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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 54 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते सन्निवाते आहितेति वदेज्जा? ता जया णं साविट्ठी पुण्णिमा भवति तया णं माही अमावासा भवति, जया णं माही पुण्णिमा भवइ तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ, जया णं पोट्ठवती पुण्णिमा भवति तया णं फग्गुणी अमावासा भवति, जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवति तया णं पोट्ठवती अमावासा भवति, जया णं आसोई पुण्णिमा भवति तया णं चेत्ती अमावासा भवति, जया णं चेत्ती पुण्णिमा भवति तया णं आसोई अमावासा भवति, जया णं कत्तिई पुण्णिमा भवति तया णं वइसाही अमावासा भवति, जया णं वइसाही पुण्णिमा भवति तया णं कत्तिई अमावासा भवति, जया णं मग्गसिरी पुण्णिमा भवति तया णं जेट्ठामूली अमावासा भवति, जया णं जेट्ठामूली

Translated Sutra: हे भगवंत ! पूर्णिमा – अमावास्या का सन्निपात किस प्रकार का है ? जब श्राविष्ठापूर्णिमा होती है तब अमा – वास्या मघानक्षत्र युक्त होती है, जब मघायुक्त पूर्णिमा होती है तब अमावास्या घनिष्ठायुक्त होती है इसी तरह प्रौष्ठ – पदायुक्त पूर्णिमा के बाद अमावास्या फाल्गुनी, फाल्गुनयुक्त पूर्णिमा के बाद प्रौष्ठपदा अमावास्या,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 55 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नक्खत्तसंठिती आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभीई नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता गोसीसावलिसंठिते पन्नत्ते। ता सवणे नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता काहारसंठिते पन्नत्ते। ता धनिट्ठा नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता सउणिपलीणगसंठिते पन्नत्ते। ता सतभिसया नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता पुप्फोवयारसंठिते पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवया नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता अवड्ढवाविसंठिते पन्नत्ते। एवं उत्तरावि। ता रेवती नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता नावासंठिते पन्नत्ते। ता अस्सिणी नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता आसक्खंधसंठिते

Translated Sutra: हे भगवंत ! नक्षत्र संस्थिति किस प्रकार की है ? इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजीत नक्षत्र का आकार गोशीर्ष की पंक्ति समान है; श्रवण आकार का, घनिष्ठा – शकुनीपलीनक आकार का, शतभिषा – पुष्पोचार आकार का, पूर्वा और उत्तरा प्रौष्ठपदा – अर्द्धवापी आकार का, रेवती – नौका आकार का, अश्विनी अश्व के स्कन्ध आकार का, भरणी – भग आकार
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 56 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते तारग्गे आहितेति वएज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभीई नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। ता सवणे नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। ता धनिट्ठा नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता पणतारे पन्नत्ते। ता सतभिसया नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता सततारे पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवता नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता दुतारे पन्नत्ते। एवं उत्तरावि। ता रेवती नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता बत्तीसतितारे पन्नत्ते। ता अस्सिणी नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। एवं सव्वे पुच्छिज्जंति–भरणी तितारे पन्नत्ते, कत्तिया छत्तारे

Translated Sutra: ताराओं का प्रमाण किस तरह का है ? इस अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजीत नक्षत्र के तीन तारे हैं। श्रवण नक्षत्र के तीन, घनिष्ठा के पाँच, शतभिषा के सौ, पूर्वा – उत्तरा भाद्रपद के दो, रेवती के बतीस, अश्विनी के तीन, भरणी के तीन, कृतिका के छ, रोहिणी के पाँच, मृगशिर्ष के तीन, आर्द्रा का एक, पुनर्वसु के पाँच, पुष्य के तीन, अश्लेषा
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 57 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नेता आहितेति वदेज्जा? ता वासाणं पढमं मासं कति नक्खत्ता नेंति? ता चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–उत्तरासाढा अभिई सवणो धनिट्ठा। उत्तरासाढा चोद्दस अहोरत्ते नेति, अभिई सत्त अहोरत्ते नेति, सवणे अट्ठ अहोरत्ते नेति, धनिट्ठा एगं अहोरत्तं नेति। तंसि च णं मासंसि चउरंगुल-पोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पदाइं चत्तारि अंगुलाइं पोरिसी भवति। ता वासाणं दोच्चं मासं कति नक्खत्ता नेंति? ता चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–धनिट्ठा सतभिसता पुव्वपोट्ठवया उत्तरपोट्ठवया। धनिट्ठा चोद्दस अहोरत्ते नेति, सतभिसता सत्त अहोरत्ते नेति, पुव्वपोट्ठवया

Translated Sutra: नक्षत्ररूप नेता किस प्रकार से कहे हैं ? वर्षा के प्रथम याने श्रावण मास को कितने नक्षत्र पूर्ण करते हैं ? चार – उत्तराषाढ़ा, अभिजीत, श्रवण और घनिष्ठा। उत्तराषाढ़ा चौदह अहोरात्र से, अभिजीत सात अहोरात्र से, श्रवण आठ और घनिष्ठा एक अहोरात्र से स्वयं अस्त होकर श्रावण मास को पूर्ण करते हैं। श्रावण मास में चार अंगुल पौरुषी
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 58 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते चंदमग्गा आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अत्थि नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयणं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दंपि जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमद्दंपि जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्दं जोयं जोएति। ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति? तहेव जाव कयरे नक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्दं जोयं जोएति? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं जे णं नक्खत्ता सया चंदस्स

Translated Sutra: चन्द्र का गमन मार्ग किस प्रकार से है ? इन अट्ठाईस नक्षत्रों में चंद्र को दक्षिण आदि दिशा से योग करने – वाले भिन्नभिन्न नक्षत्र इस प्रकार हैं – जो सदा चन्द्र की दक्षिण दिशा से व्यवस्थित होकर योग करते हैं ऐसे छह नक्षत्र हैं – मृगशिर्ष, आर्द्रा, पुष्य, अश्लेषा, हस्त और मूल। अभिजीत, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा –
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 60 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते देवयाणं अज्झयणा आहिताति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता बम्हदेवयाए पन्नत्ते। ता सवणे णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता विण्हुदेवयाए पन्नत्ते। ता धणिट्ठा णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता वसुदेवयाए पन्नत्ते। ता सतभिसया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता वरुणदेवयाए पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता अयदेवयाए पन्नत्ते। ता उत्तरापोट्ठवया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता अभिवड्ढिदेवयाए पन्नत्ते। एवं सव्वेवि पुच्छिज्जंति–रेवती पुस्सदेवयाए, अस्सिणी अस्सदेवयाए, भरणी जमदेवयाए,

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! इन नक्षत्रों के देवता के नाम किस प्रकार हैं ? इन २८ नक्षत्रों में अभिजीत नक्षत्र के ब्रह्म नामक देवता हैं, इसी प्रकार श्रवण के विष्णु, घनिष्ठा के वसुदेव, शतभिषा के वरुण, पूर्वाभाद्रपदा के अज, उत्तरा – भाद्रपदा के अभिवृद्धि, रेवती के पूष, अश्विनी के अश्व, भरणी के यम, कृतिका के अग्नि, रोहिणी के प्रजापति,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 74 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते भोयणा आहिताहि वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधेति। रोहिणीहिं वसभमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।संठाणाहिं मिगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। अद्दाहिं नवनीतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुनव्वसुणा घतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुस्सेण खीरेण भोच्चा कज्जं साधेति। अस्सेसाहिं दीवगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। महाहिं कसरिं भोच्चा कज्जं साधेति। पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेंढकमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। उत्तराहिं फग्गुणीहिं णखीमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। हत्थेणं वच्छाणीएणं भोच्चा कज्जं साधेति। चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोच्चा कज्जं

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! नक्षत्र के गोत्र किस प्रकार से कहे हैं ? इन २८ नक्षत्रोंमें अभिजीत नक्षत्र का गोत्र मुद्‌गलायन है, इसी तरह श्रवण का शंखायन, घनिष्ठा का अग्रतापस, शतभिषा का कर्णलोचन, पूर्वाभाद्रपद का जातु – कर्णिय, उत्तराभाद्रपद का धनंजय, रेवती का पौष्यायन, अश्विनी का आश्वायन, भरणी का भार्गवेश, कृतिका का अग्निवेश,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 75 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते चारा आहिताति वदेज्जा? तत्थ खलु इमे दुविहा चारा पन्नत्ता, तं जहा–आदिच्चचारा य चंदचारा य। ता कहं ते चंदचारा आहिताति वदेज्जा? ता पंच संवच्छरिए णं जुगे अभीई नक्खत्ते सत्तसट्ठिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, सवणे णं नक्खत्ते सत्तसट्ठिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति। एवं जाव उत्तरासाढा नक्खत्ते सत्तसट्ठिचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति। ता कहं ते आदिच्चचारा आहिताति वदेज्जा? ता पंच संवच्छरिए णं जुगे अभीई नक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएति। एवं जाव उत्तरासाढा नक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएति।

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! नक्षत्र का भोजना किस प्रकार का है ? इन २८ नक्षत्रोंमें कृतिका नक्षत्र दहीं और भात खाकर, रोहिणी – धतूरे का चूर्ण खाकर, मृगशिरा – इन्द्रावारुणि चूर्ण खाके, आर्द्रा – मक्खन खाके, पुनर्वसु – घी खाके, पुष्य – खीर खाके, अश्लेषा – अजमा का चूर्ण खाके, मघा – कस्तूरी खाके, पूर्वाफाल्गुनी – मंडुकपर्णिका चूर्ण
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 77 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अभिनंदे सुपइट्ठे य, विजए पीतिवद्धण । सेज्जंसे य सिवे यावि, ‘सिसिरेवि य हेमवं’ ॥

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! मास के नाम किस प्रकार से हैं ? एक – एक संवत्सर में बारह मास होते हैं; उसके लौकिक और लोकोत्तर दो प्रकार के नाम हैं। लौकिक नाम – श्रावण, भाद्रपद, आसोज, कार्तिक, मृगशिर्ष, पौष, महा, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और अषाढ़। लोकोत्तर नाम इस प्रकार हैं – अभिनन्द, सुप्रतिष्ठ, विजय, प्रीतिवर्द्धन, श्रेयांस, शिव, शिशिर,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 91 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नक्खत्तविजए आहितेति वदेज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं। ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, दो सूरिया तविंसु वा तवेंति वा तविस्संति वा, छप्पन्नं नक्खत्ता जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा, तं जहा–दो अभीई दो सवणा दो धनिट्ठा दो सतभिसया दो पुव्वापोट्ठवया दो उत्तरापोट्ठवया दो रेवती दो अस्सिणी दो भरणी दो कत्तिया दो रोहिणी दो संठाणा दो अद्दा दो पुनव्वसू दो पुस्सा दो अस्सेसाओ दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो उत्तराफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो साती दो विसाहा दो अनुराधा दो जेट्ठा

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! नक्षत्र ज्योतिष्क द्वारा किस प्रकार से हैं ? इस विषय में यह पाँच प्रतिपत्तियाँ हैं। एक कहता है कि कृत्तिकादि सात नक्षत्र पंच द्वारवाले हैं, दूसरा मघादि सात को पूर्वद्वारीय कहता है, तीसरा घनिष्ठादि सात को, चौथा अश्विनी आदि सात को और पाँचवा भरणी आदि सात नक्षत्र को पूर्वद्वारीय कहता है। जो कृतिकादि
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 92 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते सीमाविक्खंभे आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं छप्पन्नाए नक्खत्ताणं–अत्थि नक्खत्ता जेसि णं छ सता तीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो। अत्थि नक्खत्ता जेसि णं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो। अत्थि नक्खत्ता जेसि णं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो। अत्थि नक्खत्ता जेसि णं तिन्नि सहस्सा पन्नरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो। ता एतेसि णं छप्पन्नाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ता जेसि णं छ सत्ता तीसा तं चेव उच्चारेतव्वं। कयरे नक्खत्ता जेसि णं तिन्नि सहस्सा पन्नरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! नक्षत्रविचय किस प्रकार से कहा है ? यह जंबूद्वीप सर्वद्वीप – समुद्रों से ठीक बीच में यावत्‌ घीरा हुआ है। इस जंबूद्वीप में दो चन्द्र प्रकाशित हुए थे, होते हैं और होंगे; दो सूर्य तपे थे, तपते हैं और तपेंगे; छप्पन नक्षत्रों ने योग किया था, करते हैं ओर करेंगे – वह नक्षत्र इस प्रकार है – दो अभिजीत, दो श्रवण,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 109 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पन्नासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्ठिं चुण्णिया भागा सेसा। तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए। ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि मुहुत्ता अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छत्तालीसं चुण्णिया भागा सेसा। तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति?

Translated Sutra: एक युग में पाँच वर्षाकालिक और पाँच हैमन्तिक ऐसी दश आवृत्ति होती है। इस पंच संवत्सरात्मक युग में प्रथम वर्षाकालिक आवृत्ति में चंद्र अभिजीत नक्षत्र से योग करता है, उस समय में सूर्य पुष्य नक्षत्र से योग करता है, पुष्य नक्षत्र से उनतीस मुहूर्त्त एवं एक मुहूर्त्त के तेयालीस बासठांश भाग तथा बासठवें भाग को सडसठ
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 110 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे दसविधे जोए पन्नत्ते, तं जहा–वसभाणुजाते वेणुयाणुजाते मंचे मंचातिमंचे छत्ते छत्तातिछत्ते जुयणद्धे घनसमंद्दे पीणिते मंडूकप्पुत्ते नामं दसमे। ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं छत्तातिच्छत्तं जोयं चंदे कंसि देसंसि जोएति? ता जंबुद्दीवस्स दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सत्तेणं छेत्ता दाहिण-पुरत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवाइणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवाइणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहिं कलाहिं दाहिणपुरत्थिमिल्लं चउब्भागमंडलं असंपत्ते, एत्थ णं से चंदे छत्तातिच्छत्तं जोयं जोएति,

Translated Sutra: इस पंच संवत्सरात्मक युग में प्रथम हैमन्तकालिकी आवृत्ति में चंद्र हस्तनक्षत्र से और सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से योग करता है, दूसरी हैमन्तकालिकी आवृत्ति में चंद्र शतभिषा नक्षत्र से योग करता है, इसी तरह तीसरी में चन्द्र का योग पुष्य के साथ, चौथी में चन्द्र का योग मूल के साथ और पाँचवी हैमन्तकालिकी आवृत्ति में
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 116 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता जया णं चंदं गतिसमावन्नं सूरे गतिसमावन्ने भवति, से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति? ता बावट्ठिभागे विसेसेति। ता जया णं चंदं गतिसमावन्नं नक्खत्ते गतिसमावन्ने भवति, से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति? ता सत्तट्ठिभागे विसेसेति। ता जया णं सूरं गतिसमावन्नं नक्खत्ते गतिसमावन्ने भवति, से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति? ता पंच भागे विसेसेति। ता जया णं चंदं गतिसमावन्नं अभीई नक्खत्ते गतिसमावन्ने पुरत्थिमाते भागाते समासादेति, समासादेत्ता नव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टति, अनुपरियट्टित्ता विजहति विप्पजहति

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! इन ज्योतिष्कों में शीघ्रगति कौन है ? चंद्र से सूर्य शीघ्रगति है, सूर्य से ग्रह, ग्रह से नक्षत्र और नक्षत्र से तारा शीघ्रगति होते हैं। सबसे अल्पगतिक चंद्र है, और सबसे शीघ्रगति ताराएं है। एक – एक मुहूर्त्त में गमन करता हुआ चंद्र, उन – उन मंडल सम्बन्धी परिधि के १७६८ भाग गमन करता हुआ मंडल के १०९८०० भाग
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 131 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता जोतिसिया णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? ता जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससतसहस्समब्भहियं। ता जोतिसिणीणं देवीणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? ता जहन्नेणं अट्ठभागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पन्नासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं। ता चंदविमाने णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? ता जहन्नेणं चउब्भागपलिओवमं, उक्कोसेणं पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं। ता चंदविमाने णं देवीणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? ता जहन्नेणं चउब्भागपलिओवमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पन्नासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं। ता सूरविमाने णं देवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता?

Translated Sutra: ज्योतिष्केन्द्र चंद्र की चार अग्रमहिषीयाँ हैं – चंद्रप्रभा, ज्योत्सनाभा, अर्चिमालिनी एवं प्रभंकरा; एक एक पट्टराणी का चार – चार हजार देवी का परिवार है, वह एक – एक देवी अपने अपने ४००० रूपों की विकुर्वणा करती हैं इस तरह १६००० देवियों की एक त्रुटीक होती है। वह चंद्र चंद्रावतंसक विमान में सुधर्मासभा में उन देवियों
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 197 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता पुक्खरवरं णं दीवं पुक्खरोदे नामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठति। ता पुक्खरोदे णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते? विसमचक्कवालसंठिते? ता पुक्खरोदे समचक्कवालसंठिते, नो विसमचक्कवालसंठिते। ता पुक्खरोदे णं समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहितेति वदेज्जा? ता संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं आहितेति वदेज्जा। ता पुक्खरवरोदे णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा पुच्छा तहेव। ता पुक्खरोदे णं समुद्दे संखेज्जा चंदा पभासेंसु वा जाव संखेज्जाओ तारागणकोडिकोडीओ

Translated Sutra: मनुष्य क्षेत्र के अन्तर्गत्‌ जो चंद्र – सूर्य – ग्रह – नक्षत्र और तारागण हैं, वह क्या ऊर्ध्वोपपन्न हैं ? कल्पोपपन्न ? विमानोपपन्न है ? अथवा चारोपपन्न है ? वे देव विमानोपपन्न एवं चारोपपन्न है, वे चारस्थितिक नहीं होते किन्तु गतिरतिक – गतिसमापन्नक – ऊर्ध्वमुखीकलंबपुष्प संस्थानवाले हजारो योजन तापक्षेत्रवाले,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 203 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] इंगालए वियालए, लोहियक्खे निच्छरे चेव । आहुणिए पाहुणिए, कनगसणामा उ पंचेव ॥

Translated Sutra: निश्चय से यह अठ्ठासी महाग्रह कहे हैं – अंगारक, विकालक, लोहिताक्ष, शनैश्चर, आधुनिक, प्राधूणिक, कण, कणक, कणकणक, कणवितानक, कणसंताणक, सोम, सहित, आश्वासन, कायोपग, कर्बटक, अजकरक, दुन्दुभक, शंख, शंखनाभ, कंस, कंसनाभ, कंसवर्णाभ, नील, नीलावभास, रूप्य, रूप्यभास, भस्म, भस्मराशी, तिल, तिलपुष्पवर्ण, दक, दकवर्ण, काक, काकन्ध, इन्द्राग्नि,
Chandrapragnapati चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Hindi 204 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सोमे सहिते अस्सासणे य कज्जोवए य कब्बरए । अयकरए दुंदुभए, संखसणामावि तिन्नेव ॥

Translated Sutra: यह संग्रहणी गाथाएं हैं। इन गाथाओं में पूर्वोक्त अठ्ठासी महाग्रहों के नाम – अंगारक यावत्‌ पुष्पकेतु तक बताये हैं। इसीलिए इन गाथाओं के अर्थ प्रगट न करके हमने पुनरुक्तिका त्याग किया है। सूत्र – २०४–२११
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 108 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमाओ पंच वासिकीओ पंच हेमंतीओ आउट्टीओ पन्नत्ताओ। ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं वासिकिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता अभीइणा, अभीइस्स पढमसमए। तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता पूसेणं, पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा। ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं वासिकिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता संठाणाहिं, संठाणाणं एक्कारस मुहुत्ता ऊतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेपण्णं चुण्णिया भागा सेसा।

Translated Sutra: તેમાં નિશ્ચે આ પાંચ વર્ષાકાલિકી અને પાંચ હૈમંતિક એ દશ આવૃત્તિઓ કહેલી છે. તે આ પાંચ સંવત્સરોમાં પહેલી વર્ષાકાલિકી આવૃત્તિને ચંદ્ર કયા નક્ષત્ર વડે યોગ કરે છે? તે અભિજિત નક્ષત્ર સાથે અભિજિત નક્ષત્રના પહેલા સમય વડે યોગ કરે છે.. તે સમયે સૂર્ય કયા નક્ષત્રથી યોગ કરે છે ? પુષ્યથી પુષ્યના ૧૯ મુહૂર્ત્ત અને એક મુહૂર્ત્તના
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 109 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पन्नासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्ठिं चुण्णिया भागा सेसा। तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए। ता एतेसि णं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति? ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि मुहुत्ता अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छत्तालीसं चुण्णिया भागा सेसा। तं समयं च णं सूरे केणं नक्खत्तेणं जोएति?

Translated Sutra: તે આ પાંચ સંવત્સરોમાં પહેલી હૈમંતકાલિકી આવૃત્તિ ચંદ્ર કયા નક્ષત્ર વડે યોગ કરે છે? હસ્ત વડે. હસ્તના પાંચ મુહૂર્ત્ત અને એક મુહૂર્ત્તના ૫૦/૬૨ ભાગ અને ૬૨ ભાગને ૬૭ વડે છેદીને ૬૦ ચૂર્ણિકા ભાગો બાકી રહેતા, યોગ કરે છે.. તે સમયે સૂર્ય કયા નક્ષત્રથી યોગ કરે છે ? ઉત્તરાષાઢા વડે. ઉત્તરાષાઢાના છેલ્લા સમયે. તે આ પાંચ સંવત્સરોમાં
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 7 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कतिकट्ठा पोरिसिच्छाया? जोगे किं ते आहिए? । किं ते संवच्छराणादी? कइ संवच्छराइ य? ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૫
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 39 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते सेयताए संठिती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमा दुविधा संठिती पन्नत्ता, तं जहा–चंदिमसूरियसंठिती य तावक्खेत्तसंठिती य। ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता विसमचउरंससंठिता चंदिमसू-रियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु २ एवं समचउक्कोणसंठिता ३ विसमचउक्कोणसंठिता ४ समचक्कवालसंठिता ५ विसम-चक्कवालसंठिता ६ चक्कद्धचक्कवालसंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता– एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसु–ता छत्तागारसंठिता चंदिमसूरियसंठिती

Translated Sutra: શ્વેત વર્ણવાળા પ્રકાશ ક્ષેત્રની સંસ્થિતિ(આકાર) કઈ રીતે કહેલ છે? પ્રકાશ ક્ષેત્રની નિશ્ચે આ બે ભેદે સંસ્થિતિ કહેલ છે, તે આ પ્રમાણે – ચંદ્ર, સૂર્યની સંસ્થિતિ અને તાપક્ષેત્ર સંસ્થિતિ. તે ચંદ્ર – સૂર્ય સંસ્થિતિ(આકાર) કઈ રીતે કહેલ છે? તેના સંસ્થાનના વિષયમાં અન્યતિર્થીકોની નિશ્ચે આ સોળ પ્રતિપત્તિઓ કહેલી છે, તે આ
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 44 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कतिकट्ठं ते सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ तिन्नि पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ तत्थेगे एवमाहंसु–ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तदणंतराइं बाहिराइं पोग्गलाइं संतावेंतीति, एस णं से समिते तावक्खेत्ते–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला नो संतप्पंति, ते णं पोग्गला असंतप्पमाणा तदणंतराइं बाहिराइं पोग्गलाइं नो संतावेंतीति, एस णं से समिते ताव-क्खेत्ते–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु– ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला

Translated Sutra: સૂર્ય કેટલાં પ્રમાણયુક્ત પુરુષછાયાથી નિવર્તે છે અર્થાત પડછાયાને ઉત્પન્ન કરે છે ? તેમાં નિશ્ચે આ ત્રણ પ્રતિપત્તિઓ (અન્ય તીર્થિકોની માન્યતા) કહેલી છે – તેમાં કોઈ અન્યતીર્થિકો એમ કહે છે કે – જે પુદ્‌ગલો સૂર્યની લેશ્યાને સ્પર્શે છે, તે પુદ્‌ગલો સંતપ્ત થાય છે. તે સંતપ્યમાન પુદ્‌ગલો તેની પછીના બાહ્ય પુદ્‌ગલોને
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 45 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कतिकट्ठे ते सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता अनुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वदेज्जा–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अनुमुहुत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहितेति वएज्जा २ एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं, ता जाओ चेव ओयसंठितीए पणवीसं पडिवत्तीओ ताओ चेव नेयव्वाओ जाव अनुओसप्पिणिउस्सप्पिणिमेव सूरिए पोरिसिच्छायं निव्वत्तेति आहिताति वदेज्जा–एगे एवमाहंसु २५। वयं पुण एवं वयामो–ता सूरियस्स णं उच्चत्तं च लेसं च पडुच्च छाउद्देसे, उच्चत्तं च छायं च पडुच्च

Translated Sutra: સૂર્ય કેટલા પ્રમાણમાં પૌરુષી છાયાને નિર્વર્તે છે ? પુરુષ છાયા ઉત્પત્તિ સમયના વિષયમાં આ પચીશ પ્રતિપત્તિઓ (અન્ય તીર્થિકોની માન્યતા) કહેલી છે – ૧. તેમાં એક એમ કહે છે કે – અનુસમય જ સૂર્ય પોરીસી છાયાને ઉત્પન્ન કરે છે, તેમ કહેવું. ૨. બીજા કોઈ કહે છે કે અનમુહૂર્ત્ત સૂર્ય પોરીસી છાયાને ઉત્પન્ન કરે છે, તેમ કહેવું. આ આલાવા
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 46 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहितेति वदेज्जा, ता कहं ते जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता सव्वेवि णं नक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपज्जवसाणा पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वेवि णं नक्खत्ता महादिया अस्सेसपज्जवसाणा पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वेवि णं नक्खत्ता धनिट्ठादिया सवणपज्जवसाणा पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वेवि णं नक्खत्ता अस्सिणीआदिया रेवइपज्जवसाणा पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता सव्वेवि णं नक्खत्ता

Translated Sutra: નક્ષત્રો ક્યા ક્રમથી આવલિકાનિપાત અર્થાત સૂર્ય અને ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે ? નક્ષત્રોના સૂર્ય અને ચંદ્ર સાથે યોગના ક્રમ વિષયક અન્યતિર્થીકોની આ પાંચ પ્રતિપત્તિઓ (માન્યતા)કહેલી છે – એક એમ કહે છે – કૃતિકાથી ભરણી સુધી બધાં પણ નક્ષત્રો સૂર્ય અને ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. બીજો કહે છે – બધાં નક્ષત્રો મઘાથી આશ્લેષા સુધી
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 47 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते मुहुत्तग्गे आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अत्थि नक्खत्ते जे णं नव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएति। अत्थि नक्खत्ता जे णं पन्नरस मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति। अत्थि नक्खत्ता जे णं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति। अत्थि नक्खत्ता जे णं पणयालीसे मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति। ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नवमुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जोयं जोएति? कयरे नक्खत्ता जे णं पन्नरसमुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति? कयरे नक्खत्ता

Translated Sutra: નક્ષત્રો કેટલા મુહુર્ત સુધી ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે ? આ ૨૮ – નક્ષત્રોમાં કેટલાક નક્ષત્રો એવા છે, જે નવ મુહૂર્ત્ત અને ૨૭/૬૭ ભાગ ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ૧૫ મુહૂર્ત્તમાં ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ૧૫ મુહૂર્ત્તમાં ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ૪૫ – મુહૂર્ત્તથી ચંદ્રની
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 48 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अत्थि नक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति। अत्थि नक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति। अत्थि नक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते दुवालस य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति। अत्थि नक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिन्नि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति। ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति? कयरे नक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एक्कवीसं मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएंति? कयरे नक्खत्ता जे णं तेरस

Translated Sutra: આ ૨૮ – નક્ષત્રોમાં એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ચાર અહોરાત્ર અને છ મુહૂર્ત્ત સૂર્યની સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે છ અહોરાત્ર અને ૨૧ – મુહૂર્ત્તમાં સૂર્ય સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ૧૩ અહોરાત્ર અને ૧૨ – મુહૂર્ત્તમાં સૂર્ય સાથે યોગ કરે છે. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ૨૦ અહોરાત્ર અને ત્રણ મુહૂર્ત્તમાં સૂર્ય
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 49 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते एवंभागा आहिताति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अत्थि नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता पुव्वंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पन्नत्ता। अत्थि नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पन्नत्ता। अत्थि नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता नत्तंभागा अवड्ढखेत्ता पन्नरसमुहुत्ता पन्नत्ता। अत्थि नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्ढखेत्ता पणयालीसइमुहुत्ता पन्नत्ता। ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता पुव्वंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता पन्नत्ता? कयरे नक्खत्ता जे णं नक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसइमुहुत्ता

Translated Sutra: નક્ષત્રોના પૂર્વ ભાગાદિ યોગ કેટલા કહ્યા છે ? આ ૨૮ નક્ષત્રોમાં એ નક્ષત્રો છે જે પૂર્વભાગા અને સમક્ષેત્ર કહેલા છે. એવા નક્ષત્રો છે, તે ૩૦ મુહુર્ત સુધી ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. જે પશ્ચાત્‌ ભાગા અને સમક્ષેત્ર છે, તે પણ ૩૦ મુહૂર્ત્ત સુધી ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. એવા નક્ષત્રો છે જે રાત્રિગત અપાર્દ્ધ ક્ષેત્રવાલા છે, તે
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 50 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते जोगस्स आदी आहिंतेति वदेज्जा? ता अभीईसवणा खलु दुवे नक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता सातिरेग-ऊतालीसइमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छा अवरं सातिरेगं दिवसं–एवं खलु अभिईसवणा दुवे नक्खत्ता एगं रातिं एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, जोएत्ता जोयं अनुपरियट्टंति, अनुपरियट्टित्ता सायं चंदं धनिट्ठाणं समप्पेंति। ता धनिट्ठा खलु नक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसइमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, जोएत्ता ततो पच्छा रातिं अवरं च दिवसं–एवं खलु धनिट्ठा नक्खत्ते एगं रातिं एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति,

Translated Sutra: નક્ષત્રોના યોગની આદિ ક્યાં અને કેવી રીતે થાય છે ? અભિજિત અને શ્રવણ, બંને નક્ષત્રો પશ્ચાત્‌ ભાગ સમક્ષેત્ર સાતિરેક ૩૯ મુહૂર્ત્તવાળા છે, તે પહેલા સંધ્યાકાળે ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે, પછી સાતિરેક બીજા દિવસ સાથે, એ પ્રમાણે અભિજિત અને શ્રવણ બંને નક્ષત્રો એક રાત્રિ અને એક સાતિરેક દિવસ ચંદ્ર સાથે યોગ કરે છે. યોગ કરીને
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 51 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते कुला आहिताति वदेज्जा? तत्थ खलु इमे बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पन्नत्ता। बारस कुला तं जहा–धनिट्ठा कुलं उत्तराभद्दवया कुलं अस्सिणी कुलं कत्तिया कुलं संठाणा कुलं पुस्सो कुलं महा कुलं उत्तराफग्गुणी कुलं चित्ता कुलं विसाहा कुलं मूलो कुलं उत्तरासाढा कुलं। बारस उवकुला, तं जहा–सवणो उवकुलं पुव्वभद्दवया उवकुलं रेवती उवकुलं भरणी उवकुलं रोहिणी उवकुलं पुन्नवसू उवकुलं अस्सेसा उवकुलं पुव्वाफग्गुणी उवकुलं हत्थो उवकुलं साती उवकुलं जेट्ठा उवकुलं पुव्वासाढा उवकुलं। चत्तारि कुलोवकुला, तं जहा–अभीई कुलोवकुलं सतभिसया कुलोवकुलं अद्दा कुलोवकुलं

Translated Sutra: કુલ સંજ્ઞક, ઉપકુલ સંજ્ઞક, કુલોપકુલ સંજ્ઞક નક્ષત્રો કેટલા અને ક્યા છે ? ૨૮ નક્ષત્રોમાં આ બાર નક્ષત્રો કુલ સંજ્ઞક, બાર નક્ષત્રો ઉપકુલ સંજ્ઞક, ચાર નક્ષત્રો કુલોપકુલ સંજ્ઞક કહેલા છે. બાર સંજ્ઞક નક્ષત્રો આ રીતે – ઘનિષ્ઠા, ઉત્તરાભાદ્રપદ, અશ્વિની, કૃતિકા, સંઠાણા, પુષ્ય, મઘા, ઉત્તરાફાલ્ગુની, ચિત્રા, વિશાખા, મૂળ, ઉત્તરાષાઢા.
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 52 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते पुण्णिमासिणी आहितेति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ बारस पुण्णिमासिणीओ बारस अमावासाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–साविट्ठी पोट्ठवली आसोई कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाढी। ता साविट्ठिणं पुण्णिमासिं कति नक्खत्ता जोएंति? ता तिन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं जहा–अभिइ सवणो धनिट्ठा। ता पोट्ठवतिण्णं पुण्णिमं कति नक्खत्ता जोएंति? ता तिन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं जहा–सतभिसया पुव्वापोट्ठवया उत्तरापोट्ठवया। ता आसोइण्णं पुण्णिमं कति नक्खत्ता जोएंति? ता दोन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं जहा–रेवती अस्सिणी य। ता कत्तियण्णं पुण्णिमं कति नक्खत्ता जोएंति?

Translated Sutra: આપે પૂર્ણિમા કેટલી અને કઈ કહી છે ? નિશ્ચે આ બાર પૂર્ણિમા અને બાર અમાસ કહેલી છે. તે આ રીતે – શ્રાવિષ્ઠી, પ્રૌષ્ઠપદી, આસોજા, કૃતિકા, મૃગશિર્ષી, પોષી, માઘી, ફાલ્ગુની, ચૈત્રી, વૈશાખી, જ્યેષ્ઠામૂલી, આષાઢી. તે શ્રાવિષ્ઠી પૂર્ણિમા કેટલા નક્ષત્રનો યોગ કરે છે? ત્રણ નક્ષત્રોનો. તે આ – અભિજિત, શ્રવણ, ઘનિષ્ઠા. તે પ્રૌષ્ઠપદી
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 53 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता साविट्ठिण्णं पुण्णिमासिणिं किं कुलं जोएति? उवकुलं वा जोएति? कुलोवकुलं वा जोएति? ता कुलं वा जोएति, उवकुलं वा जोएति, कुलोवकुलं वा जोएति। कुलं जोएमाणे धनिट्ठा नक्खत्ते जोएति, उवकुलं जोएमाणे सवणे नक्खत्ते जोएति, कुलोव-कुलं जोएमाणे अभिई नक्खत्ते जोएति। साविट्ठिण्णं पुण्णिमं कुलं वा जोएति, उवकुलं वा जोएति, कुलोवकुलं वा जोएति। कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया। ता पोट्ठवतिण्णं पुण्णिमं किं कुलं जोएति? उवकुलं जोएति? कुलोवकुलं वा जोएति? ता कुलं वा जोएति, उवकुलं वा जोएति, कुलोवकुलं वा जोएति। कुलं जोएमाणे

Translated Sutra: તે શ્રાવિષ્ઠી પૂર્ણિમા કુલસંજ્ઞક નક્ષત્રનો યોગ કરે છે, ઉપકુલ સંજ્ઞક નક્ષત્રનો યોગ કરે છે કે કુલોપકુલ સંજ્ઞક નક્ષત્રનો યોગ કરે છે ? તે કુલસંજ્ઞક નક્ષત્રનો યોગ કરે કે ઉપકુલ સંજ્ઞક નક્ષત્રનો નો યોગ કરે કે કુલોપકુલ સંજ્ઞક નક્ષત્રનો પણ યોગ કરે છે. કુલસંજ્ઞક નક્ષત્રનો યોગ કરતા ઘનિષ્ઠા નક્ષત્રનો યોગ કરે, ઉપકુલ
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प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 54 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते सन्निवाते आहितेति वदेज्जा? ता जया णं साविट्ठी पुण्णिमा भवति तया णं माही अमावासा भवति, जया णं माही पुण्णिमा भवइ तया णं साविट्ठी अमावासा भवइ, जया णं पोट्ठवती पुण्णिमा भवति तया णं फग्गुणी अमावासा भवति, जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवति तया णं पोट्ठवती अमावासा भवति, जया णं आसोई पुण्णिमा भवति तया णं चेत्ती अमावासा भवति, जया णं चेत्ती पुण्णिमा भवति तया णं आसोई अमावासा भवति, जया णं कत्तिई पुण्णिमा भवति तया णं वइसाही अमावासा भवति, जया णं वइसाही पुण्णिमा भवति तया णं कत्तिई अमावासा भवति, जया णं मग्गसिरी पुण्णिमा भवति तया णं जेट्ठामूली अमावासा भवति, जया णं जेट्ठामूली

Translated Sutra: પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યામાં સન્નિપાત – નક્ષત્રનો સંયોગ કઈ રીતે કહેલ છે ? જ્યારે શ્રાવિષ્ઠી પૂર્ણિમા હોય છે, ત્યારે અમાવાસ્યા મઘા નક્ષત્ર યુક્ત હોય છે. જ્યારે મઘાયુક્ત પૂર્ણિમા હોય ત્યારે શ્રાવિષ્ઠી અમાસ હોય છે. જ્યારે પ્રૌષ્ઠપદી પૂર્ણિમા હોય છે, ત્યારે ફાલ્ગુની અમાસ હોય છે. જ્યારે ફાલ્ગુની પૂર્ણિમા હોય છે,
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 55 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नक्खत्तसंठिती आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभीई नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता गोसीसावलिसंठिते पन्नत्ते। ता सवणे नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता काहारसंठिते पन्नत्ते। ता धनिट्ठा नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता सउणिपलीणगसंठिते पन्नत्ते। ता सतभिसया नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता पुप्फोवयारसंठिते पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवया नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता अवड्ढवाविसंठिते पन्नत्ते। एवं उत्तरावि। ता रेवती नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता नावासंठिते पन्नत्ते। ता अस्सिणी नक्खत्ते किंसंठिते पन्नत्ते? ता आसक्खंधसंठिते

Translated Sutra: નક્ષત્રની સંસ્થિતિ(આકાર) કઈ રીતે છે? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં અભિજિત્‌ નક્ષત્ર કયા આકારે છે ? ગોશીર્ષની પંક્તિ આકારે છે. શ્રવણ નક્ષત્ર કયા આકારે છે ? તે કાવડ આકારે છે. ઘનિષ્ઠા નક્ષત્ર કયા આકારે છે ? તે શકુનીપલીનક આકારે છે. શતભિષજા નક્ષત્ર કયા આકારે છે ? પુષ્પોપચાર આકારે છે. પૂર્વપ્રૌષ્ઠપદા નક્ષત્ર કયા આકારે છે
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 56 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते तारग्गे आहितेति वएज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभीई नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। ता सवणे नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। ता धनिट्ठा नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता पणतारे पन्नत्ते। ता सतभिसया नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता सततारे पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवता नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता दुतारे पन्नत्ते। एवं उत्तरावि। ता रेवती नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता बत्तीसतितारे पन्नत्ते। ता अस्सिणी नक्खत्ते कतितारे पन्नत्ते? ता तितारे पन्नत्ते। एवं सव्वे पुच्छिज्जंति–भरणी तितारे पन्नत्ते, कत्तिया छत्तारे

Translated Sutra: કઈ રીતે તે તારાઓનું પ્રમાણ કહેલ છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં અભિજિત નક્ષત્ર કેટલા તારાવાળું છે ? ત્રણ તારાવાળું છે. શતભિષજ નક્ષત્ર કેટલા તારાવાળુ છે ? સાત તારાવાળુ છે. પૂર્વ પ્રૌષ્ઠપદા કેટલા તારાવાળું છે ? બે તારક છે. એ રીતે ઉત્તરા પ્રૌષ્ઠપદા પણ જાણવું. રેવતી નક્ષત્ર કેટલા તારાવાળું છે ? બત્રીશ તારક છે. અશ્વિની
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 57 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नेता आहितेति वदेज्जा? ता वासाणं पढमं मासं कति नक्खत्ता नेंति? ता चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–उत्तरासाढा अभिई सवणो धनिट्ठा। उत्तरासाढा चोद्दस अहोरत्ते नेति, अभिई सत्त अहोरत्ते नेति, सवणे अट्ठ अहोरत्ते नेति, धनिट्ठा एगं अहोरत्तं नेति। तंसि च णं मासंसि चउरंगुल-पोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पदाइं चत्तारि अंगुलाइं पोरिसी भवति। ता वासाणं दोच्चं मासं कति नक्खत्ता नेंति? ता चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–धनिट्ठा सतभिसता पुव्वपोट्ठवया उत्तरपोट्ठवया। धनिट्ठा चोद्दस अहोरत्ते नेति, सतभिसता सत्त अहोरत्ते नेति, पुव्वपोट्ठवया

Translated Sutra: કેટલા નક્ષત્ર માસ(મહિના)ને પરિવહન કરે છે ? વર્ષાના પહેલા માસને કેટલા નક્ષત્રને પૂર્ણ કરે છે ? શ્રાવણ માસને ચાર નક્ષત્ર પરિવહન કરે છે, તે આ – ઉત્તરાષાઢા, અભિજિત, શ્રવણ અને ઘનિષ્ઠા. ઉત્તરાષાઢા ચૌદ અહોરાત્રથી પૂર્ણ થાય, અભિજિત સાત અહોરાત્રથી, શ્રવણ આઠ અહોરાત્રથી, ઘનિષ્ઠા નક્ષત્ર એક અહોરાત્રથી પૂર્ણ કરે છે. તે માસમાં
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 58 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते चंदमग्गा आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अत्थि नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स उत्तरेणं जोयणं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमद्दंपि जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि पमद्दंपि जोयं जोएंति, अत्थि नक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्दं जोयं जोएति। ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ता जे णं सया चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति? तहेव जाव कयरे नक्खत्ते जे णं सया चंदस्स पमद्दं जोयं जोएति? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं जे णं नक्खत्ता सया चंदस्स

Translated Sutra: તે ચંદ્રમાર્ગ કઈ રીતે કહેલો છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં ૧. કેટલાક એવા નક્ષત્રો છે, જે સદા ચંદ્રને દક્ષિણ દિશાથી યોગ કરે છે ૨. કેટલાક એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે સદા ચંદ્રને ઉત્તર દિશાથી યોગ કરે છે. ૩. એવા પણ નક્ષત્રો છે, જે ચંદ્રને દક્ષિણથી પણ અને ઉત્તરથી પણ તથા પ્રમર્દરૂપ(ઉપર – નીચેથી) પણ યોગ કરે છે. ૪. કેટલાક એવા પણ નક્ષત્રો
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 60 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते देवयाणं अज्झयणा आहिताति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता बम्हदेवयाए पन्नत्ते। ता सवणे णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता विण्हुदेवयाए पन्नत्ते। ता धणिट्ठा णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता वसुदेवयाए पन्नत्ते। ता सतभिसया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता वरुणदेवयाए पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता अयदेवयाए पन्नत्ते। ता उत्तरापोट्ठवया णक्खत्ते किंदेवयाए पन्नत्ते? ता अभिवड्ढिदेवयाए पन्नत्ते। एवं सव्वेवि पुच्छिज्जंति–रेवती पुस्सदेवयाए, अस्सिणी अस्सदेवयाए, भरणी जमदेवयाए,

Translated Sutra: નક્ષત્રોના સ્વામીદેવ કોણ છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં અભિજિત નક્ષત્રના દેવતા કોણ કહ્યા છે ? બ્રહ્મદેવતા કહેલ છે. શ્રવણ નક્ષત્રના દેવતા કોણ કહ્યા છે ? વિષ્ણુ દેવતા કહ્યા છે. ઘનિષ્ઠા નક્ષત્રના દેવતા કોણ કહ્યા છે ? વસુ દેવતા કહેલ છે. શતભિષજ નક્ષત્રના દેવતા કોણ કહ્યા છે ? વરુણદેવતા કહેલ છે. પૂર્વા પ્રૌષ્ઠપદાના કોણ
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 73 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते गोत्ता आहिताति वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभीई नक्खत्ते किंगोते पन्नत्ते? ता मोग्गलायणसगोत्ते पन्नत्ते। ता सवणे नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता संखायणसगोत्ते पन्नत्ते। ता धनिट्ठा नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता अग्गभावसगोत्ते पन्नत्ते। ता सतभिसया नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता कण्णिलायणसगोत्ते पन्नत्ते। ता पुव्वापोट्ठवया नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता जाउकण्णियसगोत्ते पन्नत्ते। ता उत्तरापोट्ठवया नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता धनंजयसगोत्ते पन्नत्ते। ता रेवती नक्खत्ते किंगोत्ते पन्नत्ते? ता पुस्सायणसगोत्ते पन्नत्ते। ता

Translated Sutra: તે નક્ષત્રોના ગોત્ર ક્યા કહેલા છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં અભિજિત નક્ષત્રનું કયુ ગોત્ર છે ? તેનું ગોત્ર મુદ્‌ગલાયન કહેલ છે. શ્રવણ નક્ષત્રનું કયુ ગોત્ર કહેલ છે ? તેનું સંખ્યાયન ગોત્ર કહેલ છે. ઘનિષ્ઠા નક્ષત્રનું કયુ ગોત્ર કહેલ છે ? તે અગ્રતાપસ કહેલ છે. શતભિષા નક્ષત્રનું કયુ ગોત્ર કહેલ છે ? તે કર્ણલોચન ગોત્ર કહેલ
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 74 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते भोयणा आहिताहि वदेज्जा? ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधेति। रोहिणीहिं वसभमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।संठाणाहिं मिगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। अद्दाहिं नवनीतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुनव्वसुणा घतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुस्सेण खीरेण भोच्चा कज्जं साधेति। अस्सेसाहिं दीवगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। महाहिं कसरिं भोच्चा कज्जं साधेति। पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेंढकमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। उत्तराहिं फग्गुणीहिं णखीमंसं भोच्चा कज्जं साधेति। हत्थेणं वच्छाणीएणं भोच्चा कज्जं साधेति। चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोच्चा कज्जं

Translated Sutra: તે નક્ષત્રોનું ભોજન શું કહેલ છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં – કૃતિકામાં દહીં – ભાત ખાઈને કાર્ય સાધવું. રોહિણીમાં ધતૂરાનું ચૂર્ણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. મૃગશીર્ષમાં ઇન્દ્રાવારુણી ચૂર્ણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. આર્દ્રામાં માખણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. પુનર્વસુમાં ઘી ખાઈને કાર્ય સાધવું. પુષ્યમાં ખીર ખાઈને કાર્ય સાધવું. આશ્લેષામાં
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 90 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते जोतिसस्स दारा आहिताति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु– ता कत्तियादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १ एगे पुन एवमाहंसु–ता महादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु २ एगे पुन एवमाहंसु–ता धनिट्ठादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुन एवमाहंसु–ता अस्सिनीयादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता भरणीयादिया णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ५। तत्थ जेते एवमाहंसु–ता कत्तियादिया

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નક્ષત્ર જ્યોતિષના દ્વાર કઈ રીતે કહ્યા છે ? તેમાં આ પાંચ પ્રતિપત્તિઓ અન્યતીર્થિકોએ કહી છે – ૧. એક અન્યતીર્થિક એ પ્રમાણે કહે છે કે – કૃત્તિકાદિ સાત નક્ષત્રો પૂર્વદ્વારિકા છે. ૨. બીજો અન્યતીર્થિક એમ કહે છે કે – મઘાદિ સાત નક્ષત્રો પૂર્વદ્વારિકા કહેલા છે. ૩. ત્રીજો અન્યતીર્થિક એમ કહે છે કે – ઘનિષ્ઠા આદિ
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 91 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते नक्खत्तविजए आहितेति वदेज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं। ता जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, दो सूरिया तविंसु वा तवेंति वा तविस्संति वा, छप्पन्नं नक्खत्ता जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोइस्संति वा, तं जहा–दो अभीई दो सवणा दो धनिट्ठा दो सतभिसया दो पुव्वापोट्ठवया दो उत्तरापोट्ठवया दो रेवती दो अस्सिणी दो भरणी दो कत्तिया दो रोहिणी दो संठाणा दो अद्दा दो पुनव्वसू दो पुस्सा दो अस्सेसाओ दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो उत्तराफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो साती दो विसाहा दो अनुराधा दो जेट्ठा

Translated Sutra: નક્ષત્રવિચય(નક્ષત્રનું સ્વરૂપ) કઈ રીતે કહેલ છે? આ જંબૂદ્વીપ દ્વીપ સર્વે દ્વીપ – સમુદ્રોની મધ્યે આવેલ છે યાવત્‌ તે પરિધિથી યુક્ત છે. તે જંબૂદ્વીપદ્વીપમાં બે ચંદ્રો પ્રભાસિત થયા, પ્રભાસિત થાય છે, પ્રભાસિત થશે. બે સૂર્યો તપ્યા, તપે છે, તપશે. ૫૬ નક્ષત્રોએ યોગ કર્યો – કરે છે – કરશે. તે આ પ્રમાણે – બે અભિજિત, બે શ્રવણ,
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 115 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते सिग्घगती वत्थू आहितेति वदेज्जा? ता एतेसि णं चंदिम-सूरिय-गह-नक्खत्त-तारारूवाणं चंदेहिंतो सूरा सिग्घगती, सूरेहिंतो गहा सिग्घगती, गहेहिंतो नक्खत्ता सिग्घगती, नक्खत्तेहिंतो तारा सिग्घगती। सव्वप्पगती चंदा, सव्वसिग्घगती तारा। ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवतियाइं भागसताइं गच्छति? ता जं-जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स-तस्स मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसट्ठिं भागसते गच्छति, मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठानउतीए सतेहिं छेत्ता। ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं सूरिए केवतियाइं भागसताइं गच्छति? ता जं-जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स-तस्स मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! ચંદ્ર – સૂર્ય – ગ્રહગણ – નક્ષત્ર – તારારૂપમાં બધાથી શીઘ્રગતિવાળું કોણ છે ? આ ચંદ્ર – સૂર્ય – ગ્રહગણ – નક્ષત્ર – તારારૂપમાં ચંદ્ર કરતા સૂર્ય શીઘ્રગતિ, સૂર્ય કરતા ગ્રહો શીઘ્રગતિ, ગ્રહો કરતા નક્ષત્રો શીઘ્રગતિ, નક્ષત્રો કરતા તારાઓ શીઘ્રગતિ છે. સર્વ અલ્પ ગતિક ચંદ્ર છે, સર્વ શીઘ્રગતિક તારા છે. ચંદ્ર, પ્રતિ
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 120 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते चयणोववाता आहिताति वदेज्जा? तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थ एगे एवमाहंसु–ता अनुसमयमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जंति–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता अनुमुहुत्तमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जंति २ एवं जहेव हेट्ठा तहेव जाव ता एगे पुण एवमाहंसु–ता अणुओसप्पिणिउस्सप्पिणिमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जंति–एगे एवमाहंसु २५। वयं पुण एवं वदामो–ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्ढिया महाजुतीया महाबला महाजसा महाणुभावा महासोक्खा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगंधधरा वराभरणधरा अव्वोच्छित्तिणयट्ठयाए काले अण्णे चयंति

Translated Sutra: ચંદ્ર અને સૂર્યનું ચ્યવન (મરણ) અને ઉપપાત કઈ રીતે કહેલા છે ? ચંદ્ર અને સૂર્યનું ચ્યવન અને ઉપપાતના વિષયમાં આ પચીશ પ્રતિપત્તિઓ(અન્યતીર્થિકની માન્યતા) કહેલી છે – ૧. તેમાં એક એમ કહે છે કે – અનુસમય જ ચંદ્ર – સૂર્ય અન્ય સ્થાને ચ્યવી, અન્યત્ર ઉપજે છે. ૨. એક વળી એમ કહે છે કે – અનુમુહૂર્ત્ત જ ચંદ્ર – સૂર્ય અન્ય સ્થાને ચ્યવી,
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 127 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता चंदविमाने णं किंसंठिते पन्नत्ते? ता अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिते सव्वफलिहामए अब्भुग्गयमूसिय-पहसिए विविहमणिरयणभत्तिचित्ते जाव पडिरूवे। एवं सूरविमाने गहविमाने नक्खत्तविमाने ताराविमाने। ता चंदविमाने णं केवतियं आयाम-विक्खंभेणं, केवतियं परिक्खेवेणं, केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते? ता छप्पन्नं एगट्ठिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिरएणं, अट्ठवीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पन्नत्ते। ता सूरविमाने णं केवतियं आयाम-विक्खंभेणं पुच्छा। ता अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स आयाम-विक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसं परिरएणं, चउव्वीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૨૭. ચંદ્ર વિમાન કયા આકારે છે? તે અર્દ્ધ કપિત્થક સંસ્થાન સંસ્થિત, સર્વ સ્ફટિકમય, અભ્યુદ્‌ગત ઉસિત પ્રહસિત વિવિધ મણિ – રત્ન વડે આશ્ચર્ય ચકિત યાવત્‌ પ્રતિરૂપ છે. એ પ્રમાણે સૂર્ય વિમાન, ગ્રહવિમાન, નક્ષત્ર વિમાન, તારાવિમાન જાણવા. *** તે ચંદ્રવિમાન કેટલા આયામ – વિષ્કંભથી અને કેટલા પરિક્ષેપથી, કેટલા બાહલ્યથી
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 129 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ता जंबुद्दीवे णं दीवे तारारूवस्स य तारारूवस्स य एस णं केवतिए अबाधाए अंतरे पन्नत्ते? ता दुविहे अंतरे पन्नत्ते, तं जहा–वाघातिमे य निव्वाघातिमे य। तत्थ णं जेसे वाघातिमे, से णं जहन्नेणं दोन्नि छावट्ठे जोयणसते, उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साइं दोन्नि बाताले जोयणसते तारारूवस्स य तारारूवस्स य अबाधाए अंतरे पन्नत्ते। तत्थ णं जेसे निव्वाघातिमे से णं जहन्नेणं पंच धनुसताइं, उक्कोसेणं अद्धजोयणं तारारूवस्स य तारारूवस्स य अबाधाए अंतरे पन्नत्ते।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૨૯. તે જંબૂદ્વીપ દ્વીપમાં એક તારાથી બીજા તારાનું કેટલું અબાધાથી અંતર કહેલ છે ? અંતર બે પ્રકારે છે – વ્યાઘાતિમ અને નિર્વ્યાઘાતિમ. તેમાં જે તે વ્યાઘાતિમ અંતર છે, તે જઘન્યથી ૨૬૬ યોજન અને ઉત્કૃષ્ટથી ૧૨૨૪૨ યોજન એક તારારૂપથી બીજા તારારૂપનું અબાધાથી અંતર કહેલ છે. તેમાં જે નિર્વ્યાઘાતિમ અંતર છે, તે જઘન્યથી
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 179 Gatha Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] केणं वड्ढति चंदो, परिहानी केण होति चंदस्स । कालो वा जोण्हो वा, केननुभावेण चंदस्स ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૭૯. ચંદ્ર કઈ રીતે વધે છે ? ચંદ્રની હાનિ કઈ રીતે થાય છે? ચંદ્ર કયા અનુભાવથી કાળો કે શુક્લ થાય છે? સૂત્ર– ૧૮૦. કૃષ્ણ રાહુ વિમાન નિત્ય ચંદ્રથી અવિરહિત હોય છે. ચાર અંગુલ ચંદ્રની નીચેથી ચરે છે. સૂત્ર– ૧૮૧. શુક્લ પક્ષમાં જ્યારે ચંદ્રની વૃદ્ધિ થાય છે, ત્યારે એક – એક દિવસમાં ૬૨ – ૬૨ ભાગ પ્રમાણથી ચંદ્ર તેનો ક્ષય
Chandrapragnapati ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર Ardha-Magadhi

प्राभृत-१

प्राभृत-प्राभृत-१ Gujarati 202 Sutra Upang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ खलु इमे अट्ठासीतिं महग्गहा पन्नत्ता, तं जहा–इंगालए वियालए लोहितक्खे सनिच्छरे आहुणिए पाहुणिए कणे कणए कणकणए कणविताए कणसंताणए सोमे सहिते आसासणे कज्जोवए कब्बडए अयकरए दुंदुभए संखे संखणाभे संखवण्णाभे कंसे कंसणाभे कंसवण्णाभे नीले नीलोभासे रुप्पे रुप्पोभासे भासे भासरासी तिले तिलपुप्फवण्णे दगे दगवण्णे काए काकंधे इंदग्गी धुमकेतू हरी पिंगलए बुधे सुक्के बहस्सई राहू अगत्थी मानवगे कासे फासे धुरे पमुहे वियडे विसंधीकप्पे नियल्ले पयल्ले जडियायलए अरुणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणगे पलंबे निच्चालोए निच्चुज्जोते सयंपभे ओभासे सेयंकरे खेमंकरे

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૦૨. તેમાં નિશ્ચે આ૮૮ – મહાગ્રહો કહેલા છે. તે આ રીતે – ૧. અંગારક, ૨. વિકાલક, ૩. લોહિતાક્ષ, ૪. શનૈશ્ચર, ૫. આધુનિક, ૬. પ્રાધુનિક, ૭. કણ,૮. કનક,૯. કણકનક. ૧૦. કણવિતાનક, ૧૧. કણ સંતાનક, ૧૨. સોમ, ૧૩. સહિત, ૧૪. આશ્વાસન, ૧૫. કાયોપગ, ૧૬. કર્બટક, ૧૭. અજકરક, ૧૮. દુંદુભક, ૧૯. શંખ, ૨૦. શંખનાભ. ૨૧. શંખવર્ણાભ, ૨૨. કંસ, ૨૩. કંસનાભ, ૨૪. કંસવર્ણાભ, ૨૫.
Chandravedyak Ardha-Magadhi

Hindi 80 Gatha Painna-07B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नाणं पगासगं, सोहओ तवो, संजमो य गुत्तिकरो । तिण्हं पि समाओगे मोक्खो जिनसासणे भणिओ ॥

Translated Sutra: ज्ञान प्रकाश करनेवाला है, तप शुद्धि करनेवाला है और संयम रक्षण करनेवाला है, इस तरह ज्ञान, तप और संयम तीनों के योग से जिनशासन में मोक्ष कहा है।
Chandravedyak Ardha-Magadhi

Gujarati 4 Gatha Painna-07B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जो परिभवइ मनूसो आयरियं, जत्थ सिक्खए विज्जं । तस्स गहिया वि विज्जा दुःक्खेण वि, अप्फला होइ ॥

Translated Sutra: (વિનયગુણ દ્વાર) ૪. જેમની પાસે વિદ્યા – શિક્ષા મેળવે છે, તે આચાર્ય – ગુરુનો જે મનુષ્ય પરાભવ – તિરસ્કાર કરે છે, તેની વિદ્યા ગમે તેટલા કષ્ટે પ્રાપ્ત કરી હોય તો પણ નિષ્ફળ થાય છે. ૫. કર્મોની પ્રબળતાને લઈને જે જીવ ગુરુનો પરાભવ કરે છે, તે અક્કડ – અભિમાની અને વિનયહીન જીવ જગતમાં ક્યાંય યશ કે કીર્તિ પામી શકતો નથી. પરંતુ સર્વત્ર
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