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Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 174 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथीणं विइगिट्ठे काले सज्झायं करेत्तए निग्गंथनिस्साए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १७३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 175 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा असज्झाइए सज्झायं करेत्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को असज्झाय में स्वाध्याय करना न कल्पे, सज्झाय में (स्वाध्यायकाले) स्वाध्याय करना कल्पे। सूत्र – १७५, १७६
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 176 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सज्झाइए सज्झायं करेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १७५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 177 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अप्पणो असज्झाइए सज्झायं करेत्तए। कप्पइ ण्हं अन्नमन्नस्स वायणं दलइत्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वीको अपनी शारीरिक असज्झाय में सज्झाय करना न कल्पे, अन्योन्य वांचना देना कल्पे।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 178 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स तीसवासपरियायाए समणीए निग्गंथीए कप्पइ उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: तीन साल के दीक्षा पर्यायवाले साधु को तीस साल के दीक्षावाले साध्वी को उपाध्याय के रूप में अपनाना कल्पे, पाँच साल के पर्यायवाले साधु को ६० साल के पर्यायवाले साध्वी को उपाध्याय के रूप में अपनाना कल्पे। सूत्र – १७८, १७९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 179 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पंचवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स सट्ठिवासपरियायाए समणीए निग्गंथीए कप्पइ आयरियत्ताए उद्दिसित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १७८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 180 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गामानुगामं दूइज्जमाणे भिक्खू य आहच्च वीसंभेज्जा तं च सरीरगं केइ साहम्मिया पासेज्जा, कप्पइ से तं सरीरगं मा सागारियमिति कट्टु थंडिले बहुफासुए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिट्ठवेत्तए। अत्थियाइं त्थ केइ साहम्मियसंतिए उवग-रणजाए परिहरणारिहे, कप्पइ से सागारकडं गहाय दोच्चं पि ओग्गहं अनुन्नवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए।

Translated Sutra: एक गाँव से दूसरे गाँव विहार करते साधु – साध्वी शायद काल करे, उनके शरीर को किसी साधर्मिक साधु देखे तो वो साधु उस मृतक को वस्त्र आदि से ढ़ँककर एकान्त, अचित्त, निर्दोष, स्थंड़िल भूमि देखकर, प्रमार्जना करके परठना कल्पे, यदि वहाँ कोई उपकरण हो तो वो आगार सहित ग्रहण करे, दूसरी बार आज्ञा लेकर वो उपकरण रखना या त्याग करने का
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 181 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउंजेज्जा, से य वक्कइयं वएज्जा–इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परि-वसंति, से सागारिए पारिहारिए। से य नो वएज्जा, वक्कइए वएज्जा–इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंतु, से सागारिए पारिहारिए। दो वि ते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया।

Translated Sutra: सज्जातर उपाश्रय किराये पे दे या बेच दे लेकिन लेनेवाले को बोले कि इस जगह में कुछ स्थान पर निर्ग्रन्थ साधु बसते हैं। उस के अलावा जो जगह है वो किराये पे या बिक्री में देंगे तो वो सज्जातर के आहार – पानी वहोरना न कल्पे। यदि देनेवाले ने कुछ न कहा हो लेकिन लेनेवाला ऐसा कहे कि इतनी जगह में साधु भले विचरण करे तो लेनेवाले
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 182 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा, से य कइयं वएज्जा–इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंति, से सागारिए पारिहारिए। से य नो वएज्जा, कइए वएज्जा– इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंतु से सागारिए, पारिहारिए। दो वि ते वएज्जा, दो वि सागारिया पारिहारिया।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८१
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 183 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] विहवधूया नातिकुलवासिणी, सावि ताव ओग्गहं अनुण्णवेयव्वा। किमंग पुण पिया वा भाया वा पुत्ते वा पहेवि ओग्गहे ओगेण्हियव्वे।

Translated Sutra: यदि कोई विधवा पिता के घर में रहती हो और उसकी अनुमति लेने का अवसर आए तो उसके पिता, पुत्र या भाई दोनों की आज्ञा लेकर अवग्रह माँगना चाहिए।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 184 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पहिए वि ओग्गहं अनुण्णवेयव्वे।

Translated Sutra: पंथ के लिए यानि रास्ते में भी अवग्रह की अनुज्ञा लेना। जैसे कि वृक्ष आदि की, वहाँ रहे मुसाफिर की।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 185 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से रायपरियट्टेसु संथडेसु अव्वोगडेसु अव्वोच्छिन्नेसु अपरपरिग्गहिएसु सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुन्नवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे।

Translated Sutra: राजा मर जाए तब राज में फेरफार हुआ है ऐसा माने। लेकिन पहले राजा की दशा – प्रभाव तूटे न हो, भाई – हिस्सा बँटा न हो, अन्य वंश के राजा का विच्छेद न हुआ हो, दूसरे राजा ने अभी उस देश का राज ग्रहण न किया हो तब तक पूर्व की अनुज्ञा के मुताबिक रहना कल्पे, लेकिन यदि पूर्व के राजा का प्रभाव तूट गया हो, हिस्से का बँटवारा, राज विच्छेद,
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-७ Hindi 186 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से रज्जपरियट्टेसु असंथडेसु वोगडेसु वोच्छिन्नेसु परपरिग्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अनुण्णवेयव्वे।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 187 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] गाहा उदू पज्जोसविए। ताए गाहाए ताए पएसाए ताए उवासंतराए जमिणं-जमिणं सेज्जासंथारगं लभेज्जा, तमिणं-तमिणं ममेव सिया। थेरा य से अनुजाणेज्जा, तस्सेव सिया। थेरा य से नो अनुजाणेज्जा, एवं से कप्पइ अहाराइणियाए सेज्जासंथारगं पडिग्गाहेत्तए।

Translated Sutra: जिस घर के लिए वर्षावास रहा उस घर में, बाहर के प्रदेश में या दूर के अन्तर में जो शय्या – संथारा मिला हो वो – वो मेरे हैं ऐसा शिष्य कहे लेकिन यदि स्थविर आज्ञा दे तो लेना कल्पे, यदि आज्ञा न दे तो लेना न कल्पे। उसी तरह आज्ञा मिले तो ही रात – दिन वो शय्या – संथारा लेना कल्पे।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 188 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे हेमंतगिम्हासु भविस्सइ।

Translated Sutra: वो साधु हल्के श्याय – संथारा की गवेषणा करे, ये – वो एक हाथ से उठाकर एक – दो या तीन दिन के मार्ग में ले जाने के लिए समर्थ हो ऐसा संथारा शर्दी – गर्मी के लिए पाए, उसी तरह वर्षावास के लिए प्राप्त करे। सूत्र – १८८, १८९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 189 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे वासावासासु भविस्सइ।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 190 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं चउयाहं वा पंचाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे वुड्ढावासासु भविस्सइ।

Translated Sutra: वो साधु कम वजन के शय्या – संथारा की गवेषणा करे, ये – वो एक हाथ से उठाकर एक, दो, तीन, चार, पाँच दिन के दूर के रास्ते के लिए उठाने को समर्थ हो जिससे वो शय्या – संथारा मुझे बढ़ती वर्षाऋतु में काम लगे।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 191 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] थेराणं थेरभूमिपत्ताणं कप्पइ दंडए वा भंडए वा छत्तए वा मत्तए वा लट्ठिया वा चेले वा चेलचिलिमिलिया वा चम्मे वा चम्मकोसए वा चम्मपलिच्छेयणए वा अविरहिए ओवासे ठवेत्ता गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसित्तए वा निक्खमित्तए वा। कप्पइ ण्हं संनियट्टचारीणं दोच्चं पि ओग्गहं अनुन्नवेत्ता परिहरित्तए।

Translated Sutra: जो स्थविर स्थिरवास रहे उसे दंड़ी, पात्रा, सर ढ़ँकने का वस्त्र, पात्रक, लकड़ी, वस्त्र, चर्मखंड़ रखना कल्पे। यदि स्थविर अकेले हो तब यह सभी उपकरण कहीं रखकर गृहस्थ के घर आहार ग्रहण के लिए नीकले या प्रवेश करे। उसके बाद वापस आने पर जिसके वहाँ उपकरण रखे हों उसकी आज्ञा लेकर वो उपकरण भुगते या त्याग करे।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 192 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पाडिहारियं वा सागारिय संतिवं वा सेज्जासंथारगं दोच्चं पि ओग्गहं अणणुण्णवेत्ता बहिया नीहरित्तए।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को पाड़िहारिक – वापस करने के उचित या शय्यातर के पास से शय्या – संथारा पुनः लेकर अनुज्ञा लिए बिना बाहर जाना न कल्पे, आज्ञा लेकर जाना कल्पे। सूत्र – १९२–१९४
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 193 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ अनुण्णवेत्ता। नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पाडिहारियं वा सेज्जासंथारगं सव्वप्पणा अप्पिणित्ता दोच्चं पि ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिट्ठित्तए, कप्पइ अनुन्नवेत्ता।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 194 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं दोच्चं पि ओग्गहं अनुण्णवेत्ता बहिया नीहरित्तए, कप्पइ अनुण्णवेत्ता।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९२
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 195 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं सव्वप्पणा अप्पिणित्ता दोच्चं पि ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिट्ठित्तए, कप्पइ अनुण्णवेत्ता।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को पाड़िहारिक या शय्यातर के पास से शय्या – संथारा पहले लिया हो वो उन्हें सौंपकर दूसरी दफा उनकी आज्ञा बिना रखना न कल्पे। आज्ञा लेकर रखना कल्पे, या पहले ग्रहण करके फिर आज्ञा लेना भी न कल्पे, पूर्व आज्ञा लेकर फिर ग्रहण करना कल्पे। यदि ऐसा माने कि यहाँ वाकई में प्रातिहारिक शय्या – संथारा सुलभ नहीं है,
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 196 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्छा अनुण्णवेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 197 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पुव्वामेव ओग्गहं अनुण्णवेत्ता तओ पच्छा ओगिण्हित्तए। अह पुण एवं जाणेज्जा–इह खलु निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा नो सुलभे सेज्जासंथारए त्ति कट्टु एव ण्हं कप्पइ पुव्वामेव ओग्गहं ओगिण्हित्ता तओ पच्छा अनुण्णवेत्तए। मा दुहओ अज्जो! वइ-अनुलोमेणं, अनुलोमेयव्वे सिया।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 198 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथस्स णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अनुपविट्ठस्स अन्नयरे अहालहुसए उवगरणजाए परिब्भट्ठे सिया। तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय जत्थेव अन्नमण्णे पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा– इमे भे अज्जो! किं परिण्णाए? से य वएज्जा–परिण्णाए, तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया। से य वएज्जा–नो परिण्णाए, तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा नो अन्नमन्नस्स दावए। एगंते बहुफासुए थंडिले परिट्ठवेयव्वे सिया।

Translated Sutra: साधु गृहस्थ के घर आहार के लिए जाए, या बाहर स्थंड़िल या स्वाध्याय भूमि में जाए, या एक गाँव से दूसरे गाँव विचरते हो वहाँ अल्प उपकरण भी गिर जाए। उसे कोई साधर्मिक साधु देखे, गृहस्थ थकी वो चीज ग्रहण करना कल्पे। वो चीजें लेकर वो साधर्मिक आपसी साधु को कहे कि हे आर्य ! यह उपकरण किसका है तुम जानते हो ? साधु कहे कि हा, जानता
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 199 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथस्स णं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खंतस्स अन्नयरे अहालहुसए उवगरणजाए परिब्भट्ठे सिया तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय पासेज्जा जत्थेव अन्नमन्नं तत्थेव एवं वएज्जा– इमे भे अज्जो! किं परिण्णाए? से य वएज्जा–परिण्णाए, तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया। से य वएज्जा–नो परिण्णाए, तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा नो अन्नमन्नस्स दावए। एगंते बहुफासुए थंडिले परिट्ठवेयव्वे सिया।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 200 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निग्गंथस्स णं गामानुगामं दूइज्जमाणस्स अन्नयरे उवगरणजाए परिब्भट्ठे सिया। केइ साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय दूरमेव अद्धाणं परिवहित्तए। जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा, तत्थेव एवं वएज्जा– इमे भे अज्जो! किं परिण्णाए? से य वएज्जा–परिण्णाए तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया। से य वएज्जा–नो परिण्णाए, तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा नो अन्नमन्नस्स दावए। एगंते बहुफासुए थंडिले परिट्ठवेयव्वे सिया।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९८
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 201 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अइरेगपडिग्गहं अन्नमन्नस्स अट्ठाए धारेत्तए वा परिग्गहित्तए वा, सो वा णं धारेस्सइ अहं वा णं धारेस्सामि अण्णो वा णं धारेस्सइ। नो से कप्पइ ते अनापुच्छिय अनामंतिय अन्नमण्णेसिं दाउं वा अनुप्पदाउं वा। कप्पइ से ते आपुच्छिय आमंतिय अन्नमण्णेसिं दाउं वा अनुप्पदाउं वा।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को अधिक पात्र आपस में ग्रहण करना कल्पे। यदि वो पात्र मैं किसी को दूँगा, मैं खुद ही रखूँगा या दूसरे किसी को भी देंगे तो जिनके लिए उन्हें लिया हो उन्हें पूछे या न्यौता दिए बिना आपस में देना न कल्पे, लेकिन जिनके लिए लिया है उन्हें पूछकर, निमंत्रित करके देना कल्पे।
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-८ Hindi 202 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठ कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे अप्पाहारे। बारस कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे अवड्ढोमोयरिए, सोलस कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे दुभागपत्ते। चउवीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे ओमोयरिए। एगतीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे किंचूणो-मोयरिए। बत्तीसं कुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे पमाणपत्ते। एत्तो एगेण वि घासेणं ऊणगं आहारं आहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामभोइ

Translated Sutra: मूर्गे के अंड़े जितने आठ नीवाले यानि कि आठ कवल आहार जो करे उस साधु को अल्प – आहारी बताए। बारह कवल आहारी साधु अपार्ध उणोदरी करते हैं, सोलह कवल आहारी को अर्ध उणोदरी, चौबीस कवल आहारी को पा उणोदरी, ३१ कवल आहारी को किंचित्‌ उणोदरी, ३२ कवल आहारी को प्रमाण प्राप्त आहारी बताए। उस तरह से एक भी कवल आहार कम करनेवाले को प्रकाम
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 203 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आएसे अंतो वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे पाडिहारिए, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: सागारिक शय्यातर के वहाँ कोई अतिथि घर में भोजन कर रहा हो या बाहर खा रहा हो तो उनके लिए आहार – पानी किए हो वो आहार शय्यातर उसे दे, पाड़िहारिक वापस देने की शर्त से बचा हुआ आहार वो व्यक्ति शय्यातर को दे तो उसमें से साधु को दिया गया आहार साधु को लेना न कल्पे, लेकिन यदि वो आहार अपड़िहारिक हो तो साधु – साध्वी को लेना कल्पे। सूत्र
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 204 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आएसे अंतो वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे अपाडिहारिए, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 205 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे पाडिहारिए, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 206 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स आएसे आएसे बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे अपाडिहारिए, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०३
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 207 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दासे वा भयए वा अंतो वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे पाडिहारिए, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: सागारिक – शय्यातर के दास, नौकर, चाकर, सेवक आदि किसी भी घर में या घर के बाहर खा रहे हो तो उनके लिए बनाया गया आहार बचे वो नौकर आदि वापस लेने की बुद्धि से शय्यातर को दे तो ऐसा आहार शय्यातर दे तब साधु – साध्वी का लेना न कल्पे, वापस लेने की बुद्धि रहित यानि अप्रतिहारिक हो तो कल्पे। सूत्र – २०७–२१०
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 208 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दासे वा भयए वा अंतो वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे अपाडिहारिए, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०७
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 209 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दासे वा भयए वा बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे पाडिहारिए, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०७
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 210 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दासे वा भयए वा बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्ठे अपाडिहारिए, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०७
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 211 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए अंतो सागारियस्स एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: शय्यातर के ज्ञातीजन हो, एक ही घर में, या घर के बाहर, एक ही या अलग चूल्हे का पानी आदि ले रहे हो लेकिन उसके सहारे जिन्दा हो तो उनका दिया गया आहार साधु को लेना न कल्पे। सूत्र – २११–२१४
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 212 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए अंतो अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २११
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 213 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं सागारियस्स एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २११
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 214 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स एगवगडाए बाहिं अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २११
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उद्देशक-९ Hindi 215 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए अंतो एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: शय्यातर के ज्ञातीजन हो, एक दरवाजा हो, आने – जाने का एक ही मार्ग हो, घर अलग हो लेकिन घर में या घर के बाहर रसोई का मार्ग एक ही हो। अलग – अलग चूल्हे हो, या एक ही हो तो भी शय्यातर के आहार – पानी पर जिसकी रोजी चलती हो, उस आहार में से साधु को दे तो वो आहार लेना न कल्पे। सूत्र – २१५–२१८
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उद्देशक-९ Hindi 216 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए अंतो अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 217 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए बाहिं एगपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 218 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स नायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए बाहिं अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१५
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 219 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स चक्कियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: शय्यातर की १. तेल बेचने की, २. गुड़ की, ३. किराने की, ४. कपड़े की, ५. सूत की, ६. रुई और कपास की, ७. गंधीयाणा की, ८. मीठाई की दुकान है उसमें शय्यातर का हिस्सा है। उस दुकान पर बिक्री होती है तो उसमें से कोई भी चीज दे तो वो साधु को लेना न कल्पे, लेकिन यदि इस दुका में शय्यातर का हिस्सा न हो, उस दुकान पर बिक्री होती हो उसमें से किसी
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उद्देशक-९ Hindi 220 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स चक्कियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
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उद्देशक-९ Hindi 221 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गोलियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 222 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गोलियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
Vyavaharsutra व्यवहारसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-९ Hindi 223 Sutra Chheda-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोधियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २१९
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