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Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Antkruddashang अंतकृर्द्दशांगसूत्र Ardha-Magadhi

वर्ग-३ अनीयश अदि

अध्ययन-८ गजसुकुमाल

Hindi 13 Sutra Ang-08 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ उक्खेवओ अट्ठमस्स एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवईए नयरीए, जहा पढमे जाव अरहा अरिट्ठनेमी समोसढे। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतेवासी छ अनगारा भायरो सहोदरा होत्था–सरिसया सरित्तया सरिव्वया नीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासा सिरिवच्छंकिय-वच्छा कुसुम -कुंडलभद्दलया नलकूबरसमाणा। तए णं ते छ अनगारा जं चेव दिवसं मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइया, तं चेव दिवसं अरहं अरिट्ठनेमिं वंदंति णमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामो णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा जावज्जीवाए छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं

Translated Sutra: भगवन्‌ ! तृतीय वर्ग के आठवें अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? हे जंबू ! उस काल, उस समय में द्वारका नगरीमें प्रथम अध्ययनमें किये गये वर्णन के अनुसार यावत्‌ अरिहंत अरिष्टनेमि भगवान पधारे। उस काल, उस समय भगवान नेमिनाथ के अंतेवासी – शिष्य छ मुनि सहोदर भाई थे। वे समान आकार, त्वचा और समान अवस्थावाले प्रतीत होते
Antkruddashang અંતકૃર્દ્દશાંગસૂત્ર Ardha-Magadhi

वर्ग-३ अनीयश अदि

अध्ययन-८ गजसुकुमाल

Gujarati 13 Sutra Ang-08 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ उक्खेवओ अट्ठमस्स एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं बारवईए नयरीए, जहा पढमे जाव अरहा अरिट्ठनेमी समोसढे। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतेवासी छ अनगारा भायरो सहोदरा होत्था–सरिसया सरित्तया सरिव्वया नीलुप्पल-गवल-गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासा सिरिवच्छंकिय-वच्छा कुसुम -कुंडलभद्दलया नलकूबरसमाणा। तए णं ते छ अनगारा जं चेव दिवसं मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइया, तं चेव दिवसं अरहं अरिट्ठनेमिं वंदंति णमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामो णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा जावज्जीवाए छट्ठंछट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं

Translated Sutra: હે ભગવન ! જો શ્રમણ ભગવંત મહાવીરે અંતકૃદ્દશા સૂત્રના ત્રીજા વર્ગના અધ્યયન – ૭ નો આ અર્થ કહ્યો છે તો ભગવંત મહાવીરે અધ્યયન – ૮ નો શો અર્થ કહ્યો છે ? નિશ્ચે હે જંબૂ ! તે કાળે, તે સમયે દ્વારવતી નગરી હતી. પ્રથમ અધ્યયનમાં કહ્યા મુજબ યાવત્‌ અરહંત અરિષ્ટનેમિ પધાર્યા. તે કાળે તે સમયે અરિષ્ટનેમિના શિષ્યો છ સાધુઓ સહોદર ભાઈઓ
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१ प्रथम Hindi 721 Gatha Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. पढमे २. विसाह ३. मायंदिए य ४. पाणाइवाय ५. असुरे य । ६. गुल ७. केवलि ८. अनगारे, ९. भविए तह १. सोमिलट्ठारसे

Translated Sutra: अठारहवें शतक में दस उद्देशक हैं। यथा – प्रथम, विशाखा, माकन्दिक, प्राणातिपात, असुर, गुड़, केवली, अनगार, भाविक तथा सोमिल
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Hindi 753 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–अनगारे णं भंते! भावियप्पा असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा? हंता ओगाहेज्जा। से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा? नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा अगनिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते! तत्थ ज्झियाएज्जा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते! तत्थ उल्ले सिया? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा गंगाए महानदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा?

Translated Sutra: राजगृह नगर में यावत्‌ पूछा – भगवन्‌ ! क्या भावितात्मा अनगार तलवार की धार पर अथवा उस्तरे की धार पर रह सकता है ? हाँ, गौतम ! रह सकता है। (भगवन्‌ !) क्या वह वहाँ छिन्न या भिन्न होता है ? (गौतम !) यह अर्थ समर्थ नहीं। क्योंकि उस पर शस्त्र संक्रमण नहीं करता। इत्यादि सब पंचम शतक में कही हुई परमाणु – पुद्‌गल की वक्तव्यता, यावत्‌
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Hindi 754 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] परमाणुपोग्गले णं भंते! वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे? गोयमा! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे। दुप्पएसिए णं भंते! खंधे वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा दुप्पएसिएणं खंधेणं फुडे? एवं चेव। एवं जाव असंखेज्जपएसिए। अनंतपएसिए णं भंते! खंधे वाउयाएणं फुडे–पुच्छा। गोयमा! अनंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे, वाउयाए अनंतपएसिएणं खंधेणं सिय फुडे, सिय नो फुडे। वत्थी भंते! वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा वत्थिणा फुडे? गोयमा! वत्थी वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए वत्थिणा फुडे।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! परमाणु – पुद्‌गल, वायुकाय से स्पृष्ट है, अथवा वायुकाय परमाणु – पुद्‌गल से स्पृष्ट है ? गौतम ! परमाणु – पुद्‌गल वायुकाय से स्पृष्ट है, किन्तु वायुकाय परमाणु – पुद्‌गल से स्पृष्ट नहीं है। भगवन्‌ ! द्विप्रदेशिक – स्कन्ध वायुकाय से स्पृष्ट है या वायुकाय द्विप्रदेशिक – स्कन्ध से स्पृष्ट है ? गौतम ! पूर्ववत्‌।
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Hindi 755 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra:

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के नीचे वर्ण से – काला, नीला, पीला, लाल और श्वेत, गन्ध से – सुगन्धित और दुर्गन्धित; रस से – तिक्त, कटुक कसैला, अम्ल और मधुर; तथा स्पर्श से – कर्कश, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष – इन बीस बोलों से युक्त द्रव्य क्या अन्योन्य बद्ध, अन्योन्य स्पृष्ट, यावत्‌ अन्योन्य सम्बद्ध हैं
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Hindi 756 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नगरे होत्था–वण्णओ। दूतिपलासए चेइए–वण्णओ। तत्थ णं वाणियगामे नगरे सोमिले नामं माहणे परिवसति अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, रिव्वेद जाव सुपरिनिट्ठिए, पंचण्हं खंडियसयाणं, सयस्स य, कुडुंबस्स आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा-ईसर-सेनावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ। तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति। तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लद्धट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–एवं खलु समणे नायपुत्ते पुव्वानुपुव्विं चरमाणे गामानुगामं दूइज्जमाणे

Translated Sutra: उस काल उस समय में वाणिज्यग्राम नामक नगर था। वहाँ द्युतिपलाश नाम का (चैत्य) था। उस वाणिज्य ग्राम नगर में सोमिल ब्राह्मण रहता था। जो आढ्य यावत्‌ अपराभूत था तथा ऋग्वेद यावत्‌ अथर्ववेद, तथा शिक्षा, कल्प आदि वेदांगों में निष्णात था। वह पाँच – सौ शिष्यों और अपने कुटुम्ब पर आधिपत्य करता हुआ यावत्‌ सुख – पूर्वक जीवनयापन
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Hindi 757 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगे भवं? दुवे भवं? अक्खए भवं? अव्वए भवं? अवट्ठिए भवं? अनेगभूयभाव-भविए भवं? सोमिला! एगे वि अहं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–एगे वि अहं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं? सोमिला! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसणट्ठयाए दुविहे अहं, पएसट्ठयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवयोगट्ठयाए अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। से तेणट्ठेणं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–जहा खंदओ जाव से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भसेट्ठि-सेनावइ-सत्थ

Translated Sutra: भगवन्‌ ! आप एक हैं, या दो हैं, अथवा अक्षय हैं, अव्यय हैं, अवस्थित हैं अथवा अनेक – भूत – भाव – भाविक हैं? सोमिल ! मैं एक भी हूँ, यावत्‌ अनेक – भूत – भाव – भाविक भी हूँ। भगवन्‌ ! ऐसा किस कारण से कहते हैं ? सोमिल ! मैं द्रव्यरूप से एक हूँ, ज्ञान और दर्शन की दृष्टि से दो हूँ। आत्म – प्रदेशों की अपेक्षा से मैं अक्षय हूँ, अव्यय हूँ
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-२५

उद्देशक-७ संयत Hindi 965 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनसने? अनसने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य, आवकहिए य। से किं तं इत्तरिए? इत्तरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–चउत्थे भत्ते, छट्ठे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवाल-समे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते। सेत्तं इत्तरिए। से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पाओवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य। से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–नीहारिमे य, अणीहारिमे य। नियमं अपडिकम्मे सेत्तं पाओवगमणे। से किं तं भत्तपच्चक्खाणे? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–नीहारिमे

Translated Sutra: भगवन्‌ ! अनशन कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – इत्वरिक और यावत्कथिक। भगवन्‌ ! इत्वरिक अनशन कितने प्रकार का कहा है ? अनेक प्रकार का यथा – चतुर्थभक्त, षष्ठभक्त, अष्टम – भक्त, दशम – भक्त, द्वादशभक्त, चतुर्दशभक्त, अर्द्धमासिक, मासिकभक्त, द्विमासिकभक्त, त्रिमासिकभक्त यावत्‌ षाण्मासिक – भक्त। यह इत्वरिक अनशन
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१ प्रथम Gujarati 721 Gatha Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. पढमे २. विसाह ३. मायंदिए य ४. पाणाइवाय ५. असुरे य । ६. गुल ७. केवलि ८. अनगारे, ९. भविए तह १. सोमिलट्ठारसे

Translated Sutra: એક ગાથા દ્વારા અઢારમાં શતકના દશ ઉદ્દેશાના નામો જણાવે છે – પ્રથમ, વિશાખા, માકંદિક, પ્રાણાતિપાત, અસુર, ગુડ, કેવલિ, અનગાર, ભવ્ય, સોમિલ.
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Gujarati 753 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–अनगारे णं भंते! भावियप्पा असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा? हंता ओगाहेज्जा। से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा? नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा अगनिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते! तत्थ ज्झियाएज्जा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते! तत्थ उल्ले सिया? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। अनगारे णं भंते! भावियप्पा गंगाए महानदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा?

Translated Sutra: રાજગૃહમાં યાવત્‌ ગૌતમસ્વામીએ આમ કહ્યું – ભગવન્‌ ! ભાવિતાત્મા અણગાર તલવાર કે અસ્ત્રાની ધાર ઉપર રહી શકે ? હા, રહી શકે. તે ત્યાં છેદાય, ભેદાય ? ના, તે અર્થ યોગ્ય નથી, કેમ કે તેના ઉપર શસ્ત્ર સંક્રમણ ન કરે. એ રીતે જેમ પાંચમાં શતકમાં પરમાણુ પુદ્‌ગલ વક્તવ્યતા છે, તે યાવત્‌ ‘‘ભગવન્‌ ! ભાવિતાત્મા અણગાર ઉદકાવર્તમાં યાવત્‌
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Gujarati 754 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] परमाणुपोग्गले णं भंते! वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं फुडे? गोयमा! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे। दुप्पएसिए णं भंते! खंधे वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा दुप्पएसिएणं खंधेणं फुडे? एवं चेव। एवं जाव असंखेज्जपएसिए। अनंतपएसिए णं भंते! खंधे वाउयाएणं फुडे–पुच्छा। गोयमा! अनंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे, वाउयाए अनंतपएसिएणं खंधेणं सिय फुडे, सिय नो फुडे। वत्थी भंते! वाउयाएणं फुडे? वाउयाए वा वत्थिणा फुडे? गोयमा! वत्थी वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए वत्थिणा फुडे।

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! પરમાણુ પુદ્‌ગલ, વાયુકાયથી સ્પૃષ્ટ છે કે વાયુકાય પરમાણુ પુદ્‌ગલથી સ્પૃષ્ટ છે ? ગૌતમ ! પરમાણુ પુદ્‌ગલ, વાયુકાયથી સ્પૃષ્ટ છે પણ વાયુકાય પરમાણુ પુદ્‌ગલથી સ્પૃષ્ટ નથી. ભગવન્‌ ! દ્વિપ્રદેશિકસ્કંધ વાયુકાયથી ? પૂર્વવત્‌. એ પ્રમાણે યાવત્‌ અસંખ્યપ્રદેશિક કહેવો. ભગવન્‌ ! અનંતપ્રદેશિક સ્કંધ, વાયુકાયથી ? પૃચ્છા.
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Gujarati 755 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra:

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આ રત્નપ્રભા પૃથ્વીની નીચે વર્ણથી કાળા – લીલા – લાલ – પીળા – શ્વેત, ગંધથી સુગંધી – દુર્ગંધ, રસથી તિક્ત – કટુક – કષાય – અંબિલ – મધુર, સ્પર્શથી કર્કશ – મૃદુ – ભારે – હલકો – શીત – ઉષ્ણ – સ્નિગ્ધ – રૂક્ષ એ દ્રવ્યો અન્યોન્યબદ્ધ છે – સ્પૃષ્ટ છે – યાવત્‌ સંબદ્ધ છે ? હા, છે. એ રીતે યાવત્‌ અધઃસપ્તમી સુધી જાણવુ. ભગવન્‌
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Gujarati 756 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नगरे होत्था–वण्णओ। दूतिपलासए चेइए–वण्णओ। तत्थ णं वाणियगामे नगरे सोमिले नामं माहणे परिवसति अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, रिव्वेद जाव सुपरिनिट्ठिए, पंचण्हं खंडियसयाणं, सयस्स य, कुडुंबस्स आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा-ईसर-सेनावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ। तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति। तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लद्धट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–एवं खलु समणे नायपुत्ते पुव्वानुपुव्विं चरमाणे गामानुगामं दूइज्जमाणे

Translated Sutra: તે કાળે, તે સમયે વાણિજ્યગ્રામ નામે નગર હતું. દ્યુતિપલાશ ચૈત્ય હતું, તે વાણિજ્યગ્રામ નગરમાં સોમિલ નામે બ્રાહ્મણ વસતો હતો. તે ધનાઢ્ય યાવત્‌ અપરિભૂત હતો. ઋગ્વેદ આદિનો જ્ઞાતા, વૈદિક શાસ્ત્રમાં કુશળ હતો. ૫૦૦ શિષ્યો અને પોતાના કુટુંબનું આધિપત્ય કરતો યાવત્‌ વિચરતો હતો. ત્યારે શ્રમણ ભગવંત મહાવીર યાવત્‌ સમોસર્યા
Bhagavati ભગવતી સૂત્ર Ardha-Magadhi

शतक-१८

उद्देशक-१० सोमिल Gujarati 757 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एगे भवं? दुवे भवं? अक्खए भवं? अव्वए भवं? अवट्ठिए भवं? अनेगभूयभाव-भविए भवं? सोमिला! एगे वि अहं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–एगे वि अहं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं? सोमिला! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसणट्ठयाए दुविहे अहं, पएसट्ठयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवयोगट्ठयाए अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। से तेणट्ठेणं जाव अनेगभूय-भाव-भविए वि अहं। एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–जहा खंदओ जाव से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भसेट्ठि-सेनावइ-सत्थ

Translated Sutra: ભગવન્‌ ! આપ એક છો, બે છો, અક્ષય છો, અવ્યય છો, અવસ્થિત છો કે અનેક ભૂતભાવ ભાવિક છો ? હે સોમિલ! હું એક પણ છું યાવત્‌ અનેકભૂત ભાવ ભાવિક પણ છું. ભગવન્‌ ! કયા કારણે આપ એમ કહો છો કે યાવત્‌ હું ભાવિક પણ છું ? હે સોમિલ! દ્રવ્યાર્થપણે હું એક છું, જ્ઞાન – દર્શન અર્થથી હું બે છું, પ્રદેશાર્થથી હું અક્ષય છું, અવ્યય છું અને અવસ્થિત પણ
Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Hindi 696 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संगार मल्लिनाते सत्त निवा कासि जह उ संगारं । दारं। वेयाकरणे सोमिलपुच्छा जह वाकरे भगवं । दारं॥

Translated Sutra: Not Available
Panchkappo Bhaasam Ardha-Magadhi

मपंचकप्प.भासं

Gujarati 696 Gatha Chheda-05B View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संगार मल्लिनाते सत्त निवा कासि जह उ संगारं । दारं। वेयाकरणे सोमिलपुच्छा जह वाकरे भगवं । दारं॥

Translated Sutra: Not Available
Pushpika पूष्पिका Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ शुक्र

Hindi 5 Sutra Upang-10 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, तच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। सामी समोसढे। परिसा निग्गया। तेणं कालेणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवडिंसए विमाने सुक्कंसि सीहासनंसि चउहिं सामानियसाहस्सीहिं जहेव चंदो तहेव आगओ, नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ। भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा। कूडागारसाला दिट्ठंतो। एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी

Translated Sutra: भगवन्‌ ! यदि श्रमण भगवान महावीर ने पुष्पिका के द्वितीय अध्ययन का यह आशय प्ररूपित किया है तो तृतीय अध्ययन का क्या भाव बताया है ? आयुष्मन्‌ जम्बू ! राजगृह नगर था। गुणशिलक चैत्य था। राजा श्रेणिक था। स्वामी का पदार्पण हुआ। परिषद्‌ नीकली। उस काल और उस समय में शुक्र महाग्रह शुक्रावतंसक विमान में शुक्र सिंहासन पर
Pushpika पूष्पिका Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ शुक्र

Hindi 7 Sutra Upang-10 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ, चरुं साहेइ, साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ, करेत्ता अतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ। तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चं छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चछट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयं गेण्हइ, गेण्हित्ता दाहिणं दिसिं पोक्खेइ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सानिलमाहणरिसिंअभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि

Translated Sutra: तत्पश्चात्‌ उन सोमिल ब्रह्मर्षी ने दूसरा षष्ठक्षपण अंगीकार किया। पारणे के दिन भी आतापनाभूमि से नीचे ऊतरे, वल्कल वस्त्र पहने यावत्‌ आहार किया, इतना विशेष है कि इस बार वे दक्षिण दिशा में गए और कहा – ‘हे दक्षिण दिशा के यम महाराज ! प्रस्थान के लिए प्रवृत्त सोमिल ब्रह्मर्षी की रक्षा करें और यहाँ जो कन्द, मूल आदि
Pushpika પૂષ્પિકા Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ शुक्र

Gujarati 5 Sutra Upang-10 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, तच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे। गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। सामी समोसढे। परिसा निग्गया। तेणं कालेणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवडिंसए विमाने सुक्कंसि सीहासनंसि चउहिं सामानियसाहस्सीहिं जहेव चंदो तहेव आगओ, नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगओ। भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा। कूडागारसाला दिट्ठंतो। एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी

Translated Sutra: સૂત્ર– ૫. ભગવન્‌ ! જો નિર્વાણ પ્રાપ્ત શ્રમણ ભગવંત મહાવીરે પુષ્પિકા ઉપાંગના બીજા અધ્યયનનો આ અર્થ કહ્યો છે તો, ભગવંત મહાવીરે ત્રીજા અધ્યયનનો શો અર્થ કહ્યો છે ? હે જમ્બૂ ! તે કાળે રાજગૃહ નામે નગર હતું, ગુણશીલ નામે ચૈત્ય હતું, ત્યાં શ્રેણિક નામે રાજા હતો. કોઈ દિવસે ભગવંત મહાવીર સ્વામી સમોસર્યા, દર્શનાર્થે પર્ષદા
Pushpika પૂષ્પિકા Ardha-Magadhi

अध्ययन-३ शुक्र

Gujarati 7 Sutra Upang-10 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गिं हुणइ, चरुं साहेइ, साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ, करेत्ता अतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ। तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चं छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ। तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चछट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयं गेण्हइ, गेण्हित्ता दाहिणं दिसिं पोक्खेइ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सानिलमाहणरिसिंअभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૫
Sthanang स्थानांग सूत्र Ardha-Magadhi

स्थान-१०

Hindi 971 Sutra Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: अन्तकृद्दशा के दस अध्ययन हैं, यथा – नमि, मातंग, सोमिल, रामगुप्त, सुदर्शन, जमाली, भगाली, किकर्म, पल्यंक और अंबडपुत्र। सूत्र – ९७१, ९७२
Sthanang स्थानांग सूत्र Ardha-Magadhi

स्थान-१०

Hindi 972 Gatha Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नमि मातंगे सोमिले, रामगुत्ते सुदंसणे चेव जमाली य भगाली य । किंकसे चिल्लए ति य फाले अंबडपुत्ते य एमेते दस आहिता ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ९७१
Sthanang સ્થાનાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

स्थान-१०

Gujarati 972 Gatha Ang-03 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नमि मातंगे सोमिले, रामगुत्ते सुदंसणे चेव जमाली य भगाली य । किंकसे चिल्लए ति य फाले अंबडपुत्ते य एमेते दस आहिता ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૯૬૬
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