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BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 135 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य अहिगरणं कट्टु तं अहिगरणं अविओसवेत्ता नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, गामानुगामं वा दूइज्जित्तए, गणाओ वा गणं संकमित्तए, वासावासं वा वत्थए। जत्थेव अप्पणो आयरिय-उवज्झायं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागमं, तस्संतिए आलोएज्जा पडिक्कमेज्जा निंदेज्जा गरहेज्जा विउट्टेज्जा विसोहेज्जा अकरणयाए अब्भुट्ठेज्जा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जेज्जा। से य सुएण पट्ठविए आइयव्वे सिया, से य सुएण नो पट्ठविए नो आइयव्वे सिया। से य सुएण पट्ठविज्जमाणे नो आइयइ, से निज्जूहियव्वे

Translated Sutra: यदि कोई साधु कलह करके उस कलह को उपशान्त न करे तो उसे गृहस्थ के घर में भक्त – पान के लिए प्रदेश – निष्क्रमण करना, स्वाध्याय भूमि या मल – मूत्र त्याग भूमि में प्रवेश करना, एक गाँव से दूसरे गाँव जाना, एक गण से दूसरे गण में जाना, वर्षावास रहना न कल्पे। जहाँ वो अपने बहुश्रुत या बहु आगमज्ञ आचार्य या उपाध्याय को देखे वहाँ
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 136 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] परिहारकप्पट्ठियस्स णं भिक्खुस्स कप्पइ आयरिय-उवज्झाएणं तद्दिवसं एगगिहंसि पिंडवायं दवावेत्तए, तेण परं नो से कप्पइ असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अनुप्पदाउं वा। कप्पइ से अन्नयरं वेयावडियं करेत्तए, तं जहा–उट्ठावणं वा निसीयावणं वा तुयट्टावणं वा उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-विगिंचणं वा विसोहणं वा करेत्तए। अह पुण एवं जाणेज्जा–छिन्नावाएसु पंथेसु आउरे ज्झिंज्झिए पिवासिए तवस्सी दुब्बले किलंते मुच्छेज्ज वा पवडेज्ज वा, एवं से कप्पइ असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा दाउं वा अनुप्पदाउं वा।

Translated Sutra: जिस दिन परिहारतप स्वीकार किया हो तो उस दिन परिहार कल्प में रहनेवाले भिक्षु को एक घर से विपुल सुपाच्य आहार दिलाना आचार्य – उपाध्याय को कल्पे उसके बाद उसे अशन आदि आहार एक बार या बार – बार देना न कल्पे। लेकिन उसे खड़ा करना, बिठाना, बगल बदलना, उसके मल – मूत्र, कफ परठना, मल – मूत्र लिप्त उपकरण को शुद्ध करना आदि में से
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 137 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा इमाओ पंच महण्णवाओ महानईओ उद्दिट्ठाओ गणियाओ वंजियाओ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा, तं जहा–गंगा जउना सरयू कोसिया मही।

Translated Sutra: गंगा, जमुना, सरयू, कोशिका, मही यह पाँच महानदी समुद्रगामिनी हैं, प्रधान हैं, प्रसिद्ध हैं। यह नदियाँ एक महिने में एक या दो बार ऊतरना या नाँव से पार करना साधु – साध्वी को न कल्पे, शायद ऐसा मालूम हो कि कुणाला नगरी के पास ऐरावती नदी एक पाँव पानी में और एक पाँव भूमि पर रखकर पार की जा सकती है तो एक महिने में दो या तीन बार
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 138 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अह पुण एवं जाणेज्जा– एरावई कुणालाए जत्थ चक्किया एगं पायं जले किच्चा एगं पायं थले किच्चा एवण्हं कप्पइ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा। जत्थ एवं नो चक्किया, एवण्हं नो कप्पइ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १३७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 139 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपानेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा-संताणएसु अहेसवणमायाए नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए हेमंत-गिम्हासु वत्थए।

Translated Sutra: जो उपाश्रय सूखा घास और घास के ढ़ग, चावल आदि का भूँसा और उसके ढ़ग, पाँच वर्णीय लील – फूल, अंड़, बीज, कीचड़, मकड़ी की जाल रहित हो लेकिन उपाश्रय की छत की ऊंचाई कान से भी नीची हो तो ऐसे उपाश्रय में साधु – साध्वी को शर्दी – गर्मी में रहना न कल्पे, लेकिन कान से ऊंची छत हो तो कल्पे, यदि खड़ी हुई व्यक्ति सीधे दो हाथ ऊपर करे तब उस हाथ
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 140 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपाणेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा-संताणएसु उप्पिंसवणमायाए कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए हेमंतगिम्हासु वत्थए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १३९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 141 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपाणेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा-संताणएसु अहेरयणिमुक्कमउडे नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए वासावासं वत्थए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १३९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-४ Hindi 142 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तणेसु वा तणपुंजेसु वा पलालेसु वा पलालपुंजेसु वा अप्पंडेसु अप्पपाणेसु अप्पबीएसु अप्पहरिएसु अप्पुस्सेसु अप्पुत्तिंग-पणग-दगमट्टिय-मक्कडा-संताणएसु उप्पिंरयणिमुक्कमउडे कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तहप्पगारे उवस्सए वासावासं वत्थए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १३९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 147 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य अहिगरणं कट्टु तं अहिगरणं अविओसवेत्ता इच्छेज्जा अन्नं गण उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ तस्स पंच राइंदियं छेयं कट्टु–परिनिव्वविय-परिनिव्वविय दोच्चं पि तमेव गणं पडिनिज्जाएयव्वे सिया, जहा वा तस्स गणस्स पत्तियं सिया।

Translated Sutra: जो किसी साधु कलह करे और उस कलह को उपशान्त किए बिना दूसरे गण में संमिलित होकर रहना चाहे तो उसे पाँच अहोरात्र का पर्याय छेद करना कल्पे और उस भिक्षु को सर्वथा शान्त – प्रशान्त करके पुनः उसी गण में वापस भेजना योग्य है। या गण की संमति के अनुसार करना योग्य है।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 148 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य उग्गयवित्तीए अनत्थमियसंकप्पे संथडिए निव्वितिगिच्छे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा– अनुग्गए सूरिए अत्थमिए वा, से जं च मुहे जं च पाणिंसि जं च पडिग्गहे तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ, तं अप्पणा भुंजमाणे अन्नेसिं वा दलमाणे राईभोयणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: जो साधु सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले भिक्षाचर्या करने के प्रतिज्ञावाले हो वो समर्थ, स्वस्थ और हंमेशा प्रतिपूर्ण आहार करते हो या असमर्थ अस्वस्थ और हंमेशा प्रतिपूर्ण आहार न करते हो तो ऐसे दोनों को सूर्योदय सूर्यास्त हुआ कि नहीं ऐसा शक हो तो भी सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद जो आहार मुँह में, हाथ
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 149 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य उग्गयवित्तीए अणत्थमियसंकप्पे संथडिए वितिगिच्छासमावन्ने असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा–अनुग्गए सूरिए अत्थमिए वा, से जं च मुहे जं च पाणिंसि जं च पडिग्गहे तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ, तं अप्पणा भुंजमाणे अन्नेसिं वा दलमाणे राईभोयणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: देखो सूत्र १४८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 150 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य उग्गयवित्तीए अनत्थमियसंकप्पे असंथडिए निव्वितिगिच्छे असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा– अनुग्गए सूरिए अत्थमिए वा, से जं च मुहे जं च पाणिंसि जं च पडिग्गहे तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ, तं अप्पणा भुंजमाणे अन्नेसिं वा दलमाणे राईभोयणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: देखो सूत्र १४८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 151 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] भिक्खू य उग्गयवित्तीए अणत्थमियसंकप्पे असंथडिए वितिगिच्छासमावन्ने असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता आहारमाहारेमाणे अह पच्छा जाणेज्जा– अनुग्गए सूरिए अत्थमिए वा, से जं च मुहे जं च पाणिंसि जं च पडिग्गहे तं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ, तं अप्पणा भुंजमाणे अन्नेसिं वा दलमाणे राईभोयणपडिसेवणपत्ते आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अनुग्घाइयं।

Translated Sutra: देखो सूत्र १४८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 157 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए होत्था।

Translated Sutra: साध्वी का अकेले – १. रहना, २. आहार के लिए गृहस्थ के घर आना – जाना, ३. मल – मूत्र त्याज्य या स्वाध्याय भूमि आना – जाना, ४. एक गाँव से दूसरे गाँव विचरण करना, ५. वर्षावास रहना न कल्पे। सूत्र – १५७–१६१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 158 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 159 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 160 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए गामानुगामं दूइज्जित्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 161 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगाणियाए वासावासं वत्थए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १५७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 162 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए अचेलियाए होत्तए।

Translated Sutra: साध्वी का नग्न होना, पात्र रहित (कर – पात्री) होना, वस्त्ररहित होकर कायोत्सर्ग करना न कल्पे। सूत्र – १६२–१६४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 163 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए अपाइयाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 164 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए वोसट्ठकाइयाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 165 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए बहिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा उड्ढं बाहाओ पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहीए एगपाइयाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए।

Translated Sutra: साध्वी को गाँव यावत्‌ संनिवेश के बाहर हाथ ऊपर करके, सूर्य के सामने मुँह करके, एक पाँव पर खड़े रहकर आतापना लेना न कल्पे, लेकिन उपाश्रय में कपड़े पहनी हुई दशा में दोनों हाथ लम्बे करके पाँव समतोल रखकर खड़े होकर आतापना लेना कल्पे। सूत्र – १६५, १६६
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 166 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ से उवस्सयस्स अंतोवगडाए संघाडिपडिबद्धाए समतलपाइयाए पलंबियबाहियाए ठिच्चा आयावणाए आयावेत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 167 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए ठाणाययाए होत्तए।

Translated Sutra: साध्वी को इतनी बातें न कल्पे – १. ज्यादा देर कायोत्सर्ग में खड़ा रहना, २. भिक्षुप्रतिमा धारण करना, ३. उत्कटुक आसन पर बैठना, ४. दोनों पाँव पीछे के हिस्से को छू ले, गौ की तरह, दोनों पीछे के हिस्से के सहारे बैठकर एक पाँव हाथी की सूँड़ की तरह ऊपर करके, पद्मासन में, अर्ध पद्मासन में पाँच तरीके से बैठना, ५. वीरासन में बैठना,
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 168 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए पडिमट्ठाइयाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 169 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए ठाणुक्कडियासणियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 170 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए नेसज्जियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 171 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए वीरासणियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 172 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए दंडासणियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 173 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए लगंडसाइयाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 174 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए ओमंथियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 175 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए उत्ताणियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 176 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए अंबखुज्जियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 177 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीए एगपासियाए होत्तए।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 178 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं आकुंचणपट्टगं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 179 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं आकुंचणपट्टगं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साधु को आकुंचन पट्टक रखना या पहनना कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 180 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा।

Translated Sutra: साध्वी को ‘‘सावश्रय’’ आसन में खड़े रहना या बैठना न कल्पे लेकिन साधु को कल्पे (सावश्रय यानि जिसके पीछे सहारा लेने के लिए लकड़ा आदि का तकिया लगा हो वैसी कुर्सी आदि।) सूत्र – १८०, १८१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 181 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८०
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 182 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं सविसाणंसि पीढंसि वा फलगंसि वा आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा।

Translated Sutra: साध्वी को सविषाणपीठ (बैठने की खटिया, चोकी आदि) या फलक पर खड़े रहना, बैठना न कल्पे। साधु को कल्पे। सूत्र – १८२, १८३
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 183 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं सविसाणंसि पीढंसि वा फलगं सि वा आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८२
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 184 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं सवेंटयं लाउयं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साध्वी को गोल नालचेवाला तुंबड़ा रखना या इस्तमाल करना न कल्पे, साधु को कल्पे। सूत्र – १८४, १८५
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 185 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं सवेंटयं लाउयं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८४
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 186 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं सवेंटियं पायकेसरियं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साध्वी को गोल (दंड़ी की) पात्र केसरिका (पात्रा पूजने की पुंजणी) रखनी या इस्तमाल करनी न कल्पे, साधु को कल्पे। सूत्र – १८६, १८७
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 187 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं सवेंटियं पायकेसरियं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८६
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 188 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथीणं दारुदंडयं पायपुंछणं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: साध्वी को लकड़े की (गोल) दंड़ीवाला पादपौंछन रखना या इस्तमाल करना न कल्पे, साधु को कल्पे। सूत्र – १८८, १८९
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 189 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कप्पइ निग्गंथाणं दारुदंडयं पायपुंछणं धारित्तए वा परिहरित्तए वा।

Translated Sutra: देखो सूत्र १८८
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 190 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अन्नमण्णस्स मोयं आइयत्तए वा आयमित्तए वा, नन्नत्थ गाढागाढेहिं रोगायंकेहिं।

Translated Sutra: साधु – साध्वी उग्र बीमारी या आतंक बिना एक दूसरे का मूत्र पीना या मूत्र से एक दूसरे की शुद्धि करना न कल्पे।
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 191 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासियस्स आहारस्स जाव तयप्पमाणमेत्तमवि भूइप्पमाणमेत्तमवि बिंदुप्पमाणमेत्तमवि आहारमाहारित्तए, नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायंकेहिं।

Translated Sutra: साधु – साध्वी को परिवासित (यानि रातमें रखा हुआ या कालातिक्रान्त ऐसे – १. तल जितना या चपटी जितना भी आहार करना और बूँद जितना भी पानी पीना, २. उग्र बीमारी या आतंक बिना अपने शरीर पर थोड़ा या ज्यादा लेप लगाना, ३. बीमारी या आतंक सिवा तेल, घी, मक्खन या चरबी लगाना या पिसना वो सब काम न कल्पे सूत्र – १९१–१९३
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 192 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासिएणं आलेवणजाएणं गायाइं आलिंपित्तए वा विलिंपित्तए वा, नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायंकेहिं।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९१
BruhatKalpa बृहत्कल्पसूत्र Ardha-Magadhi

उद्देशक-५ Hindi 193 Sutra Chheda-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पारियासिएणं तेल्लेण वा घएण वा नवनीएण वा वसाए वा गायाइं अब्भंगित्तए वा मक्खित्तए वा, नन्नत्थ आगाढेहिं रोगायंकेहिं।

Translated Sutra: देखो सूत्र १९१
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