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Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-२

उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक Hindi 135 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तहारूवं णं भंते! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला पज्जुवासणा? गोयमा! सवणफला। से णं भंते! सवणे किंफले? नाणफले। से णं भंते! नाणे किंफले? विन्नाणफले। से णं भंते! विण्णाणे किंफले? पच्चक्खाणफले। से णं भंते! पच्चक्खाणे किंफले? संजमफले। से णं भंते! संजमे किंफले? अणण्हयफले। से णं भंते! अणण्हए किंफले? तवफले। से णं भंते! तवे किंफले? वोदाणफले। से णं भंते! वोदाणे किंफले? अकिरियाफले। सा णं भंते! अकिरिया किंफला? सिद्धिपज्जवसाणफला–पन्नत्ता गोयमा!

Translated Sutra: भगवन्‌ ! तथारूप श्रमण या माहन की पर्युपासना करने वाले मनुष्य को उसकी पर्युपासना का क्या फल मिलता है ? गौतम ! तथारूप श्रमण या माहन के पर्युपासक को उसकी पर्युपासना का फल होता है – श्रवण। भगवन्‌ ! उस श्रवण का क्या फल होता है ? गौतम ! श्रवण का फल ज्ञान है। भगवन्‌ ! उन ज्ञान का क्या फल है ? गौतम ! ज्ञान का फल विज्ञान है। भगवन्‌
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-२

उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक Hindi 136 Gatha Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सवणे नाणे य विन्नाणे, पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हए तवे चेव, वोदाने अकिरिया सिद्धी ॥

Translated Sutra: (पर्युपासना का प्रथम फल) श्रवण, (श्रवण का फल) ज्ञान, (ज्ञान का फल) विज्ञान, (विज्ञान का फल) प्रत्याख्यान, (प्रत्याख्यान का फल) संयम, (संयम का फल) अनाश्रवत्व, (अनाश्रवत्व का फल) तप, (तप का फल) व्यवदान, (व्यवदान का फल) अक्रिया और (अक्रिया का फल) सिद्धि है।
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-२

उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक Gujarati 135 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तहारूवं णं भंते! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला पज्जुवासणा? गोयमा! सवणफला। से णं भंते! सवणे किंफले? नाणफले। से णं भंते! नाणे किंफले? विन्नाणफले। से णं भंते! विण्णाणे किंफले? पच्चक्खाणफले। से णं भंते! पच्चक्खाणे किंफले? संजमफले। से णं भंते! संजमे किंफले? अणण्हयफले। से णं भंते! अणण्हए किंफले? तवफले। से णं भंते! तवे किंफले? वोदाणफले। से णं भंते! वोदाणे किंफले? अकिरियाफले। सा णं भंते! अकिरिया किंफला? सिद्धिपज्जवसाणफला–पन्नत्ता गोयमा!

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૩૫. ભગવન્‌ ! તથારૂપ શ્રમણ કે બ્રાહ્મણની પર્યુપાસના કરનારને પર્યુપાસનાનું ફળ શું ? ગૌતમ ! પર્યુપાસનાનું ફળ શાસ્ત્ર શ્રવણ છે. ભગવન્‌ ! શ્રવણનું ફળ શું? – ગૌતમ! શ્રવણનું ફળ જ્ઞાન છે. ભગવન્‌ ! જ્ઞાનનું શું ફળ છે? – ગૌતમ! જ્ઞાનનું ફળવિજ્ઞાન છે. ભગવન્‌ ! વિજ્ઞાનનું ફળ શું છે? – ગૌતમ! વિજ્ઞાનનું ફળ પચ્ચક્‌ખાણ છે. ભગવન્‌
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-२

उद्देशक-५ अन्यतीर्थिक Gujarati 136 Gatha Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सवणे नाणे य विन्नाणे, पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हए तवे चेव, वोदाने अकिरिया सिद्धी ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૩૫
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 74 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अब्भोरुह वोडाणे, हरितग तंदुलेज्जग तणे य । वत्थुल पोरग मज्जार, पाइ बिल्ली य पालक्का ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ७३
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 74 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अब्भोरुह वोडाणे, हरितग तंदुलेज्जग तणे य । वत्थुल पोरग मज्जार, पाइ बिल्ली य पालक्का ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૩૮
Sthanang स्थानांग सूत्र Ardha-Magadhi

स्थान-३

उद्देशक-३ Hindi 203 Sutra Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तहारूवं णं भंते! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला पज्जुवासणया? सवणफला। से णं भंते! सवने किंफले? नाणफले। से णं भंते! नाणे किंफले ? विन्नाणफले। से णं भंते! विन्नाणे किंफले? पच्चक्खाणफले। से णं भंते! पच्चक्खाणे किंफले? संजमफले। से णं भंते! संजमे किंफले? अणण्हयफले। से णं भंते! अणण्हए किंफले? तवफले। से णं भंते! तवे किंफले? वोदानफले। से णं भंते! वोदाने किंफले? अकिरियफले। सा णं भंते! अकिरिया किंफला? निव्वाणफला। से णं भंते! निव्वाणे किंफले ? सिद्धिगइ-गमण-पज्जवसाण-फले समणाउसो!

Translated Sutra: श्री गौतम स्वामी भगवान महावीर से पूछते हैं – हे भगवन्‌ ! तथारूप श्रमण माहन की सेवा करने वाले को सेवा का क्या फल मिलता है ? भगवान बोले – हे गौतम ! उसे धर्मश्रवण करने का फल मिलता है। हे भगवन्‌ ! धर्म श्रवण करने का क्या फल होता है ? धर्मश्रवण करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। हे भगवन्‌ ! ज्ञान का फल क्या है? हे गौतम ! ज्ञान
Sthanang स्थानांग सूत्र Ardha-Magadhi

स्थान-३

उद्देशक-३ Hindi 204 Gatha Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सवने नाणे य विन्नाणे पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हणे तवे चेव वोदाणे अकिरिय निव्वाणे ॥

Translated Sutra: श्रवण का फल ज्ञान, ज्ञान का फल विज्ञान, विज्ञान का फल प्रत्याख्यान, प्रत्याख्यान का फल संयम, संयम का फल अनाश्रव, अनाश्रव का फल ‘तप’ तप का फल व्यवदान, व्यवदान का फल अक्रिया। अक्रिया का फल निर्वाण है। हे भगवन्‌ ! निर्वाण का क्या फल है ? हे श्रमणायुष्मन्‌ ! सिद्धगति में जाना ही निर्वाण का सर्वान्तिम प्रयोजन है।
Sthanang સ્થાનાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

स्थान-३

उद्देशक-३ Gujarati 203 Sutra Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तहारूवं णं भंते! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला पज्जुवासणया? सवणफला। से णं भंते! सवने किंफले? नाणफले। से णं भंते! नाणे किंफले ? विन्नाणफले। से णं भंते! विन्नाणे किंफले? पच्चक्खाणफले। से णं भंते! पच्चक्खाणे किंफले? संजमफले। से णं भंते! संजमे किंफले? अणण्हयफले। से णं भंते! अणण्हए किंफले? तवफले। से णं भंते! तवे किंफले? वोदानफले। से णं भंते! वोदाने किंफले? अकिरियफले। सा णं भंते! अकिरिया किंफला? निव्वाणफला। से णं भंते! निव्वाणे किंफले ? सिद्धिगइ-गमण-पज्जवसाण-फले समणाउसो!

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૦૩. હે ભગવન્‌ ! તથારૂપ શ્રમણ માહન પ્રત્યે સેવા કરનારને તે સેવાનું શું ફળ છે? ‘શ્રવણફળ.’ હે ભગવન્‌! તે શ્રવણનું શું ફળ છે ? ‘જ્ઞાન – ફળ.’ હે ભગવન્‌ ! જ્ઞાનનું શું ફળ છે ? ‘વિજ્ઞાન – ફળ.’ આ અભિલાપ વડે જણાવાતી આ ગાથા જાણી લેવી જોઈએ – સૂત્ર– ૨૦૪. શ્રવણનું ફળ જ્ઞાન છે, જ્ઞાનનું ફળ વિજ્ઞાન, વિજ્ઞાનનું ફળ પચ્ચક્ખાણ,
Sthanang સ્થાનાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

स्थान-३

उद्देशक-३ Gujarati 204 Gatha Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सवने नाणे य विन्नाणे पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हणे तवे चेव वोदाणे अकिरिय निव्वाणे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૦૩
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम

Hindi 1113 Sutra Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं अयमट्ठे एवमाहिज्जइ, तं जहा– संवेगे १ निव्वेए २ धम्मसद्धा ३ गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया ४ आलोयणया ५ निंदणया ६ गरहणया ७ सामाइए ८ चउव्वीसत्थए ९ वंदणए १० पडिक्कमणे ११ काउस्सग्गे १२ पच्चक्खाणे १३ थवथुइमंगले १४ कालपडिलेहणया १५ पायच्छित्तकरणे १६ खमावणया १७ सज्झाए १८ वायणया १९ पडिपुच्छणया २० परियट्टणया २१ अणुप्पेहा २२ धम्मकहा २३ सुयस्स आराहणया २४ एगग्गमण-सन्निवेसणया २५ संजमे २६ तवे २७ वोदाणे २८ सुहसाए २९ अप्पडिबद्धया ३० विवित्तसयणासणसेवणया ३१ विणियट्टणया ३२ संभोगपच्चक्खाणे ३३ उवहिपच्चक्खाणे ३४ आहारपच्चक्खाणे ३५ कसायपच्चक्खाणे ३६ जोगपच्चक्खाणे ३७ सरीरपच्चक्खाणे

Translated Sutra: उसका यह अर्थ है, जो इस प्रकार कहा जाता है। जैसे कि – संवेग, निर्वेद, धर्म श्रद्धा, गुरु और साधर्मिक की शुश्रृषा, आलोचना, निन्दा, गर्हा, सामायिक, चतुर्विंशतिस्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग, प्रत्याख्यान, स्तव – स्तुति – मंगल, कालप्रतिलेखना, प्रायश्चित्त, क्षमापना, स्वाध्याय, वाचना, प्रतिप्रच्छना, परावर्तना,
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम

Hindi 1141 Sutra Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] वोदाणेणं भंते! जीवे किं जणयइ? वोदाणेणं अकिरियं जणयइ। अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाएइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ।

Translated Sutra: भन्ते ! व्यवदान से जीव को क्या प्राप्त होता है ? व्यवदान से जीव को अक्रिया प्राप्त होती है। अक्रिय होने से वह सिद्ध होता है, बुद्ध होता है, मुक्त होता है, परिनिर्वाण को प्राप्त होता है, सब दुःखों का अन्त करता है।
Uttaradhyayan ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम

Gujarati 1113 Sutra Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स णं अयमट्ठे एवमाहिज्जइ, तं जहा– संवेगे १ निव्वेए २ धम्मसद्धा ३ गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया ४ आलोयणया ५ निंदणया ६ गरहणया ७ सामाइए ८ चउव्वीसत्थए ९ वंदणए १० पडिक्कमणे ११ काउस्सग्गे १२ पच्चक्खाणे १३ थवथुइमंगले १४ कालपडिलेहणया १५ पायच्छित्तकरणे १६ खमावणया १७ सज्झाए १८ वायणया १९ पडिपुच्छणया २० परियट्टणया २१ अणुप्पेहा २२ धम्मकहा २३ सुयस्स आराहणया २४ एगग्गमण-सन्निवेसणया २५ संजमे २६ तवे २७ वोदाणे २८ सुहसाए २९ अप्पडिबद्धया ३० विवित्तसयणासणसेवणया ३१ विणियट्टणया ३२ संभोगपच्चक्खाणे ३३ उवहिपच्चक्खाणे ३४ आहारपच्चक्खाणे ३५ कसायपच्चक्खाणे ३६ जोगपच्चक्खाणे ३७ सरीरपच्चक्खाणे

Translated Sutra: તેનો આ અર્થ છે, જે આ પ્રમાણે કહેવાય છે – ૧. સંવેગ, ૨. નિર્વેદ, ૩. ધર્મશ્રદ્ધા, ૪. ગુરુ અને સાધર્મિક શુશ્રૂષા, ૫. આલોચના, ૬. નિંદા, ૭. ગર્હા, ૮. સામાયિક, ૯. ચતુર્વિંશતિ સ્તવ, ૧૦. વંદન, ૧૧. પ્રતિક્રમણ, ૧૨. કાયોત્સર્ગ, ૧૩. પચ્ચક્‌ખાણ, ૧૪. સ્તવ, સ્તુતિ મંગલ, ૧૫. કાળ પ્રતિલેખના, ૧૬. પ્રાયશ્ચિત્તકરણ, ૧૭. ક્ષમાપના, ૧૮. સ્વાધ્યાય, ૧૯.
Uttaradhyayan ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર Ardha-Magadhi

अध्ययन-२९ सम्यकत्व पराक्रम

Gujarati 1141 Sutra Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] वोदाणेणं भंते! जीवे किं जणयइ? वोदाणेणं अकिरियं जणयइ। अकिरियाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाएइ सव्वदुक्खाणमंतं करेइ।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! વ્યવદાનથી જીવને શું પ્રાપ્ત થાય છે ? વ્યવદાનથી જીવને અક્રિયા પ્રાપ્ત થાય છે. અક્રિય થયા પછી તે સિદ્ધ થાય છે, બુદ્ધ થાય છે, મુક્ત થાય છે, પરિનિર્વાણને પામે છે અને બધા દુઃખોનો અંત કરે છે.
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