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Global Search for JAIN Aagam & ScripturesScripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Anuyogdwar | अनुयोगद्वारासूत्र | Ardha-Magadhi |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Hindi | 45 | Sutra | Chulika-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोइयं भावसुयं?
लोइयं भावसुयं–जं इमं अन्नाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मइ-विगप्पियं, तं जहा–
भारहं २. रामायणं ३-४. हंभीमासुरुत्तं ५. कोडिल्लयं ६. घोडमुहं ७. सगभद्दियाओ ८. कप्पासियं ९. नागसुहुमं १०. कणगसत्तरी ११. वेसियं १२. वइसेसियं १३. बुद्धवयणं १४. काविलं १५. लोगायतं १६. सट्ठितंतं १७. माढरं १८. पुराणं १९. वागरणं २०. नाडगादि। अहवा बावत्तरिकलाओ चत्तारि वेया संगोवंगा।
से तं लोइयं भावसुयं। Translated Sutra: लौकिक (नोआगम) भावश्रुत क्या है ? अज्ञानी मिथ्यादृष्टियों द्वारा अपनी स्वच्छन्द बुद्धि और मति से रचित महाभारत, रामायण, भीमासुरोक्त, अर्थशास्त्र, घोटकमुख, शटकभद्रिका, कार्पासिक, नागसूत्र, कनकसप्तति, वैशेकिशास्त्र, बौद्धशास्त्र, कामशास्त्र, कपिलशास्त्र, लोकायतशास्त्र, षष्ठितंत्र, माठरशास्त्र, पुराण, व्याकरण, | |||||||||
Anuyogdwar | अनुयोगद्वारासूत्र | Ardha-Magadhi |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Hindi | 251 | Sutra | Chulika-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कम्मनामे? कम्मनामे–दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए कोलालिए।
से तं कम्मनामे।
से किं तं सिप्पनामे? सिप्पनामे–वत्थिए तंतिए तुन्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे। से तं सिप्पनामे।
से किं तं सिलोगनामे? सिलोगनामे–समणे माहणे सव्वातिही। से तं सिलोगनामे।
से किं तं संजोगनामे? संजोगनामे–रण्णो ससुरए, रण्णो जामाउए, रण्णो साले, रण्णो भाउए, रण्णो भगिणीवई से तं संजोगनामे।
से किं तं समीवनामे? समीवनामे–गिरिस्स समीवे नगरं गिरिनगरं, विदिसाए समीवे नगरं वेदिसं, वेन्नाए समीवे Translated Sutra: कर्मनाम क्या है ? दौष्यिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैचारिक, भांडवैचारि, कौलालिक, ये सब कर्म – निमित्तज नाम हैं। तौन्निक तान्तुवायिक, पाट्टकारिक, औद्वृत्तिक, वारुंटिक मौञ्जकारिक, काष्ठकारिक छात्रकारिक वाह्यकारिक, पौस्तकारिक चैत्रकारिक दान्तकारिक लैप्यकारिक शैलकारिक कौटिटमकारिक। यह शिल्पनाम हैं। सभी | |||||||||
Anuyogdwar | અનુયોગદ્વારાસૂત્ર | Ardha-Magadhi |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Gujarati | 251 | Sutra | Chulika-02 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कम्मनामे? कम्मनामे–दोसिए सोत्तिए कप्पासिए भंडवेयालिए कोलालिए।
से तं कम्मनामे।
से किं तं सिप्पनामे? सिप्पनामे–वत्थिए तंतिए तुन्नाए तंतुवाए पट्टकारे देअडे वरुडे मुंजकारे कट्ठकारे छत्तकारे वज्झकारे पोत्थकारे चित्तकारे दंतकारे लेप्पकारे कोट्टिमकारे। से तं सिप्पनामे।
से किं तं सिलोगनामे? सिलोगनामे–समणे माहणे सव्वातिही। से तं सिलोगनामे।
से किं तं संजोगनामे? संजोगनामे–रण्णो ससुरए, रण्णो जामाउए, रण्णो साले, रण्णो भाउए, रण्णो भगिणीवई से तं संजोगनामे।
से किं तं समीवनामे? समीवनामे–गिरिस्स समीवे नगरं गिरिनगरं, विदिसाए समीवे नगरं वेदिसं, वेन्नाए समीवे Translated Sutra: [૧] કર્મનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? કર્મનામ તદ્ધિતના ઉદાહરણ છે – દૌષ્યિક – વસ્ત્રના વેપારી, સૌત્રિક – સૂતરના વેપારી, કાર્પાસિક – કપાસના વેપારી, સૂત્રવૈયાલિક – સૂતર વેચનાર, ભાંડવૈયાલિક – વાસણ વેચનાર, કૌલાલિક – માટીના વાસણ વેચનાર. આ સર્વ તદ્ધિત કર્મનામ છે. [૨] શિલ્પ નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? શિલ્પનામ તદ્ધિતના ઉદાહરણ | |||||||||
Nandisutra | नन्दीसूत्र | Ardha-Magadhi |
नन्दीसूत्र |
Hindi | 135 | Sutra | Chulika-01 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मिच्छसुयं?
मिच्छसुयं–जं इमं अन्नाणिएहिं मिच्छदिट्ठिहिं सच्छंदबुद्धि-मइ-विगप्पियं, तं जहा–
१ भारहं २ रामायणं ३-४ हंभीमासुरुत्तं ५ कोडिल्लयं ६ सगभद्दियाओ ७ घोडमुहं ८ कप्पासियं ९ नागसुहुमं १० कणगसत्तरी ११ वइसेसियं १२ बुद्धवयणं १३ वेसियं १४ काविलं १५ लोगाययं १६ सट्ठितंतं १७ माढरं १८ पुराणं १९ वागरणं २० नाडगादि।
अहवा– बावत्तरिकलाओ चत्तारि य वेया संगोवंगा। एयाइं मिच्छदिट्ठिस्स मिच्छत्त-परिग्ग-हियाइं मिच्छसुयं। एयाइं चेव सम्म-दिट्ठिस्स सम्मत्त-परिग्गहियाइं सम्मसुयं।
अहवा–मिच्छदिट्ठिस्स वि एयाइं चेव सम्मसुयं। कम्हा? सम्मत्तहेउत्तणओ। जम्हा ते Translated Sutra: – मिथ्याश्रुत का स्वरूप क्या है ? मिथ्याश्रुत अज्ञानी एवं मिथ्यादृष्टियों द्वारा स्वच्छंद और विपरीत बुद्धि द्वारा कल्पित किये हुए ग्रन्थ हैं, यथा – भारत, रामायण, भीमासुरोक्त, कौटिल्य, शकटभद्रिका, घोटकमुख, कार्पासिक, नाग – सूक्ष्म, कनकसप्तति, वैशेषिक, बुद्धवचन, त्रैराशिक, कापिलीय, लोकायत, षष्टितंत्र, माठर, | |||||||||
Nandisutra | નન્દીસૂત્ર | Ardha-Magadhi |
नन्दीसूत्र |
Gujarati | 135 | Sutra | Chulika-01 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मिच्छसुयं?
मिच्छसुयं–जं इमं अन्नाणिएहिं मिच्छदिट्ठिहिं सच्छंदबुद्धि-मइ-विगप्पियं, तं जहा–
१ भारहं २ रामायणं ३-४ हंभीमासुरुत्तं ५ कोडिल्लयं ६ सगभद्दियाओ ७ घोडमुहं ८ कप्पासियं ९ नागसुहुमं १० कणगसत्तरी ११ वइसेसियं १२ बुद्धवयणं १३ वेसियं १४ काविलं १५ लोगाययं १६ सट्ठितंतं १७ माढरं १८ पुराणं १९ वागरणं २० नाडगादि।
अहवा– बावत्तरिकलाओ चत्तारि य वेया संगोवंगा। एयाइं मिच्छदिट्ठिस्स मिच्छत्त-परिग्ग-हियाइं मिच्छसुयं। एयाइं चेव सम्म-दिट्ठिस्स सम्मत्त-परिग्गहियाइं सम्मसुयं।
अहवा–मिच्छदिट्ठिस्स वि एयाइं चेव सम्मसुयं। कम्हा? सम्मत्तहेउत्तणओ। जम्हा ते Translated Sutra: મિથ્યાશ્રુતનું સ્વરૂપ કેવું છે ? અજ્ઞાની અને મિથ્યાદૃષ્ટિઓ દ્વારા સ્વચ્છંદ અને વિપરીત બુદ્ધિ વડે કલ્પિત કરેલ ગ્રંથ મિથ્યાશ્રુત છે, જેમ કે – ૧. મહાભારત ૨. રામાયણ ૩. ભીમાસુરોક્ત ૪. કૌટિલ્ય ૫. શકટભદ્રિકા ૬. ઘોટક મુખ ૭. કાર્પાસિક ૮. નાગ – સૂક્ષ્મ ૯. કનકસપ્તતિ ૧૦. વૈશેષિક ૧૧. બુદ્ધવચન ૧૨. ત્રેરાશિક ૧૩. કાપિલીય ૧૪. લોકાયત | |||||||||
Pragnapana | प्रज्ञापना उपांग सूत्र | Ardha-Magadhi |
पद-२ स्थान |
Hindi | 175 | Sutra | Upang-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] से त्तं जातिआरिया।
से किं तं कुलारिया? कुलारिया छव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–उग्गा भोगा राइण्णा इक्खागा नाता कोरव्वा। से त्तं कुलारिया।
से किं तं कम्मारिया? कम्मारिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–दोस्सिया सोत्तिया कप्पासिया मुत्तवयालिया भंडवेयालिया कोलालिया नरदावणिया। जे यावन्ने तहप्पगारा।
से त्तं कम्मायरिया।
से किं तं सिप्पारिया? सिप्पारिया अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–तुन्नागा तंतुवाया पट्टयारा देयडा वरुट्टा छव्विया कट्ठपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा पोत्थारा लेप्पारा चित्तारा दंतारा भंडारा जिब्भगारा सेल्लरा कोडिगारा। जे यावन्ने तहप्पगारा।
से Translated Sutra: यह हुआ जात्यार्यों का निरूपण। कुलार्य छह प्रकार के हैं। उग्र, भोग, राजन्य, इक्ष्वाकु, ज्ञात और कौरव्य। कर्मार्य अनेक प्रकारके हैं। दोषिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैतालिक, भाण्डवैतालिक, कौलालिक और नरवाहनिक। इसी प्रकार के अन्य जितने भी हों, उन्हें कर्मार्य समझना। शिल्पार्य अनेक प्रकार के हैं। तुन्नाक, दर्जी, | |||||||||
Pragnapana | પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
पद-२ स्थान |
Gujarati | 167 | Gatha | Upang-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [गाथा] रायगिह मगह चंपा, अंगा तह तामलित्ति बंगा य ।
कंचणपुरं कलिंगा, वाणारसिं चेव कासी य ॥ Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૬૭. રાજગૃહ – મગધ, ચંપા – અંગ, તામલિપ્તી – બંગ, કંચનપુર – કલિંગ, વાણારસી – કાશી, સૂત્ર– ૧૬૮. સાકેત – કોશલ, ગજપુર – કુરુ, શૌરિય – કુશાર્ત્ત, કાંપિલ્ય – પંચાલ, અહિચ્છત્રા – જંગલ, સૂત્ર– ૧૬૯. દ્વારાવતી – સૌરાષ્ટ્ર, મિથિલા – વિદેહ, વત્સ – કૌશાંબી, નંદિપુર – શાંડિલ્ય, ભદ્દિલપુર – મલય, સૂત્ર– ૧૭૦. વરાટ – વત્સ, વરણ – |