ति, इन्द्रिय – अपर्याप्ति और श्वासोच्छ्‌वास – अपर्याप्ति वाले जीवों में जीव और एकेन्द्रिय को छोड़ तीन भंग कहने चाहिए। (अपर्याप्तक) नैरयिक, देव और मनुष्यों में छह भंग कहने चाहिए। भाषा – अपर्याप्ति और मनःअपर्याप्ति वाले जीवों में जीव आदि तीन भंग कहना। नैरयिक, देव और मनुष्यों में छह भंग जानना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jive nam bhamte! Kaladesenam kim sapadese? Apadese? Goyama! Niyama sapadese. Neraie nam bhamte! Kaladesenam kim sapadese? Apadese? Goyama! Siya sapadese, siya apadese. Evam java siddhe. Jiva nam bhamte! Kaladesenam kim sapadesa? Apadesa? Goyama! Niyama sapadesa. Neraiya nam bhamte! Kaladesenam kim sapadesa? Apadesa? Goyama! 1. Savve vi tava hojja sapadesa 2. Ahava sapadesa ya apadese ya 3. Ahava sapadesa ya apadesa ya. Evam java thaniyakumara. Pudhavikaiya nam bhamte! Kim sapadesa? Apadesa? Goyama! Sapadesa vi, apadesa vi. Evam java vanapphaikaiya. Sesa jaha neraiya taha java siddha. Aharaganam jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Anaharaganam jivegimdiyavajja chhabbhamga evam bhaniyavva–1. Sapadesa va, 2. Apadesa va, 3. Ahava sapadese ya apadese ya, 4. Ahava sapadese ya apadesa ya, 5. Ahava sapadesa ya apadese ya, 6. Ahava sapadesa ya apadesa ya. Siddhehim tiyabhamgo. Bhavasiddhiya, abhavasiddhiya jaha ohiya. Nobhavasiddhiya-noabhavasiddhiya-jiva-siddhehim tiya-bhamgo. Sannihim jivadio tiyabhamgo. Asannihim egimdiyavajjo tiyabhamgo. Neraiyadevamanuehim chhabbhamgo. Nosanni-noasanni-jiva-manuya-siddhehim tiyabhamgo. Salesa jaha ohiya. Kanhalessa, nilalessa, kaulessa jaha aharao, navaram–jassa atthi eyao. Teulessae jivadio tiyabhamgo, navaram–pudhavikkaiesu, auvanapphatisu chhabbhamga. Pamhalessa-sukkalessae jivadio tiyabhamgo. Alesehim jiva-siddhehim tiyabhamgo. Manuesu chhabbhamga. Sammadditthihim jivadio tiyabhamgo. Vigalimdiesu chhabbhamga. Michchhaditthihim egimdiyavajjo tiyabhamgo. Sammamichchhaditthihim chhabbhamga. Samjaehim jivadio tiyabhamgo. Assamjaehim egimdiyavajjo tiyabhamgo. Samjayasamjaehim tiyabhamgo jivadio. Nosamjaya-noasamjaya-nosamjayasamjaya-jiva-siddhehim tiyabhamgo. Sakasaihim jivadio tiyabhamgo. Egimdiesu abhamgakam. Kohakasaihim jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Devehim chhabbhamga. Manakasai-mayakasaihim jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Neraiya-devehim chhabbhamga. Lobhakasaihim jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Neraiesu chhabbhamga akasai-jiva-manuehim, siddhehim tiyabhamgo. Ohiyanane, abhinibohiyanane, suyanane jivadio tiyabhamgo. Vigalimdiehim chhabbhamga. Ohinane manapajjavanane kevalanane jivadio tiyabhamgo. Ohie annane, maiannane, suyaannane, egimdiyavajjo tiyabhamgo. Vibhamganane jivadio tiyabhamgo. Sajogi jaha ohio, manajogi, vaijogi, kayajogi jivadio tiyabhamgo, navaram–kayajogi egimdiya, tesu abhamgayam. Ajogi jaha alessa. Sagarovautta-anagarovauttehim jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Savedaga jaha sakasai. Itthivedaga-purisavedaga-napumsagavedagesu jivadio tiyabhamgo, navaram–napumsagavede egimdiesu abhamgayam. Avedaga jaha akasai. Sasariri jaha ohio. Oraliya-veuvviyasariranam jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Aharagasarire jiva-manuesu chhabbhamga, teyaga-kammagaim jaha ohiya. Asarirehim jiva-siddhehim tiyabhamgo. Aharapajjattie, sarirapajjattie, imdiyapajjattie, anapanapajjattie jivegimdiyavajjo tiyabhamgo, bhasa-manapajjattie jaha sanni. Ahara-apajjattie jaha anaharaga, sarira-apajjattie, imdiya-apajjattie, anapana-apajjattie jivegimdiyavajjo tiya-bhamgo, neraiya-deva-manuehim chhabbhamga, bhasa-manaapajjattie jivadio tiyabhamgo, neraiya-deva-manuehim chhabbhamga.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kya jiva kaladesha se sapradesha haim ya apradesha haim\? Gautama ! Kaladesha se jiva niyamatah sapradesha haim. Bhagavan ! Kya nairayika jiva kaladesha se sapradesha hai ya apradesha haim\? Gautama ! Eka nairayika jiva kaladesha se kadachit sapradesha hai aura kadachit apradesha hai. Isa prakara yavat eka siddha – jiva – paryanta kahana chahie. Bhagavan ! Kaladesha ki apeksha bahuta jiva sapradesha haim ya apradesha haim\? Gautama ! Aneka jiva kaladesha ki apeksha niyamatah sapradesha haim. Bhagavan ! Nairayika jiva kaladesha ki apeksha kya sapradesha haim ya apradesha haim\? Gautama ! 1. Sabhi (nairayika) sapradesha haim, 2. Bahuta – se sapradesha aura eka apradesha hai, aura 3. Bahuta – se aura bahuta – se apradesha haim. Isi prakara yavat stanitakumarom taka kahana chahie. Bhagavan ! Prithvikayika jiva sapradesha haim ya apradesha haim\? Gautama ! Prithvikayika jiva sapradesha bhi hai, apradesha bhi haim. Isi prakara yavat vanaspatikayika taka kahana chahie. Nairayika jivom ke samana siddhaparyanta shesha sabhi jivom ke lie kahana chahie. Jiva aura ekendriya ko chhorakara shesha sabhi aharaka jivom ke lie tina bhamga kahane chahie, yatha – (1) sabhi pradesha, (2) bahuta sapradesha aura eka apradesha aura (3) bahuta sapradesha aura bahuta apradesha. Anaharaka jivom ke lie ekendriya ko chhorakara chhaha bhamga isa prakara kahane chahie, yatha – (1) sabhi sapradesha, (2) sabhi apradesha, (3) eka sapradesha aura eka apradesha, (4) eka sapradesha aura bahuta apradesha, (5) bahuta sapradesha aura eka apradesha aura (6) bahuta sapradesha aura bahuta apradesha. Siddhom ke lie tina bhamga kahane chahie. Bhavasiddhika aura abhavasiddhika jivom ke lie aughika jivom ki taraha kahana chahie. Naubhavasiddhika – noabhavasiddhika jiva aura siddhom mem (purvavat) tina bhamga kahane chahie. Samjnyi jivommem jiva adi tina bhamga kahane chahie. Asamjnyi jivommem ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahana. Nairayika, deva aura manushyommem chha bhamga kahane chahie. Nosamjnyi – noasamjnyi jiva, manushya aura siddhom mem tina bhamga kahana. Saleshya jivom ka kathana, aughika jivom ki taraha karana chahie. Krishnaleshya, nilaleshya, kapotaleshya vale jivom ka kathana aharaka jiva ki taraha karana chahie. Kintu itana vishesha hai ki jisake jo leshya ho, usake vaha leshya kahani chahie. Tejoleshya mem jiva adi tina bhamga kahane chahie; kintu itani visheshata hai ki prithvikayika, apkayika aura vanaspatikayika jivom mem chhaha bhamga kahane chahie. Padmaleshya aura shuklaleshya mem jivadika tina bhamga kahane chahie. Aleshya jiva aura siddhom mem tina bhamga kahane chahie tatha aleshya manushyom mem chhaha bhamga kahane chahie Samyagdrishti jivom mem jivadika tina bhamga kahane chahie. Vikalendriyom mem chhaha bhamga kahane chahie. Mithyadrishti jivom mem ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Samyagmithyadrishti jivom mem chhaha bhamga kahane chahie. Samyatom mem jivadi tina bhamga kahane chahie. Asamyatom mem ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Samyatasamyata jivom mem jivadi tina bhamga kahane chahie. Nosamyata – noasamyata – nosamyatasamyata jiva aura siddhom mem tina bhamga kahane chahie. Sakashayi jivom mem jivadi tina bhamga kahane chahie. Ekendriya (sakashayi) mem abhamgaka kahana chahie. Krodhakashayi jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Manakashayi aura mayakashayi jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Nairayikom aura devom mem chhaha bhamga kahane chahie. Lobhakashayi jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Nairayika jivom mem chhaha bhamga kahane chahie. Akashayi jivom, jiva, manushya aura siddhom mem tina bhamga kahane chahie. Aughikajnyana, abhinibodhikajnyana aura shrutajnyana mem jivadi tina bhamga kahana. Vikalendriyom mem chhaha bhamga kahana. Avadhijnyana, manahparyavajnyana aura kevalajnyana mem jivadi tina bhamga kahana. Aughika ajnyana, mati – ajnyana aura shruta – ajnyana mem ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahana. Vibhamgajnyana mem jivadi tina bhamga kahane chahie. Jisa prakara aughika jivom ka kathana kiya, usi prakara sayogi jivom ka kathana karana chahie. Manoyogi vachanayogi aura kayayogi mem jivadi tina bhamga kahane chahie. Visheshata yaha hai ki jo kayayogi ekendriya hote haim, unamem abhamgaka hota hai. Ayogi jivom ka kathana aleshyajivom ke samana kahana chahie. Sakara – upayogavale aura anakara – upayogavale jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahana. Savedaka jivom ka kathana sakashayi jivom ke samana karana chahie. Strivedi, purushavedi aura napumsakavedi jivom mem tina bhamga kahane chahie. Vishesha yaha hai ki napumsakaveda mem jo ekendriya hote haim, unamem abhamgaka hai. Jaise akashayi jivom ke vishaya mem kathana kiya, vaise hi avedaka jivom ke vishaya mem kahana chahie. Jaise aughika jivom ka kathana kiya, vaise hi sashariri jivom ke vishaya mem kahana chahie. Audarika aura vaikriyasharira vale jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Aharaka sharira vale jivom mem jiva aura manushya mem chhaha bhamga kahane chahie. Taijasa aura karmana sharira vale jivom ka kathana aughika jivom ke samana karana chahie. Ashariri, jiva aura siddhom ke lie tina bhamga kahane chahie. Aharaparyapti, shariraparyapti, indriyaparyapti aura shvasochchhvasa – paryapti vale jivom mem jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahane chahie. Bhashaparyapti aura manahparyapti vale jivom ka kathana samjnyijivom ke samana kahana. Aharaaparyapti vale jivom ka kathana anaharaka jivom ke samana kahana. Sharira – aparyapti, indriya – aparyapti aura shvasochchhvasa – aparyapti vale jivom mem jiva aura ekendriya ko chhora tina bhamga kahane chahie. (aparyaptaka) nairayika, deva aura manushyom mem chhaha bhamga kahane chahie. Bhasha – aparyapti aura manahaparyapti vale jivom mem jiva adi tina bhamga kahana. Nairayika, deva aura manushyom mem chhaha bhamga janana.