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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 42 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुविहिं च पुप्फदंतं सीअल सिज्जंस वासुपुज्जं च । विमलमणंतं च जिणं धम्मं संति च वंदामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 43 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कुंथुं अरं च मल्लिं वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च । वंदामि रिट्ठनेमिं पासं तह वद्धमाणं च ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 44 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं मए अभिथुआ विहुय-रयमला पहीण-जरमरणा । चउवीसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयंतु ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 45 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कित्तिय वंदिय महिया जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा । आरुग्ग-बोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं दिंतु ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 46 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चंदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा । सागरवरगंभीरा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 47 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सव्वलोए अरहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्गं वंदणवत्तियाए पूअणवत्तियाए सक्कारवत्तियाए सम्माणवत्तियाए बोहिलाभवत्तियाए निरुवसग्गवत्तियाए सद्धाए मेहाए धिईए धारणाए अणुप्पेहाए वड्ढमाणीए ठामि काउस्सग्गं।

Translated Sutra: लोक में रहे सर्व अर्हत्‌ चैत्य का यानि अर्हत्‌ प्रतिमा का आलम्बन लेकर या उसका आराधन करने के द्वारा मैं कायोत्सर्ग करता हूँ। बढ़ती हुई श्रद्धा, बुद्धि, धृति या स्थिरता, धारणा या स्मृति और तत्त्व चिन्तन पूर्वक – वंदन की – पूजन की – सत्कार की – सम्मान की – बोधिलाभ की और मोक्ष की भावना या आशय से मैं कायोत्सर्ग में
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 48 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुक्खरवरदीवड्ढे धायइसंडे य जंबुद्दीवे य । भरहेरवय विदेहे धम्माइगरे नमंसामि ॥

Translated Sutra: अर्ध पुष्करवरद्वीप, घातकी खंड़ और जम्बूद्वीप में उन ढ़ाई द्वीप में आए हुए भरत, ऐरावत और महाविदेह क्षेत्र में श्रुतधर्म की आदि करनेवाले को यानि तीर्थंकर को मैं नमस्कार करता हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 49 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तमतिमिरपडल विद्धंसणस्स सुरगणनरिंदमहियस्स । सीमाधरस्स वंदे पप्फोडियमोहजालस्स ॥

Translated Sutra: अज्ञान समान अंधेरे के समूह को नष्ट करनेवाले, देव और नरेन्द्र के समूह से पूजनीय और मोहनीय कर्म के सर्व बन्धन को तोड़ देनेवाले ऐसे मर्यादावंत यानि आगम युक्त श्रुतधर्म को मैं वंदन करता हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 50 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जाईजरामरण सोग पणासणस्स, कल्लाणपुक्खल विसालसुहावहस्स । को देवदानवनरिंदगणच्चिअस्स, धम्मस्ससारमुवलब्भकरे पमायं ॥

Translated Sutra: जन्म, बुढ़ापा, मरण और शोक समान सांसारिक दुःख को नष्ट करनेवाले, ज्यादा कल्याण और विशाल सुख देनेवाले, देव – दानव और राजा के समूह से पूजनीय श्रुतधर्म का सार जानने के बाद कौन धर्म आराधना में प्रमाद कर सकता है ?
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१ सामायिक

Hindi 1 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र]

Translated Sutra: अरिहंत को नमस्कार हो, सिद्ध को नमस्कार हो, आचार्य को नमस्कार हो, उपाध्याय को नमस्कार हो, लोक में रहे सर्व साधु को नमस्कार हो, इस पाँच (परमेष्ठि) को किया गया नमस्कार सर्व पाप का नाशक है। सर्व मंगल में प्रथम (उत्कृष्ट) मंगल है। अरिहंत शब्द के लिए तीन पाठ हैं। अरहंत, अरिहंत और अरूहंत। यहाँ अरहंत शब्द का अर्थ है – जो
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-१ सामायिक

Hindi 2 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: हे भगवंत ! (हे पूज्य !) में (आपकी साक्षी में) सामायिक का स्वीकार करता हूँ यानि समभाव की साधना करता हूँ। जिन्दा हूँ तब तक सर्व सावद्य (पाप) योग का प्रत्याख्यान करता हूँ। यानि मन, वचन, काया की अशुभ प्रवृत्ति न करने का नियम करता हूँ। (जावज्जीव के लिए) मन से, वचन से, काया से (उस तरह से तीन योग से पाप व्यापार) मैं खुद न करूँ,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 3 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं चउवीसंपि केवली ॥

Translated Sutra: लोक में उद्योत करनेवाले (चौदह राजलोक में रही सर्व वस्तु का स्वरूप यथार्थ तरीके से प्रकाशनेवाले) धर्मरूपी तीर्थ का प्रवर्तन करनेवाले, रागदेश को जीतनेवाले, केवली चोबीस तीर्थंकर का और अन्य तीर्थंकर का मैं कीर्तन करूँगा।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 4 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उसभमजियं च वंदे संभवमभिणंदणं च सुमइं च । पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥

Translated Sutra: ऋषभ और अजीत को, संभव अभिनन्दन और सुमति को, पद्मप्रभु, सुपार्श्व (और) चन्द्रप्रभु सभी जिन को मैं वंदन करता हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 5 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सुविहिं च पुप्फदंतं सीअल सिज्जंस वासुपुज्जं च । विमलमणंतं च जिणं धम्मं संतिं च वंदामि ॥

Translated Sutra: सुविधि या पुष्पदंत को, शीतल श्रेयांस और वासुपूज्य को, विमल और अनन्त (एवं) धर्म और शान्ति जिन को वंदन करता हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 6 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कुंथुं अरं च मल्लिं वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च । वंदामि रिट्ठनेमिं पासं तह वद्धमाणं च ॥

Translated Sutra: कुंथु, अर और मल्लि, मुनिसुव्रत और नमि को, अरिष्टनेमि पार्श्व और वर्धमान (उन सभी) जिन को मैं वंदन करता हूँ। (इस तरह से ४ – ५ – ६ तीन गाथा द्वारा ऋषभ आदि चौबीस जिन की वंदना की गई है।)
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 7 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवं मए अभिथुआ विहुय-रयमला पहीण-जरमरणा । चउवीसंपि जिणवरा तित्थयरा मे पसीयंतु ॥

Translated Sutra: इस प्रकार मेरे द्वारा स्तवना किये हुए कर्मरूपी कूड़े से मुक्त और विशेष तरह से जिनके जन्म – मरण नष्ट हुए हैं यानि फिर से अवतार न लेनेवाले चौबीस एवं अन्य जिनवर – तीर्थंकर मुझ पर कृपा करे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 8 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कित्तिय वंदिय महिया जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा । आरुग्ग-बोहिलाभं समाहिवरमुत्तमं दिंतु ॥

Translated Sutra: जो (तीर्थंकर) लोगों द्वारा स्तवना किए गए, वंदन किए गए और पूजे गए हैं। लोगों में उत्तमसिद्ध हैं। वो मुझे आरोग्य (रोग का अभाव), बोधि (ज्ञान, दर्शन और चारित्र का लाभ) तथा सर्वोत्कृष्ट समाधि प्रदान करे।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२ चतुर्विंशतिस्तव

Hindi 9 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चंदेसु निम्मलयरा आइच्चेसु अहियं पयासयरा । सागरवरगंभीरा सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥

Translated Sutra: चन्द्र से ज्यादा निर्मल, सूरज से ज्यादा प्रकाश करनेवाले और स्वयंभूरमण समुद्र से ज्यादा गम्भीर ऐसे सिद्ध (भगवंत) मुझे सिद्धि (मोक्ष) दो।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ वंदन

Hindi 10 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि खमासमणो वंदिउं जावणिज्जाए निसीहियाए, अणुजाणह मे मिउग्गहं निसीहि अहोकायं काय-संफासं खमणिज्जो मे किलामो, अप्पकिलंताणं बहुसुभेण भे दिवसो वइक्कंतो जत्ता भे जवणिज्जं च भे, खामेमि खमासमणो देवसियं वइक्कमं आवस्सियाए पडिक्कमामि खमासमणाणं देवसियाए आसायणाए तित्तीसन्नयराए जं किंचि मिच्छाए मणदुक्कडाए वयदुक्कडाए कायदुक्कडाए कोहाए माणाए मायाए लोभाए सव्वकालियाए सव्वमिच्छोवयाराए सव्वधम्माइक्कमणाए आसायणाए जो मे अइयारो कओ तस्स खमासमणो पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: (शिष्य कहता है) हे क्षमा (आदि दशविध धर्मयुक्त) श्रमण, (हे गुरुदेव !) आपको मैं इन्द्रिय और मन की विषय विकार के उपघात रहित निर्विकारी और निष्पाप प्राणातिपात आदि पापकारी प्रवृत्ति रहित काया से वंदन करना चाहता हूँ। मुझे आपकी मर्यादित भूमि में (यानि साड़े तीन हाथ अवग्रह रूप – मर्यादा के भीतर) नजदीक आने की (प्रवेश करने
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 11 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: ‘‘करेमि भंते’’ की व्याख्या – पूर्व सूत्र – २ समान जानना।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 12 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि मंगलं अरहंता मंगलं सिद्धा मंगलं साहू मंगलं केवलिपन्नत्तो धम्मो मंगलं।

Translated Sutra: मंगल – यानि संसार से मुझे पार उतारे वो या जिससे हित की प्राप्ति हो वो या जो धर्म को दे वो (ऐसे ‘मंगल’ – चार हैं) अरहंत, सिद्ध, साधु और केवलि प्ररूपित धर्म। (यहाँ और आगे के सूत्र – १३, १४ में ‘साधु’ शब्द के अर्थ में आचार्य, उपाध्याय, स्थविर, गणि आदि सबको समझ लेना। और फिर केवली प्ररूपित धर्म से श्रुत धर्म और चारित्र धर्म
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 13 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि लोगुत्तमा अरहंता लोगुत्तमा सिद्धा लोगुत्तमा साहू लोगुत्तमा केवलिपन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो।

Translated Sutra: क्षायोपशमिक आदि भाव रूप ‘भावलोक’ में चार को उत्तम बताया है। अर्हंत, सिद्ध, साधु और केवली प्ररूपित धर्म। [अर्हंतो को सर्व शुभ प्रकृति का उदय है। यानि वो शुभ औदयिक भाव में रहते हैं। इसलिए वो भावलोक में उत्तम हैं। सिद्ध चौदह राजलोक को अन्त में मस्तक पर बिराजमान होते हैं। वो क्षेत्रलोक में उत्तम हैं। साधु श्रुतधर्म
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 14 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चत्तारि सरणं पवज्जामि अरहंते सरणं पवज्जामि सिद्धे सरणं पवज्जामि साहू सरणं पवज्जामि केवलिपन्नत्तं धम्मं सरणं पवज्जामि।

Translated Sutra: शरण – यानि सांसारिक दुःख की अपेक्षा से रक्षण पाने के लिए आश्रय पाने की प्रवृत्ति। ऐसे चार शरण को मैं अंगीकार करता हूँ। मैं अरिहंत – सिद्ध – साधु और केवली भगवंत के बताए धर्म का शरण अंगीकार करता हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 15 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे देवसिओ अइयारो कओ काइओ वाइओ माणसिओ उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पो अकरणिज्जो दुज्झाओ दुव्विचिंतिओ अणायारो अणिच्छियव्वो असमणपाउग्गो नाणे दंसणे चरित्ते सुए सामाइए तिण्हं गुत्तीणं चउण्हं कसायाणं पंचण्हं महव्वयाणं छण्हं जीवनिकायाणं सत्तण्हं पिंडेसणाणं अट्ठण्हं पवयणमाऊणं नवण्हं बंभचेरगुत्तीणं दसविहे समणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडियं जं विराहियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: मैं दिवस सम्बन्धी अतिचार का प्रतिक्रमण करना चाहता हूँ, यह अतिचार सेवन काया से – मन से – वचन से (किया गया हो), उत्सूत्र भाषण – उन्मार्ग सेवन से (किया हो), अकल्प्य या अकरणीय (प्रवृत्ति से किया हो) दुर्ध्यान या दुष्ट चिन्तवन से (किया हो) अनाचार सेवन से, अनीच्छनीय श्रमण को अनुचित (प्रवृत्ति से किया हो।) ज्ञान, दर्शन, चारित्र,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 16 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए विराहणाए गमणागमणे पाणक्कमणे बीयक्कमणे हरियक्कमणे ओसा-उत्तिंग-पणग-दगमट्टी-मक्कडा-संताणासंकमणे जे मे जीवा विराहिया एगिंदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया पंचिंदिया अभिहया वत्तिया लेसिया संघाइया संघट्टिया परियाविया किलामिया उद्दविया ठाणाओ ठाणं संकामिया जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: (मैं प्रतिक्रमण करने के यानि पाप से वापस मुड़ने के समान क्रिया करना) चाहता हूँ। ऐर्यापथिकी यानि गमनागमन की क्रिया के दौहरान हुई विराधना से (यह विराधना किस तरह होती है वो बताते हैं – ) आते – जाते, मुझसे किसी त्रसजीव, बीज, हरियाली, झाकल का पानी, चींटी का बिल, सेवाल, कच्चा पानी, कीचड़ या मंकड़े के झाले आदि चंपे गए हो; जो कोई
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 17 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि पडिक्कमिउं पगामसिज्जाए निगामसिज्जाए संथारा उव्वट्टणाए परियट्टणाए आउंटण-पसारणाए छप्पइयसंघट्टणाए कूइए कक्कराइए छीए जंभाइए आमोसे ससरक्खामोसे आउल-माउलाए सोअणवत्तियाए इत्थीविप्परिआसियाए दिट्ठिविप्परिआसिआए मणविप्परिआ-सिआए पाणभोयणविप्परिआसिआए जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: मैं प्रतिक्रमण करना चाहता हूँ। (लेकिन किसका ?) दिन के प्रकामशय्या गहरी नींद लेने से (यहाँ प्रकाम यानि गहरा या संथारा उत्तरपट्टा से या तीन कपड़े से ज्यादा उपकरण का इस्तमाल करने से, शय्या यानि निद्रा या संथारीया आदि) हररोज ऐसी नींद लेने से, संथारा में बगल बदलने से और पुनः वही बगल बदलने से, शरीर के अवयव सिकुड़ने से
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 18 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि गोचरचरिआए भिक्खायरिआए उग्घाडकवाडउग्घाडणाए साणा-वच्छा-दारसंघट्टणाए मंडी-पाहुडियाए बलि-पाहुडियाए ठवणा-पाहुडियाए संकिए सहसागारे अणेसणाए [पाणेसणाए] पाणभोयणाए बीयभोयणाए हरियभोयणाए पच्छाकम्मियाए पुरेकम्मियाए अदिट्ठहडाए दगसंसट्ठहडाए रयसंसट्ठहडाए परिसाडणियाए पारिट्ठावणियाए ओहासणभिक्खाए जं उग्गमेणं उप्पायणेसणाए अपरिसुद्धं परिग्गहियं परिभुत्तं वा जं न परिट्ठवियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: मैं प्रतिक्रमण करता हूँ। (किसका ?) भिक्षा के लिए गोचरी घूमने में, लगे हुए अतिचार का (किस तरह से?) सांकल लगाए हुए या सामान्य से बन्ध किए दरवाजे – जाली आदि खोलने से कूत्ते – बछड़े या छोटे बच्चे का (केवल तिर्यंच का) संघट्टा – स्पर्श करने से, किसी बरतन आदि में अलग नीकालकर दिया गया आहार लेने से, अन्य धर्मी मूल भाजन में से
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 19 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि चाउक्कालं सज्झायस्स अकरणयाए उभओकालं भंडोवगरणस्स अप्पडिलेहणाए दुप्पडिलेहणाए अप्पमज्जणाए दुप्पमज्जणाए अइक्कमे वइक्कमे अइयारे अणायारे जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: मैं प्रतिक्रमण करता हूँ। (लेकिन किसका ?) दिन और रात के पहले और अन्तिम दो प्रहर ऐसे चार काल स्वाध्याय न करने के समान अतिचार का, दिन की पहली – अन्तिम पोरिसी रूप उभयकाल से पात्र – उपकरण आदि की प्रतिलेखना (दृष्टि के द्वारा देखना) न की या अविधि से की, सर्वथा प्रमार्जना न की या अविधि से प्रमार्जना की और फिर अतिक्रम – व्यतिक्रम,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 20 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि एगविहे असंजमे, पडिक्कमामि दोहिं बंधणेहिं-रागबंधणेणं दोसबंधणेणं, पडिक्कमामि तिहिं दंडेहिं-मणदंडेणं वयदंडेणं कायदंडेणं, पडिक्कमामि तिहिं गुत्तीहिं-मणगुत्तीए वइगुत्तीए कायगुत्तीए।

Translated Sutra: मैं प्रतिक्रमण करता हूँ (लेकिन किसका ?) एक, दो, तीन आदि भेदभाव के द्वारा बताते हैं। (यहाँ मिच्छामि दुक्कडम्‌ यानि मेरा वो पाप मिथ्या हो वो बात एकविध आदि हरएक दोष के साथ जुड़ना।) अविरति रूप एक असंयम से (अब के सभी पद असंयम का विस्तार समझना) दो बन्धन से राग और द्वेष समान बन्धन से, मन, वचन, काया, दंड़ सेवन से, मन, वचन, काया, गुप्ति
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 21 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि तिहिं सल्लेहिं- मायासल्लेणं निआणसल्लेणं मिच्छादंसणसल्लेणं, पडिक्कमामि तिहिं गारवेहिं इड्ढीगारवेणं रसगारवेणं सायागारवेणं, पडिक्कमामि तिहिं विराहणाहिं- नाणाविराहणाए दंसणविराहणाए चरित्तविराहणाए, पडिक्कमामि चउहिं कसाएहिं-कोहकसाएणं माणकसाएणं मायाकसाएणं लोभकसाएणं, पडिक्कमामि चउहिं सण्णाहिं-आहारसण्णाए भयसण्णाए मेहुणसण्णाए परिग्गहसण्णाए, पडिक्कमामि चउहिं विकहाहिं- इत्थिकहाए भत्तकहाए देसकहाए रायकहाए, पडिक्कमामि चउहिं झाणेहिं-अट्टेणं झाणेणं रुद्देणं झाणेणं धम्मेणं झाणेणं सुक्केणं झाणेणं।

Translated Sutra: देखो सूत्र २०
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 22 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि पंचहिं किरियाहिं काइयाए अहिगरणियाए पाउसियाए पारितावणियाए पाणाइवायकिरियाए।

Translated Sutra: कायिकी, अधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापनिकी, प्राणातिपातिकी उन पाँच में से किसी क्रिया या प्रवृत्ति करने से, शब्द – रूप, गंध, रस, स्पर्श उन पाँच कामगुण से, प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह उन पाँच के विरमण यानि न रूकने से, इर्या, भाषा, एषणा, वस्त्र, पात्र लेना, रखना, मल, मूत्र, कफ, मैल, नाक का मैल को निर्जीव
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 23 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि पंचहिं कामगुणेहिं- सद्देणं रूवेणं गंधेणं रसेणं फासेणं, पडिक्कमामि पंचहिं महव्वएहिं-पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावायाओ वेरमणं अदिन्नादाणाओ वेरमणं मेहुणाओ वेरमणं परिग्गहाओ वेरमणं, पडिक्कमामि पंचहिं समईहिं- इरियासमिईए भासासमिईए एसणासमिईए आयाणभंड-मत्तनिक्खेवणासमिईए उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमिईए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २२
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 24 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] पडिक्कमामि छहिं जीवनिकाएहिं- पुढविकाएणं आउकाएणं तेउकाएणं वाउकाएणं वणस्सइकाएणं तसकाएणं, पडिक्कमामि छहिं लेसाहिं किण्हलेसाए नीललेसाए काउलेसाए तेउलेसाए पम्हलेसाए सुक्कलेसाए, पडिक्कमामि सत्तहिं भयट्ठाणेहिं, अट्ठहिं मयट्ठाणेहिं, नवहिं बंभचेरगुत्तीहिं, दसविहे समण-धम्मे, एक्कारसहिं उवासगपडिमाहिं, बारसहिं भिक्खुपडिमाहिं, तेरसहिं किरियाट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: देखो सूत्र २२
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 25 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउद्दसहिं भूयगामेहिं, पन्नरसहिं परमाहम्मिएहिं, सोलसहिं गाहासोलसएहिं, सत्तरसविहे असंजमे, अट्ठारसविहे अबंभे, एगूणवीसाए नायज्झयणेहिं, वीसाए असमाहिट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: इहलोक – परलोक आदि सात भय स्थान के कारण से, जातिमद – कुलमद आदि आँठ मद का सेवन करने से, वसति – शुद्धि आदि ब्रह्मचर्य की नौ वाड़ का पालन न करने से, क्षमा आदि दशविध धर्म का पालन न करने से, श्रावक की ग्यारह प्रतिमा में अश्रद्धा करने से, बारह तरह की भिक्षु प्रतिमा धारण न करने से या उसके विषय में अश्रद्धा करने से, अर्थाय –
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 26 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगवीसाए-सबलेहिं, बावीसाए-परीसहेहिं, तेवीसाए-सुयगडज्झयणेहिं, चउवीसाए-देवेहिं, पंचवीसाए-भावणाहिं, छव्वीसाए-दसाकप्पववहाराणं उद्देसणकालेहिं, सत्तावीसाए-अणगारगुणेहिं अट्ठावीसइविहे-आयारपकप्पेहिं, एगुणतीसाए-पावसुयपसंगेहिं तीसाए-मोहणीयट्ठाणेहिं एगतीसाए -सिद्धाइगुणेहिं, बत्तीसाए-जोगसंगहेहिं।

Translated Sutra: देखो सूत्र २५
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 27 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेत्तीसाए आसायणाहिं।

Translated Sutra: तैंतीस प्रकार की आशातना जो यहाँ सूत्र में ही बताई गई है उसके द्वारा लगे अतिचार, अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, साध्वी का अवर्णवाद से अबहुमान करने से, श्रावक – श्राविका की निंदा आदि से, देव – देवी के लिए कुछ भी बोलने से, आलोक – परलोक के लिए असत्‌ प्ररूपणा से, केवली प्रणित श्रुत या चारित्र धर्म की आशातना के द्वारा,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 28 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अरिहंताणं आसायणाए सिद्धाणं आसायणाए आयरियाणं आसायणाए उवज्झायाणं आसायणाए साहूणं आसायणाए साहुणीणं आसायणाए सावयाणं आसायणाए सावियाणं आसायणाए देवाणं आसायणाए देवीणं आसायणाए इहलोगस्स आसायणाए परलोगस्स आसायणाए केवलिपन्नत्तस्सधम्मस्स आसायणाए सदेवमणुयासुरस्सलोगस्स आसायणाए सव्वपाणभूयजीव-सत्ताणं आसायणाए कालस्स आसायणाए सुयस्स आसायणाए सुयदेवयाए आसायणाए वायणायरियस्स आसायणाए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 29 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जं वाइद्धं वच्चामेलियं हीणक्खरं अच्चक्खरं पयहीणं विणयहीणं घोसहीणं जोगहीणं सुट्ठुदिन्नं दुट्ठंपडिच्छियं अकाले कओसज्झाओ काले न कओ सज्झाओ असज्झाइए-सज्झाइयं सज्झाइए-न-सज्झाइयं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 30 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नमो चउव्वीसाए तित्थगराणं उसभादिमहावीरपज्जवसाणाणं।

Translated Sutra: ऋषभदेव से महावीर स्वामी तक चौबीस तीर्थंकर परमात्मा को मेरा नमस्कार।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 31 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इणमेव निग्गंथं पावयणं सच्चं अनुत्तरं केवलियं पडिपुन्नं नेआउयं संसुद्धं सल्लगत्तणं सिद्धिमग्गं मुत्तिमग्गं निज्जाणमग्गं निव्वाणमग्गं अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गं इत्थं ठिया जीवा सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति।

Translated Sutra: यह निर्ग्रन्थ प्रवचन (जिन आगम या श्रुत) सज्जन को हितकारक, श्रेष्ठ, अद्वितीय, परिपूर्ण, न्याययुक्त, सर्वथा शुद्ध, शल्य को काट डालनेवाला सिद्धि के मार्ग समान, मोक्ष के मुक्तात्माओं के स्थान के और सकल कर्मक्षय समान, निर्वाण के मार्ग समान हैं। सत्य है, पूजायुक्त है, नाशरहित यानि शाश्वत, सर्व दुःख सर्वथा क्षीण हुए
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 32 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तं धम्मं सद्दहामि पत्तियामि रोएमि फासेमि पालेमि अनुपालेमि तं धम्मं सद्दहंतो पत्तियंतो रोएंतो फासेंतो पालंतो अनुपालंतो तस्स धम्मस्स केवलि पन्नत्तस्स अब्भुट्ठिओमि आराहणाए विरओमि विराहणाए– असंजमं परियाणामि संजमं उवसंपज्जामि अबंभं परियाणामि बंभ उवसंपज्जामि अकप्पं परियाणामि कप्पं उवसंपज्जामि अन्नाणं परियाणामि नाणं उवसंपज्जामि अकिरियं परियाणामि किरियं उवसंपज्जामि मिच्छत्तं परियाणामि सम्मत्तं उवसंपज्जामि अबोहिं परियाणामि बोहिं उवसंपज्जामि अमग्गं परियाणामि मग्गं उवसंपज्जामि

Translated Sutra: उस धर्म की मैं श्रद्धा करता हूँ, प्रीति के रूप से स्वीकार करता हूँ, उस धर्म को ज्यादा सेवन की रुचि – अभिलाषा करता हूँ। उस धर्म की पालना – स्पर्शना करता हूँ। अतिचार से रक्षा करता हूँ। पुनः पुनः रक्षा करता हूँ। उस धर्म की श्रद्धा, प्रीति, रुचि, स्पर्शना, पालन, अनुपालन करते हुए मैं केवलि कथित धर्म की आराधना करने
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 33 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जं संभरामि जं च न संभरामि, जं पडिक्कमामि जं च न पडिक्कमामि, तस्स सव्वस्स देवसियस्स अइयारस्स पडिक्कमामि समणोहं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय-पावकम्मो अनियाणो दिट्ठिसंपन्नो मायामोस-विवज्जओ।

Translated Sutra: (सभी दोष की शुद्धि के लिए कहा है) जो कुछ थोड़ा सा भी मेरी स्मृतिमें है, छद्मस्थपन से स्मृतिमें नहीं है, ज्ञात वस्तु का प्रतिक्रमण किया और सूक्ष्म का प्रतिक्रमण न किया उस अनुसार जो अतिचार लगा हो वो सभी दिन सम्बन्धी अतिचार का मैं प्रतिक्रमण करता हूँ। इस प्रकार अशुभ प्रवृत्ति का त्याग करके मैं तप – संयम रत साधु हूँ।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 34 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पन्नरससु कम्मभूमीसु जावंत केई साहू रयहरण-गुच्छ-पडिग्गहधरा पंचमहव्वयधरा अट्ठारस सहस्स सीलंगधरा अक्खयायारचरित्ता ते सव्वे सिरसा मणसा मत्थएण वंदामि।

Translated Sutra: ढ़ाई द्वीप में यानि दो द्वीप, दो समुद्र और अर्ध पुष्करावर्त द्वीप के लिए जो ५ – भारत, ५ – ऐरावत, ५ – महा विदेह रूप १५ कर्मभूमि में जो किसी साधु रजोहरण, गुच्छा और पात्र आदि को धारण करनेवाले, पाँच महाव्रत में परिणाम की बढ़ती हुई धारावाले, अठ्ठारह हजार शीलांग को धारण करनेवाले, अतिचार से जिसका स्वरूप दुषित नहीं हुआ है
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 35 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] खामेमि सव्वजीवे सव्वे जीवा खमंतु मे । भित्ती मे सव्वभूएसु वेरं मज्झ न केणई ॥

Translated Sutra: सभी जीव को मैं खमाता हूँ। सर्व जीव मुझे क्षमा करो और सर्व जीव के साथ मेरी मैत्री है। मुझे किसी के साथ वैर नहीं है। उस अनुसार मैंने अतिचार की निन्दा की है आत्मसाक्षी से उस पाप पर्याय की निंदा – गर्हा की है, उस पाप प्रवृत्ति की दुगंछा की है, इस प्रकार से किए गए – हुए पाप व्यापार को सम्यक्‌, मन, वचन, काया से प्रतिक्रमता
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 36 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एवमहं आलोइय निंदिय गरिहिय दुगंछिय सम्मं । तिविहेण पडिक्कंतो वंदामि जिणे चउवीसं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३५
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 37 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि करंतं पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: ‘करेमि भंते’ – पूर्व सूत्र २ में बताए अनुसार अर्थ समझना।
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 38 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि ठाइउं काउस्सग्गं जो मे देवसिओ अइयारो कओ काइओ वाइओ माणसिओ उस्सुत्तो उप्पग्गो अकप्पो अकरणिज्जो दुज्झाओ दुव्विचिंतिओ अणायारो अणिच्छियव्वो असमणपाउग्गो नाणे दंसणे चरित्ते सुए सामाइए तिण्हं गुत्तीणं चउण्हं कसायाणं पंचण्हं महव्वयाणं छण्हं जीवनिकायाणं सत्तण्हं पिंडसेणाणं अट्ठण्हं पवयणमाऊणं नवण्हं बंभचेरगुत्तीणं दसविहेसमणधम्मे समणाणं जोगाणं जं खंडियं जं विराहियं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: मैं कायोत्सर्ग में स्थिर होना चाहता हूँ। मैंने दिन के सम्बन्धी किसी भी अतिचार का सेवन किया हो। (यह अतिचार सेवन किस तरह से ? देखो सूत्र – १५)
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 39 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहीकरणेणं विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउसग्गं। ------------------------------------------------ अन्नत्थ ऊससिएणं नीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्डएणं वायनिसग्गेणं भमलीए पित्तमुच्छाए सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि तावकायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: वो (ईयापथिकी विराधना के परिणाम से उत्पन्न होनेवाला) पापकर्म का पूरी तरह से नाश करने के लिए, प्रायश्चित्त करने से, विशुद्धि करने के द्वारा, शल्य रहित करने के द्वारा और तद्‌ रूप उत्तरक्रिया करने के लिए यानि आलोचना – प्रतिक्रमण आदि से पुनः संस्करण करने के लिए मैं कायोत्सर्ग में स्थिर होता हूँ। ‘‘अन्नत्थ’’ के
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 40 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोगस्स उज्जोयगरे धम्मतित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं चउवीसंपि केवली ॥

Translated Sutra: ‘लोगस्स उज्जोअगरे’ – इन सात गाथा का अर्थ पूर्व सूत्र ३ से ९ अनुसार समझना। सूत्र – ४०–४६
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 41 Gatha Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उसभमजियं च वंदे संभवमभिनंदणं च सुमइं च । पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ४०
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