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Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 322 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामसमोयारे २. ठवणसमोयारे ३. दव्वसमोयारे ४. खेत्तसमोयारे ५. कालसमोयारे ६. भावसमोयारे। नामट्ठवणाओ गयाओ जाव। से तं भवियसरीरदव्वसमोयारे। से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे। सव्वदव्वा वि णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेणं जहा कुंडे वदराणि, तदुभयसमोयरेणं जहा घरे थंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य। अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य

Translated Sutra: समवतार क्या है ? समवतार के छह प्रकार हैं, जैसे – नामसमवतार, स्थापनासमवतार, द्रव्यसमवतार, क्षेत्रसमवतार, कालसमवतार और भावसमवतार। नाम और स्थापना (समवतार) का वर्णन पूर्ववत्‌ जानना। द्रव्यसमवतार दो प्रकार का कहा है – आगमद्रव्यसमवतार, नोआगमद्रव्यसमवतार। यावत्‌ आगमद्रव्यसमवतार का तथा नोआगमद्रव्यसमवतार के
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 330 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जस्स सामानिओ अप्पा, संजमे नियमे तवे । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥

Translated Sutra: जिसकी आत्मा संयम, नियम और तप में संनिहित है, उसी को सामायिक होती है, उसी को सामायिक होती है, जो सर्व भूतों, स्थावर आदि प्राणियों के प्रति समभाव धारण करता है, उसी को सामायिक होता है, ऐसा केवली भगवान्‌ ने कहा है। जिस प्रकार मुझे दुःख प्रिय नहीं है, उसी प्रकार सभी जीवों को भी प्रिय नहीं है, ऐसा जानकर – अनुभव कर जो न स्वयं
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 331 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जो समो सव्वभूएसु, तसेसु थावरेसु य । तस्स सामाइयं होइ, इइ केवलिभासियं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 332 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जह मम न पियं दुक्खं, जाणिय एमेव सव्वजीवाणं । न हणइ न हणावइ य, सममणती तेण सो समणो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 333 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नत्थि य से कोइ वेसो, पिओ व सव्वेसु चेव जीवेसु । एएण होइ समणो, एसो अन्नो वि पज्जाओ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 334 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] उरग-गिरि-जलण-सागर-नहतल-तरुगणसमो य जो होइ । भमर-मिय-धरणि-जलरुह-रवि-पवणसमो य सो समणो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 335 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तो समणो जइ सुमणो, भावेण य जइ न होइ पावमणो । सयणे य जणे य समो, समो य मानावमानेसु ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 336 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नोआगमओ भावसामाइए। से तं भावसामाइए। से तं सामाइए। से तं नामनिप्फन्ने। से किं तं सुत्तालावगनिप्फन्ने? सुत्तालावगनिप्फन्ने–इयाणिं सुत्तालावगनिप्फन्ने निक्खेवे इच्छावेइ, से य पत्त-लक्खणे वि न निक्खिप्पइ, कम्हा? लाघवत्थं। अओ अत्थि तइए अनुओगदारे अनुगमे त्ति। तत्थ निक्खित्ते इहं निक्खित्ते भवइ, इहं वा निक्खित्ते तत्थ निक्खित्ते भवइ, तम्हा इहं न निक्खिप्पइ तहिं चेव निक्खिप्पिस्सइ। से तं निक्खेवे।

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 337 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनुगमे? अनुगमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुत्तानुगमे य निज्जुत्तिअनुगमे य। से किं तं निज्जुत्तिअनुगमे? निज्जुत्तिअनुगमे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–निक्खेवनिज्जुत्ति-अनुगमे उवग्घायनिज्जुत्तिअनुगमे सुत्तफासियनिज्जुत्तिअनुगमे। से किं तं निक्खेवनिज्जुत्तिअनुगमे? निक्खेवनिज्जुत्तिअनुगमे अनुगए। से तं निक्खेव-निज्जुत्तिअनुगमे। से किं तं उवग्घायनिज्जुत्तिअनुगमे? उवग्घायनिज्जुत्तिअनुगमे–इमाहिं दोहिं दारगाहाहिं अनुगंतव्वे, तं जहा–

Translated Sutra: भगवन्‌ ! अनुगम का क्या है ? अनुगम के दो भेद हैं। सूत्रानुगम और निर्युक्त्यनुगम। निर्यक्त्यनुगम के तीन प्रकार हैं। यथा – निक्षेपनिर्युक्त्यनुगम, उपोद्‌घातनिर्युक्त्यनुगम और सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्त्यनुगम। (नाम स्थापना आदि रूप) निक्षेप की निर्युक्ति का अनुगम पूर्ववत्‌ जानना। आयुष्मन्‌ ! उपोद्‌घातनिर्युक्ति
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 338 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. उद्देसे २. निद्देसे य, ३. निग्गमे ४. खेत्त ५. काल ६. पुरिसे य । ७. कारण ८. पच्चय ९. लक्खण, १०. नए ११. समोयरणा १२. नुमए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 339 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १३. किं १४. कइविहं १५. कस्स १६. कहिं, १७. केसु १८. कहं १९. केच्चिरं हवइ कालं । २०. कइ २१. संतर २२. मविरहियं, २३. भवा २४. गरिस २५. फासण २६. निरुत्ती ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३३७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 340 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं उवग्घायनिज्जुत्तिअनुगमे। से किं तं सुत्तफासियनिज्जुत्तिअनुगमे? सुत्तफासियनिज्जुत्तिअनुगमे– सुत्तं उच्चारेयव्वं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडि-पुण्णं पडिपुन्नघोसं कंटोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं। तओ नज्जिहिति ससमयपयं वा परसमयपयं वा बंधपयं वा मोक्खपयं वा सामाइयपयं वा नोसामा-इयपयं वा। तओ तम्मि उच्चारिए समाणे केसिंचि भगवंताणं केइ अत्थाहिगारा अहिगया भवंति, के सिंचि य केइ अनहिगया भवंति, तओ तेसिं अनहिगयाणं अत्थाणं अहिगमनट्ठयाए पदेणं पदं वण्णइस्सामि–

Translated Sutra: सूत्रस्पर्शिकनिर्युक्त्यनुगम क्या है ? (जिस सूत्र की व्याख्या की जा रही है उस सूत्र को स्पर्श करने वाली निर्युक्ति के अनुगम को सूत्रस्पर्शिक – निर्युक्त्यनुगम कहते हैं।) इस अनुगम में अस्खलित, अमिलित, अव्यत्या – म्रेडित, प्रतिपूर्ण, प्रतिपूर्णघोष कंठोष्ठविप्रमुक्त तथा गुरुवाचनोपगत रूप से सूत्र का उच्चारण
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 341 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संहिता य पदं चेव, पदत्थो पदविग्गहो । चालणा य पसिद्धी य, छव्विहं विद्धि लक्खणं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 342 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं सुत्तफासियनिज्जुत्तिअनुगमे। से तं निज्जुत्तिअनुगमे। से तं अनुगमे।

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४०
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 343 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नए? सत्त मूलनया पन्नत्ता, तं जहा–नेगमे संगहे ववहारे उज्जुसुए सद्दे समभिरूढे एवंभूए। तत्थ–

Translated Sutra: नय क्या है ? मूल नय सात हैं। नैगमनय, संग्रहनय, व्यवहारनय, ऋजुसूत्रनय, शब्दनय, समभिरूढनय और एवंभूत – नय। जो अनेक प्रकारों से वस्तु के स्वरूप को जानता है, अनेक भावों से वस्तु का निर्णय करता है (वह नैगमनय है।) शेष नयों के लक्षण कहूँगा – सुनो। सम्यक्‌ प्रकार से गृहीत – यह संग्रहनय का वचन है। इस प्रकार से संक्षेप में
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 344 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नेगेहिं मानेहिं, मिणइ त्ति नेगमस्स य निरुत्ती । सेसाणं पि नयाणं, लक्खणमिणमो सुणह वोच्छं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 345 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] संगहिय-पिंडियत्थं, संगहवयणं समासओ बेंति । वच्चइ विणिच्छियत्थं, ववहारो सव्वदव्वेसु ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 346 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पच्चुप्पन्नग्गाही, उज्जुसुओ नयविही मुणेयव्वो । इच्छइ विसेसियतरं, पच्चुप्पन्नं नओ सद्दो ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 347 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] वत्थूओ संकमणं, होइ अवत्थू नए समभिरूढे । वंजण-अत्थ-तदुभयं, एवंभूओ विसेसेइ ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 348 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] नायम्मि गिण्हियव्वे, अगिण्हियव्वम्मि चेव अत्थम्मि । जइयव्वमेव इइ जो, उवएसो सो नओ नाम ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 349 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सव्वेसिं पि नयाणं, बहुविहवत्तव्वयं निसामित्ता । तं सव्वनयविसुद्धं, जं चरणगुणट्ठिओ साहू ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 350 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं नए।

Translated Sutra: देखो सूत्र ३४३
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 198 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निद्दोसं सारवतं च हेउजुत्तमलंकियं । उवनीयं सोवयारं च, मियं महुरमेव य ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 199 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समं अद्धसमं चेव, सव्वत्थ विसमं च जं । तिन्नि वित्तप्पयाराइं, चउत्थं नोवलब्भई ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 200 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सक्कया पायया चेव, भणितीओ होंति दोन्नि वि । सरमंडलंमि गिज्जंते, पसत्था इसिभासिया ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 201 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] केसी गायइ महुरं? केसी गायइ खरं च रुक्खं च? । केसी गायइ चउरं? केसी य विलंबियं दुतं केसी? विस्सरं पुण केरिसी? ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 202 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सामा गायइ महुरं, काली गायइ खरं च रुक्खं च । गोरी गायइ चउरं, काणा य विलंबियं, दुतं अंधा ॥ विस्सरं पुण पिंगला ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 203 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त सरा तओ गामा, मुच्छणा एगवीसई । ताणा एगूणपन्नासं, समत्तं सरमंडलं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 204 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं सत्तनामे।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૯૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 205 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अट्ठनामे? अट्ठनामे–अट्ठविहा वयणविभत्ती पन्नत्ता, तं जहा–

Translated Sutra: અષ્ટનામનું સ્વરૂપ કેવું છે? અષ્ટનામમાં આઠ પ્રકારની વચન વિભક્તિ કહેલ છે. વચન વિભક્તિના તે આઠ પ્રકાર આ પ્રમાણે છે – ૧. નિર્દેશ – નિર્દેશ પ્રતિપાદક અર્થમાં કર્તા માટે પ્રથમા વિભક્તિ. ૨. ઉપદેશ – ઉપદેશ ક્રિયાના પ્રતિપાદનમાં દ્વિતીયા વિભક્તિ. ૩. કરણ અર્થમાં તૃતીયા વિભક્તિ. ૪. સંપ્રદાન – સ્વાહા અર્થમાં ચતુર્થી વિભક્તિ. ૫.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 206 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] निद्देसे पढमा होइ, बितिया उवएसणे । तइया करणम्मि कया, चउत्थी संपयावणे ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૦૫
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 295 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएहिं वावहारियखेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं? एएहिं वावहारिय-खेत्त-पलिओवम-सागरोवमेहिं नत्थि किंचिप्पओयणं केवलं पन्नवणट्ठं पन्नविज्जइ। से तं वावहारिए खेत्तपलिओवमे। से किं तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे? सुहुमे खेत्तपलिओवमे – से जहानामए पल्ले सिया–जोयणं आयाम-विक्खं-भेणं, जोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं; से णं पल्ले– एगाहिय-बेयाहिय-तेयाहिय, उक्कोसेणं सत्तरत्तपरूढाणं । सम्मट्ठे सन्निचिते, भरिए वालग्गकोडीणं ॥ तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखेज्जाइं खंडाइं कज्जइ, ते णं वालग्गा दिठ्ठीओगाहणाओ असंखेज्जइभागमेत्ता सुहुमस्स पणग-जीवस्स सरीरोगाहणाओ

Translated Sutra: આ વ્યાવહારિક ક્ષેત્ર પલ્યોપમ અને સાગરોપમથી શું પ્રયોજન સિદ્ધ થાય છે ? તેનું કથન શા માટે કર્યું છે ? આ વ્યાવહારિક ક્ષેત્ર પલ્યોપમ – સાગરોપમથી કોઈ પ્રયોજન સિદ્ધ થતું નથી. તેની માત્ર પ્રરૂપણા કરાય છે. સૂક્ષ્મ ક્ષેત્ર પલ્યોપમ સમજવામાં તે સહાયક બને છે માટે તેની પ્રરૂપણા સૂત્રકારે કરી છે. આ વ્યાવહારિક ક્ષેત્ર
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 296 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एएसिं पल्लाणं, कोडाकोडी भवेज्ज दसगुणिया । तं सुहुमस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૯૫
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 297 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएहिं सुहुमखेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं किं पओयणं? एएहिं सुहुमखेत्तपलिओवम-सागरोवमेहिं दिट्ठिवाए दव्वा मविज्जंति।

Translated Sutra: આ સૂક્ષ્મ ક્ષેત્ર પલ્યોપમ – સાગરોપમનું શું પ્રયોજન છે ? આ સૂક્ષ્મ ક્ષેત્ર પલ્યોપમ – સાગરોપમ દ્વારા દૃષ્ટિવાદમાં કથિત દ્રવ્યોનું માન કરવામાં આવે છે.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 298 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइविहा णं भंते! दव्वा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं०–जीवदव्वा य अजीवदव्वा य। अजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–अरूविअजीवदव्वा य रूविअजीवदव्वा य। अरूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा, अधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसा अधम्मत्थिकायस्स पएसा, आगासत्थिकाए आगास-त्थिकायस्स देसा आगासत्थिकायस्स पएसा, अद्धासमए। रूविअजीवदव्वा णं भंते! कइविहा पन्नत्ता? गोयमा! चउव्विहा पन्नत्ता, तं जहा–खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला। ते णं भंते!

Translated Sutra: [૧] હે ભગવન્‌ ! દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! દ્રવ્યના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – જીવ દ્રવ્ય અને અજીવ દ્રવ્ય. હે ભગવન્‌! અજીવ દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! અજીવ દ્રવ્યના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – અરૂપી અજીવ દ્રવ્ય અને રૂપી અજીવ દ્રવ્ય. હે ભગવન્‌! અરૂપી અજીવ દ્રવ્યના કેટલા પ્રકાર છે ? હે ગૌતમ! અરૂપી
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 299 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] कइ णं भंते! सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। नेरइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। असुरकुमाराणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–वेउव्विए तेयए कम्मए। एवं तिन्नि-तिन्नि एए चेव सरीरा जाव थणियकुमाराणं भाणियव्वा। पुढविकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! तओ सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए तेयए कम्मए। एवं आउ-तेउ-वणस्सइकाइयाण वि एए चेव तिन्नि सरीरा भाणियव्वा। वाउकाइयाणं भंते! कइ सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए

Translated Sutra: [૧] હે ભગવન્‌! શરીરના કેટલા પ્રકાર છે? હે ગૌતમ! શરીરના પાંચ પ્રકાર છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. ઔદારિક શરીર, ૨. વૈક્રિય શરીર, ૩. આહારક શરીર, ૪. તૈજસ શરીર, ૫. કાર્મણ શરીર. [૨] હે ભગવન્‌ ! નારકીઓને કેટલા શરીર છે ? હે ગૌતમ! નારકીઓને ત્રણ શરીર હોય છે, ૧. વૈક્રિય, ૨. તૈજસ, ૩. કાર્મણ. હે ભગવન્‌ ! અસુરકુમારને કેટલા શરીર હોય છે ? હે ગૌતમ! તેને
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 300 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भावप्पमाणे? भावप्पमाणे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–गुणप्पमाणे नयप्पमाणे संखप्पमाणे।

Translated Sutra: ભાવ પ્રમાણનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ભાવપ્રમાણ ત્રણ પ્રકારના છે. તે આ પ્રમાણે – ૧. ગુણ પ્રમાણ ૨. નય પ્રમાણ ૩. સંખ્યા પ્રમાણ.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 301 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं गुणप्पमाणे? गुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–जीवगुणप्पमाणे य अजीवगुण-प्पमाणे य। से किं तं अजीवगुणप्पमाणे? अजीवगुणप्पमाणे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–वण्णगुणप्पमाणे गंधगुणप्पमाणे रसगुणप्पमाणे फासगुणप्पमाणे संठाणगुणप्पमाणे। से किं तं वण्णगुणप्पमाणे? वण्णगुणप्पमाणे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–कालवण्णगुणप्पमाणे नीलवण्णगुणप्प-माणे लोहियवण्णगुणप्पमाणे हालिद्दवण्णगुणप्पमाणे सुक्किलवण्णगुणप्पमाणे। से तं वण्णगुणप्पमाणे। से किं तं गंधगुणप्पमाणे? गंधगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुब्भिगंधगुणप्पमाणे दुब्भिगंधगुणप्पमाणे। से तं गंधगुणप्पमाणे। से

Translated Sutra: [૧] ગુણપ્રમાણનું સ્વરૂપ કેવું છે ? ગુણપ્રમાણના બે ભેદ છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. જીવ ગુણ પ્રમાણ ૨. અજીવ ગુણ પ્રમાણ. અલ્પ વક્તવ્ય હોવાથી પહેલા અજીવ ગુણ પ્રમાણનું વર્ણન કરે છે. અજીવગુણ પ્રમાણનું સ્વરૂપ કેવું છે ? અજીવગુણ પ્રમાણના પાંચ ભેદ છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. વર્ગગુણ પ્રમાણ, ૨. ગંધગુણ પ્રમાણ, ૩. રસગુણ પ્રમાણ, ૪. સ્પર્શગુણ
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 1 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नाणं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहा– आभिनिबोहियनाणं सुयनाणं ओहिनाणं मनपज्जवनाणं केवलनाणं।

Translated Sutra: જ્ઞાનના પાંચ પ્રકાર કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે છે. ૧. આભિનિબોધિકજ્ઞાન, ૨. શ્રુતજ્ઞાન, ૩. અવધિજ્ઞાન, ૪. મનઃપર્યવજ્ઞાન, ૫. કેવળજ્ઞાન.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 2 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तत्थ चत्तारि नाणाइं ठप्पाइं ठवणिज्जाइं– नो उद्दिस्संति, नो समुद्दिस्संति नो अनुन्नविज्जंति, सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ।

Translated Sutra: આ પાંચ જ્ઞાનમાંથી મતિ, અવધિ, મનઃપર્યવ અને કેવળ આ ચાર જ્ઞાન વ્યવહાર યોગ્ય ન હોવાથી સ્થાપ્ય છે, સ્થાપનીય છે. આ ચારે જ્ઞાન ગુરુ દ્વારા શિષ્યોને ઉપદિષ્ટ નથી, તેનો ઉપદેશ આપી શકાતો નથી. તે સમુપદિષ્ટ નથી, તેની આજ્ઞા આપી શકાતી નથી. ફક્ત એક શ્રુતજ્ઞાનનો ઉપદેશ, સમુપદેશ, અનુજ્ઞા અને અનુયોગ થાય છે.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 3 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ सुयनाणस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, किं अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? अंगपविट्ठस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, अंगबाहिरस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ। इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩. જો શ્રુતજ્ઞાનમાં ઉદ્દેશ, સમુદ્દેશ, અનુજ્ઞા અને અનુયોગની પ્રવૃત્તિ થાય છે, તો તે ઉદ્દેશ, સમુદ્દેશ, અનુજ્ઞા અને અનુયોગ અંગપ્રવિષ્ટ શ્રુતમાં થાય છે કે અંગબાહ્ય શ્રુતમાં થાય છે ? અંગપ્રવિષ્ટ શ્રુત અને અંગબાહ્ય શ્રુત આ બંનેમાં ઉદ્દેશ, સમુદ્દેશ, અનુજ્ઞા અને અનુયોગ પ્રવૃત્ત થાય છે પરંતુ અહીં અંગબાહ્ય
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 4 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ अंगबाहिरस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, किं कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, उक्कालियस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ। इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૩
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 5 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ उक्कालियस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, किं आवस्सयस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? आवस्सयवतिरित्तस्स उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ? आवस्सयस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ, आवस्सयवतिरित्तस्स वि उद्देसो समुद्देसो अनुन्ना अनुओगो य पवत्तइ। इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च आवस्सयस्स अनुओगो।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૩
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 6 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जइ आवस्सयस्स अनुओगो, आवस्सयण्णं किं अंगं? अंगाइं? सुयखंधो? सुयखंधा? अज्झ-यणं? अज्झयणाइं? उद्देसो? उद्देसा? आवस्सयण्णं नो अंगं नो अंगाइं, सुयखंधो नो सुयखंधा, नो अज्झयणं अज्झयणाइं, नो उद्देसो नो उद्देसा।

Translated Sutra: જો આવશ્યકનો અનુયોગ કરવાનો છે તે આવશ્યક સૂત્ર એક અંગરૂપ છે કે અનેક અંગરૂપ ? એક શ્રુતસ્કંધ રૂપ છે કે અનેક શ્રુતસ્કંધ રૂપ છે ? એક અધ્યયનરૂપ છે કે અનેક અધ્યયનરૂપ છે ? એક ઉદ્દેશક રૂપ છે કે અનેક ઉદ્દેશક રૂપ છે ? આવશ્યક સૂત્ર એક અંગરૂપ પણ નથી, અનેક અંગરૂપ પણ નથી. આવશ્યક સૂત્ર એક શ્રુતસ્કંધ રૂપ છે, અનેક શ્રુતસ્કંધ રૂપ નથી.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 7 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तम्हा आवस्सयं निक्खिविस्सामि, सुयं निक्खिविस्सामि, खंधं निक्खिविस्सामि, अज्झयणं निक्खिविस्सामि।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૭. આવશ્યક સૂત્ર શ્રુતસ્કંધ અને અધ્યયન રૂપ છે. તેથી આવશ્યકનો, શ્રુતનો, સ્કંધનો અને અધ્યયનનો નિક્ષેપ કરીશ. સૂત્ર– ૮. જો નિક્ષેપ કરનાર વ્યક્તિ સમસ્ત નિક્ષેપને જાણતા હોય તો, તેને તે જીવાદિ વસ્તુનો સર્વ પ્રકારે નિક્ષેપ કરવો જોઈએ. જો સર્વ નિક્ષેપ જાણતા ન હોય તો નામ, સ્થાપના, દ્રવ્ય, ભાવ આ ચાર નિક્ષેપ કરવા જોઈએ. આવશ્યક સૂત્ર
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 8 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जत्थ य जं जाणेज्जा, निक्खेवं निक्खिवे निरवसेसं । जत्थ वि य न जाणेज्जा, चउक्कयं निक्खिवे तत्थ ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૭
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Gujarati 9 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आवस्सयं? आवस्सयं चउव्विहं पन्नत्तं, तं जहा–नामावस्सयं ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं।

Translated Sutra: આવશ્યકનું સ્વરૂપ કેવું છે ? આવશ્યકના ચાર પ્રકાર કહ્યા છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. નામ આવશ્યક, ૨. સ્થાપના આવશ્યક, ૩. દ્રવ્ય આવશ્યક, ૪. ભાવ આવશ્યક.
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 10 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामावस्सयं? नामावस्सयं–जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आवस्सए त्ति नामं कज्जइ। से तं नामावस्सयं।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૦. નામાવશ્યકનું સ્વરૂપ કેવું છે ? જે કોઈ જીવનું, અજીવનું અથવા જીવોનું, અજીવોનું અથવા તદુભયનું, તદુભયોનું ‘આવશ્યક’ એવુ નામ રાખવું, તે નામ આવશ્યક કહેવાય. સૂત્ર– ૧૧. સ્થાપના આવશ્યકનું સ્વરૂપ કેવું છે ? કાષ્ઠકર્મ, ચિત્રકર્મ, લેપ્યકર્મ, ગ્રંથિમ, વેષ્ટિમ, પૂરિમ, સંઘાતિમ, અક્ષ અથવા વરાટકમાં એક અથવા અનેક આવશ્યક
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 11 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं ठवणावस्सयं? ठवणावस्सयं–जण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भाव-ठवणाए वा आवस्सए त्ति ठवणा ठविज्जइ। से तं ठवणावस्सयं।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૦
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अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 12 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नामट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૧૦
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