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Scripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 221 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गोलियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 222 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गोलियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 223 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोधियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 224 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोधियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 225 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दोसियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 226 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स दोसियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 227 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स सोत्तियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 228 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स सोत्तियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 229 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोडियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 230 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स बोडियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 231 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गंधियसाला साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 232 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स गंधियसाला निस्साहारणवक्कयपउत्ता, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २१९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 233 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स ओसहीओ संथडाओ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: दूसरों की अन्न – आदि रसोई में शय्यातर का हिस्सा हो, वखार में पड़े आम में उसका हिस्सा हो तो उसमें से दिया गया आहार आदि साधु को न कल्पे, यदि शय्यातर का हिस्सा न हो तो कल्पे। सूत्र – २३३–२३६ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 234 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स ओसहीओ असंथडाओ, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २३३ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 235 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंबफला संथडा, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २३३ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 236 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सागारियस्स अंबफला असंथडा, तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २३३ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 237 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एगूणपन्नाए राइंदिएहिं एगेण छन्नउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ। Translated Sutra: सात दिन की सात पड़िमा समान तपश्चर्या के ४९ रात – दिन होते हैं। पहले सात दिन अन्न – पानी की एक दत्ति – दूसरे सात दिन दो – दो दत्ति – यावत् सातवें सात दिन सात – सात दत्ति गिनते कुल १९६ दत्ति होती है वो तप जिस तरह से सूत्र में बताया है, जैसा मार्ग है, जैसा सत्य अनुष्ठान है, ऐसा सम्यक् तरह से काया से छूने के द्वारा निरतिचार, | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 238 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठअट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइंदिएहिं दोहिं य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ। Translated Sutra: (ऊपर कहने के अनुसार) आठ दिन की आठ पड़िमा समान तप कहा है। पहले आठ दिन अन्न – पानी की एक – एक दत्ति, उस तरह से आठवी पड़िमा – आठ दिन की आठ दत्ति गिनते कुल ६४ रात – दिन २८८ दत्ति से तप पूर्ण हो, उसी तरह नौ दिन की नौ पड़िमा ८१ रात – दिन और कुल दत्ति ४०५ दश दिन की दश पड़िमा १०० दत्ति और कुल दत्ति ५५० होती है। उसी तरह आठवीं, नौ, दश प्रतिमा | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 239 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा एगासीए राइंदिएहिं चउहिं य पंचुत्तरेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ। Translated Sutra: देखो सूत्र २३८ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 240 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेणं राइंदियसएणं अद्धछट्ठेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएण फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अनुपालिया भवइ। Translated Sutra: देखो सूत्र २३८ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 242 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] खुड्डियण्णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अनगारस्स कप्पइ से पढमसरदकालसमयंसि वा चरिमनिदाह-कालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा वनंसि वा वनविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा। भोच्चा आरुभइ चोदसमेणं पारेइ। अभोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ।
जाए मोए आईयव्वे, दिया आगच्छइ आईयव्वे, राइं आगच्छइ नो आईयव्वे, सपाणे आगच्छइ नो आईयव्वे, अप्पाणे आगच्छइ आईयव्वे, सबीए आगच्छइ नो आईयव्वे, अबीए आगच्छइ आई-यव्वे, ससणिद्धे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससणिद्धे आगच्छइ आईयव्वे, ससरक्खे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससरक्खे आगच्छइ आईयव्वे। जाए मोए आईयव्वे तं जहा–अप्पे वा बहुए वा।
एवं खलु एसा Translated Sutra: छोटी पेशाब प्रतिमा वहनेवाले साधु को पहले शरद काल में (मागसर मास में) और अन्तिम उष्ण काल में (आषाढ़ मास में) गाँव के बाहर यावत् सन्निवेश, वन, वनदूर्ग, पर्वत, पर्वतदूर्ग में यह प्रतिमा धारण करना कल्पे, भोजन करके प्रतिमा ग्रहण करे तो १४ भक्त से पूरी हो यानि छ उपवास के बाद पारणा करे, खाए बिना पड़िमा कने से १६ भक्त से यानि | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-९ | Hindi | 243 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] महल्लियण्णं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पइ से पढमसरदकालसमयंसि वा चरिम-निदाहकालसमयंसि वा बहिया गामस्स वा जाव सन्निवेसस्स वा वणंसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा। भोच्चा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ। अभोच्चा आरुभइ अट्ठारसमेणं पारेइ।
जाए मोए आईयव्वे, दिया आगच्छइ आईयव्वे, राइं आगच्छइ नो आईयव्वे, सपाणे आगच्छइ नो आईयव्वे, अप्पाणे आगच्छइ आईयव्वे, सबीए आगच्छइ नो आईयव्वे, अबीए आगच्छई आईयव्वे, ससणिद्धे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससणिद्धे आगच्छइ आईयव्वे, ससरक्खे आगच्छइ नो आईयव्वे, अससरक्खे आगच्छइ आईयव्वे, जाए मोए आईयव्वे, तं जहा–अप्पे वा बहुए वा।
एवं खलु Translated Sutra: बड़ी पिशाब प्रतिमा (अभिग्रह) अपनानेवाले साधु को ऊपर बताए अनुसार विधि से प्रतिमा वहन करनी हो। फर्क इतना कि भोजन करके प्रतिमा वहे तो, ७ – उपवास और भोजन किए बिना ८ – उपवास, बाकी सभी विधि छोटी प्रतिमा अनुसार मानना। | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 249 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो पडिमाओ पन्नत्ताओ तं जहा–जवमज्झा य चंदपडिमा, वइरमज्झा य चंदपडिमा।
जवमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मासं निच्चं वोसट्ठकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति तं जहा –दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा, अनुलोमा वा पडिलोमा वा–तत्थ अनुलोमा ताव वंदेज्जा वा नमंसेज्जा वा सक्कारेज्जा वा सम्माणेज्जा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा, तत्थ पडिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा, अट्ठीण वा, जोत्तेण वा, वेत्तेण वा कसेण वा काए आउडेज्जा–ते सव्वे उप्पण्णे सम्मं सहेज्जा खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा।
जवमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स सुक्कपक्खस्स Translated Sutra: दो प्रतिमा (अभिग्रह) बताए हैं। वो इस प्रकार – जव मध्य चन्द्र प्रतिमा और वज्र मध्य चन्द्र प्रतिमा। जव मध्य चन्द्र प्रतिमाधारी साधु एक महिने तक काया की ममता का त्याग करते हैं। जो कोई देव या तिर्यंच सम्बन्धी अनुकूलया प्रतिकूल उपसर्ग उत्पन्न हो जिसमें वंदन – नमस्कार, सत्कार – सन्मान, कल्याण – मंगल, देवसर्दश आदि | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 250 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] वइरमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मासं निच्चं वोसट्ठकाए चत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति, तं जहा –दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा अनुलोमा वा पडिलोमा वा–तत्थ अनुलोमा ताव वंदेज्जा वा नमंसेज्जा वा सक्कारेज्जा वा सम्माणेज्जा वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा, तत्थ पडिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा, अट्ठीण वा, जोत्तेण वा, वेत्तेण वा, कसेण वा, काए आउडेज्जा–ते सव्वे उप्पन्ने सम्मं सहेज्जा खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहियासेज्जा।
वइरमज्झण्णं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स बहुलपक्खस्स पाडिवए कप्पइ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पण्णरस पाणणस्स। Translated Sutra: व्रज मध्य प्रतिमा (यानि अभिग्रह विशेष) धारण करनेवाले को काया की ममता का त्याग, उपसर्ग सहना आदि सब ऊपर के सूत्र २४९ में कहने के मुताबिक जानना। विशेष यह की प्रतिमा का आरम्भ कृष्ण पक्ष से होता है। एकम को पंद्रह दत्ति अन्न की और पंद्रह दत्ति पानी की लेकर तप का आरम्भ हो यावत् अमावास तक एक – एक दत्ति कम होने से अमावास | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 266 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा ऊणट्ठवासजायं उवट्ठावेत्तए वा संभुंजित्तए वा। Translated Sutra: साधु – साध्वी को लघु साधु या साध्वी जिनको आठ साल से कुछ कम उम्र है उसकी उपस्थापना या सह – भोजन करना न कल्पे, आठ साल से कुछ ज्यादा हो तो कल्पे। सूत्र – २६६, २६७ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 267 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा साइरेगट्ठवासजायं उवट्ठावेत्तए वा संभुंजित्तए वा। Translated Sutra: देखो सूत्र २६६ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 268 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा अवंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: साधु – साध्वी को बाल साधु या बाल साध्वी जिन्हें अभी बगल में बाल भी नहीं आए यानि वैसी छोटी वयवाले को आचार प्रकल्प नामक अध्ययन पढ़ाना न कल्पे, बगल में बाल उगे उतनी वय के होने के बाद कल्पे। सूत्र – २६८, २६९ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 269 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा वंजणजायस्स आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २६८ | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 270 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ आयारपकप्पं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: जिस साधु का दीक्षा पर्याय तीन साल का हुआ हो उसे आचार प्रकल्प अध्ययन पढ़ाना कल्पे, उसी तरह चार साल के पर्याय से, सूयगड़ो, पाँच साल पर्याय से दसा, कप्प, ववहार, आठ साल पर्याय से ठाण, समवाय, दश साल पर्याय से विवाह पन्नत्ति यानि भगवई, ११ साल पर्याय से खुड्डियाविमाणपविभत्ति, महल्लियाविमाणपविभत्ति, अंगचूलिया, वग्गचूलिया, | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 271 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] चउवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ सूयगडे नामं अंगे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 272 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] पंचवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ दसाकप्पववहारे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 273 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ ठाण-समवाए नामं अंगे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 274 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ वियाहे नाम अंगे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 275 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] एक्कारसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ खुड्डिया विमानपविभत्ती महल्लिया विमानपविभत्ती अंगचूलिया वग्गचूलिया वियाहचूलिया नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 276 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] बारसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ अरुणोववाए वरुणोववाए गरुलोववाए धरणोववाए वेसमणोववाए वेलंधरोववाए नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 277 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेरसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ उट्ठाणसुए समुट्ठाणसुए देविंदोववाए नागपरियावणिए नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 278 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] चोद्दसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ सुविणभावनानामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 279 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] पण्णरसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ चारणभावनानामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 280 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सोलसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ तेयनिसग्गं नामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 281 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तरसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ आसीविसभावनानामं अज्झयणं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 282 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] अट्ठारसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ दिट्ठीविसभावनानामं अज्झयणे उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | व्यवहारसूत्र | Ardha-Magadhi | उद्देशक-१० | Hindi | 283 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] एगूणवीसवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पइ दिट्ठिवायनामं अंगं उद्दिसित्तए। Translated Sutra: देखो सूत्र २७० | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 113 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] बहवे साहम्मिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिचारियं चारए। नो ण्हं कप्पइ थेरे अनापुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए, कप्पइ ण्हं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए।
थेरा य से वियरेज्जा एव ण्हं कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए, थेरा य से नो वियरेज्जा एव ण्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए। जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे अभिनिचारियं चरंति से संतरा छेए वा परिहारे वा। Translated Sutra: ઘણા સાધર્મિક સાધુ એક સાથે ‘અભિનિચારિકા’(અર્થાત વિશિષ્ટ કારણથી અલ્પ સમય માટે સાથે મળીને વિચારવું તે). કરવા ઇચ્છે તો સ્થવિર સાધુને પૂછ્યા વિના તેમ કરવું ન કલ્પે. પરંતુ સ્થવિર સાધુને પૂછીને તેમ કરવું કલ્પે. જો સ્થવિર સાધુ આજ્ઞા આપે તો તેમને ‘અભિનિચારિકા’ કરવી કલ્પે. જો સ્થવિર આજ્ઞા ન આપે તો ન કલ્પે. જો સ્થવિરોની | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 118 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, तं जहा–सेहे य राइणिए य। तत्थ सेहतराए पलिच्छन्ने, राइणिए अपलिच्छन्ने। सेहतराएणं राइणिए उवसंपज्जियव्वे, भिक्खोववायं च दलयइ कप्पागं। Translated Sutra: બે સાધર્મિક સાધુ એક સાથે વિચરતા હોય જેમ કે અલ્પ દીક્ષા પર્યાયવાળા અને અધિક દીક્ષા પર્યાય વાળા તેમાં જો અલ્પ દીક્ષાપર્યાયી શ્રુત સંપન્ન અને શિષ્ય સંપન્ન હોય અને અધિક દીક્ષા પર્યાયી શ્રુત સંપન્ન તથા શિષ્ય સંપન્ન ન હોય તો પણ અલ્પદીક્ષા પર્યાતીએ અધિક દીક્ષા પર્યાયીની વિનય – વૈયાવચ્ચ કરવી, આહાર લાવીને આપવો, | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 119 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, तं जहा–सेहे य राइणिए य। तत्थ राइणिए पलिच्छन्ने, सेहतराए अपलिच्छन्ने। इच्छा राइणिए सेहतरागं उवसंपज्जइ इच्छा नो उवसंपज्जइ, इच्छा भिक्खोववायं दलयइ कप्पागं इच्छा नो दलयइ कप्पागं। Translated Sutra: બે સાધર્મિક સાધુ સાથે વિચરતા હોય જેમ કે અલ્પદીક્ષા પર્યાયી, અધિક દીક્ષાપર્યાયી જો અધિક પર્યાયી શ્રુત અને શિષ્યોથી સંપન્ન હોય, અલ્પદીક્ષા પર્યાયી તેમ ન હોય. તો અધિક દીક્ષાપર્યાયી તેમ ન હોય. તો અધિક દીક્ષા પર્યાયવાળા ઇચ્છે તો અલ્પ દીક્ષાપર્યાયીની વૈયાવચ્ચ કરે ઇચ્છા ન હોય તો ન કરે. એ પ્રમાણે આહાર દાનાદિમાં | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 120 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नमणुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। Translated Sutra: એક સાથે વિચરતા બે સાધુ હોય તો તેઓને પરસ્પર એકબીજાને સમાન સ્વીકારી સાથે વિચરવું ન કલ્પે. પરંતુ તે બંનેમાં જે રત્નાધિક હોય તે સાધુને પોત – પોતાના અગ્રણી રૂપે સ્વીકારીને સાથે વિચરવું કલ્પે છે. | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 121 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो गणावच्छेइया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नमणुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। Translated Sutra: એક સાથે વિચરતા બે ગણાવચ્છેદક હોય તો તેઓને પરસ્પર એકબીજાને સમાન સ્વીકારી સાથે વિચરવું ન કલ્પે. પરંતુ તે બંનેમાં જે રત્નાધિક હોય તે ગણાવચ્છેદકને પોત – પોતાના અગ્રણી રૂપે સ્વીકારીને સાથે વિચરવું કલ્પે છે. | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-४ | Gujarati | 122 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दो आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नमणुवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। कप्पइ ण्हं अहा राइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। Translated Sutra: એક સાથે વિચરતા બે આચાર્ય કે ઉપાધ્યાય હોય. તો તેઓને પરસ્પર એકબીજાને સમાન સ્વીકારી સાથે વિચરવું ન કલ્પે. પરંતુ તે બંનેમાં જે રત્નાધિક હોય તે આચાર્ય – ઉપાધ્યાયને પોત – પોતાના અગ્રણી રૂપે સ્વીકારીને સાથે વિચરવું કલ્પે છે. | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-७ | Gujarati | 173 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा विइगिट्ठे काले सज्झायं उदिसित्तए करेत्तए। Translated Sutra: સાધુને વ્યતિકૃષ્ટ કાળમાં ઉત્કાલિક આગમના સ્વાધ્યાયકાળમાં કાલિક આગમનો સ્વાધ્યાય ન કલ્પે. | |||||||||
Vyavaharsutra | વ્યવહારસૂત્ર | Ardha-Magadhi | उद्देशक-७ | Gujarati | 174 | Sutra | Chheda-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथीणं विइगिट्ठे काले सज्झायं करेत्तए निग्गंथनिस्साए। Translated Sutra: સાધુની નિશ્રામાં સાધ્વીને વ્યતિકૃષ્ટ કાળમાં પણ સ્વાધ્યાય કરવો કલ્પે. |