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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 328 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह दीवा दीवसयं, पइप्पए सो दिप्पए दीवो दीवसमा आयरिया, दिप्पंति परं दीवेंति

Translated Sutra: जैसे दीपक दूसरे सैकड़ों दीपकों को प्रज्वलित करके भी प्रदीप्त रहता है, उसी प्रकार आचार्य स्वयं दीपक के समान देदीप्यमान है और दूसरों को देदीप्यमान करते हैं
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 329 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नोआगमओ</em> भावज्झीणे से तं भावज्झीणे से तं अज्झीणे से किं तं आए? आए चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहानामाए ठवणाए दव्वाए भावाए नाम-ट्ठवणाओ गयाओ से किं तं दव्वाए? दव्वाए दुविहे पन्नत्ते, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em> से किं तं आगमओ</em> दव्वाए? आगमओ</em> दव्वाएजस्स णं आए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नाम-समं घोससमं अहीणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु नेगमस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ</em>

Translated Sutra: इस प्रकार से नोआगमभाव</em> अक्षीण का स्वरूप जानना चाहिए आय क्या है ? आय के चार प्रकार हैं यथा नाम आय, स्थापना आय, द्रव्य आय, भाव आय नाम आय और स्थापना आय का वर्ण पूर्ववत्‌ जानना द्रव्य आय के दो भेद हैं आगम</em> से, नोआगम</em> से जिसने आय यह पद सीख लिया हे, स्थिर कर लिया है किन्तु उपयोग रहित होने से द्रव्य हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 1 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नाणं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहा आभिनिबोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मनपज्जवनाणं केवलनाणं

Translated Sutra: ज्ञान के पाँच प्रकार हैं आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यवज्ञान, केवलज्ञान
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 2 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ चत्तारि नाणाइं ठप्पाइं ठवणिज्जाइं नो उद्दिस्संति, नो समुद्दिस्संति नो अनुन्नविज्जंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ

Translated Sutra: इन ज्ञानों में से चार ज्ञान स्थाप्य हैं, एक स्थापनीय हैं क्योंकि ये चारों ज्ञान (गुरु द्वारा) उपदिष्ट नहीं होते हैं, समुपदिष्ट नहीं होते हैं और इनकी आज्ञा दी जाती है किन्तु श्रुतज्ञान का उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग होता है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 3 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ

Translated Sutra: यदि श्रुतज्ञान में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है तो वह उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति अंगप्रविष्ट श्रुत में होती है अथवा अंगबाह्य में होती है ? अंगप्रविष्ट तथा अंगबाह्य दोनों आगम</em> में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग प्रवर्तित होते हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 4 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, किं कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, उक्कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ

Translated Sutra: भगवन्‌ ! यदि अंगबाह्य श्रुत में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग की प्रवृत्ति होती है तो क्या वह कालिकाश्रुत में होती है अथवा उत्कालिक श्रुत में ? कालिकश्रुत और उत्कालिक श्रुत दोनों में उद्देश, समुद्देश, अनुज्ञा और अनुयोग प्रवृत्त होते हैं, किन्तु यहाँ उत्कालिक श्रुत का उद्देश यावत्‌ अनुयोग प्रारम्भ किया
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 5 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, किं आवस्सयस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? आवस्सयवतिरित्तस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ? आवस्सयस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ, आवस्सयवतिरित्तस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो पवत्तइ इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च आवस्सयस्स अनुओगो

Translated Sutra: यदि उत्कालिक श्रुत के उद्देश आदि होते हैं तो क्या वे आवश्यक के होते हैं अथवा आवश्यकव्यतिरिक्त के होते हैं ? आयुष्यमन्‌ ! यद्यपि आवश्यक और आवश्यक से भिन्न दोनों के उद्देश आदि होते हैं परन्तु यहाँ आवश्यक का अनुयोग प्रारम्भ किया जा रहा है
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 6 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ आवस्सयस्स अनुओगो, आवस्सयण्णं किं अंगं? अंगाइं? सुयखंधो? सुयखंधा? अज्झ-यणं? अज्झयणाइं? उद्देसो? उद्देसा? आवस्सयण्णं नो अंगं नो अंगाइं, सुयखंधो नो सुयखंधा, नो अज्झयणं अज्झयणाइं, नो उद्देसो नो उद्देसा

Translated Sutra: यदि यह अनुयोग आवश्यक का है तो क्या वह एक अंग रूप है या अनेक अंग रूप ? एक श्रुतस्कन्ध रूप है या अनेक श्रुतस्कन्ध रूप ? एक अध्ययन रूप है या अनेक अध्ययन रूप ? एक उद्देशक रूप है या अनेक उद्देशक रूप ? आवश्यकसूत्र एक या अनेक अंग रूप नहीं है एक श्रुतस्कन्ध रूप है अनेक अध्ययन रूप है या अनेक उद्देशक रूप नहीं है
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 7 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तम्हा आवस्सयं निक्खिविस्सामि, सुयं निक्खिविस्सामि, खंधं निक्खिविस्सामि, अज्झयणं निक्खिविस्सामि

Translated Sutra: आवश्यक का निक्षेप करूँगा इसी तरह श्रुत, स्कन्ध एवं अध्ययन शब्दों का निक्षेप करूँगा
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 8 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जत्थ जं जाणेज्जा, निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं जत्थ वि जाणेज्जा, चउक्कयं निक्खिवे तत्थ

Translated Sutra: यदि निक्षेप्ता जिस वस्तु के समस्त निक्षेपों को जानता हो तो उसे उन सबका निरूपण करना चाहिए और यदि जानता हो तो चार निक्षेप तो करना ही चाहिए
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 9 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आवस्सयं? आवस्सयं चउव्विहं पन्नत्तं, तं जहानामावस्सयं ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं

Translated Sutra: आवश्यक का स्वरूप क्या है ? आवश्यक चार प्रकार का है नाम आवश्यक, स्थापना आवश्यक, द्रव्य आवश्यक, भाव आवश्यक
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 10 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामावस्सयं? नामावस्सयंजस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सए त्ति नामं कज्जइ से तं नामावस्सयं

Translated Sutra: नाम आवश्यक का स्वरूप क्या है ? जिस किसी जीव या अजीव का अथवा जीवों या अजीवों का, तदुभय का अथवा तदुभयों का, आवश्यक ऐसा नाम रख लिया जाता है, उसे नाम आवश्यक कहते हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 11 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं ठवणावस्सयं? ठवणावस्सयंजण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भाव-ठवणाए वा आवस्सए त्ति ठवणा ठविज्जइ से तं ठवणावस्सयं

Translated Sutra: स्थापना आवश्यक क्या है ? काष्ठकर्म, चित्रकर्म, पुस्तकर्म, लेप्यकर्म, ग्रंथिम</em>, वेष्टिम, पूरिम, संघातिम, अक्ष अथवा वराटक में एक अथवा अनेक आवश्यक रूप से जो सद्‌भाव अथवा असद्‌भाव रूप स्थापना की जाती है, वह स्थापना आवश्यक है
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 12 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नामट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा

Translated Sutra: नाम और स्थापना में क्या भिन्नता है ? नाम यावत्कथित होता है, किन्तु स्थापना इत्वरिक और यावत्कथित, दोनों प्रकार की होती है
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 13 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वावस्सयं? दव्वावस्सयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em>

Translated Sutra: द्रव्य आवश्यक क्या है ? द्रव्यावश्यक दो प्रकार का है आगमद्रव्यावश्यक</em>, नोआगमद्रव्यावश्यक</em>
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 14 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ</em> दव्वावस्सयं? आगमओ</em> दव्वावस्सयंजस्स णं आवस्सए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं धोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु

Translated Sutra: आगमद्रव्य</em> आवश्यक क्या है ? जिस ने आवश्यक पद को सीख लिया है, स्थित कर लिया है, जित कर लिया है, मित कर लिया है, परिजित कर लिया है, नामसम कर लिया है, घोषसम किया है, अहीनाक्षर किया है, अनत्यक्षर किया है, व्यतिक्रमरहित उच्चारण किया है, अस्खलित किया है, पदों को मिश्रित करके उच्चारण नहीं किया है, एक शास्त्र के भिन्न भिन्न
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 22 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं? लोगुत्तरियं दव्वावस्सयंजे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरनुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्ठा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपाउरणा जिनाणं अणाणाए सच्छंदं विहरिऊणं उभओकालं आवस्सयस्स उवट्ठंति से तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं से तं जाणगसरीर-भवियसरीरवतिरत्तं दव्वावस्सयं से त्तं नोआगमओ</em> दव्वावस्सयं से तं दव्वावस्सयं

Translated Sutra: लोकोत्तरिक द्रव्यावश्यक क्या है ? जो श्रमण के गुणों से रहित हों, छह काय के जीवों के प्रति अनुकम्पा होने के कारण अश्व की तरह उद्दाम हों, हस्तिवत्‌ निरंकुश हों, स्निग्ध पदार्थों के लेप से अंग प्रत्यंगों को कोमल, सलौना बनाते हों, शरीर को धोते हों, अथवा केशों का संस्कार करते हों, ओठों को मुलायम रखने के लिए मक्खन
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 23 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावावस्सयं? भावावस्सयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em>

Translated Sutra: भावावश्यक क्या है ? दो प्रकार का है आगमभावावश्यक</em> और नोआगमभावावश्यक</em>
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 24 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ</em> भावावस्सयं? आगमओ</em> भावावस्सयंजाणए उवउत्ते से तं आगमओ</em> भावावस्सयं

Translated Sutra: आगमभावावश्यक</em> क्या है ? जो आवश्यक पद का ज्ञाता हो और साथ ही उपयोग युक्त हो, वह आगमभावावश्यक</em> है
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Hindi 25 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नोआगमओ</em> भावावस्सयं? नोआगमओ</em> भावावस्सयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहालोइयं कुप्पावयणियं लोगुत्तरियं

Translated Sutra: नोआगमभावावश्यक</em> किसे कहते हैं ? तीन प्रकार का है लौकिक, कुप्रावचनिक और लोकोत्तरिक
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 26 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोइयं भावावस्सयं? लोइयं भावावस्सयंपुव्वण्हे भारहं, अवरण्हे रामायणं से तं लोइयं भावावस्सयं

Translated Sutra: लौकिक भावावश्यक क्या है ? दिन के पूर्वार्ध में महाभारत का और उत्तरार्ध में रामायण का वाचन करने, श्रवण करने को लौकिक नोआगमभावावश्यक</em> कहते हैं
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 27 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं? कुप्पावयणियं भावावस्सयंजे इमं चरग-चीरिय-चम्मखंडिय-भिक्खोंड-पंडुरंग-गोयम-गोव्वइय-गिहिधम्म-धम्मचिंतग-अविरुद्ध-विरुद्ध-वुड्ढसावगप्पभिइओ० पासंडत्था इज्जंजलि-होम-जप-उदुरुक्क-नमोक्कार-माइयाइं भावावस्सयाइं करेंति से तं कुप्पावयणियं भावावस्सयं

Translated Sutra: कुप्रावचनिक भावावश्यक क्या है ? जो ये चरक, चीरिक यावत्‌ पाषण्डस्थ यज्ञ, अंजलि, हवन, जाप, धूपप्रक्षेप या बैल जैसी ध्वनि, वंदना आदि भावावश्यक करते हैं, वह कुप्रावचनिक भावावश्यक है
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Hindi 28 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं? लोगुत्तरियं भावावस्सयंजण्णं इमं समणे वा समणी वा सावए वा साविया वा तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए अन्नत्थ कत्थइ मणं अकरेमाणे उभओ कालं आवस्सयं करेति से तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं से तं नोआगमओ</em> भावावस्सयं से तं भावावस्सयं

Translated Sutra: लोकोत्तरिक भावावश्यक क्या है ? दत्तचित्त और मन की एकाग्रता के साथ, शुभ लेश्या एवं अध्यवसाय से सम्पन्न, यथाविध क्रिया को करने के लिए तत्पर अध्यवसायों से सम्पन्न होकर, तीव्र आत्मोत्साहपूर्वक उसके अर्थ में उपयोगयुक्त होकर एवं उपयोगी करणों को नियोजित कर, उसकी भावना से भावित होकर जो ये श्रमण, श्रमणी, श्रावक, श्राविकायें
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Hindi 29 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं इमे एगट्ठिया नानाघोसा नानावंजणा नामधेज्जा भवंति तं जहा

Translated Sutra: उस आवश्यक के नाना घोष और अनेक व्यंजन वाले एकार्थक अनेक नाम इस प्रकार हैं आवश्यक, अवश्यकरणीय, ध्रवनिग्रह, विशोधि, अध्ययन षट्‌कवर्ग, न्याय, आराधना और मार्ग श्रमणों और श्रावकों द्वारा दिन एवं रात्रि के अन्त में अवश्य करने योग्य होने के कारण इसका नाम आवश्यक है यह आवश्यक का स्वरूप है सूत्र २९३२
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Hindi 30 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आवस्सयं अवस्सकरणिज्ज, धुवनिग्गहो विसोही अज्झयणछक्कवग्गो, नाओ आराहणा मग्गो

Translated Sutra: देखो सूत्र २९
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Hindi 31 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समणेण सावएण , अवस्सकायव्वं हवइ जम्हा अंतो अहोनिसस्स , तम्हा आवस्सयं नाम

Translated Sutra: देखो सूत्र २९
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Hindi 32 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं आवस्सयं

Translated Sutra: देखो सूत्र २९
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Hindi 33 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सुयं? सुयं चउव्विहं पन्नत्तं, तं जहानामसुयं ठवणासुयं दव्वसुयं भावसुयं

Translated Sutra: श्रुत क्या है ? श्रुत चार प्रकार का है नामश्रुत, स्थापनाश्रुत, द्रव्यश्रुत, भावश्रुत
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Hindi 34 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामसुयं? नामसुयंजस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा सुए त्ति नामं कज्जइ से तं नामसुयं

Translated Sutra: नामश्रुत क्या है ? जिस किसी जीव या अजीव का, जीवों या अजीवों का, उभय का अथवा उभयों का श्रुत ऐसा नाम रख लिया जाता है, वह नामश्रुत हैं
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Hindi 35 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं ठवणासुयं? ठवणासुयंजण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा सुए त्ति ठवणा ठविज्जइ से तं ठवणासुयं नाम-ट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा

Translated Sutra: स्थापनाश्रुत क्या है ? काष्ठ यावत्‌ कौड़ी आदि में यह श्रुत है, ऐसी जो स्थापना की जाती है, वह स्थापनाश्रुत है नाम और स्थापना में क्या विशेषता है ? नाम यावत्कथित होता हे, जबकि स्थापना इत्वरिक और यावत्कथित दोनों प्रकार की होती है
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Hindi 36 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वसुयं? दव्वसुयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em>

Translated Sutra: द्रव्यश्रुत क्या है ? दो प्रकार का है जैसे आगमद्रव्यश्रुत</em>, नोआगमद्रव्यश्रुत</em>
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Hindi 37 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ</em> दव्वसुयं? आगमओ</em> दव्वसुयंजस्स णं सुए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जिय मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु नेगमस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ</em> एगं दव्वसुयं, दोन्नि अनुवउत्ता आगमओ</em> दोन्नि दव्वसुयाइं, तिन्नि अनुवउत्ता आगमओ</em> तिन्नि दव्वसुयाइं, एवं जावइया अनुवउत्ता तावइयाइं ताइं नेगमस्स आगमओ</em> दव्वसुयाइं एवमेव ववहारस्स वि संगहस्स एगो वा अनेगा वा अनुवउत्तो

Translated Sutra: आगम</em> की अपेक्षा द्रव्यश्रुत का क्या स्वरूप है ? जिस साधु आदि ने श्रुत यह पद सीखा है, स्थिर, जित, मित, परिजित किया है यावत्‌ जो ज्ञायक हैं वह अनुपयुक्त नहीं होता है आदि यह आगम</em> द्रव्यश्रुत का स्वरूप है
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Hindi 38 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नोआगमओ</em> दव्वसुयं? नोआगमओ</em> दव्वसुयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहाजाणगसरीरदव्वसुयं भवियसरीरदव्वसुयं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं

Translated Sutra: नोआगमद्रव्यश्रुत</em> क्या है ? तीन प्रकार का है ज्ञायकशरीरद्रव्यश्रुत, भव्यशरीरद्रव्यश्रुत, ज्ञायकशरीर भव्यशरीरव्य तिरिक्तद्रव्यश्रुत
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 39 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं जाणगसरीरदव्वसुयं? जाणगसरीरदव्वसुयंसुए त्ति पयत्थाहिगारजाणगस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चाविय-चत्तदेहं जीवविप्पजढं सेज्जागयं वा संथारगयं वा निसीहियागयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ताणं कोइ वएज्जाअहो णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्ठेणं भावेणं सुए त्ति पयं आघवियं पन्नवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं जहा को दिट्ठंतो? अयं महुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी से तं जाणगसरीरदव्वसुयं

Translated Sutra: ज्ञायकशरीर द्रव्यश्रुत क्या है ? श्रुतपद के अर्थाधिकार के ज्ञाता के व्यपगत, च्युत, च्यावित, त्यक्त, जीवरहित शरीर को शय्यागत, संस्तारकगत अथवा सिद्धाशिला देखकर कोई कहे अहो ! इस शरीररूप परिणत पुद्‌गलसंघात द्वारा जिनोपदेशित भाव से श्रुत इस पद की गुरु से वाचना ली थी, प्रज्ञापित, प्ररूपित, दर्शित, निदर्शित,
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 40 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भवियसरीरदव्वसुयं? भवियसरीरदव्वसुयंजे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते इमेणं चेव आदत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्ठेणं भावेणं सुए त्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, ताव सिक्खइ जहा को दिट्ठंतो? अयं महुकुंभे भविस्सइ, अयं घयकुंभे भविस्सइ से तं भवियसरीरदव्वसुयं

Translated Sutra: भव्यशरीरद्रव्यश्रुत क्या है ? समय पूर्ण होने पर जो जीव योनि में से निकला और प्राप्त शरीरसंघात द्वारा भविष्य में जिनोपदिष्ट भावानुसार श्रुतपद को सीखेगा, किन्तु वर्तमान में सीख नहीं रहा है, ऐसे उस जीव का वह शरीर भव्यशरीर द्रव्यश्रुत है इसका दृष्टान्त ? यह मधुपट है, यह घृतघट है ऐसा कहा जाता है
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Hindi 41 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयंपत्तय-पोत्थय-लिहियं अहवा सुयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहाअंडयं बोंडयं कीडयं वालयं वक्कयं से किं तं अंडयं? अंडयंहंसगब्भाइ से तं अंडयं से किं तं बोंडयं? बोंडयंफलिहमाइ से तं बोंडयं से किं तं कीडयं? कीडयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहापट्टे मलए अंसुए चीणंसुए किमिरागे से तं कीडयं से किं तं वालयं? वालयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहाउन्निए उट्टिए मियलोमिए कुतवे किट्टिसे से तं वालयं से किं तं वक्कयं? वक्कयंसणमाइ से तं वक्कयं से तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं से तं

Translated Sutra: ज्ञायकशरीर भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यश्रुत क्या है ? ताड़पत्रों अथवा पत्रों के समूहरूप पुस्तक में लिखित श्रुत ज्ञायकशरीर भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यश्रुत हैं अथवा वह पाँच प्रकार का है अंडज, बोंडज, कीटज, वालज, बल्कज अंडज किसे कहते हैं ? हंसगर्भादि से बने सूत्र को अंडज कहते हैं बोंडज किसे कहते हैं ?
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Hindi 42 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावसुयं? भावसुयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em>

Translated Sutra: भावश्रुत क्या है ? दो प्रकार का है यथा आगमभावश्रुत</em> और नोआगमभावश्रुत</em>
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Hindi 43 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ</em> भावसुयं? आगमओ</em> भावसुयंजाणए उवउत्ते से तं आगमओ</em> भावसुयं

Translated Sutra: आगमभावश्रुत</em> क्या है ? जो श्रुत का ज्ञाता होने के साथ उसके उपयोग से भी सहित हो, वह आगमभावश्रुत</em> है
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Hindi 44 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नोआगमओ</em> भावसुयं? नोआगमओ</em> भावसुयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहालोइयं लोगुत्तरियं

Translated Sutra: नोआगम</em> की अपेक्षा भावश्रुत क्या है ? दो प्रकार का है लौकिक, लोकोत्तरिक
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Hindi 45 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोइयं भावसुयं? लोइयं भावसुयंजं इमं अन्नाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मइ-विगप्पियं, तं जहा भारहं . रामायणं -. हंभीमासुरुत्तं . कोडिल्लयं . घोडमुहं . सगभद्दियाओ . कप्पासियं . नागसुहुमं १०. कणगसत्तरी ११. वेसियं १२. वइसेसियं १३. बुद्धवयणं १४. काविलं १५. लोगायतं १६. सट्ठितंतं १७. माढरं १८. पुराणं १९. वागरणं २०. नाडगादि अहवा बावत्तरिकलाओ चत्तारि वेया संगोवंगा से तं लोइयं भावसुयं

Translated Sutra: लौकिक (नोआगम</em>) भावश्रुत क्या है ? अज्ञानी मिथ्यादृष्टियों द्वारा अपनी स्वच्छन्द बुद्धि और मति से रचित महाभारत, रामायण, भीमासुरोक्त, अर्थशास्त्र, घोटकमुख, शटकभद्रिका, कार्पासिक, नागसूत्र, कनकसप्तति, वैशेकिशास्त्र, बौद्धशास्त्र, कामशास्त्र, कपिलशास्त्र, लोकायतशास्त्र, षष्ठितंत्र, माठरशास्त्र, पुराण, व्याकरण,
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Hindi 46 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं भावसुयं? लोगुत्तरियं भावसुयं जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाणदंसणधरेहिं तीय-पडुप्पन्न मनागयजाणएहिं सव्वन्नूहिं सव्वदरिसीहिं तेलोक्कचहिय-महियपूइएहिं पणीयं दुवालसंगं गणि-पिडगं, तं जहा.आयारो . सूयगडो . ठाणं . समवाओ . वियाहपन्नत्ती . नायाधम्मकहाओ . उवासगदसाओ . अंतगडदसाओ . अनुत्तरोव-वाइयदसाओ १०. पण्हावागरणाइं ११. विवागसुयं १२. दिट्ठिवाओ से तं लोगुत्तरियं भावसुयं से तं नोआगमओ</em> भावसुयं से तं भावसुयं

Translated Sutra: लोकोत्तरिक (नोआगम</em>) भावश्रुत क्या है ? उत्पन्न केवलज्ञान और केवलदर्शन को धारण करनेवाले, भूत भविष्यत्‌ और वर्तमान कालिक पदार्थों को जानने वाले, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, त्रिलोकवर्ती जीवों द्वारा अवलोकित, पूजित, अप्रतिहत श्रेष्ठ ज्ञान दर्शन के धारक अरिहंत भगवंतो द्वारा प्रणीत आचार, सूत्रकृत, स्थान, समवाय, व्याख्याप्रज्ञप्ति,
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Hindi 47 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेज्जा भवंति, तं जहा

Translated Sutra: उदात्तादि विविध स्वरों तथा ककारादि अनेक व्यंजनों से युक्त उस श्रुत के एकार्थवाचक नाम इस प्रकार हैं श्रुत, सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, शासन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापना, आगम</em>, ये सभी श्रुत के एकार्थक पर्याय हैं इस प्रकार से श्रुत की वक्तव्यता समाप्त हुई सूत्र ४७४९
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Hindi 48 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुय सुत्त गंथ सिद्धंत, सासने आण वयण उवएसे पन्नवण आगमे</em> , एगट्ठा पज्जवा सुत्ते

Translated Sutra: देखो सूत्र ४७
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Hindi 49 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं सुयं

Translated Sutra: देखो सूत्र ४७
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Hindi 50 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं खंधे? खंधे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहानामखंधे ठवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे

Translated Sutra: स्कन्ध क्या है ? स्कन्ध के चार प्रकार हैं नामस्कन्ध, स्थापनास्कन्ध, द्रव्यस्कन्ध, भावस्कन्ध
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Hindi 51 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामखंधे? नामखंधेजस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण तदुभयस्स वा तदुभवाण वा खंधे त्ति नामं कज्जइ से तं नामखंधे से किं तं ठवणाखंधे? ठवणाखंधे जण्णं कट्ठकम्मे वा वित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा खंधे त्ति ठवणा ठविज्जइ से तं ठवणाखंधे नामट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा

Translated Sutra:
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Hindi 52 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वखंधे? दव्वक्खंधे दुविहे पन्नत्ते, तं जहाआगमओ</em> नोआगमओ</em> से किं तं आगमओ</em> दव्वखंधे? आगमओ</em> दव्वखंधेजस्स णं खंधे त्ति पदं सिक्खियं सेसं जहा दव्वा-वस्सए तहा भाणियव्वं नवरं खंधाभिलाओ जाव से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे जाणगसरीर-भविय-सरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते तं जहासचित्ते अचित्ते मीसए

Translated Sutra: द्रव्यस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है आगमद्रव्यस्कन्ध</em> और नोआगमद्रव्यस्कन्ध</em> आगमद्रव्यस्कन्ध</em> क्या है ? जिसने स्कन्धपद को गुरु से सीखा है, स्थित किया है, जित, मित किया है यावत्‌ नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा आगम</em> से एक द्रव्यस्कन्ध है, दो अनुपयुक्त आत्माऍं दो, इस प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्माऍं हैं,
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Hindi 53 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सचित्ते दव्वखंधे? सचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहाहयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे से तं सचित्ते दव्वखंधे

Translated Sutra: सचित्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं हयस्कन्ध, गजस्कन्ध, किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरग स्कन्ध, वृषभस्कन्ध यह सचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है
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Hindi 54 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अचित्ते दव्वखंधे? अचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहादुपएसिए खंधे तिपएसिए खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे अनंतपएसिए खंधे से तं अचित्ते दव्वखंधे

Translated Sutra: अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप क्या है ? अनेक प्रकार का है द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत्‌ दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध यह अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है
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Hindi 55 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मीसए दव्वखंधे? मीसए दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहासेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे से तं मीसए दव्वखंधे

Translated Sutra: मिश्रद्रव्यस्कन्ध क्या है ? अनेक प्रकार का है सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मध्यस्कन्ध, सेना का अंतिम स्कन्ध यह मिश्रद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है
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