Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )

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Sr No : 1003602
Scripture Name( English ): Bhagavati Translated Scripture Name : भगवती सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

शतक-१

Translated Chapter :

शतक-१

Section : उद्देशक-१० चलन Translated Section : उद्देशक-१० चलन
Sutra Number : 102 Category : Ang-05
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] अन्नउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पन्नवेंति, एवं परूवेंति – एवं खलु चलमाणे अचलिए। उदीरिज्जमाणे अनुदीरिए। वेदिज्जमाणे अवेदिए। पहिज्जमाणे अपहीने। छिज्जमाणे अच्छिन्ने भिज्जमाणे अभिन्ने। दज्झमाणे अदड्ढे। भिज्जमाणे अमए। निज्जरिज्जमाणे अनिज्जिण्णे। दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहण्णंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहण्णंति? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिनेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहण्णंति। तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, कम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति? तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिनेहकाए, तम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला गयओ साहण्णंति। ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जंति। दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ–एगयओ वि दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ। तिहा कज्जमाणा तिन्नि परमाणुपोग्गला भवंति। एवं चत्तारि। पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कज्जंति। दुक्खे वि य णं से सासए सया समितं उव चिज्जइ य, अवचिज्जइ य। पुव्विं भासा भासा। भासिज्जमाणी भासा अभासा। भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा। जा सा पुव्विं भासा भासा। भासिज्जमाणी भासा अभासा। भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा। सा किं भासओ भासा? अभासओ भासा? अभासओ णं सा भासा। नो खलु सा भासओ भासा। पुव्विं किरिया दुक्खा। कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कंतं च णं कडा किरिया दुक्खा। जा सा पुव्विं किरिया दुक्खा। कज्जमाणो किरिया अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कंतं च णं कडा किरिया दुक्खा। सा किं करणओ दुक्खा? अकरणओ दुक्खा? अकरणओ णं सा दुक्खा। नो खलु सा करणओ दुक्खा–सेवं वत्तव्वं सिया। अकिच्चं दुक्खं, अफुसं दुक्खं, अकज्जमाणकडं दुक्खं, अकट्टु-अकट्टु पाणभूय-जीव-सत्ता वेदनं वेदेंति–इति वत्तव्वं सिया। से कहमेयं भंते! एवं? गोयमा! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वेदनं वेदेंति–इति वत्तव्वं सिया। जे ते एवमाहंसु, मिच्छा ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पन्नवेमि, एवं परूवेमि–एवं खलु चलमाणे चलिए। उदीरिज्जमाणे उदीरिए। वेदिज्जमाणे वेदिए। पहिज्जमाणे पहीने। छिज्जमाणे छिण्णे। भिज्जमाणे भिण्णे। दज्झमाणे दड्ढे। मिज्जमाणे मए। निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे। दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला गयओ साहण्णंति? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिनेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति। ते भिज्जमाणा दुहा कज्जंति। दुहा कज्जमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले–एगयओ परमाणुपोग्गले भवति। तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, कम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति? तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिनेहकाए, तम्हा तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति। ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जंति। दुहा कज्जमाणा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दुपएसिए खंधे भवति। तिहा कज्जमाणा तिन्नि परमाणुपोग्गला भवंति। एवं चत्तारि। पंच परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति। एगयओ साहणित्ता खंधत्ताए कज्जंति। खंधे वि य णं से असासए सया समितं उव चिज्जइ य, अवचिज्जइ य। पुव्विं भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा अभासा। जा सा पुव्विं भासा अभासा। भासिज्जमाणी भासा भासा, भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा अभासा। सा किं भासओ भासा? अभासओ भासा? भासओ णं भासा, नो खलु सा अभासओ भासा। पुव्विं किरिया अदुक्खा। कज्जमाणी किरिया दुक्खा। किरियासमयवितिक्कंतं च णं कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। जा सा पुव्विं किरिया अदुक्खा। कज्जमाणी किरिया दुक्खा। किरियासमयवितिक्कंतं च णं कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। सा किं करणओ दुक्खा? अकरणओ दुक्खा? करणओ णं सा दुक्खा। नो खलु सा अकरणओ दुक्खा–सेवं वत्तव्वं सिया। किच्चं दुक्खं, फुसं दुक्खं, कज्जमाणकडं दुक्खं, कट्टु-कट्टु पान-भूय-जीव-सत्ता वेदनं वेदेंति–इति वत्तव्वं सिया।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! अन्यतीर्थिक इस प्रकार कहते हैं, यावत्‌ इस प्रकार प्ररूपणा करते हैं कि – जो चल रहा है, वह अचलित है – चला नहीं कहलाता और यावत्‌ – जो निर्जीर्ण हो रहा है, वह निर्जीर्ण नहीं कहलाता। दो परमाणुपुद्‌गल एक साथ नहीं चिपकते। दो परमाणुपुद्‌गल एक साथ क्यों नहीं चिपकते ? इसका कारण यह है कि दो परमाणु – पुद्‌गलों में चिपकनापन नहीं होती ‘तीन परमाणुपुद्‌गल एक दूसरे से चिपक जाते हैं।’ तीन परमाणुपुद्‌गल परस्पर क्यों चिपक जाते हैं ? इसका कारण यह है कि तीन परमाणुपुद्‌गलों में स्निग्धता होती है; यदि तीन परमाणुपुद्‌गलों का भेदन (भाग) किया जाए तो दो भाग भी हो सकते हैं, एवं तीन भाग भी हो सकते हैं। अगर तीन परमाणु – पुद्‌गलों के दो भाग किये जाए तो एक – एक तरफ डेढ़ परमाणु होता है और दूसरी तरफ भी डेढ़ परमाणु होता है। यदि तीन परमाणुपुद्‌गलों के तीन भाग किये जाए तो एक – एक करके तीन परमाणु अलग – अलग हो जाते हैं। इसी प्रकार यावत्‌ चार परमाणु – पुद्‌गलों के विषय में समझना चाहिए। पाँच परमाणुपुद्‌गल परस्पर चिपक जाते हैं और वे दुःखरूप (कर्मरूप) में परिणत होते हैं। वह दुःख (कर्म) भी शाश्वत है, और सदा सम्यक्‌ प्रकार के उपचय को और अपचय को प्राप्त होता है। बोलने से पहले की जो भाषा (भाषा के पुद्‌गल) हैं, वह भाषा है। बोलते समय की भाषा अभाषा है और बोलने का समय व्यतीत हो जाने के बाद की भाषा, भाषा है। यह जो बोलने से पहले की भाषा, भाषा है और बोलते समय की भाषा, अभाषा है तथा बोलने के समय के बाद की भाषा, भाषा है; सो क्या बोलते हुए पुरुष की भाषा है या न बोलते हुए पुरुष की भाषा है ? न बोलते हुए पुरुष की वह भाषा है, बोलते हुए पुरुष की वह भाषा नहीं है। करने से जो पूर्व की जो क्रिया है, वह दुःखरूप है, वर्तमान में जो क्रिया की जाती है, वह दुःखरूप नहीं है और करने के समय के बाद की कृतक्रिया भी दुःखरूप है। वह जो पूर्व की क्रिया है, वह दुःख का कारण है, की जाती हुई क्रिया दुःख का कारण नहीं है और करने के समय के बाद की क्रिया दुःख का कारण है; तो क्या वह करने से दुःख का कारण है या न करने से दुःख का कारण है ? न करने से वह दुःख का कारण है, करने से दुःख का कारण नहीं है; ऐसा कहना चाहिए। अकृत्य दुःख है, अस्पृश्य दुःख है, और अक्रियमाण कृत दुःख है। उसे न करके प्राण, भूत, जीव और सत्त्व वेदना भोगते हैं, ऐसा कहना चाहिए। श्री गौतमस्वामी पूछते हैं – भगवन्‌ ! क्या अन्यतीर्थिकों का इस प्रकार का यह मत सत्य है ? गौतम ! यह अन्यतीर्थिक जो कहते हैं – यावत्‌ वेदना भोगते हैं, ऐसा कहना चाहिए, उन्होंने यह सब जो कहा है, वह मिथ्या कहा है। हे गौतम ! मैं ऐसा कहता हूँ कि जो चल रहा है, वह ‘चला’ कहलाता है और यावत्‌ जो निर्जर रहा है, वह निर्जीर्ण कहलाता है। दो परमाणु पुद्‌गल आपस में चिपक जाते हैं। इसका क्या कारण है ? दो परमाणु पुद्‌गलों में चिकनापन है, इसलिए दो परमाणु पुद्‌गल परस्पर चिपक जाते हैं। इन दो परमाणु पुद्‌गलों के दो भाग हो सकते हैं। दो परमाणु पुद्‌गलों के दो भाग किये जाए तो एक तरफ एक परमाणु और एक तरफ एक परमाणु होता है। तीन परमाणुपुद्‌गल परस्पर चिपक जाते हैं। तीन परमाणुपुद्‌गल परस्पर क्यों चिपक जाते हैं ? तीन परमाणुपुद्‌गल इस कारण चिपक जाते हैं कि उन परमाणुपुद्‌गलों में चिकनापन है। उन तीन परमाणुपुद्‌गलों के दो भाग भी हो सकते हैं और तीन भाग भी हो सकते हैं। दो भाग करने पर एक तरफ परमाणु और एक तरफ दो प्रदेश वाला एक द्व्यणुक स्कन्ध होता है। तीन भाग करने पर एक – एक करके तीन परमाणु हो जाते हैं। इसी प्रकार यावत्‌ – चार परमाणु पुद्‌गल में भी समझना चाहिए। परन्तु तीन परमाणु के डेढ – डेढ (भाग) नहीं हो सकते। पाँच परमाणु – पुद्‌गल परस्पर चिपक जाते हैं और परस्पर चिपककर एक स्कन्धरूप बन जाते हैं। वह स्कन्ध अशाश्वत है और सदा उपचय तथा अपचय पाता है। बोलने से पहले की भाषा अभाषा है; बोलते समय की भाषा भाषा है और बोलने के बाद की भाषा भी अभाषा है। वह जो पहले की भाषा अभाषा है, बोलते समय की भाषा भाषा है और बोलने के बाद की भाषा अभाषा है; सो क्या बोलने वाले पुरुष की भाषा है, या नहीं बोलते हुए पुरुष की भाषा है ? वह बोलने वाले पुरुष की भाषा है, नहीं बोलते हुए पुरुष की भाषा नहीं है। (करने से) पहले की क्रिया दुःख का कारण नहीं है, उसे भाषा के समान ही समझना चाहिए। यावत्‌ – वह क्रिया करने से दुःख का कारण है, न करने से दुःख का कारण नहीं है, ऐसा कहना चाहिए। कृत्य दुःख है, स्पृश्य दुःख है, क्रियमाण कृत दुःख है। उसे कर – करके प्राण, भूत, जीव और वेदना भोगते हैं; ऐसा कहना चाहिए।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] annautthiya nam bhamte! Evamaikkhamti, evam bhasamti, evam pannavemti, evam paruvemti – Evam khalu chalamane achalie. Udirijjamane anudirie. Vedijjamane avedie. Pahijjamane apahine. Chhijjamane achchhinne bhijjamane abhinne. Dajjhamane adaddhe. Bhijjamane amae. Nijjarijjamane anijjinne. Do paramanupoggala egayao na sahannamti, Kamha do paramanupoggala egayao na sahannamti? Donham paramanupoggalanam natthi sinehakae, tamha do paramanupoggala egayao na sahannamti. Tinni paramanupoggala egayao sahannamti, Kamha tinni paramanupoggala egayao sahannamti? Tinham paramanupoggalanam atthi sinehakae, tamha tinni paramanupoggala gayao sahannamti. Te bhijjamana duha vi, tiha vi kajjamti. Duha kajjamana egayao divaddhe paramanupoggale bhavai–egayao vi divaddhe paramanupoggale bhavai. Tiha kajjamana tinni paramanupoggala bhavamti. Evam chattari. Pamcha paramanupoggala egayao sahannamti, egayao sahanitta dukkhattae kajjamti. Dukkhe vi ya nam Se sasae saya samitam uva chijjai ya, avachijjai ya. Puvvim bhasa bhasa. Bhasijjamani bhasa Abhasa. Bhasasamayavitikkamtam cha nam bhasiya bhasa. Ja sa puvvim bhasa bhasa. Bhasijjamani bhasa abhasa. Bhasasamayavitikkamtam cha nam bhasiya bhasa. Sa kim bhasao bhasa? Abhasao bhasa? Abhasao nam sa bhasa. No khalu sa bhasao bhasa. Puvvim kiriya dukkha. Kajjamani kiriya adukkha. Kiriyasamayavitikkamtam cha nam kada kiriya dukkha. Ja sa puvvim kiriya dukkha. Kajjamano kiriya adukkha. Kiriyasamayavitikkamtam cha nam kada kiriya dukkha. Sa kim karanao dukkha? Akaranao dukkha? Akaranao nam sa dukkha. No khalu sa karanao dukkha–sevam vattavvam siya. Akichcham dukkham, aphusam dukkham, akajjamanakadam dukkham, akattu-akattu panabhuya-jiva-satta vedanam vedemti–iti vattavvam siya. Se kahameyam bhamte! Evam? Goyama! Jannam te annautthiya evamaikkhamti java vedanam vedemti–iti vattavvam siya. Je te evamahamsu, michchha te evamahamsu. Aham puna goyama! Evamaikkhami, evam bhasemi, evam pannavemi, evam paruvemi–evam khalu chalamane chalie. Udirijjamane udirie. Vedijjamane vedie. Pahijjamane pahine. Chhijjamane chhinne. Bhijjamane bhinne. Dajjhamane daddhe. Mijjamane mae. Nijjarijjamane nijjinne. Do paramanupoggala egayao sahannamti, Kamha do paramanupoggala gayao sahannamti? Donham paramanupoggalanam atthi sinehakae, tamha do paramanupoggala egayao sahannamti. Te bhijjamana duha kajjamti. Duha kajjamana egayao paramanupoggale–egayao paramanupoggale bhavati. Tinni paramanupoggala egayao sahannamti, Kamha tinni paramanupoggala egayao sahannamti? Tinham paramanupoggalanam atthi sinehakae, tamha tinni paramanupoggala egayao sahannamti. Te bhijjamana duha vi, tiha vi kajjamti. Duha kajjamana egayao paramanupoggale, egayao dupaesie khamdhe bhavati. Tiha kajjamana tinni paramanupoggala bhavamti. Evam chattari. Pamcha paramanupoggala egayao sahannamti. Egayao sahanitta khamdhattae kajjamti. Khamdhe vi ya nam se asasae saya samitam uva chijjai ya, avachijjai ya. Puvvim bhasa abhasa, bhasijjamani bhasa bhasa, bhasasamayavitikkamtam cha nam bhasiya bhasa abhasa. Ja sa puvvim bhasa abhasa. Bhasijjamani bhasa bhasa, bhasasamayavitikkamtam cha nam bhasiya bhasa abhasa. Sa kim bhasao bhasa? Abhasao bhasa? Bhasao nam bhasa, no khalu sa abhasao bhasa. Puvvim kiriya adukkha. Kajjamani kiriya dukkha. Kiriyasamayavitikkamtam cha nam kajjamani kiriya adukkha. Ja sa puvvim kiriya adukkha. Kajjamani kiriya dukkha. Kiriyasamayavitikkamtam cha nam kajjamani kiriya adukkha. Sa kim karanao dukkha? Akaranao dukkha? Karanao nam sa dukkha. No khalu sa akaranao dukkha–sevam vattavvam siya. Kichcham dukkham, phusam dukkham, kajjamanakadam dukkham, kattu-kattu pana-bhuya-jiva-satta vedanam vedemti–iti vattavvam siya.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Anyatirthika isa prakara kahate haim, yavat isa prakara prarupana karate haim ki – jo chala raha hai, vaha achalita hai – chala nahim kahalata aura yavat – jo nirjirna ho raha hai, vaha nirjirna nahim kahalata. Do paramanupudgala eka satha nahim chipakate. Do paramanupudgala eka satha kyom nahim chipakate\? Isaka karana yaha hai ki do paramanu – pudgalom mem chipakanapana nahim hoti ‘tina paramanupudgala eka dusare se chipaka jate haim.’ tina paramanupudgala paraspara kyom chipaka jate haim\? Isaka karana yaha hai ki tina paramanupudgalom mem snigdhata hoti hai; yadi tina paramanupudgalom ka bhedana (bhaga) kiya jae to do bhaga bhi ho sakate haim, evam tina bhaga bhi ho sakate haim. Agara tina paramanu – pudgalom ke do bhaga kiye jae to eka – eka tarapha derha paramanu hota hai aura dusari tarapha bhi derha paramanu hota hai. Yadi tina paramanupudgalom ke tina bhaga kiye jae to eka – eka karake tina paramanu alaga – alaga ho jate haim. Isi prakara yavat chara paramanu – pudgalom ke vishaya mem samajhana chahie. Pamcha paramanupudgala paraspara chipaka jate haim aura ve duhkharupa (karmarupa) mem parinata hote haim. Vaha duhkha (karma) bhi shashvata hai, aura sada samyak prakara ke upachaya ko aura apachaya ko prapta hota hai. Bolane se pahale ki jo bhasha (bhasha ke pudgala) haim, vaha bhasha hai. Bolate samaya ki bhasha abhasha hai aura bolane ka samaya vyatita ho jane ke bada ki bhasha, bhasha hai. Yaha jo bolane se pahale ki bhasha, bhasha hai aura bolate samaya ki bhasha, abhasha hai tatha bolane ke samaya ke bada ki bhasha, bhasha hai; so kya bolate hue purusha ki bhasha hai ya na bolate hue purusha ki bhasha hai\? Na bolate hue purusha ki vaha bhasha hai, bolate hue purusha ki vaha bhasha nahim hai. Karane se jo purva ki jo kriya hai, vaha duhkharupa hai, vartamana mem jo kriya ki jati hai, vaha duhkharupa nahim hai aura karane ke samaya ke bada ki kritakriya bhi duhkharupa hai. Vaha jo purva ki kriya hai, vaha duhkha ka karana hai, ki jati hui kriya duhkha ka karana nahim hai aura karane ke samaya ke bada ki kriya duhkha ka karana hai; to kya vaha karane se duhkha ka karana hai ya na karane se duhkha ka karana hai\? Na karane se vaha duhkha ka karana hai, karane se duhkha ka karana nahim hai; aisa kahana chahie. Akritya duhkha hai, asprishya duhkha hai, aura akriyamana krita duhkha hai. Use na karake prana, bhuta, jiva aura sattva vedana bhogate haim, aisa kahana chahie. Shri gautamasvami puchhate haim – bhagavan ! Kya anyatirthikom ka isa prakara ka yaha mata satya hai\? Gautama ! Yaha anyatirthika jo kahate haim – yavat vedana bhogate haim, aisa kahana chahie, unhomne yaha saba jo kaha hai, vaha mithya kaha hai. He gautama ! Maim aisa kahata hum ki jo chala raha hai, vaha ‘chala’ kahalata hai aura yavat jo nirjara raha hai, vaha nirjirna kahalata hai. Do paramanu pudgala apasa mem chipaka jate haim. Isaka kya karana hai\? Do paramanu pudgalom mem chikanapana hai, isalie do paramanu pudgala paraspara chipaka jate haim. Ina do paramanu pudgalom ke do bhaga ho sakate haim. Do paramanu pudgalom ke do bhaga kiye jae to eka tarapha eka paramanu aura eka tarapha eka paramanu hota hai. Tina paramanupudgala paraspara chipaka jate haim. Tina paramanupudgala paraspara kyom chipaka jate haim\? Tina paramanupudgala isa karana chipaka jate haim ki una paramanupudgalom mem chikanapana hai. Una tina paramanupudgalom ke do bhaga bhi ho sakate haim aura tina bhaga bhi ho sakate haim. Do bhaga karane para eka tarapha paramanu aura eka tarapha do pradesha vala eka dvyanuka skandha hota hai. Tina bhaga karane para eka – eka karake tina paramanu ho jate haim. Isi prakara yavat – chara paramanu pudgala mem bhi samajhana chahie. Parantu tina paramanu ke dedha – dedha (bhaga) nahim ho sakate. Pamcha paramanu – pudgala paraspara chipaka jate haim aura paraspara chipakakara eka skandharupa bana jate haim. Vaha skandha ashashvata hai aura sada upachaya tatha apachaya pata hai. Bolane se pahale ki bhasha abhasha hai; bolate samaya ki bhasha bhasha hai aura bolane ke bada ki bhasha bhi abhasha hai. Vaha jo pahale ki bhasha abhasha hai, bolate samaya ki bhasha bhasha hai aura bolane ke bada ki bhasha abhasha hai; so kya bolane vale purusha ki bhasha hai, ya nahim bolate hue purusha ki bhasha hai\? Vaha bolane vale purusha ki bhasha hai, nahim bolate hue purusha ki bhasha nahim hai. (karane se) pahale ki kriya duhkha ka karana nahim hai, use bhasha ke samana hi samajhana chahie. Yavat – vaha kriya karane se duhkha ka karana hai, na karane se duhkha ka karana nahim hai, aisa kahana chahie. Kritya duhkha hai, sprishya duhkha hai, kriyamana krita duhkha hai. Use kara – karake prana, bhuta, jiva aura vedana bhogate haim; aisa kahana chahie.