Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures
Search :
Frequently Searched: , Upmitu , Rajprasna vyakran , Uttarâdhyayana , Partikam

Search Results (686)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1669 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] असुरा नागसुवण्णा विज्जू अग्गी य आहिया । दीवोदहिदिसा वाया थणिया भवणवासिणो ॥

Translated Sutra: असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिक्‌कुमार, वायुकुमार और स्तनितकुमार – ये दस भवनवासी देव हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1670 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पिसायभूय जक्खा य रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा । महोरगा य गंधव्वा अट्ठविहा वाणमंतरा ॥

Translated Sutra: पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग और गन्धर्व – ये आठ व्यन्तर देव हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1671 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चंदा सूरा य नक्खत्ता गहा तारागणा तहा । दिसाविचारिणो चेव पंचहा जोइसालया ॥

Translated Sutra: चन्द्र, सूर्य, नक्षत्र, ग्रह और तारा – ये पाँच ज्योतिष्क देव हैं। ये दिशाविचारी हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1672 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वेमाणिया उ जे देवा दुविहा ते वियाहिया । कप्पोवगा य बोद्धव्वा कप्पाईया तहेव य ॥

Translated Sutra: वैमानिक देवों के दो भेद हैं – कल्प से सहित और कल्पातीत।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1673 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कप्पोवगा बारसहा सोहम्मीसाणगा तहा । सणंकुमारमाहिंदा बंभलोगा य लंतगा ॥

Translated Sutra: कल्पोपग देव के बारह प्रकार हैं – सौधर्म, ईशानक, सनत्कुमार, माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत आरण और अच्युत। सूत्र – १६७३, १६७४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1674 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] महासुक्का सहस्सारा आणया पाणया तहा । आरणा अच्चुया चेव इइ कप्पोवगा सुरा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1675 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कप्पाईया उ जे देवा दुविहा ते वियाहिया । गेविज्जाणुत्तरा चेव गेविज्जा नवविहा तहिं ॥

Translated Sutra: कल्पातीत देवों के दो भेद हैं – ग्रैवेयक और अनुत्तर। ग्रैवेयक नौ प्रकार के हैं – अधस्तन – अधस्तन, अधस्तन – मध्यम, अधस्तन – उपरितन, मध्यम – अधस्तन, मध्यम – मध्यम, मध्यम – उपरितन, उपरितन – अधस्तन, उपरितन – मध्यम और उपरितन – उपरितन – ये नौ ग्रैवेयक हैं। विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित और सर्वार्थसिद्धक – ये पाँच अनुत्तर
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1676 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हेट्ठिमाहेट्ठिमा चेव हेट्ठिमामज्झिमा तहा । हेट्ठिमाउवरिमा चेव मज्झिमाहेट्ठिमा तहा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1677 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] मज्झिमामज्झिमा चेव मज्झिमाउवरिमा तहा । उवरिमाहेट्ठिमा चेव उवरिमामज्झिमा तहा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1678 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उवरिमाउवरिमा चेव इय गेविज्जगा सुरा । विजया वेजयंता य जयंता अपराजिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1679 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वट्ठसिद्धगा चेव पंचहाणुत्तरा सुरा । इइ वेमाणिया देवा णेगहा एवमायओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६७५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1680 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] लोगस्स एगदेसम्मि ते सव्वे परिकित्तिया । इत्तो कालविभागं तु वुच्छं तेसिं चउव्विहं ॥

Translated Sutra: वे सभी लोक के एक भाग में व्याप्त हैं। इस निरूपण के बाद चार प्रकार से उनके काल – विभाग का कथन करूँगा। वे प्रवाह की अपेक्षा से अनादि अनन्त हैं। स्थिति की अपेक्षा से सादिसान्त हैं। सूत्र – १६८०, १६८१
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1681 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संतइं पप्पाणाईया अपज्जवसिया वि य । ठिइं पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८०
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1682 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] साहियं सागरं एक्कं उक्कोसेण ठिई भवे । भोमेज्जाणं जहन्नेणं दसवाससहस्सिया ॥

Translated Sutra: भवनवासी देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति किंचित्‌ अधिक एक सागरोपम की और जघन्य दस हजार वर्ष की है। व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु – स्थिति एक पल्योपम की और जघन्य दस हजार वर्ष की है। ज्योतिष्क देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की और जघन्य पल्योपम का आठवाँ भाग है। सूत्र – १६८२–१६८४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1683 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पलिओवममेगं तु उक्कोसेण ठिई भवे । वंतराणं जहन्नेणं दसवाससहस्सिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1684 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पलिओवमं एगं तु वासलक्खेण साहियं । पलिओवमट्ठभागो जोइसेसु जहन्निया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1685 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दो चेव सागराइं उक्कोसेण वियाहिया । सोहम्मंमि जहन्नेणं एगं च पलिओवमं ॥

Translated Sutra: सौधर्म देवों की उत्कृष्ट आयु – स्थिति दो सागरोपम और जघन्य एक पल्योपम। ईशान देवों की उत्कृष्ट किंचित्‌ अधिक सागरोपम और जघन्य किंचित्‌ अधिक एक पल्योपम। सनत्कुमार की उत्कृष्ट सात सागरोपम और जघन्य दो सागरोपम। माहेन्द्रकुमार की उत्कृष्ट किंचित्‌ अधिक सात सागरोपम, और जघन्य किंचित्‌ अधिक दो सागरोपम। ब्रह्मलोक
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1686 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा साहिया दुन्नि उक्कोसेण वियाहिया । ईसाणम्मि जहन्नेणं साहियं पलिओवमं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1687 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागराणि य सत्तेव उक्कोसेण ठिई भवे । सणंकुमारे जहन्नेणं दुन्नि ऊ सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1688 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] साहिया सागरा सत्त उक्कोसेण ठिई भवे । माहिंदम्मि जहन्नेणं साहिया दुन्नि सागरा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1689 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] दस चेव सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । बंभलोए जहन्नेणं सत्त ऊ सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1690 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउद्दस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । लंतगम्मि जहन्नेणं दस ऊ सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1691 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्तरस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । महासुक्के जहन्नेणं चउद्दस सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1692 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अट्ठारस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । सहस्सारे जहन्नेणं सत्तरस सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1693 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा अउणवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । आणयम्मि जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1694 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वीसं तु सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । पाणयम्मि जहन्नेणं सागरा अउणवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1695 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा इक्कवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । आरणम्मि जहन्नेणं वीसई सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1696 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बावीसं सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । अच्चुयम्मि जहन्नेणं सागरा इक्कवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६८५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1697 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तेवीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । पढमम्मि जहन्नेणं बावीसं सागरोवमा ॥

Translated Sutra: प्रथम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तेईस जघन्य बाईस सागरोपम। द्वितीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट चौबीस जघन्य तेईस सागरोपम। तृतीय ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट पच्चीस, जघन्य चौबीस सागरोपम। चतुर्थ ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट छब्बीस, जघन्य पच्चीस सागरोपम। पंचम ग्रैवेयक देवों की उत्कृष्ट सत्ताईस, जघन्य
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1698 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] चउवीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । बिइयम्मि जहन्नेणं तेवीसं सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1699 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पणवीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । तइयम्मि जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1700 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] छव्वीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । चउत्थम्मि जहन्नेणं सागरा पणुवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1701 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा सत्तवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । पंचमम्मि जहन्नेणं सागरा उ छवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1702 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा अट्ठवीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । छट्ठम्मि जहन्नेणं सागरा सत्तवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1703 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा अउणतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । सत्तमम्मि जहन्नेणं सागरा अट्ठवीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1704 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तीसं तु सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे । अट्ठमम्मि जहन्नेणं सागरा अउणतीसई ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1705 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सागरा इक्कतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे । नवमम्मि जहन्नेणं तीसई सागरोवमा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १६९७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1706 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तेत्तीस सागराउ उक्कोसेण ठिई भवे । चउसुं पि विजयाईसुं जहन्नेणेक्कतीसई ॥

Translated Sutra: विजय, वैजयन्त, जयन्त और अपराजित देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति तैंतीस सागरोपम और जघन्य इकत्तीस सागरोपम हैं। महाविमान सर्वार्थसिद्ध के देवों की अजघन्य – अनुत्कृष्ट आयु – स्थिति तैंतीस सागरोपम हैं। सूत्र – १७०६, १७०७
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1707 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अजहन्नमनुक्कोसा तेत्तीसं सागरोवमा । महाविमाण सव्वट्ठे ठिई एसा वियाहिया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७०६
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1708 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जा चेव उ आउठिई देवाणं तु वियाहिया । सा तेसिं कायठिई जहन्नुक्कोसिया भवे ॥

Translated Sutra: देवों की पूर्व – कथित जो आयु – स्थिति है, वही उनकी जघन्य और उत्कृष्ट कायस्थिति है। देव के शरीर को छोड़कर पुनः देव के शरीर में उत्पन्न होने में अन्तर जघन्य अन्तमुहूर्त्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल का है। सूत्र – १७०८, १७०९
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1709 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] अनंतकालमुक्कोसं अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विजढंमि सए काए देवाणं हुज्ज अंतरं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७०८
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1710 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एएसिं वण्णओ चेव गंधओ रसफासओ । संठाणादेसओ वावि विहाणाइं सहस्सओ ॥

Translated Sutra: वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान की अपेक्षा से उनके हजारों भेद होते हैं।
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1711 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संसारत्था य सिद्धा य इइ जीवा वियाहिया । रूविणो चेवरूवी य अजीवा दुविहा वि य ॥

Translated Sutra: इस प्रकार संसारी और सिद्ध जीवों का व्याख्यान किया गया। रूपी और अरूपी के भेद से दो प्रकार के अजीवों का भी व्याख्यान हो गया। जीव और अजीव के व्याख्यान को सुनकर और उसमें श्रद्धा करके ज्ञान एवं क्रिया आदि सभी नयों से अनुमत संयम में मुनि रमण करे। सूत्र – १७११, १७१२
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1712 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] इइ जीवमजीवे य सोच्चा सद्दहिऊण य । सव्वनयाण अणुमए रमेज्जा संजमे मुनी ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७११
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1713 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तओ बहूणि वासाणि सामण्णमनुपालिया । इमेण कमजोगेण अप्पाणं संलिहे मुनी ॥

Translated Sutra: तदनन्तर अनेक वर्षों तक श्रामण्य का पालन करके मुनि इस अनुक्रम से आत्मा की संलेखना – विकारों से क्षीणता करे। उत्कृष्ट संलेखना बारह वर्ष की होती है। मध्यम एक वर्ष की और जघन्य छह मास की है। सूत्र – १७१३, १७१४
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1714 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] बारसेव उ वासाइं संलेहुक्कोसिया भवे । संवच्छरं मज्झिमिया छम्मासा य जहन्निया ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७१३
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1715 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पढमे वासचउक्कम्मि विगईनिज्जूहणं करे । बिइए वासचउक्कम्मि विचित्तं तु तवं चरे ॥

Translated Sutra: प्रथम चार वर्षों में दुग्ध आदि विकृतियों का त्याग करे, दूसरे चार वर्षों में विविध प्रकार का तप करे। फिर दो वर्षों तक एकान्तर तप करे। भोजन के दिन आचाम्ल करे। उसके बाद ग्यारहवें वर्ष में पहले छह महिनों तक कोई भी अतिविकृष्ट तप न करे। उसके बाद छह महिने तक विकृष्ट तप करे। इस पूरे वर्ष में परिमित आचाम्ल करे। बारहवें
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1716 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एगंतरमायामं कट्टु संवच्छरे दुवे । तओ संवच्छरद्धं तु नाइविगिट्ठं तवं चरे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७१५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1717 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तओ संवच्छरद्धं तु विगिट्ठं तु तवं चरे । परिमियं चेव आयामं तंमि संवच्छरे करे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७१५
Uttaradhyayan उत्तराध्ययन सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-३६ जीवाजीव विभक्ति

Hindi 1718 Gatha Mool-04 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कोडीसहियमायामं कट्टु संवच्छरे मुनी । मासद्धमासिएणं तु आहारेण तवं चरे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १७१५
Showing 351 to 400 of 686 Results