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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 21 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं सव्वमदत्तादानं मेहुणय परिग्गहं चेव

Translated Sutra: इस प्रकार से सभी प्राणी के आरम्भ को, अखिल (झूठ) वचन को, सर्व अदत्तादान चोरी को, मैथुन और परिग्रह का पच्चक्खाण करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 22 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु वेरं मज्झ केणई आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिं पडिवज्जए

Translated Sutra: मेरी सभी जीव से मैत्री है किसी के साथ मुझे वैर नहीं है वांच्छना का त्याग करके मैं समाधि रखता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 23 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागं बंधं पओसं हरिसं दीनभावयं उस्सुगत्तं भयं सोगं रइं अरइं वोसिरे

Translated Sutra: राग को, बन्धन को, द्वेष और हर्ष को, रांकपन को, चपलपन को, भय को, शोक को, रति को, अरति को मैं वोसिराता (त्याग करता) हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 24 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] ममत्तं परिवज्जामि निम्ममत्तं उवट्ठिओ आलंबणं मे आया, अवसेसं वोसिरे

Translated Sutra: ममता रहितपन में तत्पर होनेवाला मैं ममता का त्याग करता हूँ, और फिर मुझे आत्मा आलम्बनभूत है, दूसरी सभी चीज को वोसिराता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 25 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरित्ते आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे

Translated Sutra: मुझे ज्ञानमें आत्मा, दर्शनमें आत्मा, चारित्रमें आत्मा, पच्चक्खाणमें आत्मा और संजम जोगमें भी आत्मा (आलम्बनरूप) हो
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 26 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो वच्चइ जीवो, एगो चेवुववज्जई एगस्स होइ मरणं, एगो सिज्झइ नीरओ

Translated Sutra: जीव अकेला जाता है, यकीनन अकेला उत्पन्न होता है, अकेले को ही मरण प्राप्त होता है, और कर्मरहित होने के बावजूद अकेला ही सिद्ध होता है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 27 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो मे सासओ अप्पा नाण-दंसणसंजुओ सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा

Translated Sutra: ज्ञान, दर्शन सहित मेरी आत्मा एक शाश्वत है, शेष सभी बाह्य पदार्थ मेरे लिए केवल सम्बन्ध मात्र स्वरूप वाले हैं
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 28 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संजोगमूला जीवेणं पत्ता दुक्खपरंपरा तम्हा संजोगसंबंधं सव्वं भावेण वोसिरे

Translated Sutra: जिसकी जड़ रिश्ता है ऐसी दुःख की परम्परा इस जीवने पाई, उस के लिए सभी संयोग संबंध को मन, वचन, काया से मैं त्याग करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 29 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मूलगुण उत्तरगुणे जे मे नाऽऽराहिया पमाएणं तमहं सव्वं निंदे पडिक्कमे आगमिस्साणं</em>

Translated Sutra: प्रयत्न (प्रमाद) से जो मूलगुण और उत्तरगुण की मैंने आराधना नहीं की है उन सब की मैं निन्दा करता हूँ भाव की विराधना का प्रतिक्रमण करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 30 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त भए अट्ठ मए सन्ना चत्तारि गारवे तिन्नि आसायण तेत्तीसं रागं दोसं गरिहामि

Translated Sutra: सात भय, आठ मद, चार संज्ञा, तीन गारव, तेत्तीस आशातना, राग, द्वेष की तथा असंयम, अज्ञान, मिथ्यात्व और जीवमें एवं अजीवमें सर्व ममत्व की मैं निन्दा करता हूँ और गर्हा करता हूँ सूत्र ३०, ३१
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 31 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अस्संजममन्नाणं मिच्छत्तं सव्वमेव ममत्तं जीवेसु अजीवेसु तं निंदे तं गरिहामि

Translated Sutra: देखो सूत्र ३०
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 32 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निंदामि निंदणिज्जं गरहामि जं मे गरहणिज्जं आलोएमि सव्वं सब्भिंतर बाहिरं उवहिं

Translated Sutra: निन्दा करने के योग्य की मैं निन्दा करता हूँ और जो मेरे लिए गर्हा करने के योग्य है उन (पाप की) गर्हा करता हूँ सभी अभ्यंतर और बाह्य उपधि का मैं त्याग करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 33 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह बालो जंपंतो कज्जमकज्जं उज्जुयं भणइ तं तह आलोएज्जा मायामोसं पमोत्तूणं

Translated Sutra: जिस तरह रत्नाधिक के सामने बोलने(कहेने) वाला कार्य या अकार्य को सरलता से कहता है उसी तरह माया मृषावाद को छोड़कर वह पाप को आलोए
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 34 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नाणंमि दंसणंमि तवे चरित्ते चउसु वि अकंपो धीरो आगमकुसलो</em> अपरिस्सावी रहस्साणं

Translated Sutra: ज्ञान, दर्शन, तप और चारित्र उन चारों में अचलायमान, धीर, आगममें</em> कुशल, बताए हुए गुप्त रहस्य को अन्य को नहीं कहनेवाला (ऐसे गुरु के पास से आलोयणा लेनी चाहिए)
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 35 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागेण दोसेण जं भे अकयन्नुयापमाएणं जो मे किंचि वि भणिओ तमहं तिविहेण खामेमि

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! राग से, द्वेष से, अकृतज्ञत्व से और प्रमाद से मैंने जो कुछ भी तुम्हारा अहित किया हो वो मैं मन, वचन, काया से खमाता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 36 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिविहं भणंति मरणं, बालाणं बालपंडियाणं तइयं पंडियमरणं जं केवलिणो अनुमरंति

Translated Sutra: मरण तीन प्रकार का होता है बाल मरण, बाल पंड़ित मरण और पंड़ित मरण, सीर्फ केवली पंड़ित मरण से मृत्यु पाते हैं
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 37 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जे पुण अट्ठमईया पयलियसन्ना वक्कभावा असमाहिणा मरंति हु ते आराहगा भणिया

Translated Sutra: और फिर जो आठ मदवाले, नष्ट हुई हो वैसी बुद्धिवाले और वक्रपन को (माया को) धारण करनेवाले असमाधि से मरते हैं उन्हें निश्चय से आराधक नहीं कहा है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 38 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मरणे विराहिए देवदुग्गई दुल्लहा किर बोही संसारो अणंतो होइ पुणो आगमिस्साणं</em>

Translated Sutra: मरण विराधे हुए (असमाधि मरण द्वारा) देवता में दुर्गति होती है सम्यक्त्व पाना दुर्लभ होता है और फिर आनेवाले काल में अनन्त संसार होता है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 39 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] का देवदुग्गई? का अबोहि? केणेव बुज्झई मरणं? केण अनंतमपारं संसारे हिंडई जीवो?

Translated Sutra: देव की दुर्गति कौन सी ? अबोधि क्या है ? किस लिए (बार बार) मरण होता है ? किस वजह से जीव अनन्त काल तक घूमता रहता है ?
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 11 Sutra Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि भंते! उत्तमट्ठं पडिक्कमामि अईयं पडिक्कमामि अनागयं पडिक्कमामि पच्चुप्पन्नं पडिक्कमामि कयं पडिक्कमामि कारियं पडिक्कमामि अनुमोइयं पडिक्कमामि , मिच्छत्तं पडिक्कमामि असंजमं पडिक्कमामि कसायं पडिक्कमामि पावपओगं पडिक्कमामि , मिच्छादंसण परिणामेसु वा इहलोगेसु वा परलोगेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पंचसु इंदियत्थेसु वा; अन्नाणंझाणे अनायारंझाणे कुदंसणंझाणे कोहंझाणे मानंझाणे मायंझाणे लोभंझाणे रागंझाणे दोसंझाणे मोहंझाणे १० इच्छंझाणे ११ मिच्छंझाणे १२ मुच्छंझाणे १३ संकंझाणे १४ कंखंझाणे १५ गेहिंझाणे १६ आसंझाणे १७ तण्हंझाणे

Translated Sutra: हे भगवंत ! मैं अनशन करने की ईच्छा रखता हूँ पाप व्यवहार को प्रतिक्रमता हूँ भूतकाल के (पाप को) भावि में होनेवाले (पाप) को, वर्तमान के पाप को, किए हुए पाप को, करवाए हुए पाप को और अनुमोदन किए गए पाप का प्रतिक्रमण करता हूँ, मिथ्यात्व का, अविरति परिणाम, कषाय और पाप व्यापार का प्रतिक्रमण करता हूँ मिथ्यादर्शन के परिणाम
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 12 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एस करेमि पणामं जिनवरवसहस्स वद्धमाणस्स सेसाणं जिनाणं सगणहराणं सव्वेसिं

Translated Sutra: जिनो में वृषभ समान वर्द्धमानस्वामी को और गणधर सहित बाकी सभी तीर्थंकर को मैं नमस्कार करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 13 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं सव्वमदिन्नादाणं मेहुण्ण परिग्गहं चेव

Translated Sutra: इस प्रकार से मैं सभी प्राणीओं के आरम्भ, अलिक (असत्य) वचन, सर्व अदत्तादान (चोरी), मैथुन और परिग्रह का पच्चखाण करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 14 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ केणई आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिमनुपालए

Translated Sutra: मुझे सभी जीव के साथ मैत्रीभाव है किसी के साथ मुझे वैर नहीं है, वांच्छा का त्याग करके मैं समाधि रखता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 15 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं चाऽऽहारविहिं सन्नाओ गारवे कसाए सव्वं चेव ममत्तं चएमि सव्वं खमावेमि

Translated Sutra: सभी प्रकार की आहार विधि का, संज्ञाओं का, गारवों का, कषायों का और सभी ममता का त्याग करता हूँ, सब को खमाता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 16 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] होज्जा इमम्मि समए उवक्कमो जीवियस्स जइ मज्झ एयं पच्चक्खाणं विउला आराहणा होउ

Translated Sutra: यदि मेरे जीवित का उपक्रम (आयु का नाश) इस अवसर में हो, तो यह पच्चक्खाण और विस्तारवाली आराधना मुझे हो
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 17 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वदुक्खप्पहीणाणं सिद्धाणं अरहओ नमो सद्दहे जिनपन्नत्तं पच्चक्खामि पावगं

Translated Sutra: सभी दुःख क्षय हुए हैं जिनके ऐसे सिद्ध को और अरिहंत को नमस्कार हो, जिनेश्वरों ने कहे हुए तत्त्व मैं सद्दहता हूँ, पापकर्म को पच्चक्खाण करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 18 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नमोऽत्थु धुयपावाणं सिद्धाणं महेसिणं संथारं पडिवज्जामि जहा केवलिदेसियं

Translated Sutra: जिन के पाप क्षय हुए हैं, ऐसे सिद्ध को और महा ऋषि को नमस्कार हो, जिस तरह से केवलीओंने बताया है वैसा संथारा मैं अंगीकार करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 40 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कंदप्पदेव-किब्बिस-अभिओगा आसुरी सम्मोहा ता देवदुग्गईओ मरणम्मि विराहिए हुंति

Translated Sutra: मरण विराधे हुए कंदर्प (मश्करा) देव, किल्बिषिक देव, चाकर देव, असुर देव और संमोहा (स्थान भ्रष्ट) देव यह पाँच दुर्गति होती है इस संसार में मिथ्यादर्शन रक्त, नियाणा सहित, कृष्ण लेश्यावाले जो जीव मरण पाते हैं उन को बोधि बीज दुर्लभ होता है सूत्र ४०, ४१
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 41 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मिच्छद्दंसणरत्ता सनियाणा कण्हलेसमोगाढा इय जे मरंति जीवा तेसिं दुलहा भवे बोही

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 42 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मद्दंसणरत्ता अनियाणा सुक्कलेसमोगाढा इय जे मरंति जीवा तेसिं सुलहा भवे बोही

Translated Sutra: इस संसार में सम्यक्‌ दर्शन में रक्त, नियाणा रहित, शुक्ल लेश्यावाले जो जीव मरण पाते हैं उन जीव को बोधि बीज (समकित) सुलभ होता है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 43 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जे पुण गुरुपडिणीया बहुमोहा ससबला कुसीला असमाहिणा मरंति ते हुंति अनंतसंसारी

Translated Sutra: जो गुरु के शत्रु रूप, बहुत मोहवाले, दूषण सहित, कुशील होत हैं और असमाधिमें मरण पाते हैं वो अनन्त संसारी होते हैं
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 44 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जिनवयणे अनुरत्ता गुरुवयणं जे करंति भावेणं असबल असंकिलिट्ठा ते हुंति परित्तसंसारी

Translated Sutra: जिन वचन में रागवाले, जो गुरु का वचन भाव से स्वीकार करते हैं, दूषण रहित हैं और संक्लेशरहित होते हैं, वे अल्प संसारवाले होते हैं जो जिनवचन को नहीं जानते वो बेचारे (आत्मा) बाल मरण और कईं बार बिना ईच्छा से मरण पाते हैं सूत्र ४४, ४५
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

असमाधिमरणं

Hindi 45 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बालमरणाणि बहुसो बहुयाणि अकामगाणि मरणाणि मरिहिंति ते वराया जे जिनवयणं याणंति

Translated Sutra: देखो सूत्र ४४
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 46 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्थग्गहणं विसभक्खणं जलणं जलपवेसो अणयारभंडसेवी जम्मण-मरणानुबंधीणि

Translated Sutra: शस्त्रग्रहण (शस्त्र से आत्महत्या करना), विषभक्षण, जल के मरना, पानी में डूब मरना, अनाचार और अधिक उपकरण का सेवन करनेवाले जन्म, मरण की परम्परा बढ़ानेवाले होते हैं
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 47 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उड्ढमहे तिरियम्मि वि मयाणि जीवेण बालमरणाणि दंसण-नाणसहगओ पंडियमरणं अनुमरिस्सं

Translated Sutra: उर्ध्व, अधो, तिर्च्छा (लोक) में जीव ने बालमरण किए लेकिन अब दर्शन ज्ञान सहित मैं पंड़ित मरण से मरूँगा
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 48 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उव्वेयणयं जाई मरणं नरएसु वेयणाओ एयाणि संभरंतो पंडियमरणं मरसु इण्हिं

Translated Sutra: उद्वेग करनेवाले जन्म, मरण और नरक में भुगती हुई वेदनाको याद करते हुए अब तुम पंड़ित मरण से मरो
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 49 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जइ उप्पज्जइ दुक्खं तो दट्ठव्वो सहावओ नवरं किं किं मए पत्तं संसारे संसरंतेणं?

Translated Sutra: यदि दुःख उत्पन्न हो तो स्वभाव द्वारा उस की विशेष उत्पत्ति देखना (संसारमें भुगते हुए विशेष दुःख को याद करना) संसार में भ्रमण करते हुए मैंने क्या क्या दुःख नहीं पाए (ऐसा सोचना चाहिए)
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 50 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संसारचक्कवालम्मि मए सव्वे वि पोग्गला बहुसो आहारिया परिणामिया नाहं गओ तित्तिं

Translated Sutra: और फिर मैंने संसार चक्रमें सर्वे पुद्‌गल कईं बार खाए और परिणमाए, तो भी मैं तृप्त नहीं हुआ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 51 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तण-कट्ठेहि अग्गी लवणजलो वा नईसहस्सेहिं इमो जीवो सक्को तिप्पेउं काम-भोगेहिं

Translated Sutra: तृण और लकड़े से जैसे अग्नि तृप्त नहीं होता और हजारों नदीयों से जैसे लवण समुद्र तृप्त नहीं होता, वैसे काम भोग द्वारा यह जीव तृप्ति नहीं पाता
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 52 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आहारनिमित्तेणं मच्छा गच्छंति सत्तमिं पुढविं सच्चित्तो आहारो खमो मनसा वि पत्थेउं

Translated Sutra: आहार के लिए (तंदुलीया) मत्स्य सातवी नरकभूमि में जाते हैं इसलिए सचित्त आहार करने की मन से भी ईच्छा या प्रार्थना करना उचित नहीं है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 53 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुव्विं कयपरिकम्मो अनियाणो ईहिऊण मइ-बुद्धी पच्छा मलियकसाओ सज्जो मरणं पडिच्छामि

Translated Sutra: जिसने पहेले (अनशन का) अभ्यास किया है, और नियाणा रहित हुआ हूँ ऐसा मैं मति और बुद्धि से सोच कर फिर कषाय को रोकनेवाला मैं शीघ्र ही मरण अंगीकार करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 54 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अक्कंडे चिरभाविय ते पुरिसा मरणदेसकालम्मि पुव्वकयकम्मपरिभावणाए पच्छा परिवडंति

Translated Sutra: दीर्घकाल के अभ्यास बिना अकाल में (अनशन करनेवाले) वो पुरुष मरण के अवसर पर पहले किए हुए कर्म के योग से पीछे भ्रष्ट होते हैं (दुर्गति में जाते हैं)
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 55 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तम्हा चंदगविज्झं सकारणं उज्जुएण पुरिसेणं जीवो अविरहियगुणो कायव्वो मोक्खमग्गम्मि

Translated Sutra: उसके लिए राधावेध (को साधनेवाले पुरुष) की तरह लक्ष्यपूर्वक उद्यमवाले पुरुष मोक्षमार्ग की जिस तरह साधना करते हैं उसी तरह अपने आत्मा को ज्ञानादि गुण के सहित करना चाहिए
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 56 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बाहिरजोगविरहिओ अब्भिंतरझाणजोगमल्लीणो जह तम्मि देसकाले अमूढसन्नो चयइ देहं

Translated Sutra: वह (मरण के) अवसर पर बाह्य (पौद्‌गलिक) व्यापार रहित, अभ्यन्तर (आत्म स्वरूप) ध्यान में मग्न, सावधान मनवाला होकर शरीर का त्याग करता है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 57 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हंतूण राग-दोसं छित्तूण अट्ठकम्मसंघायं जम्मण-मरणऽरहट्टं छेत्तूण भवा विमुच्चिहिसि

Translated Sutra: राग द्वेष का वध कर के, आठ कर्म के समूह को नष्ट करके, जन्म और मरण समान अरहट्ट को भेदकर तूं संसार से अलग हो जाएगा
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 58 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एयं सव्वुवएसं जिणदिट्ठं सद्दहामि तिविहेणं तस-थावरखेमकरं पारं निव्वाणमग्गस्स

Translated Sutra: इस प्रकार से त्रस और स्थावर का कल्याण करनेवाला, मोक्ष मार्ग का पार दिलानेवाला, जिनेश्वर ने बताए हुए सर्व उपदेश का मन, वचन, काया से मैं श्रद्धा करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 59 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हु तम्मि देसकाले सक्को बारसविहो सुयक्खंधो सव्वो अणुचिंतेउं धणियं पि समत्थचित्तेणं

Translated Sutra: उस (मरण के) अवसर पर अति समर्थ चित्तवाले से भी बारह अंग समान सर्व श्रुतस्कंध का चिंतवन करना मुमकीन नहीं है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 60 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगम्मि वि जम्मि पए संवेगं वीयरायमग्गम्मि गच्छइ नरो अभिक्खं तं मरणं तेण मरियव्वं

Translated Sutra: (इसलिए) वीतराग के मार्ग में जो एक भी पद से मानव बार बार वैराग पाए उस पद सहित (उसी पद का चिंतवन करते हुए) तुम्हें मृत्यु को प्राप्त करना उचित है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 61 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] ता एगं पि सिलोगं जो पुरिसो मरणदेसकालम्मि आराहणोवउत्तो चिंतंतो राहगो होइ

Translated Sutra: उस के लिए मरण के अवसर में आराधना के उपयोगवाला जो पुरुष एक श्लोक की भी चिंतवना करता रहे तो वह आराधक होता है
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

पंडितमरण एवं आराधनादि

Hindi 62 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आराहणोवउत्तो कालं काऊण सुविहिओ सम्मं उक्कोसं तिन्नि भवे गंतूणं लहइ निव्वाणं

Translated Sutra: आराधना के उपयोगवाला, सुविहित (अच्छे आचारवाला) आत्मा अच्छी तरह से (समाधि भाव से) काल कर के उत्कृष्ट से तीन भव में मोक्ष पाता है
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