Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000047 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ शस्त्र परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-५ वनस्पतिकाय | Translated Section : | उद्देशक-५ वनस्पतिकाय |
Sutra Number : | 47 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से बेमि–अप्पेगे अंधमब्भे, अप्पेगे अंधमच्छे। अप्पेगे पायमब्भे, अप्पेगे पायमच्छे। (जाव) अप्पेगे संपमारए, अप्पेगे उद्दवए। से बेमि–इमंपि जाइधम्मयं, एयंपि जाइधम्मयं। इमंपि बुड्ढिधम्मयं, एयंपि बुड्ढिधम्मयं। इमंपि चित्तमंतयं, एयंपि चित्तमंतयं। इमंपि छिन्नं मिलाति, एयंपि छिन्नं मिलाति। इमंपि आहारगं, एयंपि आहारगं। इमंपि अनिच्चयं, एयंपि अनिच्चयं। इमंपि असासयं, एयंपि असासयं। इमंपि चयावचइयं, एयंपि चयावचइयं। इमंपि विपरिनामधम्मयं, एयंपि विपरिनामधम्मयं। | ||
Sutra Meaning : | मैं कहता हूँ – यह मनुष्य भी जन्म लेता है, यह वनस्पति भी जन्म लेती है। यह मनुष्य भी बढ़ता है, यह वनस्पति भी बढ़ती है। यह मनुष्य भी चेतना युक्त है, यह वनस्पति भी चेतना युक्त है। यह मनुष्य शरीर छिन्न होने पर म्लान हो जाता है। यह वनस्पति भी छिन्न होने पर म्लान होती है। यह मनुष्य भी आहार करता है, यह वनस्पति भी आहार करती है। यह मनुष्य शरीर भी अनित्य है, यह वनस्पति शरीर भी अनित्य है। यह मनुष्य शरीर भी अशाश्वत है, यह वनस्पति शरीर भी अशाश्वत है। यह मनुष्य शरीर भी आहार से उपचित होता है, आहार के अभाव में अपचित होता है, यह वनस्पति का शरीर भी इसी प्रकार उपचित – अपचित होता है। यह मनुष्य शरीर भी अनेक प्रकार की अवस्थाओं को प्राप्त होता है। यह वनस्पति शरीर भी अनेक प्रकार की अवस्थाओं को प्राप्त होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bemi–appege amdhamabbhe, appege amdhamachchhe. Appege payamabbhe, appege payamachchhe. (java) appege sampamarae, appege uddavae. Se bemi–imampi jaidhammayam, eyampi jaidhammayam. Imampi buddhidhammayam, eyampi buddhidhammayam. Imampi chittamamtayam, eyampi chittamamtayam. Imampi chhinnam milati, eyampi chhinnam milati. Imampi aharagam, eyampi aharagam. Imampi anichchayam, eyampi anichchayam. Imampi asasayam, eyampi asasayam. Imampi chayavachaiyam, eyampi chayavachaiyam. Imampi viparinamadhammayam, eyampi viparinamadhammayam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Maim kahata hum – yaha manushya bhi janma leta hai, yaha vanaspati bhi janma leti hai. Yaha manushya bhi barhata hai, yaha vanaspati bhi barhati hai. Yaha manushya bhi chetana yukta hai, yaha vanaspati bhi chetana yukta hai. Yaha manushya sharira chhinna hone para mlana ho jata hai. Yaha vanaspati bhi chhinna hone para mlana hoti hai. Yaha manushya bhi ahara karata hai, yaha vanaspati bhi ahara karati hai. Yaha manushya sharira bhi anitya hai, yaha vanaspati sharira bhi anitya hai. Yaha manushya sharira bhi ashashvata hai, yaha vanaspati sharira bhi ashashvata hai. Yaha manushya sharira bhi ahara se upachita hota hai, ahara ke abhava mem apachita hota hai, yaha vanaspati ka sharira bhi isi prakara upachita – apachita hota hai. Yaha manushya sharira bhi aneka prakara ki avasthaom ko prapta hota hai. Yaha vanaspati sharira bhi aneka prakara ki avasthaom ko prapta hota hai. |