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Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-९ उपधान श्रुत

उद्देशक-१ चर्या Hindi 276 Gatha Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुढविं च आउकायं, तेउकायं च वाउकायं च । पणगाइं बीय-हरियाइं, तसकायं च सव्वसो नच्चा ॥

Translated Sutra: पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, निगोद – शैवाल आदि, बीज और नाना प्रकार की हरी वनस्पति एवं त्रसकाय – इन्हें सब प्रकार से जानकर। ‘ये अस्तित्ववान्‌ है’ यह देखकर ‘ये चेतनावान्‌ है’ यह जानकर उनके स्वरूप को भलीभाँति अवगत करके वे उनके आरम्भ का परित्याग करके विहार करते थे। सूत्र – २७६, २७७
Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-१

अध्ययन-१ पिंडैषणा

उद्देशक-४ Hindi 356 Sutra Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए अणु पविट्ठे समाणे सेज्जं पुण जाणेज्जा–मंसादियं वा, मच्छादियं वा, मंसं-खलं वा, मच्छ-खलं वा, आहेणं वा, पहेणं वा, हिंगोलं वा, संमेलं वा हीरमाणं पेहाए, अंतरा से मग्गा बहुपाणा बहुबीया बहुहरिया बहुओसा बहुउदया बहुउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-मक्कडासंताणगा, बहवे तत्थ समण-माहण-अतिथि-किवण-वणीमगा उवागता उवागमिस्संति, तत्थाइण्णावित्ती। नो पण्णस्स निक्खमण-पवेसाए, नो पण्णस्स वायण-पुच्छण-परिय-ट्टणाणुपेह-धम्माणुओगचिंताए। सेवं नच्चा तहप्पगारं पुरे-संखडिं वा, पच्छा-संखडिं वा, संखडिं संखडि-पडियाए नो अभिसंधारेज्ज गमणाए। से भिक्खू

Translated Sutra: गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए प्रवेश करते समय भिक्षु या भिक्षुणी यह जो कि इस संखड़ि के प्रारम्भ में माँस या मत्स्य पकाया जा रहा है, अथवा माँस या मत्स्य छीलकर सूखाया जा रहा है; विवाहोत्तर काल में नववधू के प्रवेश या पितृगृह में वधू के पुनः प्रवेश के उपलक्ष्य में भोज हो रहा है, या मृतक – सम्बन्धी भोज हो रहा है, अथवा
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१९

उद्देशक-३ पृथ्वी Hindi 762 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं बादराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिओयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा २. सुहुमवाउ- क्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्त-गस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४. सुहुमआउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ५. सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखे-ज्जगुणा ६. बादर-वाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन सूक्ष्म – बादर, पर्याप्तक – अपर्याप्तक, पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहनाओं में से किसकी अवगाहना किसकी अवगाहना से अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होती है ? गौतम ! सबसे अल्प, अपर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद की जघन्य अव – गाहना है। उससे असंख्यगुणी
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-२५

उद्देशक-५ पर्यव Hindi 896 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविहा णं भंते! निओदा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा निओदा पन्नत्ता, तं जहा–निओयगा य, निओयगजीवा य। निओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सुहुमनिगोदा य, बायरनिओदा य। एवं निओदा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! निगोद कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! दो प्रकार के – निगोद और निगोदजीव। भगवन्‌ ! ये निगोद कितने प्रकार के कहे हैं ? गौतम ! दो प्रकार के – सूक्ष्मनिगोद और बादरनिगोद। इस प्रकार निगोद को जीवाभिगमसूत्र अनुसार जानना।
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१९

उद्देशक-३ पृथ्वी Gujarati 762 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं बादराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिओयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा २. सुहुमवाउ- क्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्त-गस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४. सुहुमआउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ५. सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखे-ज्जगुणा ६. बादर-वाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ સૂક્ષ્મ – બાદર, પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તા પૃથ્વી – અપ્‌ – તેઉ – વાયુ અને વનસ્પતિકાયિક જીવોની જઘન્ય અને ઉત્કૃષ્ટ અવગાહનાઓમાંથી કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! ૧. સૌથી થોડી અપર્યાપ્તા સૂક્ષ્મ નિગોદની જઘન્ય અવગાહના, ૨. અપર્યાપ્તા સૂક્ષ્મ વાયુકાયિકની જઘન્યા અવગાહના અસંખ્યાતગણી, ૩. અપર્યાપ્તા
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-२५

उद्देशक-५ पर्यव Gujarati 896 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविहा णं भंते! निओदा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा निओदा पन्नत्ता, तं जहा–निओयगा य, निओयगजीवा य। निओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सुहुमनिगोदा य, बायरनिओदा य। एवं निओदा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૮૯૬. ભગવન્‌ ! નિગોદ કેટલા છે ? ગૌતમ! બે ભેદે છે. તે આ – નિગોદ અને નિગોદ જીવ. ભગવન્‌ ! નિગોદ, કેટલા ભેદે છે ? ગૌતમ ! બે ભેદે – સૂક્ષ્મ નિગોદ અને બાદર નિગોદ. એ પ્રમાણે નિગોદને જેમ જીવાભિગમમાં કહ્યા, તેમ સંપૂર્ણ કહેવા. સૂત્ર– ૮૯૭. ભગવન્‌ ! નામ કેટલા ભેદે છે ? છ ભેદે છે – ઔદયિક યાવત્‌ સંનિપાતિક. તે ઔદયિક નામ શું છે ? તે
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 352 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं। एवं जाव सुहुमणिओयस्स, एवं अपज्जत्तगाणवि, पज्जत्तगाणवि जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! सूक्ष्म जीवों की स्थिति कितनी है? गौतम! जघन्य व उत्कृष्ट से भी अन्तर्मुहूर्त्त। इसी प्रकार सूक्ष्म निगोदपर्यन्त कहना। इस प्रकार सूक्ष्मों के पर्याप्त – अपर्याप्तकों की जघन्य – उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त्त प्रमाण ही है।
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 353 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमे णं भंते! सुहुमेत्ति कालतो केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज-कालं जाव असंखेज्जा लोया। सव्वेसिं पुढविकालो जाव सुहुमणिओयस्स पुढविकालो। अपज्जत्त-गाणं सव्वेसिं जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं। एवं पज्जत्तगाणवि सव्वेसिं जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! सूक्ष्म, सूक्ष्मरूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त तक और उत्कृष्ट असंख्यातकाल तक रहता है। यह असंख्यातकाल असंख्येय उत्सर्पिणी – अवसर्पिणी रूप हैं तथा असंख्येय लोककाश के प्रदेशों के अपहारकाल के तुल्य है। इसी तरह सूक्ष्म पृथ्वीकाय अप्काय तेजस्काय वायुकाय वनस्पति काय की संचिट्ठणा
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 354 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमस्स णं भंते! केवतियं कालं अंतरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागो। सुहुमपुढविकाइयस्स णं भंते! केवतियं कालं अंतरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं जाव आवलियाए असंखेज्जतिभागे। एवं जाव वाऊ। सुहुमवणस्सति-सुहुमनिओगस्स अंतरं जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं जहा ओहियस्स अंतरं। एवं अपज्जत्ता-पज्जत्तगाणवि अंतरं।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! सूक्ष्म, सूक्ष्म से नीकलने के बाद फिर कितने समय में सूक्ष्मरूप से पैदा होता है ? यह अन्तराल कितना है ? गौतम ! जघन्य से अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कर्ष से असंख्येयकाल – असंख्यात उत्सर्पिणी – अवसर्पिणी काल रूप है तथा क्षेत्र से अंगुलासंख्येय भाग क्षेत्र में जितने आकाशप्रदेश हैं उन्हें प्रति समय एक – एक का
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 355 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एवं अप्पाबहुगं–सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुमआउवाऊ विसेसाहिया, सुहुमनिओया असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सतिकाइया अनंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया। एवं अपज्जत्तगाणं, पज्जत्तगाणवि एवं चेव। एतेसि णं भंते! सुहुमाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा सुहुमा अपज्जत्तगा, सुहुमा पज्जत्ता संखेज्जगुणा। एवं जाव सुहुमणिगोया। एएसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिओयाण य पज्जत्तापज्जत्ताण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया

Translated Sutra: अल्पबहुत्वद्वार इस प्रकार है – सबसे थोड़े सूक्ष्म तेजस्कायिक, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक विशेषाधिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म वायुकायिक क्रमशः विशेषाधिक, सूक्ष्म – निगोद असंख्येयगुण, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अनन्तगुण और सूक्ष्म विशेषाधिक हैं। सूक्ष्म अपर्याप्तों और सूक्ष्म पर्याप्तों का अल्पबहुत्व भी इसी क्रम
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 356 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बायरस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता एवं बायरतसकाइयस्सवि बायरपुढवीकाइयस्स बावीस वाससहस्साइं बायरआउस्स सत्तवाससहस्सं बायरतेउस्स तिन्नि राइंदिया बायरवाउस्स तिन्नि वाससहस्साइं बायरवण दस वाससहस्साइं एवं पत्तेयसरीरबादरस्सवि निओयस्स जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमु, एवं बायरनिओयस्सवि अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं अंतोमुहुत्तं पज्जत्तगाणं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा सव्वेसिं, बादरपुढविकाइयस्स बावीसं वाससहस्साइं, बादरआउकाइयस्स सत्त वाससहस्साइं, बादरतेउकाइयस्स तिन्नि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! बादर की स्थिति कितनी है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट तेंतीस सागरोपम। बादर त्रसकाय की भी यही स्थिति है। बादर पृथ्वीकाय की २२००० वर्ष की, बादर अप्कायिकों की ७००० वर्ष की, बादर तेजस्काय की तीन अहोरात्र की, बादर वायुकाय की ३००० वर्ष की और बादर वनस्पति की १०००० वर्ष की उत्कृष्ट स्थिति है।
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 357 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बायरे णं भंते! बायरेत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागो। बायरपुढविकाइयाआउतेउ वाउपत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स बायरनिओयस्स एतेसिं जहन्नेणं अंतोमुहूत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ संखातीयाओ समाओ अंगुलभागे तहा असंखेज्जा ओहे य वायरतरु अनुबंधो सेसओ वोच्छं, बादरपुढविसंचिट्ठणा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ जाव बादरवाऊ। बादरवणस्सतिकाइयस्स जहा ओहिओ। बादरपत्तेयवणस्सतिकाइयस्स जहा बादरपुढवी। निओते जहन्नेणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! बादर जीव, बादर के रूप में कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट से असंख्यातकाल – असंख्यात उत्सर्पिणी – अवसर्पिणियाँ हैं तथा क्षेत्र से अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्र के आकाशप्रदेशों का प्रतिसमय एक – एक के मान से अपहार करने पर जितने समय में वे निर्लेप हो जाएं, उतने
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 361 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बादरस्स णं भंते! केवतियं कालं अंतरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो। बादरपुढविकाइयस्स वणस्सतिकालो जाव बादरवाउकाइयस्स, बादरवणस्सतिकाइयस्स पुढविकालो, पत्तेयबादरवणस्सइकाइयस्स वणस्सतिकालो, णिओदो बादरणिओदो य जहा बादरो ओहिओ, बादरतसकाइयस्स वणस्सतिकालो। अपज्जत्ताणं पज्जत्ताणं च एसेव विही।

Translated Sutra: औघिक बादर, बादर वनस्पति, निगोद और बादर निगोद, इन चारों का अन्तर पृथ्वीकाल है, अर्थात्‌ असंख्यातकाल – असंख्यातकाल असंख्येय उत्सर्पिणी – अवसर्पिणी के बराबर है तथा क्षेत्रमार्गणा से असंख्येय लोकाकाश के प्रदेशों का प्रतिसमय एक – एक के मान से अपहार करने पर जितने समय में वे निर्लिप्त हो जायें, उतना कालप्रमाण जानना
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 362 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अप्पाबहुयाणि– सव्वत्थोवा बायरतसकाइया, बायरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादर-वणस्सतिकाइया असंखेज्जगुणा, बायरणिओया असंखेज्जगुणा, बायरपुढविकाइया असंखेज्ज-गुणा आउवाउकाइया असंखेज्जगुणा, बायरवणस्सतिकाइया अनंतगुणा, बायरा विसेसाहिया। एवं अपज्जत्तगाणवि। पज्जत्तगाणं सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया, बायरतसकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेगसरीरबायरा असंखेज्जगुणा, सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! बायराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्व त्थोवा बायरा पज्जत्ता, बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, एवं सव्वे

Translated Sutra: प्रथम औघिक अल्पबहुत्व – सबसे थोड़े बादर त्रसकाय, उनसे बादर तेजस्काय असंख्येयगुण, उनसे प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकाय असंख्येयगुण, उनसे बादर निगोद असंख्येयगुण, उनसे बादर पृथ्वीकाय असंख्येयगुण, उनसे बादर अप्काय, बादर वायुकाय क्रमशः असंख्येयगुण, उनसे बादर वनस्पतिकायिक अनन्तगुण, उनसे बादर विशेषाधिक। अपर्याप्त
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 363 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविधा णं भंते! निओदा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–निओदा य निओदजीवा य। निओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सुहुमनिओदा य बायरनिओदा य। सुहुमनिओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्ता य अपज्जत्ता य। बादरनिओदावि दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्ता य अपज्जत्ता य।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! निगोद कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के – निगोद और निगोदजीव। भगवन्‌ ! निगोद कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के – सूक्ष्म और बादर। भगवन्‌ ! सूक्ष्मनिगोद कितने प्रकार के हैं ? गौतम ! दो प्रकार के – पर्याप्तक और अपर्याप्तक। बादरनिगोद भी दो प्रकार के हैं – पर्याप्तक और अपर्याप्तक। भगवन्‌ ! निगोदजीव
Jivajivabhigam जीवाभिगम उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Hindi 364 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निओदा णं भंते! दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता अपज्जत्ता णं भंते! निओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। पज्जत्ता णं भंते! निओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। सुहुमनिओदा णं भंते! दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। अपज्जत्ता णं भंते! सुहुमनिओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। पज्जत्ता णं भंते! सुहुमनिओदा दव्वट्ठयाए

Translated Sutra: भगवन्‌ ! निगोद द्रव्य की अपेक्षा क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? गौतम ! असंख्यात हैं। इसी प्रकार इनके पर्याप्त और अपर्याप्त सूत्र भी कहना। भगवन्‌ ! सूक्ष्मनिगोद द्रव्य की अपेक्षा संख्यात हैं, असंख्यात हैं या अनन्त हैं ? गौतम ! असंख्यात हैं। इसी प्रकार पर्याप्त तथा अपर्याप्त सूत्र भी कहना। इसी
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 351 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अप्पाबहुयं- सव्वत्थोवा तसकाइया, तेउक्काइया असंखेज्जगुणा, पुढविकाइया विसेसाहिया, आउ-काइया विसेसाहिया, वाउक्काइया विसेसाहिया, वणस्सतिकाइया अनंतगुणा। एवं अपज्जत्तगावि पज्जत्तगावि। एतेसि णं भंते! पुढविकाइयाणं पज्जत्तगाण अपज्जत्तगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा पुढविकाइया अपज्जत्तगा, पुढविकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा। सव्वत्थोवा आउक्काइया अपज्जत्तगा, पज्जत्तगा संखेज्जगुणा जाव वणस्सतिकाइयावि। सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा, तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं जाव तसकाइयाणं पज्जत्तगअपज्जत्तगाण

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૫૧. સૌથી થોડા ત્રસકાયિક, તેઉકાયિક તેનાથી અસંખ્યાતગણા, પૃથ્વીકાયિક વિશેષાધિક, અપ્‌કાયિક વિશેષાધિક, વાયુકાયિક વિશેષાધિક, વનસ્પતિકાયિક અનંતગુણા એ પ્રમાણે અપર્યાપ્તક પણ જાણવા અને પર્યાપ્તક પણ જાણવા. ભગવન્‌ ! આ પર્યાપ્તા અને અપર્યાપ્તા પૃથ્વીકાયમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 353 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमे णं भंते! सुहुमेत्ति कालतो केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज-कालं जाव असंखेज्जा लोया। सव्वेसिं पुढविकालो जाव सुहुमणिओयस्स पुढविकालो। अपज्जत्त-गाणं सव्वेसिं जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं। एवं पज्जत्तगाणवि सव्वेसिं जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૫૩. ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મ, સૂક્ષ્મરૂપે કેટલો કાળ રહે છે ? ગૌતમ ! જઘન્ય અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટ અસંખ્યાતકાળ યાવત્‌ અસંખ્યાત લોક. બધામાં પૃથ્વીકાળ યાવત્‌ સૂક્ષ્મ નિગોદની પૃથ્વીકાળ કાયસ્થિતિ છે. બધા અપર્યાપ્ત સૂક્ષ્મોની કાયસ્થિતિ જઘન્ય અને ઉત્કૃષ્ટ અંતર્મુહૂર્ત્ત પ્રમાણ છે. એ રીતે બધા પર્યાપ્તાની પણ
Jivajivabhigam જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 355 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एवं अप्पाबहुगं–सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुमआउवाऊ विसेसाहिया, सुहुमनिओया असंखेज्जगुणा, सुहुमवणस्सतिकाइया अनंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया। एवं अपज्जत्तगाणं, पज्जत्तगाणवि एवं चेव। एतेसि णं भंते! सुहुमाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा सुहुमा अपज्जत्तगा, सुहुमा पज्जत्ता संखेज्जगुणा। एवं जाव सुहुमणिगोया। एएसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिओयाण य पज्जत्तापज्जत्ताण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया

Translated Sutra: અલ્પબહુત્વ આ પ્રમાણે છે – સૌથી થોડા સૂક્ષ્મ તેઉકાયિક, સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક વિશેષાધિક, સૂક્ષ્મ અપ્‌ – વાયુ વિશેષાધિક, સૂક્ષ્મ નિગોદ અસંખ્યાતગણા, સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક અનંતગુણા, સૂક્ષ્મ વિશેષાધિક, એ પ્રમાણે અપર્યાપ્તા – પર્યાપ્તા. ભગવન્‌ ! આ સૂક્ષ્મ પર્યાપ્તા – અપર્યાપ્તામાં કોણ – કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 356 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बायरस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता एवं बायरतसकाइयस्सवि बायरपुढवीकाइयस्स बावीस वाससहस्साइं बायरआउस्स सत्तवाससहस्सं बायरतेउस्स तिन्नि राइंदिया बायरवाउस्स तिन्नि वाससहस्साइं बायरवण दस वाससहस्साइं एवं पत्तेयसरीरबादरस्सवि निओयस्स जहन्नेणवि उक्कोसेणवि अंतोमु, एवं बायरनिओयस्सवि अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं अंतोमुहुत्तं पज्जत्तगाणं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा सव्वेसिं, बादरपुढविकाइयस्स बावीसं वाससहस्साइं, बादरआउकाइयस्स सत्त वाससहस्साइं, बादरतेउकाइयस्स तिन्नि

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! બાદરની કેટલી કાળ સ્થિતિ કહી છે ? ગૌતમ ! જઘન્ય અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટ ૩૩ – સાગરોપમ છે. એ રીતે બાદર ત્રસકાયિકની પણ છે. બાદર પૃથ્વીકાયિકની ૨૨,૦૦૦ વર્ષ, બાદર અપ્‌કાયની ૭૦૦૦ વર્ષ, બાદર તેઉકાયની ત્રણ અહોરાત્ર, બાદર વાયુકાયની ૩૦૦૦ વર્ષ, બાદર વનસ્પતિકાયની ૧૦,૦૦૦ વર્ષ, એ રીતે પ્રત્યેક શરીર બાદરની પણ છે. નિગોદની
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 357 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बायरे णं भंते! बायरेत्ति कालओ केवचिरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागो। बायरपुढविकाइयाआउतेउ वाउपत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स बायरनिओयस्स एतेसिं जहन्नेणं अंतोमुहूत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ संखातीयाओ समाओ अंगुलभागे तहा असंखेज्जा ओहे य वायरतरु अनुबंधो सेसओ वोच्छं, बादरपुढविसंचिट्ठणा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ जाव बादरवाऊ। बादरवणस्सतिकाइयस्स जहा ओहिओ। बादरपत्तेयवणस्सतिकाइयस्स जहा बादरपुढवी। निओते जहन्नेणं

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૫૭. ભગવન્‌ ! બાદર, બાદર રૂપે કેટલો કાળ રહે ? ગૌતમ ! જઘન્યથી અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટથી અસંખ્યકાળ – અસંખ્ય ઉત્સર્પિણી – અવસર્પિણીકાળથી, ક્ષેત્રથી અંગુલનો અસંખ્યાત ભાગ. બાદર પૃથ્વી – અપ્‌ – તેઉ – વાયુકાયિક, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક અને બાદર નિગોદની જઘન્યથી અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટ અસંખ્યેય
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 361 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बादरस्स णं भंते! केवतियं कालं अंतरं होति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो। बादरपुढविकाइयस्स वणस्सतिकालो जाव बादरवाउकाइयस्स, बादरवणस्सतिकाइयस्स पुढविकालो, पत्तेयबादरवणस्सइकाइयस्स वणस्सतिकालो, णिओदो बादरणिओदो य जहा बादरो ओहिओ, बादरतसकाइयस्स वणस्सतिकालो। अपज्जत्ताणं पज्जत्ताणं च एसेव विही।

Translated Sutra: ઔઘિક બાદર, બાદર વનસ્પતિ, નિગોદ, બાદર નિગોદ, આ ચારેનું અંતર પૃથ્વીકાલ યાવત્‌ અસંખ્યાત લોક છે. બાકીનાનું વનસ્પતિકાળ છે. એ પ્રમાણે પર્યાપ્તા અને અપર્યાપ્તાના અંતર પણ કહેવા. ઔઘિક બાદર વનસ્પતિકાય, ઔઘિક નિગોદ, બાદર નિગોદનું અસંખ્યાત કાળ અંતર છે. બાકીનાનું અંતર વનસ્પતિકાળ છે.
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 362 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अप्पाबहुयाणि– सव्वत्थोवा बायरतसकाइया, बायरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादर-वणस्सतिकाइया असंखेज्जगुणा, बायरणिओया असंखेज्जगुणा, बायरपुढविकाइया असंखेज्ज-गुणा आउवाउकाइया असंखेज्जगुणा, बायरवणस्सतिकाइया अनंतगुणा, बायरा विसेसाहिया। एवं अपज्जत्तगाणवि। पज्जत्तगाणं सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया, बायरतसकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेगसरीरबायरा असंखेज्जगुणा, सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! बायराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सव्व त्थोवा बायरा पज्जत्ता, बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, एवं सव्वे

Translated Sutra: ૧ સૌથી થોડા બાદર ત્રસકાયિક છે, બાદર તેઉકાયિક તેનાથી અસંખ્યાતગણા છે, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક તેનાથી અસંખ્યાતગણા છે. બાદર નિગોદ તેનાથી અસંખ્યાતગણા, બાદર પૃથ્વી અસંખ્યાતગણા, અપ્‌ – વાયુ તેનાથી અસંખ્યાતગણા છે, બાદર વનસ્પતિકાયિક તેનાથી અનંતગણા, બાદરો વિશેષાધિક છે. ૨ એ પ્રમાણે અપર્યાપ્તા પણ જાણવા. ૩
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 363 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कतिविधा णं भंते! निओदा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–निओदा य निओदजीवा य। निओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सुहुमनिओदा य बायरनिओदा य। सुहुमनिओदा णं भंते! कतिविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्ता य अपज्जत्ता य। बादरनिओदावि दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्ता य अपज्जत्ता य।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નિગોદ કેટલા ભેદે છે ? ગૌતમ ! નિગોદ બે ભેદે કહેલ છે. તે આ – નિગોદ અને નિગોદજીવ. ભગવન્‌ ! નિગોદ જીવ કેટલા ભેદે કહ્યા છે ? ગૌતમ ! બે ભેદે છે. તે આ – સૂક્ષ્મ નિગોદ અને બાદર નિગોદ. ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મ નિગોદ કેટલા ભેદે કહેલ છે ? ગૌતમ ! બે ભેદે છે. તે આ – પર્યાપ્તકા અને અપર્યાપ્તકા. બાદર નિગોદ પણ બે ભેદે કહેલ છે – પર્યાપ્તકા
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षडविध जीव प्रतिपत्ति

Gujarati 364 Sutra Upang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] निओदा णं भंते! दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता अपज्जत्ता णं भंते! निओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। पज्जत्ता णं भंते! निओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। सुहुमनिओदा णं भंते! दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। अपज्जत्ता णं भंते! सुहुमनिओदा दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा? असंखेज्जा? अनंता? गोयमा! नो संखेज्जा, असंखेज्जा, नो अनंता। पज्जत्ता णं भंते! सुहुमनिओदा दव्वट्ठयाए

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! નિગોદો, દ્રવ્યાર્થતાથી શું સંખ્યાત છે, અસંખ્યાત છે કે અનંત ? ગૌતમ ! સંખ્યાત કે અનંત નથી, પણ છે. એ રીતે તેના પર્યાપ્તા, અપર્યાપ્તા પણ કહેવા. ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મ નિગોદો દ્રવ્યાર્થતાથી સંખ્યાતા છે, અસંખ્યાતા છે કે અનંતા ? ગૌતમ ! અસંખ્યાત છે, સંખ્યાત કે અનંત નથી. એ રીતે પર્યાપ્તા અને અપર્યાપ્તા પણ જાણવા. એ રીતે
Nandisutra नन्दीसूत्र Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Hindi 65 Gatha Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जावइआ तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स । ओगाहणा जहन्ना, ओहीखेत्तं जहन्नं तु ॥

Translated Sutra: तीन समय के आहारक सूक्ष्म – निगोद के जीव की जितनी जघन्य अवगाहना होती है – उतने परिमाण में जघन्य अवधिज्ञान का क्षेत्र है।
Nandisutra નન્દીસૂત્ર Ardha-Magadhi

नन्दीसूत्र

Gujarati 65 Gatha Chulika-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जावइआ तिसमयाहारगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स । ओगाहणा जहन्ना, ओहीखेत्तं जहन्नं तु ॥

Translated Sutra: સૂક્ષ્મ નિગોદમાં જન્મ ગ્રહણ કર્યાને ત્રણ સમય થયા હોય અને જે જીવ આહારક બની ગયા હોય એવા સમયે તે જીવની જેટલી ઓછામાં ઓછી અવગાહના હોય છે, શરીરની લંબાઈ હોય) તેટલા પ્રમાણમાં જઘન્ય અવધિજ્ઞાનનું ક્ષેત્ર હોય છે.
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 138 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह अयगो धंतो, जाओ तत्ततवणिज्जसंकाओ । सव्वो अगनिपरिणतो, निगोयजीवे तहा जाण ॥

Translated Sutra: जैसे अत्यन्त तपाया हुआ लोहे का गोला, तपे हुए के समान सारा का सारा अग्नि में परिणत हो जाता है, उसी प्रकार (अनन्त) निगोद जीवों का निगोदरूप एक शरीर में परिणमन होता है।
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 139 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगस्स दोण्ह तिण्ह व, संखेज्जाण व न पासिउं सक्का । दीसंति सरीराइं, निगोयजीवाणऽनंताणं ॥

Translated Sutra: एक, दो, तीन, संख्यात अथवा (असंख्यात) निगोदों का देखना शक्य नहीं है। (केवल) (अनन्त – ) निगोद – जीवों के शरीर ही दिखाई देते हैं।
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 140 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोयागासपएसे, निगोयजीवं ठवेहिं एक्केक्कं । एवं भवेज्जमाणा, हवंति लोया अनंता उ ॥

Translated Sutra: लोकाकाश के एक – एक प्रदेश में यदि एक – एक निगोदजीव को स्थापित किया जाए और उसका माप किया जाए तो ऐसे अनन्त लोकाकाश हो जाते हैं।
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Hindi 143 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एएहिं सरीरेहिं पच्चक्खं ते परूविया जीवा । सुहुमा आणागेज्झा चक्खुप्फासं न ते एंति ॥

Translated Sutra: ‘इन शरीरों के द्वारा स्पष्टरूप से उन बादरनिगोद जीवों की प्ररूपणा की गई है। सूक्ष्म निगोदजीव केवल आज्ञाग्राह्य हैं। क्योंकि ये आँखों से दिखाई नहीं देते।
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Hindi 264 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमणिओयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुम-आउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा असंखेज्जगुणा, सुहुम-वणस्सइकाइया अनंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! सुहुमअपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइया-पज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइयापज्ज-त्तयाणं सुहुमनिगोदापज्जत्तयाणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन सूक्ष्म, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक, सूक्ष्म अप्कायिक, सूक्ष्म तेजस्कायिक, सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक एवं सूक्ष्मनिगोदों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प सूक्ष्म तेजस्कायिक हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म अप्कायिक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Hindi 265 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादर-वाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतस-काइयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरा तेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्ज-गुणा, बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया अनंतगुणा, बादरा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! बादरअपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं बादरआउकाइय-अपज्जत्तगाणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन बादर जीवों, बादर पृथ्वीकायिकों, बादर अप्कायिकों, बादर तेजस्कायिकों, बादर वायु – कायिकों, बादर वनस्पतिकायिकों, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिकों, बादर निगोदों और बादर त्रसकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े बादर त्रसकायिक हैं, बादर तेजस्‌ – कायिक असंख्येयगुणे
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Hindi 266 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमनिगोदाणं बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउ-काइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइ-काइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतसकाइयाणं य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादर-वणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन सूक्ष्मजीवों, सूक्ष्म – पृथ्वीकायिकों यावत्‌ सूक्ष्म वनस्पतिकायिकों, सूक्ष्मनिगोदों तथा बादर – जीवों, बादर – पृथ्वीकायिकों यावत्‌ बादर – वनस्पतिकायिकों, प्रत्येकशरीर – बादर – वनस्पतिकायिकों, बादर – निगोदों और बादर – त्रसकायिकों में से कौन किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Hindi 297 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अह भंते! सव्वजीवप्पबहुं महादंडयं वत्तइस्सामि–१. सव्वत्थोवा गब्भक्कंतिया मनुस्सा, २. मनुस्सीओ संखेज्जगुणाओ, ३. बादरतेउक्काइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, ४. अनुत्तरोववाइया देवा असंखेज्जगुणा, ५. उवरिमगेवेज्जगा देवा संखे-ज्जगुणा, ६. मज्झिमगेवेज्जगा देवा संखेज्ज-गुणा, ७. हेट्ठिमगेवेज्जगा देवा संखेज्जगुणा, ८. अच्चुते कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ९. आरण कप्पे देवा संखेज्जगुणा, १०. पाणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ११. आणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ... ...१२. अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १३. छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १४. सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, १५.

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! अब मैं समस्त जीवों के अल्पबहुत्व का निरूपण करने वाले महादण्डक का वर्णन करूँगा – १. सबसे कम गर्भव्युत्क्रान्तिक हैं, २. मानुषी संख्यातगुणी अधिक हैं, ३. बादर तेजस्कायिक – पर्याप्तक असंख्यात – गुणे हैं, ४. अनुत्तरौपपातिक देव असंख्यातगुणे हैं, ५. ऊपरी ग्रैवेयकदेव संख्यातगुणे हैं, ६. मध्यमग्रैवेयकदेव
Pragnapana प्रज्ञापना उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

पद-१८ कायस्थिति

Hindi 476 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमे णं भंते! सुहुमे त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा। सुहुमपुढविक्काइए सुहुमआउक्काइए सुहुमतेउक्काइए सुहुमवाउक्काइए सुहुमवणप्फइ-क्काइए सुहुमनिगोदे वि जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा। सुहुमअपज्जत्तए णं भंते! सुहुमअपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पुढविक्काइय-आउक्काइय-तेउक्काइय-वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाण य एवं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! सूक्ष्म जीव कितने काल तक सूक्ष्म रूप में रहता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट असंख्यातकाल, कालतः असंख्यात उत्सर्पिणी अवसर्पिणियों और क्षेत्रतः असंख्यातलोक तक। इसी प्रकार सूक्ष्म पृथ्वीकायिक, यावत्‌ सूक्ष्मवनस्पतिकायिक एवं सूक्ष्म निगोद भी समझ लेना। सूक्ष्म अपर्याप्तक, सूक्ष्म
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 264 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमणिओयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया, सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया, सुहुम-आउकाइया विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया, सुहुमनिगोदा असंखेज्जगुणा, सुहुम-वणस्सइकाइया अनंतगुणा, सुहुमा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! सुहुमअपज्जत्तगाणं सुहुमपुढविकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमआउकाइया-पज्जत्तयाणं सुहुमतेउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवाउकाइयापज्जत्तयाणं सुहुमवणस्सइकाइयापज्ज-त्तयाणं सुहुमनिगोदापज्जत्तयाणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મો, સૂક્ષ્મપૃથ્વીકાયિકો, સૂક્ષ્મ અપ્‌કાયિકો, સૂક્ષ્મ તેઉકાયિકો, સૂક્ષ્મ વાયુકાયિકો, સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિકો, સૂક્ષ્મ નિગોદોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં સૂક્ષ્મ તેઉકાયિકો છે, સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – વાયુકાયિક ક્રમશઃ વિશેષાધિક છે. સૂક્ષ્મ નિગોદો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 265 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउकाइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादर-वाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतस-काइयाण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरा तेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइया असंखेज्ज-गुणा, बादरा निगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवणस्सइकाइया अनंतगुणा, बादरा विसेसाहिया। एतेसि णं भंते! बादरअपज्जत्तगाणं बादरपुढविकाइयअपज्जत्तगाणं बादरआउकाइय-अपज्जत्तगाणं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ બાદરો, બાદર પૃથ્વીકાયિક, બાદર અપ્‌કાયિક, બાદર તેઉકાયિક, બાદર વાયુકાયિક, બાદર વનસ્પતિકાયિક, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક, બાદર નિગોદ, બાદર ત્રસકાયિકોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ બહુ, તુલ્ય કે વિશેષાધિક છે ? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં બાદર ત્રસકાયિક, બાદર તેઉકાયિક અસંખ્યાતગણા, પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિકાયિક અસંખ્યાતગણા,
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१ प्रज्ञापना

Gujarati 135 Gatha Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समयं वक्कंताणं, समयं तेसिं सरीरनिव्वत्ती । समयं आणुग्गहणं, समयं ऊसास-नीसासे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૩૫. એક સાથે ઉત્પન્ન થયેલ જીવોની એક કાળે શરીર નિષ્પત્તિ, સાથે જ શ્વાસ ગ્રહણ અને સાથે જ નિઃશ્વાસ હોય છે. સૂત્ર– ૧૩૬. એકને જે આહારાદિ ગ્રહણ છે, તે જ સાધારણ જીવોને હોય છે, અને જે બહુ જીવોને હોય, તે સંક્ષેપથી એકને હોય છે. સૂત્ર– ૧૩૭. સાધારણ જીવોને સાધારણ આહાર, સાધારણ શ્વાસ – ઉચ્છ્‌વાસનું ગ્રહણ એ સાધારણ જીવોનું
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 266 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एतेसि णं भंते! सुहुमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं सुहुमआउकाइयाणं सुहुमतेउकाइयाणं सुहुम-वाउकाइयाणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं सुहुमनिगोदाणं बादराणं बादरपुढविकाइयाणं बादरआउ-काइयाणं बादरतेउकाइयाणं बादरवाउकाइयाणं बादरवणस्सइकाइयाणं पत्तेयसरीरबादरवणस्सइ-काइयाणं बादरनिगोदाणं बादरतसकाइयाणं य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा बादरतसकाइया, बादरतेउकाइया असंखेज्जगुणा, पत्तेयसरीरबादर-वणस्सइकाइया असंखेज्जगुणा, बादरनिगोदा असंखेज्जगुणा, बादरपुढविकाइया असंखेज्जगुणा, बादरआउकाइया असंखेज्जगुणा, बादरवाउकाइया असंखेज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ સૂક્ષ્મો, સૂક્ષ્મ એવા પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – તેઉકાયિક – વાયુકાયિક – વનસ્પતિકાયિક – નિગોદ, બાદર, બાદર પૃથ્વીકાયિક – અપ્‌કાયિક – તેઉકાયિક – વાયુકાયિક – વનસ્પતિકાયિક, પ્રત્યેક શરીરી બાદર વનસ્પતિકાયિક, બાદર નિગોદો, બાદર ત્રસકાયિકોમાં કોણ કોનાથી અલ્પ, બહુ, તુલ્ય, વિશેષ છે? ગૌતમ ! સૌથી થોડાં બાદર ત્રસકાયિકો
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-३ अल्पबहुत्त्व

Gujarati 297 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अह भंते! सव्वजीवप्पबहुं महादंडयं वत्तइस्सामि–१. सव्वत्थोवा गब्भक्कंतिया मनुस्सा, २. मनुस्सीओ संखेज्जगुणाओ, ३. बादरतेउक्काइया पज्जत्तया असंखेज्जगुणा, ४. अनुत्तरोववाइया देवा असंखेज्जगुणा, ५. उवरिमगेवेज्जगा देवा संखे-ज्जगुणा, ६. मज्झिमगेवेज्जगा देवा संखेज्ज-गुणा, ७. हेट्ठिमगेवेज्जगा देवा संखेज्जगुणा, ८. अच्चुते कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ९. आरण कप्पे देवा संखेज्जगुणा, १०. पाणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ११. आणए कप्पे देवा संखेज्जगुणा, ... ...१२. अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १३. छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा, १४. सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, १५.

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! હવે સર્વ જીવોના અલ્પબહુત્વ મહાદંડકનું વર્ણન કરીશ. ૧ – સૌથી થોડાં ગર્ભજ મનુષ્યો છે, ૨ – માનુષી તેનાથી સંખ્યાતગણી છે, ૩ – પર્યાપ્તા બાદર તેઉકાયિક તેનાથી અસંખ્યાતગણા, ૪ – અનુત્તરોપપાતિક દેવો તેનાથી અસંખ્યાતગણા, ૫ – ઉપલી ગ્રૈવેયકના દેવો તેનાથી સંખ્યાતગણા, ૬ – મધ્યમ ગ્રૈવેયક દેવો તેનાથી સંખ્યાતગણા, ૭
Pragnapana પ્રજ્ઞાપના ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

पद-१८ कायस्थिति

Gujarati 476 Sutra Upang-04 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] सुहुमे णं भंते! सुहुमे त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा। सुहुमपुढविक्काइए सुहुमआउक्काइए सुहुमतेउक्काइए सुहुमवाउक्काइए सुहुमवणप्फइ-क्काइए सुहुमनिगोदे वि जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं–असंखेज्जाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ असंखेज्जा लोगा। सुहुमअपज्जत्तए णं भंते! सुहुमअपज्जत्तए त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। पुढविक्काइय-आउक्काइय-तेउक्काइय-वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाण य एवं

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! સૂક્ષ્મકાયિક સૂક્ષ્મરૂપે કાળથી કેટલો કાળ રહે ? ગૌતમ ! જઘન્યથી અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટથી સંખ્યાતકાળ કાળથી અસંખ્યાતી ઉત્સર્પિણી – અવસર્પિણી, ક્ષેત્રથી અસંખ્યાત લોક હોય. સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિકથી સૂક્ષ્મ વનસ્પતિકાયિક સુધીના અને સૂક્ષ્મનિગોદ પણ જઘન્યથી અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટથી અસંખ્યાતકાળ હોય
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