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Global Search for JAIN Aagam & ScripturesScripture Name | Translated Name | Mool Language | Chapter | Section | Translation | Sutra # | Type | Category | Action |
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Uttaradhyayan | उत्तराध्ययन सूत्र | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-१६ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान |
Hindi | 519 | Sutra | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नो अइमायाए पाणभोयणं आहारेत्ता हवइ, से निग्गंथे।
तं कहमिति चे?
आयरियाह–निग्गंथस्स खलु अइमायाए पाणभोयणं आहारेमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा, कंखा वा, वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा।
तम्हा खलु नो निग्गंथे अइमायाए पानभोयणं भुंजिज्जा। Translated Sutra: जो परिमाण से अधिक नहीं खाता – पीता है, वह निर्ग्रन्थ है। ऐसा क्यों ? उस ब्रह्मचारी निर्ग्रन्थ को ब्रह्मचर्य के विषय में शंका, कांक्षा या विचिकित्सा उत्पन्न होती है, यावत् वह केवली प्ररूपित धर्म से भ्रष्ट हो जाता है। अतः निर्ग्रन्थ परिमाण से अधिक न खाए, न पीए। | |||||||||
Uttaradhyayan | ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર | Ardha-Magadhi |
अध्ययन-१६ ब्रह्मचर्यसमाधिस्थान |
Gujarati | 519 | Sutra | Mool-04 | View Detail | |
Mool Sutra: [सूत्र] नो अइमायाए पाणभोयणं आहारेत्ता हवइ, से निग्गंथे।
तं कहमिति चे?
आयरियाह–निग्गंथस्स खलु अइमायाए पाणभोयणं आहारेमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा, कंखा वा, वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा।
तम्हा खलु नो निग्गंथे अइमायाए पानभोयणं भुंजिज्जा। Translated Sutra: જે અતિ માત્રાથી પાન ભોજન કરે છે, તે નિર્ગ્રન્થ છે. એમ કેમ ? આચાર્ય કહે છે – જે અતિ માત્રાથી ખાય – પીએ છે, તે બ્રહ્મચારી નિર્ગ્રન્થને બ્રહ્મચર્યના વિષયમાં શંકા, કાંક્ષા, વિચિકિત્સા ઉત્પન્ન થાય છે અથવા બ્રહ્મચર્યનો વિનાશ થાય છે, ઉન્માદ ઉત્પન્ન થાય છે, દીર્ઘકાલીક રોગાંતક થાય છે અથવા તે કેવલી પ્રરૂપિત ધર્મથી ભ્રષ્ટ |