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Global Search for JAIN Aagam & ScripturesScripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 227 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के नामं देविंदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे सयक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासने दाहिणड्ढलोगाहिवई बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिवई एरावणवाहने सुरिंदे अरयंबर-वत्थधरे आलइयमालमउडे णवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाणगल्ले भासुरबोंदी पलंबवन-माले महिड्ढीए महज्जुईए महाबले महायसे महानुभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाने समाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासनंसि निसन्ने।
से णं तत्थ बत्तीसाए विमानावाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामानियसाहस्सीणं, तायत्ती-साए तावत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, Translated Sutra: उस काल, उस समय शक्र नामक देवेन्द्र, देवराज, वज्रपाणि, पुरन्दर, शतक्रतु, सहस्राक्ष, मघवा, पाक – शासन, दक्षिणार्धलोकाधिपति, बत्तीस लाख विमानों के स्वामी, ऐरावत हाथी पर सवारी करनेवाले, सुरेन्द्र, निर्मल वस्त्रधारी, मालायुक्त मुकुट धारण किये हुए, उज्ज्वल स्वर्ण के सुन्दर, चित्रित चंचल – कुण्डलों से जिसके कपोल सुशोभित | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 228 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से पालए देवे सक्केणं देविंदेणं देवरन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए जाव वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणित्ता तहेव करेइ।
तस्स णं दिव्वस्स जाणविमानस्स तिदिसिं तओ तिसोवानपडिरूवगा वण्णओ।
तेसि णं पडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणे, वण्णओ जाव पडिरूवा।
तस्स णं जाणविमानस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे, से जहानामए–आलिंगपुक्खरेइ वा जाव दीवियचम्मेइ वा अनेगसंकुकीलगसहस्सवितते आवड पच्चावड सेढि प्पसेढि सोत्थिय सोवत्थिय पूसमानव वद्धमाणग मच्छंडग मगरंडग जारमार फुल्लावलि पउमपत्त सागरतरंग वसंतलय पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं Translated Sutra: देवेन्द्र, देवराज शक्र द्वारा यों कहे जाने पर – पालक नामक देव हर्षित एवं परितुष्ट होता है। वह वैक्रिय समुद्घात द्वारा यान – विमान की विकुर्वणा करता है। उस यान – विमान के भीतर बहुत समतल एवं रमणीय भूमि – भाग है। वह आलिंग – पुष्कर तथा शंकुसदृश बड़े – बड़े कीले ठोक कर, खींचकर समान किये गये चीते आदि के चर्म जैसा समतल | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 238 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दाहिणिल्लाणं पायत्ताणीयाहिवई भद्दसेणो, उत्तरिल्लाणं दक्खो।
वाणमंतरजोइसिया नेयव्वा, एवं चेव नवरं–चत्तारि सामानियसाहस्सीओ, चत्तारि अग्गमहिसीओ, सोलस आयरक्खसहस्सा, विमाणा सहस्सं, महिंदज्झया पणवीसं जोयणसयं, घंटा दाहिणाणं मंजु-स्सरा, उत्तराणं मंजुघोसा, पायत्ताणीयाहिवई विमानकारी य आभिओगा देवा, जोइसियाणं सुस्सरा सुस्सरनिग्घोसा घंटाओ, मंदरे समोसरणं जाव पज्जुवासंति। Translated Sutra: चमरेन्द्र को छोड़कर दाक्षिणात्य भवनपति इन्द्रों के भद्रसेन और बलीन्द्र को छोड़कर उत्तरीय भवनपति इन्द्रों के दक्ष नामक पदाति – सेनाधिपति हैं। इसी प्रकार व्यन्तरेन्द्रों तथा ज्योतिष्केन्द्रों का वर्णन है। उनके ४००० सामानिक देव, चार अग्रमहिषियाँ तथा १६००० अंगरक्षक देव हैं, विमान १००० योजन विस्तीर्ण तथा | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 239 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया महं देवाहिवे आभिओग्गे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! महत्थं महग्घं महरिहं विउलं तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह।
तए णं ते आभिओग्गा देवा हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया जाव पडिसुणित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं जाव समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सोवण्णियकलसाणं, एवं रुप्पमयाणं मणिमयाणं सुवण्णरुप्पमयाणं सुवण्ण मणिमयाणं रुप्पमणिमयाणं सुवण्णरुप्प-मणिमयाणं अट्ठसहस्सं भोमेज्जाणं, अट्ठसहस्सं वंदणकलसाणं, एवं भिंगाराणं आयंसाणं थालाणं पातीणं सुपइट्ठाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं Translated Sutra: देवेन्द्र, देवराज, महान् देवाधिप अच्युत अपने आभियोगिक देवों को बुलाता है, उनसे कहता है – देवानुप्रियों! शीघ्र ही महार्थ, महार्घ, महार्ह, विपुल – तीर्थंकराभिषेक उपस्थापित करो – । यह सुनकर वे आभियोगिक देव हर्षित एवं परिपुष्ट होते हैं। वे ईशानकोण में जाते हैं। वैक्रियसमुद्घात से १००८ स्वर्णकलश, १००८ रजत | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 240 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया दसहिं सामानियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए तावत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अनिएहिं, सत्तहिं अनियाहिवईहिं, चत्तालीसाए आयरक्खदेव-साहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे तेहिं साभाविएहिं वेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरवारि-पडिपुण्णेहिं चंदनकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं करयलसूमालपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमेज्जाणं जाव सव्वोदएहिं सव्वमट्टि-याहिं सव्वतुवरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं महया-महया तित्थयराभिसेएणं Translated Sutra: देवेन्द्र अच्युत अपने १०००० सामानिक देवों, ३३ त्रायस्त्रिंश देवों, चार लोकपालों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात सेनापति – देवों तथा ४०००० अंगरक्षक देवों से परिवृत्त होता हुआ स्वाभाविक एवं विकुर्वित उत्तम कमलों पर रखे हुए, सुगन्धित, उत्तम जल से परिपूर्ण, चन्दन से चर्चित गलवे में मोली बाँधे हुए, कमलों एवं उत्पलों | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 241 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से अच्चुइंदे सपरिवारे सामिं तेणं महया-महया अभिसेएणं अभिसिंचइ, अभिसिंचित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता ताहिं इट्ठाहि कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं सिव्वाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं हिययगमणिज्जाहिं हिययपल्हायणिज्जाहिं वग्गूहिं जयजयसद्दं पउंजइ, पउंजित्ता तप्पढमयाए पम्हलसूमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाइं लूहेइ, लूहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदनेनं गाताइं अनुलिंपति, अनुलिंपित्ता नासा-नीसासवायवोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिसजुत्तं हयलालापेलवातिरेगं धवलकनगखचियंतकम्मं आगास फलिहसमप्पभं Translated Sutra: सपरिवार अच्युतेन्द्र विपुल, बृहत् अभिषेक – सामग्री द्वारा तीर्थंकर का अभिषेक करता है। अभिषेक कर वह हाथ जोड़ता है, ‘जय – विजय’ शब्दों द्वारा भगवान् की वर्धापना करता है, ‘जय – जय’ शब्द उच्चारित करता है। वैसा कर वह रोएंदार, सुकोमल, सुरभित, काषायित, बिभीतक, आमलक आदि कसैली वनौषधियों से रंगे हुए वस्त्र – द्वारा | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 242 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] दप्पण भद्दासण वद्धमाण वरकलस मच्छ सिरिवच्छा ।
सोत्थिय नंदावत्ता लिहित्ता अट्ठट्ठ मंगलगा ॥ Translated Sutra: १. दर्पण, २. भद्रासन, ३. वर्धमान, ४. वर कलश, ५. मत्स्य, ६. श्रीवत्स, ७. स्वस्तिक तथा ८. नन्द्यावर्त। | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 243 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] काऊण करेइ उवयारं, किं ते? पाडल मल्लिय चंपग असोग पुन्नाग चूयमंजरि नवमालिय बकुल तिलग कणवीर कुंद कोज्जय कोरंट पत्त दमनग वरसुरभिगंधगंधियस्स कयग्गहिय करयलपब्भट्ठ-विप्पमुक्कस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमनिगरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेहप्पमाणमेत्तं ओहिनिगरं करेत्ता चंदप्पभ रयण वइर वेरुलियविमलदंडं कंचनमणिरयणभत्तिचित्तं कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवट्टिं विनिम्मुयंतं वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहेत्तु पयते धुवं दाऊण जिनवरिंदस्स सत्तट्ठपयाइं ओसरित्ता दसंगुलियं अंजलिं करिय मत्थयंसि पयओ अट्ठसयविसुद्धगंथ-जुत्तेहिं महावित्तेहिं अपुनरुत्तेहिं Translated Sutra: पूजोपचार करता है। गुलाब, मल्लिका, आदि सुगन्धयुक्त फूलों को कोमलता से हाथ में लेता है। वे सहज रूप में उसकी हथेलियों से गिरते हैं, उन पँचरंगे पुष्पों का घुटने – घुटने जितना ऊंचा एक विचित्र ढेर लग जाता है। चन्द्रकान्त आदि रत्न, हीरे तथा नीलम से बने उज्ज्वल दंडयुक्त, स्वर्णमणि एवं रत्नों से चित्रांकित, काले अगर, | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Hindi | 244 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सक्के विउव्वइ, विउव्वित्ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिण्हइ, एगे सक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, दुवे सक्का उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति, एगे सक्के वज्जपाणी पुरओ पकड्ढइ।
तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीईए सामानियसाहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहिं भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनणयरे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनभवने Translated Sutra: तत्पश्चात् देवेन्द्र देवराज शक्र पाँच शक्रों की विकुर्वणा करता है। यावत् एक शक्र वज्र हाथ में लिये आगे खड़ा होता है। फिर शक्र अपने ८४००० सामानिक देवों, भवनपति यावत् वैमानिक देवों, देवियों से परिवृत, सब प्रकार की ऋद्धि से युक्त, वाद्य – ध्वनि के बीच उत्कृष्ट त्वरित दिव्य गति द्वारा, जहाँ भगवान् तीर्थंकर | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Hindi | 307 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं भंते! अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिईनक्खत्ते कइतारे पन्नत्ते? गोयमा! तितारे पन्नत्ते। एवं नेयव्वा जस्स जइयाओ ताराओ, इमं च तं तारग्गं– Translated Sutra: भगवन् ! इन अठ्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित नक्षत्र के कितने तारे हैं ? गौतम ! तीन तारे हैं। जिन नक्षत्रों के जितने जितने तारे हैं, वे प्रथम से अन्तिम तक इस प्रकार हैं – अभिजित नक्षत्र के तीन तारे, श्रवण के तीन, धनिष्ठा के पाँच, शतभिषक् के सौ, पूर्वभाद्रपदा के दो, उत्तर – भाद्रपदा के दो, रेवती के बत्तीस, अश्विनी के | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Hindi | 330 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] मासाणं परिणामा, होंति कुला उवकुला उ हेट्ठिमगा ।
होंति पुण कुलोवकुला, अभीइसय अद्द अनुराहा ॥ Translated Sutra: जिन नक्षत्रों द्वारा महीनों की परिसमाप्ति होती है, वे माससदृश नामवाले नक्षत्र कुल हैं। जो कुलों के अधस्तन होते हैं, कुलों के समीप होते हैं, वे उपकुल कहे जाते हैं। वे भी मास – समापक होते हैं। जो कुलों तथा उपकुलों के अधस्तन होते हैं, वे कुलोपकुल कहे जाते हैं। | |||||||||
Jambudwippragnapati | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Hindi | 351 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरन्नो कइ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–चंदप्पभा दोसिनाभा अच्चिमाली पभंकरा। तओ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि-चत्तारि देवीसहस्साइं परिवारो पण्णत्तो। पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्नं देवीसहस्सं परिवारो विउव्वित्तए। एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवी सहस्सा। सेत्तं तुडिए।
पभू णं भंते! चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाने चंदाए रायहानीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महयाहयनट्ट गीय वाइय तंती तल ताल तुडिय घण मुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे।
से केणट्ठेणं Translated Sutra: भगवन् ! ज्योतिष्क देवों के इन्द्र, ज्योतिष्क देवों के राजा चन्द्र के कितनी अग्रमहिषियाँ हैं ? गौतम ! चार – चन्द्रप्रभा, ज्योत्सनाभा, अर्चिमाली तथा प्रभंकरा। उनमें से एक – एक अग्रमहिषी का चार – चार हजार देवी – परिवार है। एक – एक अग्रमहिषी अन्य सहस्र देवियों की विकुर्वणा करने में समर्थ होती है। यों विकुर्वणा | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 242 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] दप्पण भद्दासण वद्धमाण वरकलस मच्छ सिरिवच्छा ।
सोत्थिय नंदावत्ता लिहित्ता अट्ठट्ठ मंगलगा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૪૧ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 243 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] काऊण करेइ उवयारं, किं ते? पाडल मल्लिय चंपग असोग पुन्नाग चूयमंजरि नवमालिय बकुल तिलग कणवीर कुंद कोज्जय कोरंट पत्त दमनग वरसुरभिगंधगंधियस्स कयग्गहिय करयलपब्भट्ठ-विप्पमुक्कस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमनिगरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेहप्पमाणमेत्तं ओहिनिगरं करेत्ता चंदप्पभ रयण वइर वेरुलियविमलदंडं कंचनमणिरयणभत्तिचित्तं कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवट्टिं विनिम्मुयंतं वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहेत्तु पयते धुवं दाऊण जिनवरिंदस्स सत्तट्ठपयाइं ओसरित्ता दसंगुलियं अंजलिं करिय मत्थयंसि पयओ अट्ठसयविसुद्धगंथ-जुत्तेहिं महावित्तेहिं अपुनरुत्तेहिं Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૪૧ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 244 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सक्के विउव्वइ, विउव्वित्ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिण्हइ, एगे सक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, दुवे सक्का उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति, एगे सक्के वज्जपाणी पुरओ पकड्ढइ।
तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीईए सामानियसाहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहिं भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनणयरे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनभवने Translated Sutra: ત્યારપછી તે દેવેન્દ્ર દેવરાજ શક્રએ પાંચ શક્ર રૂપો. વિકુર્વ્યા – વિકુર્વીને એક શક્રે તીર્થંકર ભગવંતને બે હાથના સંપુટ વડે ગ્રહણ કર્યા, એક શક્રે પાછળ છત્ર ધારણ કર્યું. બે શક્રો બંને બાજુ ચામર વીંઝે છે. એક શક્ર હાથમાં વજ્ર લઈ આગળ ચાલે છે. ત્યારપછી તે શક્ર ૮૪,૦૦૦ સામાનિકોથી યાવત્ બીજા ભવનપતિ, વાણવ્યંતર, જ્યોતિષ્ક | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार २ काळ |
Gujarati | 44 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] उसभे णं अरहा कोसलिए संवच्छरं साहियं चीवरधारी होत्था, तेण परं अचेलए।
जप्पभिइं च णं उसभे अरहा कोसलिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइए, तप्पभिइं च णं उसभे अरहा कोसलिए निच्चं वोसट्ठकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति, तं जहा–दिव्वा वा मानुस्सा वा तिरिक्खजोणिया वा पडिलोमा वा अनुलोमा वा। तत्थ पडिलोमा–वेत्तेण वा तयाए वा छियाए वा लयाए वा कसेण वा काए आउट्टेज्जा, अनुलोमा–वंदेज्ज वा नमंसेज्ज वा सक्कारेज्ज वा सम्मानेज्ज वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्ज वा ते सव्वे सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ।
तए णं से भगवं समणे जाए ईरियासमिए भासासमिए एसणासमिए Translated Sutra: કૌશલિક ઋષભ અરહંત સાધિક એક વર્ષ વસ્ત્રધારી રહ્યા. ત્યારપછી અચેલક થયા. જ્યારથી કૌશલિક ઋષભ અરહંત મુંડ થઈને ગૃહવાસત્યાગી નિર્ગ્રન્થ પ્રવ્રજ્યા લીધી, ત્યારથી કૌશલિક ઋષભ અરહંત નિત્ય કાયાને વોસિરાવીને, દેહ મમત્ત્વ ત્યજીને, જે કોઈ ઉપસર્ગો ઉપજે છે, તે આ પ્રમાણે – દેવે કરેલ યાવત્ પ્રતિકૂળ કે અનુકૂળ ઉપસર્ગોને સહે | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार २ काळ |
Gujarati | 46 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] उसभे णं अरहा कोसलिए वज्जरिसहनारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए पंच धनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था।
उसभे णं अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झावसित्ता, तेवट्ठिं पुव्वसय-सहस्साइं रज्जवासमज्झा वसित्ता, तेसीइं पुव्वसयसहस्साइं अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइए।
उसभे णं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं छउमत्थपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं बहुपडिपुण्णं सामण्णपरियायं पाउणित्ता, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जेसे हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे Translated Sutra: કૌશલિક ઋષભ અરહંત વજ્રઋષભનારાચ સંઘયણી, સમચતુરસ્ર સંસ્થાનથી સંસ્થિત, ૫૦૦ ધનુષ ઉર્ધ્વ ઊંચા હતા. ઋષભ અરહંત ૨૦ લાખ પૂર્વ કુમારવાસ મધ્યે રહીને, ૬૩ લાખ પૂર્વ મહારાજાપણે રહીને, એમ કુલ ૮૩ લાખ પૂર્વ ગૃહવાસમાં રહીને મુંડ થઈને ગૃહત્યાગ કરી સાધુપણે દીક્ષા લીધી. ઋષભ અરહંત ૧૦૦૦ વર્ષ છદ્મસ્થ પર્યાય પાળીને, એક લાખ પૂર્વમાં | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ३ भरतचक्री |
Gujarati | 61 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से दिव्वे चक्करयणे अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडियसद्द-सन्नि-नाएणं आपूरेंते चेव अंबरतलं विनीयाए रायहानीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता गंगाए महानईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहे पयाते यावि होत्था।
तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं गंगाए महानईए दाहिणिल्लेणं कूलेणं पुरत्थिमं दिसिं मागहतित्थाभिमुहं पयातं पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमनस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, Translated Sutra: અષ્ટાહ્નિકા મહા મહોત્સવ સંપન્ન થયા બાદ તે દિવ્ય ચક્રરત્ન આયુધગૃહ શાળાથી નીકળે છે, નીકળીને આકાશમાં પ્રતિપન્ન થયું. તે ૧૦૦૦ યક્ષોથી ઘેરાયેલ હતું. દિવ્ય વાદ્યોની ધ્વનિ અને નિનાદથી આકાશ વ્યાપ્ત હતું. તે ચક્રરત્ન વિનીતા રાજધાનીની વચ્ચોવચ્ચથી નીકળ્યું. નીકળીને ગંગા મહાનદીના દક્ષિણી કિનારેથી થઈને પૂર્વ દિશામાં | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Gujarati | 130 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] चुल्लहिमवंते णं भंते! वासहरपव्वए कइ कूडा पन्नत्ता? गोयमा! एक्कारस कूडा पन्नत्ता, तं जहा–सिद्धायतनकूडे चुल्लहिमवंतकूडे भरहकूडे इलादेवीकूडे गंगाकूडे सिरिकूडे रोहियंसकूडे सिंधुकूडे सूरादेवीकूडे हेमवयकूडे वेसमणकूडे।
कहि णं भंते! चुल्लहिमवंते वासहरपव्वए सिद्धायतनकूडे नामं कूडे पन्नत्ते? गोयमा! पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, चुल्लहिमवंतकूडस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सिद्धायतनकूडे नामं कूडे पन्नत्ते–पंच जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, मूले पंचजोयणसयाइं विक्खंभेणं, मज्झे तिन्नि य पण्णत्तरे जोयणसए विक्खंभेणं, उप्पिं अड्ढाइज्जे जोयणसए विक्खंभेणं, मूले Translated Sutra: ભગવન્ ! લઘુ હિમવંત વર્ષધર પર્વતના કેટલા કૂટ કહેલા છે ? ગૌતમ! ૧૧ – કૂટો કહ્યા છે. તે આ – સિદ્ધાયતન, લઘુહિમવંત, ભરત, ઈલાદેવી, ગંગાદેવી, શ્રી, રોહીતાંશ, સિંધુદેવી, સુરદેવી, હેમવત અને વૈશ્રમણ – કૂટ. ભગવન્ ! લઘુહિમવંત વર્ષધર પર્વતમાં સિદ્ધાયતન નામક કૂટ ક્યાં કહ્યો છે ? ગૌતમ! પૂર્વી લવણસમુદ્રના પશ્ચિમે, લઘુહિમવંત કૂટની | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Gujarati | 143 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए जमगा नामं दुवे पव्वया पन्नत्ता? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणि-ल्लाओ चरिमंताओ अट्ठजोयणसए चोत्तीसे चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए, सीयाए महानईए पुरत्थिम-पच्चत्थिमेणं उभओ कूले, एत्थ णं जमगा नामं दुवे पव्वया पन्नत्ता–
जोयणसहस्सं उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं उव्वेहेणं मूले एगं जोयणसहस्सं आयामविक्खंभेणं, मज्झे अद्धट्ठमाणि जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, उवरिं पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं मूले तिन्नि जोयणसहस्साइं एगं च बावट्ठं जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परि-क्खेवेणं, मज्झे दो जोयणसहस्साइं, तिन्नि य बावत्तरे जोयणसए Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૪૩. ભગવન્ ! ઉત્તરકુરુમાં યમક નામે બંને પર્વતો ક્યાં કહેલ છે ? ગૌતમ ! નીલવંત વર્ષધર પર્વતના દક્ષિણી ચરમાંતથી – ૮૩૪ – ૪/૭ યોજનના અંતરે સીતા મહાનદીના બંને કૂલે અહીં યમક નામે બે પર્વતો કહેલા છે. તે ૧૦૦૦ યોજન ઉર્ધ્વ ઊંચા, ૨૫૦ યોજન ભૂમિમાં, લંબાઈ – પહોળાઈથી મૂલમાં ૧૦૦૦ યોજન, મધ્યમાં૭૫૦ યોજન અને ઉપર ૫૦૦ – યોજન | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Gujarati | 151 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] कहि णं भंते! उत्तरकुराए कुराए जंबूपेढे नामं पेढे पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दक्खिणेणं, मंदरस्स उत्तरेणं, मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, सीयाए महानईए पुरत्थि-मिल्ले कूले, एत्थ णं उत्तरकुराए कुराए जंबूपेढे नामं पेढे पन्नत्ते–पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, पन्नरस एक्कासीयाइं जोयणसयाइं किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं, बहुमज्झदेसभाए बारस जोयणाइं बाहल्लेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए पदेसपरिहाणीए परिहायमाणे-परिहायमाणे सव्वेसु णं चरिमपेरंतेसु दो-दो गाउयाइं बाहल्लेणं, सव्वजंबूणयामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૫૧. ઉત્તરકુરુમાં જંબૂપીઠ નામે પીઠ ક્યાં કહેલ છે ? ગૌતમ ! નીલવંત વર્ષધર પર્વતની દક્ષિણે, મેરુની ઉત્તરે, માલ્યવંત વક્ષસ્કાર પર્વતની પશ્ચિમે, સીતા મહાનદીના પૂર્વ કિનારે આ ઉત્તરકુરુ ક્ષેત્રમાં જંબૂપીઠ નામક પીઠ કહેલ છે. તે ૫૦૦ યોજન લાંબી – પહોળી, કંઈક વિશેષ ૧૫૮૧ યોજન – પરિધિથી છે. તેના બહુમધ્ય દેશભાગમાં | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 212 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] जया णं एक्कमेक्के चक्कवट्टिविजए भगवंतो तित्थयरा समुप्पज्जंति, तेणं कालेणं तेणं समएणं अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ सएहिं-सएहिं कूडेहिं सएहिं-सएहिं भवनेहिं सएहिं-सएहिं पासायवडेंसएहिं पत्तेयं-पत्तेयं चउहिं सामा णियसाहस्सीहिं चउहिं य महत्तरियाहिं सपरिवाराहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अनियाहिवईहिं सोलसएहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अन्नेहि य बहूहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडाओ महयाहयनट्ट गीय वाइय तंती तल ताल तुडिय घन मुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणीओ विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૧૨. જ્યારે એકૈક ચક્રવર્તી વિજયમાં ભગવંત તીર્થંકર ઉત્પન્ન થાય છે, તે કાળે – તે સમયે અધોલોક વાસ્તવ્યા આઠ દિશાકુમારિકા મહત્તરિકાઓ પોત – પોતાના કૂટોથી, પોત – પોતાના ભવનોથી, પોત – પોતાના પ્રાસાદાવતંસકોથી, પ્રત્યેક – પ્રત્યેક ૪૦૦૦ સામાનિકા, પરિવાર સહિત ચાર મહત્તરિકા, સાત સૈન્યો, સાત સૈન્યાધિપતિઓ, ૧૬,૦૦૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 213 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] भोगंकरा भोगवई, सुभोगा भोगमालिनी ।
तोयधारा विचित्ता य, पुप्फमाला अणिंदिया ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૨ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 214 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं तासिं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं पत्तेयं-पत्तेयं आसनाइं चलंति।
तए णं ताओ अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ पत्तेयं-पत्तेयं आसनाइं चलियाइं पासंति, पासित्ता ओहिं पउंजंति, पउंजित्ता भगवं तित्थयरं ओहिणा आभोएंति, आभोएत्ता अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी– उप्पन्ने खलु भो! जंबुद्दीवे दीवे भयवं तित्थयरे, तं जीयमेयं तीयपच्चुप्पन्नमनागयाणं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं जम्मनमहिमं करेत्तए, तं गच्छामो णं अम्हेवि भगवओ जम्मनमहिमं करेमो त्तिकट्टु एवं वयंति, वइत्ता पत्तेयं-पत्तेयं आभिओगिए Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૨ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 215 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं उड्ढलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं-सएहिं कूडेहिं सएहिं-सएहिं भवनेहिं सएहिं-सएहिं पासायवडेंसएहिं पत्तेयं-पत्तेयं चउहिं सामानियसाहस्सीहिं एवं तं चेव पुव्ववण्णियं जाव विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૧૫. તે કાળે, તે સમયે ઉર્ધ્વલોક વાસ્તવ્યા આઠ દિશાકુમારી મહત્તરિકાઓ પોત – પોતાના કૂટોથી, પોત – પોતાના ભવનોથી, પોત – પોતાના પ્રાસાદાવતંસકોથી પ્રત્યેકે પ્રત્યેક ૪૦૦૦ સામાનિકોથી૦ એ પ્રમાણે પૂર્વવત્ – પૂર્વવર્ણિત યાવત્ વિચરે છે. તે આ – સૂત્ર– ૨૧૬. મેઘંકરા, મેઘવતી, સુમેઘા, મેઘમાલિની, સુવત્સા, વત્સમિત્રા, | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 216 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] मेहंकरा मेहवई, सुमेहा मेहमालिनी ।
सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेना बलाहगा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૫ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 217 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं तासिं उड्ढलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं पत्तेयं-पत्तेयं आसनाइं चलंति, एवं तं चेव पुव्ववण्णियं भाणियव्वं जाव अम्हे णं देवानुप्पिए! उड्ढलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारी-महत्तरियाओ भगवओ तित्थगरस्स जम्मनमहिमं करिस्सामो, तुब्भाहिं ण भाइयव्वं तिकट्टु उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णंति, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निसिरंति, तं जहा–रयणाणं जाव रिट्ठाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेंति, परिसाडेत्ता दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णंति, समोहणित्ता अब्भवद्दलए विउव्वंति, ...
... से जहानामए–कम्मगरदारए Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૫ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 218 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं पुरत्थिमरुयगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं-सएहिं कूडेहिं तहेव जाव विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૧૮. તે કાળે, તે સમે પૂર્વી રૂચકમાં વસનારી આઠ દિશાકુમારી મહત્તરિકા પોત – પોતાના કૂટોમાં પૂર્વવત્ યાવત્ વિચરતી હતી. તે આ પ્રમાણે – સૂત્ર– ૨૧૯. નંદોત્તરા, નંદા, આનંદા, નંદિવર્દ્ધના, વિજયા, વૈજયંતી, જયંતી અને અપરાજિતા. સૂત્ર– ૨૨૦. બાકી પૂર્વવત્ યાવત્ તમારે ભય રાખવો નહીં. એમ કહી ભગવંત તીર્થંકર અને તીર્થંકર | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 219 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] नंदुत्तरा य नंदा, आनंदा नंदिवद्धणा ।
विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 220 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सेसं तं चेव जाव तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमायाए य पुरत्थिमेणं आदंसहत्थगयाओ आगाय-माणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठंति।
तेणं कालेणं तेणं समएणं दाहिणरुयगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ तहेव जाव विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 221 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] समाहारा सुप्पइण्णा, सुप्पबुद्धा जसोहरा ।
लच्छिमई सेसवई, चित्तगुत्ता वसुंधरा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 222 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तहेव जाव तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य दाहिणेणं भिंगार-हत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठंति।
तेणं कालेणं तेणं समएणं पच्चत्थिमरुयगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं-सएहिं जाव विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 223 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] इलादेवी सुरादेवी, पुहवी पउमावई ।
एगनासा नवमिया भद्दा सीया य अट्ठमा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 224 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तहेव जाव तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य पच्चत्थिमेणं तालियंटहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठंति।
तेणं कालेणं तेणं समएणं उत्तरिल्लरुयगवत्थव्वाओ जाव विहरंति, तं जहा– Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 225 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अलंबुसा मिस्सकेसी, पुंडरीका य वारुणी ।
हासा सव्वप्पभा चेव, सिरि हिरि चेव उत्तरओ ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 226 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तहेव जाव वंदित्ता भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य उत्तरेणं चामरहत्थगयाओ आगाय-माणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठंति
तेणं कालेणं तेणं समएणं विदिसिरुयगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ जाव विहरंति, तं जहा–
चित्ता य चित्तकनगा, सतेरा य सोदामिणी ॥
तहेव जाव ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए य चउसु विदिसासु दीवियाहत्थगयाओ आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिट्ठंति।
तेणं कालेणं तेणं समएणं मज्झिमरुयगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं-सएहिं कूडेहिं तहेव जाव विहरंति, तं जहा–रूया रूयंसा सुरूया रूयगावई। तहेव जाव तुब्भाहिं ण भाइयव्वंतिकट्टु भगवओ तित्थयरस्स Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૧૮ | |||||||||
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वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 227 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के नामं देविंदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे सयक्कऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासने दाहिणड्ढलोगाहिवई बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिवई एरावणवाहने सुरिंदे अरयंबर-वत्थधरे आलइयमालमउडे णवहेमचारुचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाणगल्ले भासुरबोंदी पलंबवन-माले महिड्ढीए महज्जुईए महाबले महायसे महानुभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विमाने समाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासनंसि निसन्ने।
से णं तत्थ बत्तीसाए विमानावाससयसाहस्सीणं, चउरासीए सामानियसाहस्सीणं, तायत्ती-साए तावत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं, अट्ठण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, Translated Sutra: તે કાળે, તે સમયે શક્ર નામે દેવેન્દ્ર દેવરાજ, વજ્રપાણી, પુરંદર, શતક્રતુ, સહસ્રાક્ષ, મઘવા, પાકશાસન, દાક્ષિણાર્દ્ધ લોકાધિપતિ, બત્રીશ લાખ વિમાનાધિપતિ, ઐરાવણ વાહન, સુરેન્દ્ર, નિર્મળ વસ્ત્રધારી, માળા – મુગટ ધારણ કરેલ, ઉજ્જવલ સુવર્ણના સુંદર – ચિત્રિત – ચંચલ કુંડલોથી જેનું કપોલ સુશોભિત છે, દેદીપ્યમાન શરીરધારી, લાંબી | |||||||||
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वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 228 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से पालए देवे सक्केणं देविंदेणं देवरन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए जाव वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणित्ता तहेव करेइ।
तस्स णं दिव्वस्स जाणविमानस्स तिदिसिं तओ तिसोवानपडिरूवगा वण्णओ।
तेसि णं पडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणे, वण्णओ जाव पडिरूवा।
तस्स णं जाणविमानस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे, से जहानामए–आलिंगपुक्खरेइ वा जाव दीवियचम्मेइ वा अनेगसंकुकीलगसहस्सवितते आवड पच्चावड सेढि प्पसेढि सोत्थिय सोवत्थिय पूसमानव वद्धमाणग मच्छंडग मगरंडग जारमार फुल्लावलि पउमपत्त सागरतरंग वसंतलय पउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं Translated Sutra: ત્યારે તે પાલકદેવ, દેવેન્દ્ર દેવરાજ શક્રએ આ પ્રમાણે કહેતા હર્ષિત, સંતુષ્ટ થયો યાવત્ વૈક્રિય સમુદ્ઘાત વડે સમવહત થઈને તે પ્રમાણે યાન – વિમાન વિકુર્વે છે. તે દિવ્ય યાન – વિમાનની ત્રણે દિશામાં ત્રિસોપાન પ્રતિરૂપક છે, વર્ણન પૂર્વવત્. તે પ્રતિરૂપકોની આગળ પ્રત્યેક પ્રત્યેકમાં તોરણો છે. વર્ણન પ્રતિરૂપ છે સુધી | |||||||||
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वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 229 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से सक्के देविंदे देवराया हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए जाव हरिसवसविसप्पमाणहियए दिव्वं जिणिंदाभिगमनजोग्गं सव्वालंकारविभूसियं उत्तरवेउव्वियं रूवं विउव्वइ, विउव्वित्ता अट्ठहिं अग्ग-महिसीहिं सपरिवाराहिं नट्टाणीएणं गंधव्वाणीएण य सद्धिं तं विमानं अनुप्पयाहिणीकरेमाणे-अनुप्पयाहिणीकरेमाणे पुव्विल्लेणं तिसोमाणपडिरूवएणं दुरुहइ, दुरुहित्ता जेणेव सीहासने तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणंसि पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने।
एवं चेव सामानियावि उत्तरेणं तिसोमाणपडिरूवएणं दुरुहित्ता पत्तेयं-पत्तेयं पुव्वण्णत्थेसु भद्दासणेसु निसीयंति। अवसेसा देवा य देवीओ Translated Sutra: ત્યારે તે શક્ર યાવત્ હર્ષિત હૃદયી થયો. જિનેન્દ્ર ભગવંત સંમુખ જવા યોગ્ય દિવ્ય, સર્વાલંકાર વિભૂષિત, ઉત્તર વૈક્રિય રૂપની વિકુર્વણા કરે છે. વિકુર્વીને સપરિવાર અગ્રમહિષી, નાટ્યાનીક અને ગંધર્વાનીક સાથે તે વિમાનની અનુપ્રદક્ષિણા કરતા – કરતા પૂર્વીય ત્રિસોપાનકેથી ચડે છે, ચડીને યાવત્ સિંહાસનમાં પૂર્વાભિમુખ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 230 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविंदे देवराया सूलपाणी वसभवाहणे सुरिंदे उत्तरड्ढलोगाहिवई अट्ठावीसविमनावाससयसहस्साहिवई अरयंबरवत्थधरे, एवं जहा सक्के, इमं नाणत्तं–महाघोसा घंटा, लहुपरक्कमो पायत्ताणियाहिवई, पुप्फओ विमानकारी, दक्खिणा निज्जाणभूमी, उत्तरपुरत्थिमिल्लो रइकरगपव्वओ, मंदरे समोसरिओ जाव पज्जुवासइ।
एवं अवसिट्ठावि इंदा भाणियव्वा जाव अच्चुओ, इमं नाणत्तं– Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૩૦. તે કાળે, તે સમયે દેવેન્દ્ર દેવરાજ ઈશાન, જેના હાથમાં શૂળ છે, વૃષભ વાહન છે, સુરેન્દ્ર, ઉત્તરાર્દ્ધ લોકાધિપતિ છે, અઠ્ઠાવીસ લાખ વિમાનોનો અધિપતિ, નિર્મળ વસ્ત્રધારી, એ પ્રમાણે શક્ર મુજબ શેષ વર્ણન કહેવું. તેમાં ભેદ આટલો છે – મહાઘોષા ઘંટા, લઘુપરાક્રમ નામે પદાતિ સૈન્યાધિપતિ, વિમાનકારી દેવ પુષ્પક છે, નિર્યાણમાર્ગ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 231 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चउरासीइ असीई, बावत्तरि सत्तरी य सट्ठी य ।
पन्ना चत्तालीसा, तीसा वीसा दस सहस्सा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 232 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] बत्तीसट्ठावीसा बारस अट्ठ चउरो सयसहस्सा ।
पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 233 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] आणयपाणयकप्पे, चत्तारि सयारनच्चुए तिन्नि ॥
एए विमाणा णं। इमे जाणविमानकारी देवा, तं जहा– Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 234 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] पालय पुप्फय सोमनसे सिरिवच्छे य नंदियावत्ते ।
कामगमे पीइगमे, मनोरमे विमल सव्वओभद्दे ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 235 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] सोहम्मगाणं सणंकुमारगाणं बंभलोयगाणं महासुक्कगाणं पाणयगाणं इंदाणं सुघोसा घंटा, हरि-नेगमेसी पायत्तणीयाहिवई, उत्तरिल्ला निज्जाणभूमी, दाहिणपुरत्थिमिल्ले रइकरगपव्वए। ईसान-गाणं माहिंद लंतग सहस्सार अच्चुयगाण य इंदाणं महाघोसा घंटा, लहुपरक्कमो पायत्ताणीयाहिवई, दक्खिणिल्ले निज्जाणमग्गे, उत्तरपुरत्थिमिल्ले रइकरगपव्वए, परिसाओ णं जहा जीवाभिगमे, आयरक्खा सामानियचउग्गुणा सव्वेसिं, जानविमाना सव्वेसिं जोयणसयसहस्सविच्छिण्णा, उच्चत्तेणं सविमानप्पमाणा, महिंदज्झया सव्वेसिं जोयणसाहस्सिया, सक्कवज्जा मंदरे समोसरंति जाव पज्जुवासंति। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૦ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 236 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे असुरराया चमरचंचाए रायहानीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामानियसाहस्सीहिं तायत्तीसाए तावत्तीसेहिं, चउहिं लोगपालेहिं, पंचहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं, तिहिं परिसाहिं, सत्तहिं अणिएहिं, सत्तहिं अनियाहिवईहिं, चउहिं चउ-सट्ठीहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अन्नेहि य जहा सक्के, नवरं– इमं नाणत्तं–दुमो पायत्तणीयाहिवई, ओघस्सरा घंटा, विमानं पन्नासं जोयणसहस्साइं, महिंदज्झओ पंचजोयणसयाइं, विमानकारी आभि-ओगिओ देवो, अवसिट्ठं तं चेव जाव मंदरे समोसरइ पज्जुवासइ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं बली असुरिंदे असुरराया एवमेव नवरं–सट्ठी Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૩૬. તે કાળે, તે સમયે અસુરેન્દ્ર અસુરરાજા ચમર, ચમરચંચા રાજધાનીમાં સુધર્માસભામાં ચમર સિંહાસને, ૬૪,૦૦૦ સામાનિક દેવો, ૩૩ – ત્રાયસ્ત્રિંશક, ચાર લોકપાલ, સપરિવાર પાંચ અગ્રમહિષીઓ, ત્રણ પર્ષદા, સાત સૈન્યો, સાત સૈન્યાધિપતિઓ, ચારગણા ૬૪,૦૦૦ આત્મરક્ષક દેવો અને બીજા દેવોથી પરિવૃત્ત હતો ઇત્યાદિ શક્રવત્ જાણવું. | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 237 | Gatha | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चउसट्ठी सट्ठी खलु, छच्च सहस्सा उ असुरवज्जाणं ।
सामाणिया उ एए, चउग्गुणा आयरक्खा उ ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૬ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 238 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] दाहिणिल्लाणं पायत्ताणीयाहिवई भद्दसेणो, उत्तरिल्लाणं दक्खो।
वाणमंतरजोइसिया नेयव्वा, एवं चेव नवरं–चत्तारि सामानियसाहस्सीओ, चत्तारि अग्गमहिसीओ, सोलस आयरक्खसहस्सा, विमाणा सहस्सं, महिंदज्झया पणवीसं जोयणसयं, घंटा दाहिणाणं मंजु-स्सरा, उत्तराणं मंजुघोसा, पायत्ताणीयाहिवई विमानकारी य आभिओगा देवा, जोइसियाणं सुस्सरा सुस्सरनिग्घोसा घंटाओ, मंदरे समोसरणं जाव पज्जुवासंति। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૩૬ | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 239 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया महं देवाहिवे आभिओग्गे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! महत्थं महग्घं महरिहं विउलं तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह।
तए णं ते आभिओग्गा देवा हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया जाव पडिसुणित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं जाव समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सोवण्णियकलसाणं, एवं रुप्पमयाणं मणिमयाणं सुवण्णरुप्पमयाणं सुवण्ण मणिमयाणं रुप्पमणिमयाणं सुवण्णरुप्प-मणिमयाणं अट्ठसहस्सं भोमेज्जाणं, अट्ठसहस्सं वंदणकलसाणं, एवं भिंगाराणं आयंसाणं थालाणं पातीणं सुपइट्ठाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं Translated Sutra: ત્યારે તે દેવેન્દ્ર દેવરાજ અચ્યુત મહાદેવાધિપતિ, પોતાના આભિયોગિક દેવોને બોલાવે છે, બોલાવીને આ પ્રમાણે કહ્યું – હે દેવાનુપ્રિયો ! તીર્થંકરના અભિષેકને માટે તમે શીધ્ર મહાર્થ, મહાર્ઘ, મહાર્હ, વિપુલ સામગ્રી ઉપસ્થાપિત કરો અર્થાત લાવો. ત્યારે તે આભિયોગિક દેવો હર્ષિત, સંતુષ્ટ થઈ યાવત્ આજ્ઞા સ્વીકારીને ઉત્તર – | |||||||||
Jambudwippragnapati | જંબુદ્વીપ પ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Gujarati | 240 | Sutra | Upang-07 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया दसहिं सामानियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए तावत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अनिएहिं, सत्तहिं अनियाहिवईहिं, चत्तालीसाए आयरक्खदेव-साहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे तेहिं साभाविएहिं वेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरवारि-पडिपुण्णेहिं चंदनकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं करयलसूमालपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमेज्जाणं जाव सव्वोदएहिं सव्वमट्टि-याहिं सव्वतुवरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं महया-महया तित्थयराभिसेएणं Translated Sutra: ત્યારપછી તે અચ્યુત દેવેન્દ્ર ૧૦,૦૦૦ સામાનિકો, તેંત્રીશ ત્રાયસ્ત્રિંશકો, ચાર લોકપાલો, ત્રણ પર્ષદા, સાત સૈન્યો, સાત સૈન્યના અધિપતિઓ, ૪૦,૦૦૦ આત્મરક્ષક દેવો સાથે સંપરિવરીને સ્વાભાવિક અને વિકુર્વિત શ્રેષ્ઠ કમલ ઉપર પ્રતિષ્ઠિત, સુગંધી શ્રેષ્ઠ જળથી પ્રતિપૂર્ણ, ચંદન વડે ચર્ચિત, ગળામાં મૌલી બાંધેલ, કમળ અને ઉત્પલ |