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Global Search for JAIN Aagam & ScripturesScripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 81 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] दाडिमपुप्फागारा लोहमई नालिया उ कायव्वा ।
तीसे तलम्मि छिद्दं, छिद्दपमाणं पुणो वोच्छं ॥ Translated Sutra: दाड़म के पुष्प की आकृतिवाली लोहे की घड़ी बनाकर उसके तलवे में छिद्र किया जाए, तीन साल के गाय के बच्चे की पूँछ के – ९६ बाल जो सीधे होते हैं और मुड़े हुए न हो वैसी तरह घड़ी का छिद्र होना चाहिए। सूत्र – ८१, ८२ | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 82 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] छन्नउइ पुच्छवाला तिवासजायाए गोति हाणीए ।
अस्संवलिया उज्जुय नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: देखो सूत्र ८१ | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 83 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा उ पुंछवाला दुवासजायाए गयकरेणूए ।
दो वाला उ अभग्गा नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: या फिर दो साल के हाथी के बच्चे की पूँछ के बाल जो टूटे हुए न हो ऐसी तरह घड़ी या छिद्र होना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 84 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सुवण्णमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सूई ।
चउरंगुलप्पमाणा, कायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: चार मासा सोने की एक गौल और कठिन सूई जिस का परिमाण चार अंगुल हो वैसा छिद्र होना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 85 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] उदगस्स नालियाए भवंति दो आढगा उ परिमाणं ।
उदगं च भाणियव्वं जारिसयं तं पुणो वोच्छं ॥ Translated Sutra: उस घड़ीमें पानी का परिमाण दो आढ़क होना चाहिए, उस पानी को कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 86 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] उदगं खलु नायव्वं, कायव्वं दूसपट्टपरिपूयं ।
मेहोदगं पसन्नं सारइयं वा गिरिनईए ॥ Translated Sutra: मेघ का साफ पानी और शरदकालीन पर्वतीय नदी जैसा ही पानी लेना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 87 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] बारस मासा संवच्छरो उ, पक्खा य ते चउव्वीसं ।
तिन्नेव य सट्ठसया हवंति राइंदियाणं च ॥ Translated Sutra: १२ मास का एक साल, एक साल के २४ पक्ष और ३६० रात – दिन होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 88 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] एगं च सयसहस्सं तेरस चेव य भवे सहस्साइं ।
एगं च सयं नउयं हवंति राइंदिऊसासा ॥ Translated Sutra: एक रात्रि – दिन में १,१३,९०० उच्छ्वास होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 89 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] तेत्तीस सयसहस्सा पंचाणउई भवे सहस्साइं ।
सत्त य सया अनूना हवंति मासेण ऊसासा ॥ Translated Sutra: एक महिने में ३३५५७०० उच्छ्वास होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 90 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चत्तारि य कोडीओ सत्तेव य हुंति सयसहस्साइं ।
अडयालीस सहस्सा चत्तारि सया य वरिसेणं ॥ Translated Sutra: एक साल में ४०७४८४०००० उच्छ्वास होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 91 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चत्तारि य कोडिसया सत्त य कोडीओ हुंति अवराओ ।
अडयाल सयसहस्सा चत्तालीसं सहस्सा य ॥ Translated Sutra: १०० साल के आयु में ४०७४५४०००० उच्छ्वास होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 92 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] वाससयाउस्सेए उस्सासा एत्तिया मुणेयव्वा ।
पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्जमाणस्स ॥ Translated Sutra: अब रात दिन क्षीण होने से आयु का क्षय देखो। (सूनो) | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 93 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] राइंदिएण तीसं तु मुहुत्ता, नव सया उ मासेणं ।
हायंति पमत्ताणं, न य णं अबुहा वियाणंति ॥ Translated Sutra: रात – दिन में तीस और महिने में ९०० मुहूर्त्त प्रमादि के नष्ट होते हैं। लेकिन अज्ञानी उसे नहीं जानते। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 94 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सहस्से सगले छ च्च सए उडुवरो हरइ आउं ।
हेमंते गिम्हासु य वासासु य होइ नायव्वं ॥ Translated Sutra: हेमंतऋतुमें सूरज पूरे ३६०० मुहूर्त्त आयु को नष्ट करते हैं। उसी तरह ग्रीष्म और वर्षा में भी होता है ऐसा जानना चाहिए। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Hindi | 95 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] वाससयं परमाउं एत्तो पन्नास हरइ निद्दाए ।
एत्तो वीसइ हायइ बालत्ते वुड्ढभावे य ॥ Translated Sutra: इस लोक में सामान्य से सौ साल के आयु में ५० साल निद्रामें नष्ट होते हैं। उसी तरह २० साल बचपन और बुढ़ापे में नष्ट होते हैं। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
अनित्य, अशुचित्वादि |
Hindi | 102 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] आउसो! जं पि य इमं सरीरं इट्ठं पियं कंतं मणुन्नं मणामं मणाभिरामं थेज्जं वेसासियं सम्मयं बहुमयं अणुमयं भंडकरंडगसमाणं, रयणकरंडओ विव सुसंगोवियं, चेलपेडा विव सुसंपरिवुडं, तेल्लपेडा विव सुसंगोवियं ‘मा णं उण्हं मा णं सीयं मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइय-पित्तिय-सिंभिय-सन्निवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु’ त्ति कट्टु। एवं पि याइं अधुवं अनिययं असासयं चओवचइयं विप्पणासधम्मं, पच्छा व पुरा व अवस्स विप्पचइयव्वं।
एयस्स वि याइं आउसो! अणुपुव्वेणं अट्ठारस य पिट्ठकरंडगसंधीओ, बारस पंसुलिकरंडया, छप्पंसुलिए कडाहे, बिहत्थिया कुच्छी, चउरंगुलिआ गीवा, Translated Sutra: हे आयुष्मान् ! यह शरीर इष्ट, प्रिय, कांत, मनोज्ञ, मनोहर, मनाभिराम, दृढ, विश्वासनीय, संमत, अभीष्ट, प्रशंसनीय, आभूषण और रत्न करंडक समान अच्छी तरह से गोपनीय, कपड़े की पेटी और तेलपात्र की तरह अच्छी तरह से रक्षित, शर्दी, गर्मी, भूख, प्यास, चोर, दंश, मशक, वात, पित्त, कफ, सन्निपात, आदि बीमारी के संस्पर्श से बचाने के योग्य माना | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
अनित्य, अशुचित्वादि |
Hindi | 105 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] इमं चेव य सरीरं सीसघडीमेय मज्ज मंसऽट्ठिय मत्थुलिंग सोणिय वालुंडय चम्मकोस नासिय सिंघाणय धीमलालयं अमणुण्णगं सीसघडीभंजियं गलंतनयणकण्णोट्ठ गंड तालुयं अवालुया खिल्लचिक्कणं चिलिचिलियं दंतमलमइलं बीभच्छदरिसणिज्जं अंसलग बाहुलग अंगुली अंगुट्ठग नहसंधिसंघायसंधियमिणं बहुरसियागारं नाल खंधच्छिरा अनेगण्हारु बहुधमनि संधिनद्धं पागडउदर कवालं कक्खनिक्खुडं कक्खगकलियं दुरंतं अट्ठि धमनिसंताणसंतयं, सव्वओ समंता परिसवंतं च रोमकूवेहिं, सयं असुइं, सभावओ परमदुब्भिगंधि, कालिज्जय अंत पित्त जर हियय फोप्फस फेफस पिलिहोदर गुज्झ कुणिम नवछिड्ड थिविथिविथिविंतहिययं दुरहिपित्त Translated Sutra: यह शरीर, खोपरी, मज्जा, माँस, हड्डियाँ, मस्तुलिंग, लहू, वालुंडक, चर्मकोश, नाक का मैल और विष्ठा का घर है। यह खोपरी, नेत्र, कान, होठ, ललाट, तलवा आदि अमनोज्ञ मल वस्तु है। होठ का घेराव अति लार से चीकना, मुँह पसीनावाला, दाँत मल से मलिन, देखने में बिभत्स है। हाथ – अंगुली, अंगूठे, नाखून के सन्धि से जुड़े हुए हैं। यह कईं तरल – स्राव | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 127 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] पूइयकाए य इहं चवणमुहे निच्चकालवीसत्थो ।
आइक्खसु सब्भावं किम्ह सि गिद्धो तुमं मूढ!? ॥ Translated Sutra: (मनुष्य शरीर किस काम का है ?) हे मूर्ख ! वह शरीर दुर्गंध युक्त और मरण के स्वभाववाला है। उसमें नित्य भरोंसा करके तुम क्यों आसक्त होते हो ? उनका स्वभाव तो बताओ। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 134 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] उद्धियनयणं खगमुहविकट्टियं विप्पइन्नबाहुलयं ।
अंतविकट्टियमालं सीसघडीपागडियघोरं ॥ Translated Sutra: मृत शरीर के नेत्र को पंछी चोंच से खुदते हैं। लत्ता की तरह हाथ फैल जाते हैं। आंत बाहर नीकाल लेते हैं और खोपरी भयानक दिखती है। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 137 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] वच्चाओ असुइतरे नवहिं सोएहिं परिगलंतेहिं ।
आमगमल्लगरूवे निव्वेयं वच्चह सरीरे ॥ Translated Sutra: नौ द्वार से अशुचि को नीकालनेवाले झरते हुए कच्चे घड़े की तरह यह शरीर प्रति निर्वेद भाव धारण कर लो। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 143 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] जाओ चिय इमाओ इत्थियाओ अनेगेहिं कइवरसहस्सेहिं विविहपासपडिबद्धेहिं कामरागमोहिएहिं वन्नियाओ ताओ विय एरिसाओ, तं जहा–
पगइविसमाओ पियरूसणाओ कतियवचडुप्परून्नातो अथक्कहसिय-भासिय-विलास- वीसंभ-पचू(च्च) याओ अविनयवातोलीओ मोहमहावत्तणीओ विसमाओ पियवयणवल्लरीओ कइयवपेमगिरितडीओ अवराहसहस्सघरिणीओ ४, पभवो सोगस्स, विनासो बलस्स, सूणा पुरिसाणं, नासो लज्जाए, संकरो अविणयस्स, निलओ नियडीणं १० खाणी वइरस्स, सरीरं सोगस्स, भेओ मज्जायाणं, आसओ रागस्स, निलओ दुच्चरियाणं १५, माईए सम्मोहो, खलणा नाणस्स, चलणं सीलस्स, विग्घो धम्मस्स, अरी साहूण २०, दूसणं आयारपत्ताणं, आरामो कम्मरयस्स, फलिहो मुक्खमग्गस्स, Translated Sutra: काम, राग और मोह समान तरह – तरह की रस्सी से बँधे हजारों श्रेष्ठ कवि द्वारा इन स्त्रियों की तारीफ में काफी कुछ कहा गया है। वस्तुतः उनका स्वरूप इस प्रकार है। स्त्री स्वभाव से कुटील, प्रियवचन की लत्ता, प्रेम करने में पहाड़ की नदी की तरह कुटील, हजार अपराध की स्वामिनी, शोक उत्पन्न करवानेवाली, बाल का विनाश करनेवाली, मर्द | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 144 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] असि-मसिसारिच्छीणं कंतार-कवाड-चारयसमाणं ।
घोर-निउरंबकंदरचलंत-बीभच्छभावाणं ॥ Translated Sutra: स्त्री कटारी जैसी तीक्ष्ण, श्याही जैसी कालिमा, गहन वन जैसी भ्रमित करनेवाली, अलमारी और कारागार जैसी बँधनकारक, प्रवाहशील अगाध जल की तरह भयदायक होती है। | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 153 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] किं पुत्तेहिं? पियाहि व? अत्थेण व पिंडिएण बहुएणं? ।
जो मरणदेस-काले न होइ आलंबनं किंचि ॥ Translated Sutra: पुत्र, पिता और काफी – संग्रह किए गए धन से क्या फायदा ? जो मरते समय कुछ भी सहारा न दे सके ? | |||||||||
Tandulvaicharika | तंदुल वैचारिक | Ardha-Magadhi |
उपदेश, उपसंहार |
Hindi | 154 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] पुत्ता चयंत्ति, मित्ता चयंति, भज्जा वि णं मयं चयइ ।
तं मरणदेस-काले न चयइ सुबिइज्जओ धम्मो ॥ Translated Sutra: मौत होने से पुत्र, मित्र, पत्नी भी साथ छोड़ देती हैं मगर सुउपार्जित धर्म ही मरण समय साथ नहीं छोड़ता | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
जीवस्यदशदशा |
Gujarati | 10 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] तस्स य हिट्ठा चूयस्स मंजरी तारिसा उ मंसस्स ।
ते रिउकाले फुडिया सोणियलवया विमुंचंति ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૯ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
जीवस्यदशदशा |
Gujarati | 24 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे नरएसु उववज्जिज्जा?
गोयमा! अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा।
से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ जीवे णं गब्भगए समाणे नरएसु अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा?
गोयमा! जे णं जीवे गब्भगए समाणे सन्नी पंचिंदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वेउव्विअलद्धीए वेउव्वियलद्धिपत्ते पराणीअं आगयं सोच्चा निसम्म पएसे निच्छुहइ, २ त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ, २ त्ता चाउरंगिणिं सेन्नं सन्नाहेइ, सन्नाहित्ता पराणीएण सद्धिं संगामं संगामेइ, से णं जीवे अत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, अत्थकंखिए Translated Sutra: ભગવન્ ! ગર્ભસ્થ જીવ નૈરયિકમાં ઉપજે ? ગૌતમ! કેટલાક ઉપજે, કેટલાક ન ઉપજે. ભગવન્! એમ કેમ કહો છો ? ગૌતમ ! જે જીવ ગર્ભસ્થ સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય હોય, સર્વ પર્યાપ્તિથી પર્યાપ્ત હોય, વીર્યલબ્ધિ – વિભંગજ્ઞાનલબ્ધિ – વૈક્રિય લબ્ધિ હોય. તે વૈક્રિય લબ્ધિ પ્રાપ્ત શત્રુસેના આવેલી સાંભળી, સમજી વિચારે કે હું આત્મપ્રદેશ બહાર કાઢુ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
जीवस्यदशदशा |
Gujarati | 25 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] जीवे णं भंते! गब्भगए समाणे देवलोएसु उववज्जेज्जा?
गोयमा! अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा।
से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अत्थेगइए उववज्जेज्जा अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा?
गोयमा! जे णं जीवे गब्भगए समाणे सण्णी पंचिंदिए सव्वाहिं पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वेउव्वियलद्धीए वीरियलद्धीए ओहिनाणलद्धीए तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आयरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म तओ से भवइ तिव्वसंवेगसंजायसड्ढे तिव्वधम्मानुरायरत्ते, से णं जीवे धम्म कामए पुण्णकामए सग्गकामए मोक्खकामए, धम्मकंखिए पुन्नकंखिए सग्गकंखिए मोक्खकंखिए, धम्मपिवासिए पुन्नपिवासिए Translated Sutra: ભગવન્ ! ગર્ભસ્થ જીવ દેવલોકમાં ઉત્પન્ન થાય ? કોઈ ઉત્પન્ન થાય, કોઈ ન થાય. ભગવન્ ! એમ કેમ કહ્યું ? ગૌતમ ! જે જીવ ગર્ભ પ્રાપ્ત હોય, સંજ્ઞી પંચેન્દ્રિય, સર્વ પર્યાપ્તિથી પર્યાપ્ત, વૈક્રિયલબ્ધિથી, અવધિજ્ઞાનલબ્ધિથી તથારૂપ શ્રમણ કે બ્રાહ્મણ પાસે એક પણ આર્ય ધાર્મિક સુવચન સાંભળી, અવધારીને તે તીવ્ર સંવેગ સંજાત શ્રાદ્ધ, | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
जीवस्यदशदशा |
Gujarati | 35 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] अह णं पसवणकालसमयंसि सीसेण वा पाएहिं वा आगच्छइ सममागच्छइ तिरियमागच्छइ विनिघायमावज्जइ। Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૬ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
जीवस्यदशदशा |
Gujarati | 44 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] बाला १ किड्डा २ मंदा ३ बला ४ य पन्ना ५ य हायणि ६ पवंचा ७ ।
पब्भारा ८ मुम्मुही ९ सायणी य १० दसमा १० य कालदसा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૪૩ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
देहसंहननं आहारादि |
Gujarati | 66 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] संघयणं संठाणं उच्चत्तं आउयं च मनुयाणं ।
अनुसमयं परिहायइ ओसप्पिणिकालदोसेणं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૬૫ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
देहसंहननं आहारादि |
Gujarati | 70 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] एवं परिहायमाणे लोए चंदु व्व कालपक्खम्मि ।
जे धम्मिया मनुस्सा सुजीवियं जीवियं तेसिं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૬૫ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 75 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] कालो परमनिरुद्धो अविभज्जो तं तु जाण समयं तु ।
समया य असंखेज्जा हवंति उस्सास-निस्सासे ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 76 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] हट्ठस्स अनवगल्लस्स निरुवकिट्ठस्स जंतुणो ।
एगे ऊसास-नीसासे एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 77 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे ।
लवाणं सत्तहत्तरिए एस मुहुत्ते वियाहिए ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 78 | Sutra | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] एगमेगस्स णं भंते! मुहुत्तस्स केवइया ऊसासा वियाहिया? गोयमा! Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 79 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाइं तेवत्तरिं च ऊसासा ।
एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अनंतनाणीहिं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 80 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] दो नालिया मुहुत्तो, सट्ठिं पुण नालिया अहोरत्तो ।
पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, पक्खा दुवे मासो ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 81 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] दाडिमपुप्फागारा लोहमई नालिया उ कायव्वा ।
तीसे तलम्मि छिद्दं, छिद्दपमाणं पुणो वोच्छं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 82 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] छन्नउइ पुच्छवाला तिवासजायाए गोति हाणीए ।
अस्संवलिया उज्जुय नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 83 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा उ पुंछवाला दुवासजायाए गयकरेणूए ।
दो वाला उ अभग्गा नायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 84 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] अहवा सुवण्णमासा चत्तारि सुवट्टिया घणा सूई ।
चउरंगुलप्पमाणा, कायव्वं नालियाछिद्दं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 85 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] उदगस्स नालियाए भवंति दो आढगा उ परिमाणं ।
उदगं च भाणियव्वं जारिसयं तं पुणो वोच्छं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
Tandulvaicharika | તંદુલ વૈચારિક | Ardha-Magadhi |
काल प्रमाणं |
Gujarati | 86 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] उदगं खलु नायव्वं, कायव्वं दूसपट्टपरिपूयं ।
मेहोदगं पसन्नं सारइयं वा गिरिनईए ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 87 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] बारस मासा संवच्छरो उ, पक्खा य ते चउव्वीसं ।
तिन्नेव य सट्ठसया हवंति राइंदियाणं च ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 88 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] एगं च सयसहस्सं तेरस चेव य भवे सहस्साइं ।
एगं च सयं नउयं हवंति राइंदिऊसासा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 89 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] तेत्तीस सयसहस्सा पंचाणउई भवे सहस्साइं ।
सत्त य सया अनूना हवंति मासेण ऊसासा ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 90 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चत्तारि य कोडीओ सत्तेव य हुंति सयसहस्साइं ।
अडयालीस सहस्सा चत्तारि सया य वरिसेणं ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 91 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] चत्तारि य कोडिसया सत्त य कोडीओ हुंति अवराओ ।
अडयाल सयसहस्सा चत्तालीसं सहस्सा य ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 92 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] वाससयाउस्सेए उस्सासा एत्तिया मुणेयव्वा ।
पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्जमाणस्स ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ | |||||||||
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काल प्रमाणं |
Gujarati | 93 | Gatha | Painna-05 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] राइंदिएण तीसं तु मुहुत्ता, नव सया उ मासेणं ।
हायंति पमत्ताणं, न य णं अबुहा वियाणंति ॥ Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭૪ |