Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1000054 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-६ त्रसकाय | Translated Section : | उद्देशक-६ त्रसकाय |
Sutra Number : | 54 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से बेमि–अप्पेगे अंधमब्भे, अप्पेगे अंधमच्छे। अप्पेगे पायमब्भे, अप्पेगे पायमच्छे। अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए। से बेमि–अप्पेगे अच्चाए वहंति, अप्पेगे अजिणाए वहंति, अप्पेगे मंसाए वहंति, अप्पेगे सोणियाए वहंति, अप्पेगे हिययाए वहंति, अप्पेगे पित्ताए वहंति, अप्पेगे वसाए वहंति, अप्पेगे पिच्छाए वहंति, अप्पेगे पुच्छाए वहंति, अप्पेगे बालाए वहंति, अप्पेगे सिंगाए वहंति, अप्पेगे विसाणाए वहंति, अप्पेगे दंताए वहंति, अप्पेगे दाढाए वहंति, अप्पेगे नहाए वहंति, अप्पेगे ण्हारुणीए वहंति, अप्पेगे अट्ठीए वहंति, अप्पेगे अट्ठिमिंजाए वहंति, अप्पेगे अट्ठाए वहंति, अप्पेगे अणुट्ठाए वहंति, अप्पेगे ‘हिंसिंसु मेत्ति वा’ वहंति, अप्पेगे हिंसंति मेत्ति वा वहंति, अप्पेगे हिंसिस्संति मेत्ति वा वहंति। | ||
Sutra Meaning : | मैं कहता हूँ – कुछ मनुष्य अर्चा के लिए जीवहिंसा करते हैं। कुछ मनुष्य चर्म के लिए, माँस, रक्त, हृदय, पित्त, चर्बी, पंख, पूँछ, केश, सींग, विषाण, दाँत, दाढ़, नख, स्नायु, अस्थि और अस्थिमज्जा के लिए प्राणियों की हिंसा करते हैं। कुछ प्रयोजन – वश, कुछ निष्प्रयोजन ही जीवों का वध करते हैं। कुछ व्यक्ति (इन्होंने मेरे स्वजनादि की) हिंसा की, इस कारण हिंसा करते हैं। कुछ व्यक्ति (यह मेरे स्वजन आदि की) हिंसा करता है, इस कारण से हिंसा करते हैं। कुछ व्यक्ति (यह मेरे स्वजनादि की हिंसा करेगा) इस कारण हिंसा करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bemi–appege amdhamabbhe, appege amdhamachchhe. Appege payamabbhe, appege payamachchhe. Appege sampamarae, appege uddavae. Se bemi–appege achchae vahamti, appege ajinae vahamti, appege mamsae vahamti, appege soniyae vahamti, appege hiyayae vahamti, appege pittae vahamti, appege vasae vahamti, appege pichchhae vahamti, appege puchchhae vahamti, appege balae vahamti, appege simgae vahamti, appege visanae vahamti, appege damtae vahamti, appege dadhae vahamti, appege nahae vahamti, appege nharunie vahamti, appege atthie vahamti, appege atthimimjae vahamti, appege atthae vahamti, appege anutthae vahamti, appege ‘himsimsu metti va’ vahamti, appege himsamti metti va vahamti, appege himsissamti metti va vahamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maim kahata hum – kuchha manushya archa ke lie jivahimsa karate haim. Kuchha manushya charma ke lie, mamsa, rakta, hridaya, pitta, charbi, pamkha, pumchha, kesha, simga, vishana, damta, darha, nakha, snayu, asthi aura asthimajja ke lie praniyom ki himsa karate haim. Kuchha prayojana – vasha, kuchha nishprayojana hi jivom ka vadha karate haim. Kuchha vyakti (inhomne mere svajanadi ki) himsa ki, isa karana himsa karate haim. Kuchha vyakti (yaha mere svajana adi ki) himsa karata hai, isa karana se himsa karate haim. Kuchha vyakti (yaha mere svajanadi ki himsa karega) isa karana himsa karate haim. |