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Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 25 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउद्दसहिं भूयगामेहिं, पन्नरसहिं परमाहम्मिएहिं, सोलसहिं गाहासोलसएहिं, सत्तरसविहे असंजमे, अट्ठारसविहे अबंभे, एगूणवीसाए नायज्झयणेहिं, वीसाए असमाहिट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: इहलोक – परलोक आदि सात भय स्थान के कारण से, जातिमद – कुलमद आदि आँठ मद का सेवन करने से, वसति – शुद्धि आदि ब्रह्मचर्य की नौ वाड़ का पालन न करने से, क्षमा आदि दशविध धर्म का पालन न करने से, श्रावक की ग्यारह प्रतिमा में अश्रद्धा करने से, बारह तरह की भिक्षु प्रतिमा धारण न करने से या उसके विषय में अश्रद्धा करने से, अर्थाय –
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-५ कायोत्सर्ग

Hindi 39 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तस्स उत्तरीकरणेणं पायच्छित्तकरणेणं विसोहीकरणेणं विसल्लीकरणेणं पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए ठामि काउसग्गं। ------------------------------------------------ अन्नत्थ ऊससिएणं नीससिएणं खासिएणं छीएणं जंभाइएणं उड्डएणं वायनिसग्गेणं भमलीए पित्तमुच्छाए सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गो जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि तावकायं ठाणेणं मोणेणं झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि।

Translated Sutra: वो (ईयापथिकी विराधना के परिणाम से उत्पन्न होनेवाला) पापकर्म का पूरी तरह से नाश करने के लिए, प्रायश्चित्त करने से, विशुद्धि करने के द्वारा, शल्य रहित करने के द्वारा और तद्‌ रूप उत्तरक्रिया करने के लिए यानि आलोचना – प्रतिक्रमण आदि से पुनः संस्करण करने के लिए मैं कायोत्सर्ग में स्थिर होता हूँ। ‘‘अन्नत्थ’’ के
Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-३

अध्ययन-१५ भावना

Hindi 512 Sutra Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पासावच्चिज्जा समणोवासगा यावि होत्था। ते णं बहूइं वासाइं समणोवासगपरियागं पालइत्ता, छण्हं जीवनिकायाणं संरक्खणनिमित्तं आलोइत्ता निंदित्ता गरहित्ता पडिक्कमित्ता, अहारिहं उत्तरगुणं पायच्छित्तं पडिवज्जित्ता, कुससंथारं दुरुहित्ता भत्तं पच्चक्खाइंति, भत्तं पच्चक्खाइत्ता अपच्छिमाए मारणंतियाए सरीर-संलेहणाए सोसियसरीरा कालमासे कालं किच्चा तं सरीरं विप्पजहित्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णा। तओ णं आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चुए चइत्ता महाविदेहवासे चरिमेणं उस्सासेणं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिणिव्वाइस्संति

Translated Sutra: श्रमण भगवान महावीर के माता पिता पार्श्वनाथ भगवान के अनुयायी थे, दोनों श्रावक – धर्म का पालन करने वाले थे। उन्होंने बहुत वर्षों तक श्रावक – धर्म का पालन करके षड्‌जीवनिकाय के संरक्षण के निमित्त आलोचना, आत्मनिन्दा, आत्मगर्हा एवं पाप दोषों का प्रतिक्रमण करके, मूल और उत्तर गुणों के यथायोग्य प्रायश्चित्त स्वीकार
Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-३

अध्ययन-१५ भावना

Hindi 537 Sutra Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अहावरं दोच्चं भंते! महव्वयं–पच्चक्खामि सव्वं मुसावायं वइदोसं–से कोहा वा, लोहा वा, भया वा, हासा वा, नेव सयं मुसं भासेज्जा, नेवन्नेणं मुसं भासावेज्जा, अन्नं पि मुसं भासंतं ण समणुजाणेज्जा जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं– मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते! पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति। तत्थिमा पढमा भावणा– अणुवीइभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासी। केवली बूया– अणणुवीइभासी से निग्गंथे समावदेज्जा मोसं वयणाए। अणुवीइभासी से निग्गंथे, नो अणणुवीइभासित्ति पढमा भावणा। अहावरा दोच्चा भावणा–कोहं परिजाणइ से निग्गंथे, णोकोहणे सिया। केवली बूया–कोहपत्ते

Translated Sutra: इसके पश्चात्‌ भगवन्‌ ! मैं द्वीतिय महाव्रत स्वीकार करता हूँ। आज मैं इस प्रकार से मृषावाद और सदोष – वचन का सर्वथा प्रत्याख्यान करता हूँ। साधु क्रोध से, लोभ से, भय से या हास्य से न तो स्वयं मृषा बोले, न ही अन्य व्यक्ति से असत्य भाषण करो और जो व्यक्ति असत्य बोलता है, उसका अनुमोदन भी न करे। इस प्रकार तीन करणों से तथा
Antkruddashang अंतकृर्द्दशांगसूत्र Ardha-Magadhi

वर्ग-६ मकाई आदि

अध्ययन-१५,१६

Hindi 39 Sutra Ang-08 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं पोलासपुरे नगरे। सिरिवणे उज्जाणे। तत्थ णं पोलासपुरे नयरे विजये नामं राया होत्था। तस्स णं विजयस्स रन्नो सिरि नामं देवी होत्था–वन्नओ। तस्स णं विजयस्स रन्नो पुत्ते सिरीए देवीए अत्तए अतिमुत्ते नामं कुमारे होत्था–सूमालपाणिपाए। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव सिरिवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणेविहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती अनगारे जहा पन्नत्तीए जाव पोलासपुरे नयरे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदानस्स

Translated Sutra: उस काल और उस समय में पोलासपुर नामक नगर था। वहाँ श्रीवन नामक उद्यान था। उस नगर में विजय नामक राजा था। उसकी श्रीदेवी नामकी महारानी थी, यहाँ राजा – रानी का वर्णन समझ लेना। महाराजा विजय का पुत्र, श्रीदेवी का आत्मज अतिमुक्त नामका कुमार था जो अतीव सुकुमार था। उस काल और उस समय श्रमण भगवान महावीर पोलासपुर नगर के श्रीवन
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 19 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जं किंचि वि दुच्चरियं तं सव्वं वोसिरामि तिविहेणं । सामाइयं च तिविहं करेमि सव्वं निरागारं ॥

Translated Sutra: जो कुछ भी झूठ का आचरण किया हो उन सब को मन, वचन, काया से वोसिराता हूँ। सर्व आगार रहित (ज्ञान, श्रद्धा और क्रियारूप) तीन प्रकार की सामायिक मैं करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 20 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बज्झं अब्भिंतरं उवहिं सरीराइ सभोयणं ॥ मनसा वय-काएहिं सव्वं भावेण वोसिरे ॥

Translated Sutra: बाहरी और अभ्यंतर उपधि तथा भोजन सहित शरीर आदि उन सब भाव को मैं मन, वचन, काया से वोसिराता (त्याग करता) हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 21 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं च । सव्वमदत्तादानं मेहुणय परिग्गहं चेव ॥

Translated Sutra: इस प्रकार से सभी प्राणी के आरम्भ को, अखिल (झूठ) वचन को, सर्व अदत्तादान – चोरी को, मैथुन और परिग्रह का पच्चक्खाण करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 22 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु वेरं मज्झ न केणई । आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिं पडिवज्जए ॥

Translated Sutra: मेरी सभी जीव से मैत्री है। किसी के साथ मुझे वैर नहीं है। वांच्छना का त्याग करके मैं समाधि रखता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 23 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागं बंधं पओसं च हरिसं दीनभावयं । उस्सुगत्तं भयं सोगं रइं अरइं च वोसिरे ॥

Translated Sutra: राग को, बन्धन को, द्वेष और हर्ष को, रांकपन को, चपलपन को, भय को, शोक को, रति को, अरति को मैं वोसिराता (त्याग करता) हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 24 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] ममत्तं परिवज्जामि निम्ममत्तं उवट्ठिओ । आलंबणं च मे आया, अवसेसं च वोसिरे ॥

Translated Sutra: ममता रहितपन में तत्पर होनेवाला मैं ममता का त्याग करता हूँ, और फिर मुझे आत्मा आलम्बनभूत है, दूसरी सभी चीज को वोसिराता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 25 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरित्ते य । आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे ॥

Translated Sutra: मुझे ज्ञानमें आत्मा, दर्शनमें आत्मा, चारित्रमें आत्मा, पच्चक्खाणमें आत्मा और संजम जोगमें भी आत्मा (आलम्बनरूप) हो।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 26 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो वच्चइ जीवो, एगो चेवुववज्जई । एगस्स होइ मरणं, एगो सिज्झइ नीरओ ॥

Translated Sutra: जीव अकेला जाता है, यकीनन अकेला उत्पन्न होता है, अकेले को ही मरण प्राप्त होता है, और कर्मरहित होने के बावजूद अकेला ही सिद्ध होता है।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 27 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो मे सासओ अप्पा नाण-दंसणसंजुओ । सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा ॥

Translated Sutra: ज्ञान, दर्शन सहित मेरी आत्मा एक शाश्वत है, शेष सभी बाह्य पदार्थ मेरे लिए केवल सम्बन्ध मात्र स्वरूप वाले हैं।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 28 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संजोगमूला जीवेणं पत्ता दुक्खपरंपरा । तम्हा संजोगसंबंधं सव्वं भावेण वोसिरे ॥

Translated Sutra: जिसकी जड़ रिश्ता है ऐसी दुःख की परम्परा इस जीवने पाई, उस के लिए सभी संयोग संबंध को मन, वचन, काया से मैं त्याग करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 29 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मूलगुण उत्तरगुणे जे मे नाऽऽराहिया पमाएणं । तमहं सव्वं निंदे पडिक्कमे आगमिस्साणं ॥

Translated Sutra: प्रयत्न (प्रमाद) से जो मूलगुण और उत्तरगुण की मैंने आराधना नहीं की है उन सब की मैं निन्दा करता हूँ। भाव की विराधना का प्रतिक्रमण करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 30 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त भए अट्ठ मए सन्ना चत्तारि गारवे तिन्नि । आसायण तेत्तीसं रागं दोसं च गरिहामि ॥

Translated Sutra: सात भय, आठ मद, चार संज्ञा, तीन गारव, तेत्तीस आशातना, राग, द्वेष की तथा – असंयम, अज्ञान, मिथ्यात्व और जीवमें एवं अजीवमें सर्व ममत्व की मैं निन्दा करता हूँ और गर्हा करता हूँ। सूत्र – ३०, ३१
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 31 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अस्संजममन्नाणं मिच्छत्तं सव्वमेव य ममत्तं । जीवेसु अजीवेसु य तं निंदे तं च गरिहामि ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३०
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 32 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निंदामि निंदणिज्जं गरहामि य जं च मे गरहणिज्जं । आलोएमि य सव्वं सब्भिंतर बाहिरं उवहिं ॥

Translated Sutra: निन्दा करने के योग्य की मैं निन्दा करता हूँ और जो मेरे लिए गर्हा करने के योग्य है उन (पाप की) गर्हा करता हूँ। सभी अभ्यंतर और बाह्य उपधि का मैं त्याग करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 33 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह बालो जंपंतो कज्जमकज्जं च उज्जुयं भणइ । तं तह आलोएज्जा मायामोसं पमोत्तूणं ॥

Translated Sutra: जिस तरह रत्नाधिक के सामने बोलने(कहेने) वाला कार्य या अकार्य को सरलता से कहता है उसी तरह माया मृषावाद को छोड़कर वह पाप को आलोए।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 34 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नाणंमि दंसणंमि य तवे चरित्ते य चउसु वि अकंपो । धीरो आगमकुसलो अपरिस्सावी रहस्साणं ॥

Translated Sutra: ज्ञान, दर्शन, तप और चारित्र उन चारों में अचलायमान, धीर, आगममें कुशल, बताए हुए गुप्त रहस्य को अन्य को नहीं कहनेवाला (ऐसे गुरु के पास से आलोयणा लेनी चाहिए।)
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 35 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागेण व दोसेण व जं भे अकयन्नुयापमाएणं । जो मे किंचि वि भणिओ तमहं तिविहेण खामेमि ॥

Translated Sutra: हे भगवन्‌ ! राग से, द्वेष से, अकृतज्ञत्व से और प्रमाद से मैंने जो कुछ भी तुम्हारा अहित किया हो वो मैं मन, वचन, काया से खमाता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

आलोचनादायक ग्राहक

Hindi 36 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिविहं भणंति मरणं, बालाणं १ बालपंडियाणं २ च । तइयं पंडियमरणं जं केवलिणो अनुमरंति ३ ॥

Translated Sutra: मरण तीन प्रकार का होता है – बाल मरण, बाल – पंड़ित मरण और पंड़ित मरण, सीर्फ केवली पंड़ित मरण से मृत्यु पाते हैं।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 11 Sutra Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि भंते! उत्तमट्ठं पडिक्कमामि अईयं पडिक्कमामि १ अनागयं पडिक्कमामि २ पच्चुप्पन्नं पडिक्कमामि ३ कयं पडिक्कमामि १ कारियं पडिक्कमामि २ अनुमोइयं पडिक्कमामि ३, मिच्छत्तं पडिक्कमामि १ असंजमं पडिक्कमामि २ कसायं पडिक्कमामि ३ पावपओगं पडिक्कमामि ४, मिच्छादंसण परिणामेसु वा इहलोगेसु वा परलोगेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पंचसु इंदियत्थेसु वा; अन्नाणंझाणे १ अनायारंझाणे २ कुदंसणंझाणे ३ कोहंझाणे ४ मानंझाणे ५ मायंझाणे ६ लोभंझाणे ७ रागंझाणे ८ दोसंझाणे ९ मोहंझाणे १० इच्छंझाणे ११ मिच्छंझाणे १२ मुच्छंझाणे १३ संकंझाणे १४ कंखंझाणे १५ गेहिंझाणे १६ आसंझाणे १७ तण्हंझाणे

Translated Sutra: हे भगवंत ! मैं अनशन करने की ईच्छा रखता हूँ। पाप व्यवहार को प्रतिक्रमता हूँ। भूतकाल के (पाप को) भावि में होनेवाले (पाप) को, वर्तमान के पाप को, किए हुए पाप को, करवाए हुए पाप को और अनुमोदन किए गए पाप का प्रतिक्रमण करता हूँ, मिथ्यात्व का, अविरति परिणाम, कषाय और पाप व्यापार का प्रतिक्रमण करता हूँ। मिथ्यादर्शन के परिणाम
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 12 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एस करेमि पणामं जिनवरवसहस्स वद्धमाणस्स । सेसाणं च जिनाणं सगणहराणं च सव्वेसिं ॥

Translated Sutra: जिनो में वृषभ समान वर्द्धमानस्वामी को और गणधर सहित बाकी सभी तीर्थंकर को मैं नमस्कार करता हूँ
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 13 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं च । सव्वमदिन्नादाणं मेहुण्ण परिग्गहं चेव ॥

Translated Sutra: इस प्रकार से मैं सभी प्राणीओं के आरम्भ, अलिक (असत्य) वचन, सर्व अदत्तादान (चोरी), मैथुन और परिग्रह का पच्चखाण करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 14 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ न केणई । आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिमनुपालए ॥

Translated Sutra: मुझे सभी जीव के साथ मैत्रीभाव है। किसी के साथ मुझे वैर नहीं है, वांच्छा का त्याग करके मैं समाधि रखता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 15 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं चाऽऽहारविहिं सन्नाओ गारवे कसाए य । सव्वं चेव ममत्तं चएमि सव्वं खमावेमि ॥

Translated Sutra: सभी प्रकार की आहार विधि का, संज्ञाओं का, गारवों का, कषायों का और सभी ममता का त्याग करता हूँ, सब को खमाता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 16 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] होज्जा इमम्मि समए उवक्कमो जीवियस्स जइ मज्झ । एयं पच्चक्खाणं विउला आराहणा होउ ॥

Translated Sutra: यदि मेरे जीवित का उपक्रम (आयु का नाश) इस अवसर में हो, तो यह पच्चक्खाण और विस्तारवाली आराधना मुझे हो।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 17 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वदुक्खप्पहीणाणं सिद्धाणं अरहओ नमो । सद्दहे जिनपन्नत्तं पच्चक्खामि य पावगं ॥

Translated Sutra: सभी दुःख क्षय हुए हैं जिनके ऐसे सिद्ध को और अरिहंत को नमस्कार हो, जिनेश्वरों ने कहे हुए तत्त्व मैं सद्दहता हूँ, पापकर्म को पच्चक्खाण करता हूँ।
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 18 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नमोऽत्थु धुयपावाणं सिद्धाणं च महेसिणं । संथारं पडिवज्जामि जहा केवलिदेसियं ॥

Translated Sutra: जिन के पाप क्षय हुए हैं, ऐसे सिद्ध को और महा ऋषि को नमस्कार हो, जिस तरह से केवलीओंने बताया है वैसा संथारा मैं अंगीकार करता हूँ।
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 11 Sutra Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि भंते! उत्तमट्ठं पडिक्कमामि अईयं पडिक्कमामि १ अनागयं पडिक्कमामि २ पच्चुप्पन्नं पडिक्कमामि ३ कयं पडिक्कमामि १ कारियं पडिक्कमामि २ अनुमोइयं पडिक्कमामि ३, मिच्छत्तं पडिक्कमामि १ असंजमं पडिक्कमामि २ कसायं पडिक्कमामि ३ पावपओगं पडिक्कमामि ४, मिच्छादंसण परिणामेसु वा इहलोगेसु वा परलोगेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पंचसु इंदियत्थेसु वा; अन्नाणंझाणे १ अनायारंझाणे २ कुदंसणंझाणे ३ कोहंझाणे ४ मानंझाणे ५ मायंझाणे ६ लोभंझाणे ७ रागंझाणे ८ दोसंझाणे ९ मोहंझाणे १० इच्छंझाणे ११ मिच्छंझाणे १२ मुच्छंझाणे १३ संकंझाणे १४ कंखंझाणे १५ गेहिंझाणे १६ आसंझाणे १७ तण्हंझाणे

Translated Sutra: હે ભગવન ! હું ઉત્તમાર્થને સાધવા અર્થાત અનશન કરવાને ઇચ્છુ છું. હું ભૂતકાળના, ભાવિમાં થનારા અને વર્તમાનના પાપ વ્યાપારને પ્રતિક્રમુ છું. કરેલા, કરાવેલા અને અનુમોદિત પાપને પ્રતિક્રમુ છું. મિથ્યાત્વ, અસંયમ કષાય અને પાપપ્રયોગને પ્રતિક્રમુ છું. મિથ્યાદર્શનના પરિણામને વિશે, આલોક કે પરલોકને વિશે, સચિત્ત કે અચિત્તને
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 12 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एस करेमि पणामं जिनवरवसहस्स वद्धमाणस्स । सेसाणं च जिनाणं सगणहराणं च सव्वेसिं ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૨. જિનવર – વૃષભ વર્દ્ધમાન સ્વામીને તથા ગણધર સહિત બાકીના બધા તીર્થંકરોને હું નમસ્કાર કરું છું. સૂત્ર– ૧૩. હવે હું સર્વ પ્રાણીઓનો આરંભ, અસત્ય વચન(જુઠું બોલવું), સર્વ અદત્તાદાન(ચોરી), મૈથુન અને પરિગ્રહના પચ્ચક્‌ખાણ કરું છું. સૂત્ર સંદર્ભ– ૧૨, ૧૩
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 13 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं च । सव्वमदिन्नादाणं मेहुण्ण परिग्गहं चेव ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૨
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 14 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ न केणई । आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिमनुपालए ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૪. મારે બધા પ્રાણીઓ સમાન છે, મારે કોઈ સાથે વૈર નથી, હું વાંછાઓનો ત્યાગ કરીને હું સમાધિ રાખું છું. સૂત્ર– ૧૫. બધા પ્રકારની આહાર વિધિનો, સંજ્ઞા – ગારવ અને કષાયોનો અને સર્વે મમતાનો ત્યાગ કરું છું, બધાને ખમાવું છું. સૂત્ર– ૧૬. જો મારા જીવિતનો ઉપક્રમ (આયુષ્યનો નાશ)આ અવસરમાં હોય તો આ પચ્ચક્‌ખાણ અને વિસ્તારવાળી
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 15 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं चाऽऽहारविहिं सन्नाओ गारवे कसाए य । सव्वं चेव ममत्तं चएमि सव्वं खमावेमि ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૪
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 16 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] होज्जा इमम्मि समए उवक्कमो जीवियस्स जइ मज्झ । एयं पच्चक्खाणं विउला आराहणा होउ ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૪
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 17 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वदुक्खप्पहीणाणं सिद्धाणं अरहओ नमो । सद्दहे जिनपन्नत्तं पच्चक्खामि य पावगं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૪
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 18 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नमोऽत्थु धुयपावाणं सिद्धाणं च महेसिणं । संथारं पडिवज्जामि जहा केवलिदेसियं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૪
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 19 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जं किंचि वि दुच्चरियं तं सव्वं वोसिरामि तिविहेणं । सामाइयं च तिविहं करेमि सव्वं निरागारं ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૯. જે કંઈપણ ખોટું આચરેલ હોય, તે બધુ હવે હું ત્રિવિધે વોસિરાવુ છું. હવે સર્વ આગાર રહિત હું ત્રણ ભેદે (જ્ઞાન, ક્રિયા, શ્રદ્ધારૂપ સામાયિકનો સ્વીકાર કરુ છું. સૂત્ર– ૨૦. બાહ્ય – અભ્યંતર ઉપધિ, ભોજન સહિત શરીર આદિ, એ સર્વને ભાવથી, મન – વચન – કાયાથી વોસિરાવુ છું. સૂત્ર– ૨૧. એ રીતે સર્વ પ્રાણીઓના આરંભને, અસત્ય વચનને,
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 20 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बज्झं अब्भिंतरं उवहिं सरीराइ सभोयणं ॥ मनसा वय-काएहिं सव्वं भावेण वोसिरे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 21 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वं पाणारंभं पच्चक्खामि त्ति अलियवयणं च । सव्वमदत्तादानं मेहुणय परिग्गहं चेव ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 22 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सम्मं मे सव्वभूएसु वेरं मज्झ न केणई । आसाओ वोसिरित्ताणं समाहिं पडिवज्जए ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 23 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रागं बंधं पओसं च हरिसं दीनभावयं । उस्सुगत्तं भयं सोगं रइं अरइं च वोसिरे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 24 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] ममत्तं परिवज्जामि निम्ममत्तं उवट्ठिओ । आलंबणं च मे आया, अवसेसं च वोसिरे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 25 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरित्ते य । आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૫. મને જ્ઞાનમાં આત્મા, દર્શનમાં આત્મા, ચારિત્રમાં આત્મા, પચ્ચક્‌ખાણમાં આત્મા, સંયમ – યોગમાં પણ આત્મા (જ આલંબન) થાઓ. સૂત્ર– ૨૬. જીવ એકલો જાય છે, એકલો જ ઉપજે છે, એકલાને જ મરણ થાય છે અને કર્મ રહિત એકલો જ સિદ્ધ થાય છે. સૂત્ર– ૨૭. જ્ઞાન – દર્શન સહિત મારો આત્મા જ એક શાશ્વત છે, બાકીના બધા બાહ્ય ભાવો મારે સંબંધ માત્ર
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 26 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो वच्चइ जीवो, एगो चेवुववज्जई । एगस्स होइ मरणं, एगो सिज्झइ नीरओ ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૫
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 27 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगो मे सासओ अप्पा नाण-दंसणसंजुओ । सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोगलक्खणा ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૫
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 28 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संजोगमूला जीवेणं पत्ता दुक्खपरंपरा । तम्हा संजोगसंबंधं सव्वं भावेण वोसिरे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૫
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

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Gujarati 29 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मूलगुण उत्तरगुणे जे मे नाऽऽराहिया पमाएणं । तमहं सव्वं निंदे पडिक्कमे आगमिस्साणं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૫
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