Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures

Search Results (3)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Gyatadharmakatha धर्मकथांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-८ मल्ली

Hindi 106 Sutra Ang-06 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तए णं मल्लिस्स अरहओ मनोरमं सीयं दुरुढस्स समाणस्स इमे अट्ठट्ठमंगला पुरओ अहाणुपुव्वीए संपत्थिया–एवं निग्गमी जहा जमालिस्स। तए णं मल्लिस्स अरहओ निक्खममाणस्स अप्पेगइया देवा मिहिलं रायहाणिं अब्भिंतरबाहिरं आसिय-संमज्जिय-संमट्ठ-सुइ-रत्थंतरावणवीहियं करेंति जाव परिधावंति। तए णं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीयाओ पच्चोरुहइ, आभरणालंकारं ओमुयइ। तए णं पभावई हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणालंकारं पडिच्छइ। तए णं मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ। तए णं सक्के देविंदे देवराया मल्लिस्स केसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता

Translated Sutra: तत्पश्चात्‌ मल्ली अरहंत जब मनोरमा शिबिका पर आरूढ़ हुए, उस समय उनके आगे आठ – आठ मंगल अनुक्रम से चले। जमालि के निर्गमन की तरह यहाँ मल्ली अरहंत का वर्णन समझ लेना। तत्पश्चात्‌ मल्ली अरहंत जब दीक्षा धारण करने के लिए नीकले तो किन्हीं – किन्हीं देवों ने मिथिला राजधानी में पानी सींच दिया, उसे साफ कर दिया और भीतर तथा
Jambudwippragnapati जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

वक्षस्कार २ काळ

Hindi 44 Sutra Upang-07 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उसभे णं अरहा कोसलिए संवच्छरं साहियं चीवरधारी होत्था, तेण परं अचेलए। जप्पभिइं च णं उसभे अरहा कोसलिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइए, तप्पभिइं च णं उसभे अरहा कोसलिए निच्चं वोसट्ठकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पज्जंति, तं जहा–दिव्वा वा मानुस्सा वा तिरिक्खजोणिया वा पडिलोमा वा अनुलोमा वा। तत्थ पडिलोमा–वेत्तेण वा तयाए वा छियाए वा लयाए वा कसेण वा काए आउट्टेज्जा, अनुलोमा–वंदेज्ज वा नमंसेज्ज वा सक्कारेज्ज वा सम्मानेज्ज वा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्ज वा ते सव्वे सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ। तए णं से भगवं समणे जाए ईरियासमिए भासासमिए एसणासमिए

Translated Sutra: कौशलिक अर्हत्‌ ऋषभ कुछ अधिक एक वर्ष पर्यन्त वस्त्रधारी रहे, तत्पश्चात्‌ निर्वस्त्र। जब से वे प्रव्रजित हुए, वे कायिक परिकर्म रहित, दैहिक ममता से अतीत, देवकृत्‌ यावत्‌ जो उपसर्ग आते, उन्हें वे सम्यक्‌ भाव से सहते, प्रतिकूल अथवा अनुकूल परिषह को भी अनासक्त भाव से सहते, क्षमाशील रहते, अविचल रहते। भगवान्‌ ऐसे उत्तम
Jambudwippragnapati जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Ardha-Magadhi

वक्षस्कार २ काळ

Hindi 46 Sutra Upang-07 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] उसभे णं अरहा कोसलिए वज्जरिसहनारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिए पंच धनुसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं होत्था। उसभे णं अरहा कोसलिए वीसं पुव्वसयसहस्साइं कुमारवासमज्झावसित्ता, तेवट्ठिं पुव्वसय-सहस्साइं रज्जवासमज्झा वसित्ता, तेसीइं पुव्वसयसहस्साइं अगारवासमज्झावसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइए। उसभे णं अरहा कोसलिए एगं वाससहस्सं छउमत्थपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं वाससहस्सूणं केवलिपरियायं पाउणित्ता, एगं पुव्वसयसहस्सं बहुपडिपुण्णं सामण्णपरियायं पाउणित्ता, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जेसे हेमंताणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे

Translated Sutra: कौशलिक भगवान्‌ ऋषभ वज्रऋषभनाराचसंहनन युक्त, समचौरससंस्थानसंस्थित तथा ५०० धनुष दैहिक ऊंचाई युक्त थे। वे २० लाख पूर्व तक कुमारावस्था में तथा ६३ लाख पूर्व महाराजावस्था में रहे। यों ८३ लाख पूर्व गृहवास में रहे। तत्पश्चात्‌ मुंडित होकर अगारवास से अनगार – धर्म में प्रव्रजित हुए। १००० वर्ष छद्मस्थ – पर्याय
Showing 1 to 50 of 3 Results