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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 46 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं भावसुयं? लोगुत्तरियं भावसुयं– जं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाणदंसणधरेहिं तीय-पडुप्पन्न मनागयजाणएहिं सव्वन्नूहिं सव्वदरिसीहिं तेलोक्कचहिय-महियपूइएहिं पणीयं दुवालसंगं गणि-पिडगं, तं जहा– १.आयारो २. सूयगडो ३. ठाणं ४. समवाओ ५. वियाहपन्नत्ती ६. नायाधम्मकहाओ ७. उवासगदसाओ ८. अंतगडदसाओ ९. अनुत्तरोव-वाइयदसाओ १०. पण्हावागरणाइं ११. विवागसुयं १२. दिट्ठिवाओ। से तं लोगुत्तरियं भावसुयं। से तं नोआगमओ भावसुयं। से तं भावसुयं।

Translated Sutra: लोकोत्तरिक (नोआगम) भावश्रुत क्या है ? उत्पन्न केवलज्ञान और केवलदर्शन को धारण करनेवाले, भूत – भविष्यत्‌ और वर्तमान कालिक पदार्थों को जानने वाले, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी, त्रिलोकवर्ती जीवों द्वारा अवलोकित, पूजित, अप्रतिहत श्रेष्ठ ज्ञान – दर्शन के धारक अरिहंत भगवंतो द्वारा प्रणीत आचार, सूत्रकृत, स्थान, समवाय, व्याख्याप्रज्ञप्ति,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 47 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेज्जा भवंति, तं जहा–

Translated Sutra: उदात्तादि विविध स्वरों तथा ककारादि अनेक व्यंजनों से युक्त उस श्रुत के एकार्थवाचक नाम इस प्रकार हैं – श्रुत, सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, शासन, आज्ञा, वचन, उपदेश, प्रज्ञापना, आगम, ये सभी श्रुत के एकार्थक पर्याय हैं। इस प्रकार से श्रुत की वक्तव्यता समाप्त हुई। सूत्र – ४७–४९
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 48 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुय सुत्त गंथ सिद्धंत, सासने आण वयण उवएसे । पन्नवण आगमे य, एगट्ठा पज्जवा सुत्ते ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४७
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 49 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं सुयं।

Translated Sutra: देखो सूत्र ४७
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 50 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं खंधे? खंधे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–नामखंधे ठवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे।

Translated Sutra: स्कन्ध क्या है ? स्कन्ध के चार प्रकार हैं। नामस्कन्ध, स्थापनास्कन्ध, द्रव्यस्कन्ध, भावस्कन्ध।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 51 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामखंधे? नामखंधे–जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण तदुभयस्स वा तदुभवाण वा खंधे त्ति नामं कज्जइ। से तं नामखंधे। से किं तं ठवणाखंधे? ठवणाखंधे जण्णं कट्ठकम्मे वा वित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भावठवणाए वा खंधे त्ति ठवणा ठविज्जइ। से तं ठवणाखंधे। नामट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा।

Translated Sutra:
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 52 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वखंधे? दव्वक्खंधे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वखंधे? आगमओ दव्वखंधे–जस्स णं खंधे त्ति पदं सिक्खियं सेसं जहा दव्वा-वस्सए तहा भाणियव्वं नवरं खंधाभिलाओ जाव से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे जाणगसरीर-भविय-सरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते तं जहा–सचित्ते अचित्ते मीसए।

Translated Sutra: द्रव्यस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है। आगमद्रव्यस्कन्ध और नोआगमद्रव्यस्कन्ध। आगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? जिसने स्कन्धपद को गुरु से सीखा है, स्थित किया है, जित, मित किया है यावत्‌ नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा आगम से एक द्रव्यस्कन्ध है, दो अनुपयुक्त आत्माऍं दो, इस प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्माऍं हैं,
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 53 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सचित्ते दव्वखंधे? सचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे। से तं सचित्ते दव्वखंधे।

Translated Sutra: सचित्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं। हयस्कन्ध, गजस्कन्ध, किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरग – स्कन्ध, वृषभस्कन्ध। यह सचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 54 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अचित्ते दव्वखंधे? अचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–दुपएसिए खंधे तिपएसिए खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे अनंतपएसिए खंधे। से तं अचित्ते दव्वखंधे।

Translated Sutra: अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप क्या है ? अनेक प्रकार का है। द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत्‌ दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध। यह अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
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Hindi 55 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मीसए दव्वखंधे? मीसए दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे। से तं मीसए दव्वखंधे।

Translated Sutra: मिश्रद्रव्यस्कन्ध क्या है ? अनेक प्रकार का है। सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मध्यस्कन्ध, सेना का अंतिम स्कन्ध। यह मिश्रद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 56 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–कसिणखंधे अकसिणखंधे अनेगदवियखंधे।

Translated Sutra: अथवा ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध के तीन प्रकार हैं। कृत्स्नस्कन्ध, अकृत्स्नस्कन्ध और अनेकद्रव्यस्कन्ध।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 57 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कसिणखंधे? कसिणखंधे–से चेव हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे। से तं कसिणखंधे।

Translated Sutra: कृत्स्नस्कन्ध क्या है ? हयस्कन्ध, गजस्कन्ध यावत्‌ वृषभस्कन्ध जो पूर्व में कहे, वही कृत्स्नस्कन्ध हैं। यही कृत्स्न – स्कन्ध का स्वरूप है।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 58 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अकसिणखंधे? अकसिणखंधे–से चेव दुपएसिए खंधे तिपएसिए खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे अनंतपएसिए खंधे। से तं अकसिणखंधे।

Translated Sutra: अकृत्स्नस्कन्ध क्या है ? पूर्व में कहे गये द्विप्रदेशिक स्कन्ध आदि यावत्‌ अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध हैं।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 59 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनेगदवियखंधे? अनेगदवियखंधे–तस्सेव देसे अवचिए तस्सेव देसे उवचिए। से तं अनेगदवियखंधे। से तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे। से तं दव्वखंधे।

Translated Sutra: अनेकद्रव्यस्कन्ध क्या है ? एकदेश अपचित्त और एकदेश उपचित्त भाग मिलकर उनका जो समुदाय बनता है, वह अनेकद्रव्यस्कन्ध हैं।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 60 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावखंधे? भावखंधे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य।

Translated Sutra: भावस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है। आगमभावस्कन्ध, नोआगमभावस्कन्ध।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 61 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ भावखंधे? आगमओ भावखंधे–जाणए उवउत्ते। से तं आगमओ भावखंधे।

Translated Sutra: आगमभावस्कन्ध क्या है ? स्कन्ध पद के अर्थ का उपयोगयुक्त ज्ञाता आगमभावस्कन्ध है।
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 62 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नोआगमओ भावखंधे? नोआगमओ भावखंधे–एएसिं चेव सामाइय-माइयाणं छण्हं अज्झयणाणं समुदय-समिति-समागमेणं निप्फन्ने आवस्सयसुयखंधे भावखंधे त्ति लब्भइ। से तं नोआगमओ भावखंधे। से तं भावखंधे।

Translated Sutra: नोआगमभावस्कन्ध क्या है ? परस्पर – सम्बन्धित सामायिक आदि छह अध्ययनों के समुदाय के मिलने से निष्पन्न आवश्यकश्रुतस्कन्ध नोआगमभावस्कन्ध है।
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Hindi 63 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं इमे एगट्ठिया नाणाघोसा नाणावंजणा नामधेज्जा भवंति, तं जहा–

Translated Sutra: उस भावस्कन्ध के विविध घोषों एवं व्यंजनों वाले एकार्थक नाम इस प्रकार हैं – गण, काय, निकाय, स्कन्ध, वर्ग, राशि, पुंज, पिंड, निकर, संघात, आकुल और समूह ये सभी भावस्कन्ध के पर्याय हैं। सूत्र – ६३–६५
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Hindi 64 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] गण काए य निकाए, खंधे वग्गे तहेव रासी य । पुंजे पिंडे निगरे, संघाए आउल समूहे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६३
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Hindi 65 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं खंधे।

Translated Sutra: देखो सूत्र ६३
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 66 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] आवस्सयस्स णं इमे अत्थाहिगारा भवंति, तं जहा–

Translated Sutra: आवश्यक के अर्थाधिकारों के नाम इस प्रकार हैं – सावद्ययोगविरति, उत्कीर्तन, गुणवत्‌ प्रतिपत्ति, स्खलित – निन्दा, व्रण – चिकित्सा और गुणधारणा। इस प्रकार से आवश्यकशास्त्र के समुदायार्थ का संक्षेप में कथन करके अब एक – एक अध्ययन का वर्णन करूँगा। उनके नाम यह हैं – सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वंदना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग
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Hindi 67 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. सावज्जजोगविरई, २. उक्कित्तण ३. गुणवओ य पडिवत्ती । ४. खलियस्स निंदणा ५. वणतिगिच्छ ६. गुणधारणा चेव ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६
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Hindi 68 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आवस्सयस्स एसो, पिंडत्थो वन्निओ समासेणं । एतो एक्केक्कं पुण, अज्झयणं कित्तइस्सामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 69 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तं जहा– १. सामाइयं २. चउवीसत्थओ ३. वंदनयं ४. पडिक्कमणं ५. काउस्सग्गो ६. पच्चक्खाणं तत्थ पढमं अज्झयणं सामाइयं। तस्स णं इमे चत्तारि अनुओगदारा भवंति, तं जहा–१. उवक्कमे, २. निक्खेवे, ३. अनुगमे, ४. नए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ६६
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 70 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं उवक्कमे? उवक्कमे छव्वीहे पन्नत्ते तं जहा–१. नामोवक्कमे २. ठवणोवक्कमे ३. दव्वोवक्कमे ४. खेत्तोवक्कमे ५. कालोवक्कमे ६. भावोवक्कमे। से नामट्ठवणाओ गयाओ । से किं तं दव्वोवक्कमे? दव्वोवक्कमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वोवक्कमे? आगमओ दव्वोवक्कमे–जस्स णं उवक्कमे त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा? अनुवओगो

Translated Sutra: उपक्रम क्या है ? उपक्रम के छह भेद हैं। नाम – उपक्रम, स्थापना – उपक्रम, द्रव्य – उपक्रम, क्षेत्र – उपक्रम, काल – उपक्रम, भाव – उपक्रम। नाम और स्थापना – उपक्रम का स्वरूप नाम एवं स्थापना आवश्यक के समान जानना द्रव्य – उपक्रम क्या है ? दो प्रकार का है – आगमद्रव्य – उपक्रम, नोआगमद्रव्य – उपक्रम इत्यादि पूर्ववत्‌ जानना
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 71 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सचित्ते दव्वोवक्कमे? सचित्ते दव्वोवक्कमे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–दुपयाणं चउप्पयाणं अपयाणं। एक्किक्के पुण दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–परिकम्मे य वत्थुविणासे य।

Translated Sutra: सचित्तद्रव्योपक्रम क्या है ? तीन प्रकार का है। द्विपद, चतुष्पद और अपद। ये प्रत्येक उपक्रम भी दो – दो प्रकार के हैं – परिकर्मद्रव्योपक्रम, वस्तुविनाशद्रव्योपक्रम।
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Hindi 72 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दुपयउवक्कमे? दुपयउवक्कमे–दुपयाणं नडाणं नट्टाणं जल्लाणं मल्लाणं मुट्ठियाणं वेलंबगाणं कहगाणं पवगाणं लासगाणं आइक्खगाणं लंखाणं मंखाणं तूणइल्लाणं तुंबवीणियाणं कायाणं मागहाणं। से तं दुपयउवक्कमे।

Translated Sutra: द्विपद – उपक्रम क्या है ? नटों, नर्तकों, जल्लों, मल्लों, मौष्टिकों, वेलंबकों, कथकों, प्लवकों, तैरने वालों, लासकों, आख्यायकों, लंखों, मंखों, तूणिकों, तुंबवीणकों, कावडियाओं तथा मागधों आदि दो पैर वालों का परिकर्म और विनाश करने रूप उपक्रम द्विपदद्रव्योपक्रम है।
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Hindi 73 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं चउप्पयउवक्कमे? चउप्पयउवक्कमे–चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं इच्चाइ। से तं चउप्पयउवक्कमे।

Translated Sutra: चतुष्पदोपक्रम क्या है ? चार पैर वाले अश्व, हाथी आदि पशुओं के उपक्रम चतुष्पदोपक्रम हैं।
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Hindi 74 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अपयउवक्कमे? अपयउवक्कमे अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं इच्चाइ। से तं अपयउवक्कमे। से तं सचित्ते दव्वोवकम्मे।

Translated Sutra: अपद – द्रव्योपक्रम क्या है ? आम, आम्रातक आदि बिना पैर वालों से सम्बन्धित उपक्रम अपद – उपक्रम हैं।
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Hindi 75 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अचित्ते दव्वोवक्कमे? अचित्ते दव्वोवक्कमे–खंडाईणं गुडाईणं मच्छंडीणं। से तं अचित्ते दव्वोवक्कमे।

Translated Sutra: अचित्तद्रव्योपक्रम क्या है ? खांड, गुड़, मिश्री अथवा राब आदि पदार्थों में उपायविशेष से मधुरता की वृद्धि करने और इनके विनाश करने रूप उपक्रम अचित्तद्रव्योपक्रम हैं।
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Hindi 76 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मीसए दव्वोवक्कमे? मीसए दव्वोवक्कमे–से चेव थासगआयंसगाइमंडिए आसाइ। से तं मीसए दव्वोवक्कमे। से तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वोवक्कमे। से तं नोआगमओ दव्वोवक्कमे। से तं दव्वोवक्कमे।

Translated Sutra: मिश्रद्रव्योपक्रम क्या है ? स्थासक, दर्पण आदि से विभूषित एवं मंडित अश्वाद सम्बन्धी उपक्रम मिश्रद्रव्योपक्रम हैं।
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Hindi 77 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं खेत्तोवक्कमे? खेत्तोवक्कमे–जण्णं हलकुलियाईहिं खेत्ताइं उवक्कमिज्जंति, इच्चाइ। से तं खेत्तोवक्कमे।

Translated Sutra: क्षेत्रोपक्रम क्या है ? हल, कुलिक आदि के द्वारा जो क्षेत्र को उपक्रान्त किया जाता है, वह क्षेत्रोपक्रम है।
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Hindi 78 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कालोवक्कमे? कालोवक्कमे–जण्णं नालियाईहिं कालस्सोवक्कमणं कीरइ। से तं कालोवक्कमे।

Translated Sutra: कालोपक्रम क्या है ? नालिका आदि द्वारा जो काल का यथावत्‌ ज्ञान होता है, वह कालोपक्रम है।
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Hindi 79 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावोवक्कमे? भावोवक्कमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ भावोवक्कमे? आगमओ भावोवक्कमे–जाणए उवउत्ते। से तं आगमओ भावोवक्कमे। से किं तं नोआगमओ भावोवक्कमे? नोआगमओ भावोवक्कमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पसत्थे य अपसत्थे य। से किं तं अपसत्थे भावोवक्कमे? अपसत्थे भावोवक्कमे–डोडिणि-गणिया अमच्चाईणं। से तं अपसत्थे भावोवक्कमे। से किं तं पसत्थे भावोवक्कमे? पसत्थे भावोवक्कमे–गुरुमाईणं। से तं पसत्थे भावोवक्कमे।से तं नोआगमओ भावोवक्कमे। से तं भावोवक्कमे। से तं उवक्कमे।

Translated Sutra: भावोपक्रम क्या है ? दो प्रकार हैं। आगमभावोपक्रम, नोआगमभावोपक्रम। भगवन्‌ ! आगमभावोपक्रम क्या है ? उपक्रम के अर्त को जानने के साथ जो उसके उपयोग से भी युक्त हो, वह आगमभावोपक्रम हैं। नोआगमभावोपक्रम दो प्रकार का है। प्रशस्त और अप्रशस्त। अप्रशस्त भावोपक्रम क्या है ? डोडणी ब्राह्मणी, गणिका और अमात्यादि का अन्य
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Hindi 80 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अहवा उवक्कमे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा– १. आनुपुव्वी २. नामं ३. पमाणं ४. वत्तव्वया ५. अत्थाहिगारे ६. समोयारे।

Translated Sutra: अथवा उपक्रम के छह प्रकार हैं। आनुपूर्वी, नाम, प्रमाण, वक्तव्यता, अर्थाधिकार और समवतार।
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Hindi 81 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आनुपुव्वी? आनुपुव्वी दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. नामानुपुव्वी २. ठवणानुपुव्वी ३. दव्वानुपुव्वी ४. खेत्तानुपुव्वी ५. कालानुपुव्वी ६. उक्कित्तणानुपुव्वी ७. गणणानुपुव्वी ८. संठाणानुपुव्वी ९. सामायारियानुपुव्वी १०. भावानुपुव्वी।

Translated Sutra: आनुपूर्वी क्या है ? दस प्रकार की है। नामानुपूर्वी, स्थापनानुपूर्वी, द्रव्यानुपूर्वी, क्षेत्रानुपूर्वी, कालानुपूर्वी, उत्कीर्तनानुपूर्वी, गणनानुपूर्वी, संस्थानानुपूर्वी, सामाचार्यनुपूर्वी, भावानुपूर्वी।
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Hindi 82 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामानुपुव्वी? नामानुपुव्वी– जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आनुपुव्वी त्ति नामं कज्जइ। से तं नामानुपुव्वी। से किं तं ठवणानुपुव्वी? ठवणानुपुव्वी– जण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भाव-ठवणाए वा आनुपुव्वी त्ति ठवणा ठविज्जइ। से तं ठवणानुपुव्वी। नाम-ट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा। से किं तं दव्वानुपुव्वी? दव्वानुपुव्वी दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ

Translated Sutra: नाम (स्थापना) आनुपूर्वी क्या है ? नाम और स्थापना आनुपूर्वी का स्वरूप नाम और स्थापना आवश्यक जैसा जानना। द्रव्यानुपूर्वी का स्वरूप भी ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यानुपूर्वी के पहले तक सभेद द्रव्यावश्यक के समान जानना चाहिए। ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? दो प्रकार की
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अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 83 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी? नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. अट्ठपयपरूवणया २. भंगसमुक्कित्तणया ३. भंगोवदंसणया ४. समोयारे ५. अनुगमे।

Translated Sutra: नैगमनय और व्यवहारनय द्वारा मान्य अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? उसके पाँच प्रकार हैं। अर्थपदप्ररूपणा, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार और अनुगम।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

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Hindi 84 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया? नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया–तिपएसिए आनुपुव्वी चउपएसिए आनुपुव्वी जाव दसपएसिए आनुपुव्वी संखेज्जपएसिए आनुपुव्वी असंखेज्जपएसिए आनुपुव्वी अनंतपएसिए आनुपुव्वी। परमाणुपोग्गले अनानुपुव्वी। दुपएसिए अवत्तव्वए। तिपएसिया आनुपुव्वीओ जाव अनंतपएसिया आनुपुव्वीओ। परमाणुपोग्गला अनानुपुव्वीओ। दुपएसिया अवत्तव्वयाइं। से तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! नैगम – व्यवहारनयसंमत अर्थपद की प्ररूपणा क्या है ? त्र्यणुकस्कन्ध आनुपूर्वी है। इसी प्रकार चतुष्प्रदेशिक आनुपूर्वी यावत्‌ दसप्रदेशिक, संख्यातप्रदेशिक, असंख्यातप्रदेशिक और अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है। किन्तु परमाणु पुद्‌गल अनानुपूर्वी रूप है। द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है। अनेक
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Hindi 85 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं? एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए भंग समुक्कित्तणया कज्जइ।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत इस अर्थपदप्ररूपणा रूप आनुपूर्वी से क्या प्रयोजन सिद्ध होता है ? इनसे भंगसमुत्कीर्तना की जाती है।
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Hindi 86 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया? नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया–१. अत्थि आनुपुव्वी २. अत्थि अनानुपुव्वी ३. अत्थि अवत्तव्वए ४. अत्थि आनुपुव्वीओ ५. अत्थि अनानुपुव्वीओ ६. अत्थि अवत्तव्वयाइं। अहवा १. अत्थि आनुपुव्वी य अनानुपुव्वी य ७. अहवा २. अत्थि आनुपुव्वी य अनानु-पुव्वीओ य ८. अहवा ३. अत्थि आनुपुव्वीओ य अनानुपुव्वी य ९. अहवा ४. अत्थि आनुपुव्वीओ य अनानुपुव्वीओ य १०। अहवा १. अत्थि आनुपुव्वी य अवत्तव्वए य ११. अहवा २. अत्थि आनुपुव्वी य अवत्तव्वयाइं च १२. अहवा ३. अत्थि आनुपुव्वीओ य अवत्तव्वए य १३. अहवा ४. अत्थि आनुपुव्वीओ य अवत्तव्वयाइं च १४। अहवा १. अत्थि अनानुपुव्वी

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत भंगसमुत्कीर्तन क्या है ? वह ईस प्रकार हैं – आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्य है, आनुपूर्वियाँ हैं, (अनेक) अवक्तव्य हैं। अथवा – आनुपूर्वी और अनानुपूर्वी है, आनुपूर्वी और अनानुपूर्वियाँ हैं, आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वी है, आनुपूर्वियाँ और अनानुपूर्वियाँ हैं। अथवा – आनुपूर्वि और
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Hindi 87 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एयाए णं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं? एयाए णं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कीरइ।

Translated Sutra: इस नैगम – व्यवहारनयसम्मत भंगसमुत्कीर्तनता का क्या प्रयोजन है ? उसके द्वारा भंगोपदर्शन किया जाता है।
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Hindi 88 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया? नेगम-ववहाराणं भंगोवदंसणया–१. तिपएसिए आनुपुव्वी २. परमा-णुपोग्गले अनानुपुव्वी ३. दुपएसिए अवत्तव्वए ४. तिपएसिया आनुपुव्वीओ ५. परमाणुपोग्गला अनानुपुव्वीओ ६. दुपएसिया अवत्तव्वयाइं। अहवा १. तिपएसिए य परमाणुपोग्गले य आनुपुव्वी य अनानुपुव्वी य ७. अहवा २. तिपएसिए य परमाणुपोग्गला य आनुपुव्वी य अनानुपुव्वीओ य ८. अहवा ३. तिपएसिया य परमाणुपोग्गले य आनुपुव्वीओ य अनानुपुव्वी य ९. अहवा ४. तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आनुपुव्वीओ अनानुपुव्वीओ य १०। अहवा १. तिपएसिए य दुपएसिए य आनुपुव्वी य अवत्तव्वए य ११. अहवा २. तिपएसिए य दुपएसिया य आनुपुव्वी

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत भंगोपदर्शनता क्या है ? वह इस प्रकार है – त्रिप्रदेशिक स्कन्ध आनुपूर्वी है, परमाणुपुद्‌गल अनानुपूर्वी है, द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्य है, त्रिप्रदेशिक अनेक स्कन्ध आनुपूर्वियाँ हैं, अनेक परमाणु पुद्‌गल अनानुपूर्वियाँ हैं, अनेक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अवक्तव्यक हैं। त्रिप्रदेशिक स्कन्ध
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Hindi 89 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे–नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति– किं आनुपुव्विदव्वेहिं समोय-रंति? अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? नेगम-ववहाराणं आनुपुव्वि-दव्वाइं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अनानुपुव्विदव्वेहिं समो-यरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति– किं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं नो आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं

Translated Sutra: समवतार क्या है ? नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में समव – तरित होते हैं, अनानुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? आयुष्मन्‌ ! नैगम – व्यवहारनयसम्मत्‌ आनु – पूर्वीद्रव्य केवल आनुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं। नैगम
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Hindi 90 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनुगमे? अनुगमे नवविहे पन्नत्ते, तं जहा–

Translated Sutra: अनुगम क्या है ? नौ प्रकार का है, सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व। सूत्र – ९०, ९१
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Hindi 91 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. संतपयपरूवणया २. दव्वपमाणं च ३. खेत्त ४. फुसणा य । ५. कालो य ६. अंतरं ७. भाग ८. भाव ९. अप्पाबहुं चेव ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ९०
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Hindi 92 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? अवश्य हैं। ईसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक – द्रव्य को भी जानना।
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Hindi 93 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं? असंखेज्जाइं? अनंताइं? नो संखेज्जाइं नो असंखेज्जाइं, अनंताइं। एवं दोन्नि वि।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वे अनन्त ही हैं। इसी प्रकार शेष दोनों भी अनन्त हैं।
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Hindi 94 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा– किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा, असंखेज्जइभागे वा होज्जा, संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, सव्वलोए वा होज्जा। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य (क्षेत्र के) कितने भाग में अवगाढ हैं ? क्या लोक के संख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? क्या संख्यात भागों में अवगाढ हैं ? असंख्यात भागों में अवगाढ हैं ? अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? किसी एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा कोई लोक के संख्यातवें भाग में,
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Hindi 95 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागं फुसंति–किं संखेज्जइभागं फुसंति? असंखेज्जइभागं फुसंति? संखेज्जे भागे फुसंति? असंखेज्जे भागे फुसंति? सव्वलोगं फुसंति? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागं वा फुसंति, असंखेज्जइभागं वा फुसंति, संखेज्जे भागे वा फुसंति, असंखेज्जे भागे वा फुसंति, सव्वलोगं वा फुसंति। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं फुसंति। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाणं पुच्छा। एगदव्वं पडुच्च नो संखेज्जइभागं फुसंति, असंखेज्जइभागं फुसंति नो संखेज्जे भागे फुसंति, नो असंखेज्जे भागे फुसंति, नो सव्वलोगं फुसंति। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग का अथवा असंख्यातवें भाग का या संख्यात भागों का अथवा असंख्यात भागों का अथवा समस्त लोक का स्पर्श करते हैं ? नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा एक आनुपूर्वीद्रव्य लोक के संख्यातवें भाग का यावत्‌ अथवा सर्वलोक का स्पर्श करता है, किन्तु अनेक (आनुपूर्वी)
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