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Global Search for JAIN Aagam & ScripturesScripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-४ |
उद्देशक-४ | Gujarati | 396 | Sutra | Ang-03 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] चउव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता, तं जहा– नेरइया, तिरिक्खजोणिया, मनुस्सा, देवा।
चउव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–मनजोगी, वइजोगी, कायजोगी, अजोगी।
अहवा–चउव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा– इत्थिवेयगा, पुरिसवेयगा, नपुंसकवेयगा, अवेयगा।
अहवा–चउव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं० चक्खुदंसणी, अचक्खुदंसणी, ओहिदंसणी, केवलदंसणी।
अहवा–चउव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं० संजया, असंजया, संजया-संजया, नोसंजया नोअसंजया। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૩૯૩ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-५ |
उद्देशक-३ | Gujarati | 481 | Sutra | Ang-03 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] पंच इंदियत्था पन्नत्ता, तं० सोतिंदियत्थे, चक्खिंदियत्थे, घाणिंदियत्थे, जिब्भिंदियत्थे, फासिंदियत्थे।
पंच मुंडा पन्नत्ता, तं० सोतिंदियमुंडे, चक्खिंदियमुंडे, घाणिंदियमुंडे, जिब्भिंदियमुंडे, फासिंदियमुंडे।
अहवा– पंच मुंडा पन्नत्ता, तं जहा–कोहमुंडे, मानमुंडे, मायामुंडे, लोभमुंडे, सिरमुंडे। Translated Sutra: ઇન્દ્રિયોના વિષયો પાંચ કહ્યા છે. તે આ – શ્રોત્રેન્દ્રિયના વિષય, યાવત્ સ્પર્શનેન્દ્રિયના વિષય. મુંડ પાંચ કહ્યા છે – શ્રોત્રેન્દ્રિય મુંડ યાવત્ સ્પર્શનેન્દ્રિય મુંડ – અથવા – મુંડ પાંચ ભેદે કહ્યા છે. તે આ – ક્રોધમુંડ, માનમુંડ, માયામુંડ, લોભમુંડ અને શિરમુંડ. | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-५ |
उद्देशक-३ | Gujarati | 496 | Sutra | Ang-03 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] पंचविधा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता, तं जहा– एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया।
एगिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पन्नत्ता, तं जहा– एगिंदिए एगिंदिएसु उववज्जमाणे एगिंदि-एहिंतो वा, बेइंदिएहिंतो वा, तेइंदिएहिंतो वा, चउरिंदिएहिंतो वा, पंचिंदिएहिंतो वा उववज्जेज्जा।
‘से चेव णं से’ एगिंदिए एगिंदियत्तं विप्पजहमाने एगिंदियत्ताए वा, बेइंदियत्ताए वा, तेइंदिय-त्ताए वा, चउरिंदियत्ताए वा, पंचिंदियत्ताए वा गच्छेज्जा।
बेइंदिया पंचगतिया पंचागतिया एवं चेव।
एवं जाव पंचिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पन्नत्ता, तं जहा–पंचिंदिए जाव गच्छेज्जा।
पंचविधा सव्वजीवा Translated Sutra: (૧) સંસારી જીવો પાંચ ભેદે કહ્યા – એકેન્દ્રિયથી પંચેન્દ્રિય. (૨) એકેન્દ્રિયો પાંચ ગતિ અને પાંચ આગતિવાળા છે. તે આ રીતે – એકેન્દ્રિય, એકેન્દ્રિયમાં ઉપજતો એકેન્દ્રિય યાવત્ પંચેન્દ્રિયમાંથી આવીને ઉપજે તે જ એકેન્દ્રિય જીવ. તે એકેન્દ્રિયત્વને છોડતો એકેન્દ્રિયથી પંચેન્દ્રિયપણામાં જાય. (૩) બેઇન્દ્રિય જીવો પાંચ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-५ |
उद्देशक-३ | Gujarati | 505 | Sutra | Ang-03 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] पंचविहे छेयणे पन्नत्ते, तं जहा–उप्पाछेयणे, वियच्छेयणे, बंधच्छेयणे, पएसच्छेयणे, दोधारच्छेयणे।
पंचविहे आनंतरिए पन्नत्ते, तं जहा–उप्पायानंतरिए, वियानंतरिए, पएसानंतरिए, समयानंतरिए, सामण्णानंतरिए।
पंचविधे अनंतए पन्नत्ते, तं जहा–नामाणंतए, ठवनानंतए, दव्वानंतए, गणणानंतए, पदेसानंतए।
अहवा– पंचविहे अनंतए पन्नत्ते, तं जहा–एगंतोऽनंतए, दुहओनंतए, देसवित्थारानंतए, सव्ववित्था-रानंतए, सासयानंतए। Translated Sutra: છેદન પાંચ પ્રકારે કહેલ છે. તે આ – ઉત્પાદછેદન, વ્યયછેદન, બંધછેદન, પ્રદેશછેદન, દ્વિધાકારછેદન. આનંતર્ય પાંચ પ્રકારે કહેલ છે, તે આ – ઉત્પાદનાંતર્ય, વ્યયાનંતર્ય, પ્રદેશાનંતર્ય, સમયાનંતર્ય, સામાયાનંતર્ય. અનંત પાંચ ભેદે કહ્યા છે, તે આ – નામાનંત, સ્થાપનાનંત, દ્રવ્યાનંત, ગણનાનંત, પ્રદેશાનંત અથવા અનંતા પાંચ ભેદે કહ્યા. | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-६ |
Gujarati | 526 | Sutra | Ang-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा– आभिनिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मनपज्जवनाणी, केवलनाणी, अन्नाणी।
अहवा–छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया, अनिंदिया।
अहवा–छव्विहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालियसरीरी, वेउव्वियसरीरी, आहारगसरीरी, तेअगसरीरी, कम्मगसरीरी, असरीरी। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૫૨૧ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-६ |
Gujarati | 533 | Sutra | Ang-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] छव्विहा मनुस्सा पन्नत्ता, तं जहा–जंबूदीवगा, घायइसंडदीवपुरत्थिमद्धगा, धायइसंडदीवपच्चत्थि-मद्धगा, पुक्खरवरदीवड्ढपुरत्थिमद्धगा, पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धगा, अंतरदीवगा।
अहवा– छव्विहा मनुस्सा पन्नत्ता, तं जहा– संमुच्छिममनुस्सा– कम्मभूमगा, अकम्मभूमगा, अंतरदीवगा, गब्भवक्कंतिअमणुस्सा– कम्मभूमगा, अकम्मभूमगा, अंतरदीवगा। Translated Sutra: સૂત્ર– ૫૩૩. છ પ્રકારે મનુષ્યો કહ્યા – જંબૂદ્વીપજ, ધાતકીખંડદ્વીપ પૂર્વાર્ધજ, ધાતકીખંડદ્વીપ પશ્ચિમાર્દ્ધજ, પુષ્કરવરદ્વીપાર્દ્ધ પૂર્વાર્ધજ, પુષ્કરવરદ્વીપાર્દ્ધ પશ્ચિમાર્દ્ધજ, અંતર્દ્વિપજ. અથવા મનુષ્યો છ ભેદે છે – સંમૂર્ચ્છિમ મનુષ્યો ત્રણ ભેદે – કર્મભૂમિજ, અકર્મભૂમિજ, અંતર્દ્વિપજ. ગર્ભજ મનુષ્યો ત્રણ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-७ |
Gujarati | 662 | Sutra | Ang-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सत्तविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–पुढविकाइया, आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सतिकाइया, तसकाइया, अकाइया। अहवा–सत्तविहा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–कण्हलेसा, नीललेसा, काउलेसा, तेउलेसा, पम्हलेसा, सुक्कलेसा, अलेसा। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૬૫૯ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-९ |
Gujarati | 805 | Sutra | Ang-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नवविहा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता, तं जहा–पुढविकाइया, आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया।
पुढविकाइया नवगतिया नवआगतिया पन्नत्ता, तं जहा– पुढविकाइए पुढविकाइएसु उवव-ज्जमाणे पुढविकाइएहिंतो वा, आउकाइएहिंतो वा, तेउकाइएहिंतो वा, वाउकाइएहिंतो वा, वणस्सइकाइएहिंतो वा, बेइंदिएहिंतो वा, तेइंदिएहिंतो वा, चउरिंदिएहिंतो वा, पंचिंदिएहिंतो वा उववज्जेज्जा।
से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकायत्तं विप्पजहमाने पुढविकाइयत्ताए वा, आउकाइयत्ताए वा, तेउकाइयत्ताए वा, वाउकाइयत्ताए वा, वनस्सइकाइयत्ताए वा, बेइंदियत्ताए वा, तेइंदियत्ताए Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૮૦૩ | |||||||||
Sthanang | સ્થાનાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
स्थान-१० |
Gujarati | 994 | Sutra | Ang-03 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दसविधा संसारसमवन्नगा जीवा पन्नत्ता, तं जहा–
पढमसमयएगिंदिया, अपढमसमयएगिंदिया, पढमसमयबेइंदिया, अपढमसमयबेइंदिया, पढमसमय तेइंदिया, अपढमसमयतेइंदिया, पढमसमयचउरिंदिया, अपढमसमयचउरिंदिया, पढमसमय पंचिंदिया, अपढमसमयपंचिंदिया।
दसविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा– पुढवीकाइया, आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, बेंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचेंदिया, अणिंदिया।
अहवा– दसविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–पढमसमयनेरइया, अपढमसमयनेरइया, पढमसमय- तिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमनुया, अपढमसमयमनुया, पढमसमयदेवा, अपढमसमय-देवा, पढमसमयसिद्धा, अपढमसमयसिद्धा। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૯૯૩ | |||||||||
Suryapragnapti | सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
प्राभृत-१० |
प्राभृत-प्राभृत-१७ | Hindi | 70 | Sutra | Upang-05 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते भोयणा आहिताहि वदेज्जा?
ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधेति।
रोहिणीहिं वसभमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।संठाणाहिं मिगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
अद्दाहिं नवनीतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुनव्वसुणा घतेण भोच्चा कज्जं साधेति।
पुस्सेण खीरेण भोच्चा कज्जं साधेति। अस्सेसाहिं दीवगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
महाहिं कसरिं भोच्चा कज्जं साधेति। पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेंढकमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
उत्तराहिं फग्गुणीहिं णखीमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
हत्थेणं वच्छाणीएणं भोच्चा कज्जं साधेति। चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोच्चा कज्जं Translated Sutra: हे भगवन् ! नक्षत्र का भोजना किस प्रकार का है ? इन अट्ठाईस नक्षत्रों में कृतिका नक्षत्र दहीं और भात खाकर, रोहिणी – धतूरे का चूर्ण खाकर, मृगशिरा – इन्द्रावारुणि चूर्ण खाके, आर्द्रा – मक्खन खाके, पुनर्वसु – घी खाके, पुष्य – खीर खाके, अश्लेषा – अजमा का चूर्ण खाके, मघा – कस्तूरी खाके, पूर्वाफाल्गुनी – मंडुकपर्णिका | |||||||||
Suryapragnapti | સૂર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
प्राभृत-१० |
प्राभृत-प्राभृत-१७ | Gujarati | 70 | Sutra | Upang-05 | View Detail |
Mool Sutra: [सूत्र] ता कहं ते भोयणा आहिताहि वदेज्जा?
ता एतेसि णं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधेति।
रोहिणीहिं वसभमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।संठाणाहिं मिगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
अद्दाहिं नवनीतेण भोच्चा कज्जं साधेति। पुनव्वसुणा घतेण भोच्चा कज्जं साधेति।
पुस्सेण खीरेण भोच्चा कज्जं साधेति। अस्सेसाहिं दीवगमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
महाहिं कसरिं भोच्चा कज्जं साधेति। पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेंढकमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
उत्तराहिं फग्गुणीहिं णखीमंसं भोच्चा कज्जं साधेति।
हत्थेणं वच्छाणीएणं भोच्चा कज्जं साधेति। चित्ताहिं मुग्गसूवेणं भोच्चा कज्जं Translated Sutra: તે નક્ષત્રોનું ભોજન શું કહેલ છે ? આ અઠ્ઠાવીશ નક્ષત્રોમાં – કૃતિકામાં દહીં – ભાત ખાઈને કાર્ય સાધવું. રોહિણીમાં ધતૂરાનું ચૂર્ણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. મૃગશીર્ષમાં ઇન્દ્રાવારુણી ચૂર્ણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. આર્દ્રામાં માખણ ખાઈને કાર્ય સાધવું. પુનર્વસુમાં ઘી ખાઈને કાર્ય સાધવું. પુષ્યમાં ખીર ખાઈને કાર્ય સાધવું. આશ્લેષામાં | |||||||||
Sutrakrutang | सूत्रकृतांग सूत्र | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
उद्देशक-२ | Hindi | 293 | Gatha | Ang-02 | View Detail |
Mool Sutra: [गाथा] जाए फले समुप्पण्णे ‘गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि’ ।
अह पुत्तपोसिणो एगे ‘भारवहा हवंति उट्टा वा’ ॥ Translated Sutra: पुत्र उत्पन्न होने पर आज्ञा देती है इसे ग्रहण करो अथवा छोड़ दो। इस तरह कुछ पुत्र – पोषक ऊंट की तरह भारवाही हो जाते हैं। | |||||||||
Sutrakrutang | सूत्रकृतांग सूत्र | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-६ आर्द्रकीय |
Hindi | 764 | Gatha | Ang-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवावि विद्धून मिलक्खु सूले पिण्णागबुद्धीए नरं पएज्जो ।
कुमारगं वा वि अलाउए त्ति न लिप्पई पाणिवहेन अम्हं ॥ Translated Sutra: अथवा वह म्लेच्छ मनुष्य को खली समझकर उसे शूल में बींध कर, अथवा कुमार को तुम्बा समझकर पकाए तो वह प्राणीवध के पाप से लिप्त नहीं होता। | |||||||||
Sutrakrutang | सूत्रकृतांग सूत्र | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१३ यथातथ्य |
Hindi | 570 | Gatha | Ang-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] एवं न से होति समाहिपत्ते जे पण्णसा भिक्खु विउक्कसेज्जा ।
अहवा वि जे लाभमदावलित्ते अन्नं जणं खिंसति बालपण्णे ॥ Translated Sutra: पर ऐसा व्यक्ति समाधि प्राप्त नहीं है। जो भिक्षु अपनी प्रज्ञा का उत्कर्ष दिखलाता है अथवा लाभ के मद से अवलिप्त है वह बालप्रज्ञ दूसरों की निन्दा करता है। | |||||||||
Sutrakrutang | સૂત્રકૃતાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
उद्देशक-२ | Gujarati | 293 | Gatha | Ang-02 | View Detail |
Mool Sutra: [गाथा] जाए फले समुप्पण्णे ‘गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि’ ।
अह पुत्तपोसिणो एगे ‘भारवहा हवंति उट्टा वा’ ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૯૦ | |||||||||
Sutrakrutang | સૂત્રકૃતાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१३ यथातथ्य |
Gujarati | 570 | Gatha | Ang-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] एवं न से होति समाहिपत्ते जे पण्णसा भिक्खु विउक्कसेज्जा ।
अहवा वि जे लाभमदावलित्ते अन्नं जणं खिंसति बालपण्णे ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૫૬૯ | |||||||||
Sutrakrutang | સૂત્રકૃતાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-६ आर्द्रकीय |
Gujarati | 764 | Gatha | Ang-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवावि विद्धून मिलक्खु सूले पिण्णागबुद्धीए नरं पएज्जो ।
कुमारगं वा वि अलाउए त्ति न लिप्पई पाणिवहेन अम्हं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૬૩ | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 83 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा उ पुंछवाला दुवासजायाए गयकरेणूए ।
दो वाला उ अभग्गा नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: या फिर दो साल के हाथी के बच्चे की पूँछ के बाल जो टूटे हुए न हो ऐसी तरह घड़ी या छिद्र होना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 84 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सुवण्णमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सूई ।
चउरंगुलप्पमाणा, कायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: चार मासा सोने की एक गौल और कठिन सूई जिस का परिमाण चार अंगुल हो वैसा छिद्र होना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 83 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा उ पुंछवाला दुवासजायाए गयकरेणूए ।
दो वाला उ अभग्गा नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 84 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सुवण्णमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सूई ।
चउरंगुलप्पमाणा, कायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Uttaradhyayan | उत्तराध्ययन सूत्र | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-३० तपोमार्गगति |
Hindi | 1201 | Gatha | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सपरिकम्मा अपरिकम्मा य आहिया ।
नीहारिमनीहारी आहारच्छेओ य दोसु वि ॥ Translated Sutra: देखो सूत्र १२०० | |||||||||
Uttaradhyayan | उत्तराध्ययन सूत्र | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-३० तपोमार्गगति |
Hindi | 1209 | Gatha | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा तइयाए पोरिसीए ऊणाइ घासमेसंतो ।
चउभागूणाए वा एवं कालेण ऊ भवे ॥ Translated Sutra: देखो सूत्र १२०८ | |||||||||
Uttaradhyayan | ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-३० तपोमार्गगति |
Gujarati | 1201 | Gatha | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सपरिकम्मा अपरिकम्मा य आहिया ।
नीहारिमनीहारी आहारच्छेओ य दोसु वि ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૧૯૭ | |||||||||
Uttaradhyayan | ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-३० तपोमार्गगति |
Gujarati | 1209 | Gatha | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा तइयाए पोरिसीए ऊणाइ घासमेसंतो ।
चउभागूणाए वा एवं कालेण ऊ भवे ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૨૦૨ |