Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000106 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-२ लोकविजय |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-२ लोकविजय |
Section : | उद्देशक-६ अममत्त्व | Translated Section : | उद्देशक-६ अममत्त्व |
Sutra Number : | 106 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अवि य हणे अनादियमाणे। एत्थंपि जाण, सेयंति नत्थि। के यं पुरिसे? कं च नए? एस वीरे पसंसिए, जे बद्धे पडिमोयए। उड्ढं अहं तिरियं दिसासु, से सव्वतो सव्वपरिण्णचारी। न लिप्पई छणपएण वीरे। से मेहावी अणुग्घायणस्स खेयण्णे, जे य बंधप्पमोक्खमन्नेसि। कुसले पुण नोबद्धे, नोमुक्के। | ||
Sutra Meaning : | कभी अनादर होने पर वह (श्रोता) उसको (धर्मकथी को) मारने भी लग जाता है। अतः यहाँ यह भी जाने धर्मकथा करना श्रेय नहीं है। पहले धर्मोपदेशक को यह जान लेना चाहिए की यह पुरुष कौन है ? किस देवता को मानता है ? वह वीर प्रशंसा के योग्य है, जो बद्ध मनुष्यों को मुक्त करता है। वह ऊंची, नीची और तीरछी दिशाओं में, सब प्रकार से समग्र परिज्ञा/विवेकज्ञान के साथ चलता है। वह हिंसा – स्थान से लिप्त नहीं होता। वह मेधावी है, जो अहिंसा का समग्र स्वरूप जानता है, तथा जो कर्मों के बंधन से मुक्त होने की अन्वेषणा करता है। कुशल पुरुष न बंधे हुए हैं और न मुक्त हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] avi ya hane anadiyamane. Etthampi jana, seyamti natthi. Ke yam purise? Kam cha nae? Esa vire pasamsie, je baddhe padimoyae. Uddham aham tiriyam disasu, se savvato savvaparinnachari. Na lippai chhanapaena vire. Se mehavi anugghayanassa kheyanne, je ya bamdhappamokkhamannesi. Kusale puna nobaddhe, nomukke. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kabhi anadara hone para vaha (shrota) usako (dharmakathi ko) marane bhi laga jata hai. Atah yaham yaha bhi jane dharmakatha karana shreya nahim hai. Pahale dharmopadeshaka ko yaha jana lena chahie ki yaha purusha kauna hai\? Kisa devata ko manata hai\? Vaha vira prashamsa ke yogya hai, jo baddha manushyom ko mukta karata hai. Vaha umchi, nichi aura tirachhi dishaom mem, saba prakara se samagra parijnya/vivekajnyana ke satha chalata hai. Vaha himsa – sthana se lipta nahim hota. Vaha medhavi hai, jo ahimsa ka samagra svarupa janata hai, tatha jo karmom ke bamdhana se mukta hone ki anveshana karata hai. Kushala purusha na bamdhe hue haim aura na mukta haim. |